दूध का होमोज़ाइजेशन: तरीके और मेरिट्स | Read this article in Hindi to learn about:- 1 समांगीकरण की विधि (Methods of Homogenization) 2. समांगीकरण के लाभ (Merits of Homogenization) 3. हानियां (Demerits).

समांगीकरण की विधि (Methods of Homogenization):

एकल अवस्था वाली या द्वि अवस्था वाली मशीन का प्रयोग करके दूध का समांगीकरण करते हैं ।

समांगीकरण क्रिया का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है:

i. एकल अवस्था समांगीकरण (Single Stage Homogenization):

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इस मशीन दारा समांगीकरण के लिए दूध को 43-49C तापमान पर गर्म करके साफ तथा स्वच्छ कर लेते हैं । इसके बाद दूध क तापमान 65-71C तक बढ़ाते है । ताकि उसमें उपस्थित लाईपेज एन्तार्डम पूर्ण रूप से अक्रियाशील हो जाय । गर्म दूध को मशीन से इतने दबाव से निकालते है कि मशीन में बहने वाले दूध की गति 180-240 मीटर प्रति सैकिंड (M/S) हो ।

यह बहाव दर लगभग 2000-2500 पौंड प्रति वर्ग इंच (PSI) दाब पर होती है । यन्त्र में वाल्व तथा सीट के मध्य का रास्ता 0.025 मिलीमीटर के बराबर होता है । इस क्रिया में दूध में उपस्थिति 2 से 5 मिलीमाईक्रोन (µm) साग आकार की वसा गोलिकाए टूट कर 2 µm से कम आकार की रह जाती है । (Micron = 1/1000 m.m. या 1/10,000 c.m.) ।

समांगीकरण क्रिया में दूध जितनी अधिक चाल (Speed) से जितने अधिक संकरे, (Narrow) रास्ते (Orifice) से होकर गुजेरगा, समांगीकरण उतना ही दक्षतापूर्ण होगा ।

ii. द्वि अवस्था समांगीकरण (Double Stage Homogenization):

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एकल अवस्था वाली मशीन से वसा कणिकाओं का विखंडन अपूर्ण होता है । जिससे बाद में वे आपस में मिलकर गुच्छे (Clusters या Lumps) बना लेती है । इस क्रिया को Post Clumping कहा जाता है । अतः इन Clumps को तोडने के लिए दूध को एक बार फिर अपेक्षाकृत कम दबाव वाले वाल्व से निकाला जाता है । यह दबाव सामान्यतया 500 PSI तथा कभी-कभी 1000 PSI तक लगाया जाता है ।

डेरी प्रसंस्करण पंक्ति में समांगीकरण यन्त्र को पास्तुकरण यंत्र से तुरन्त पहले या तुरन्त बाद में लगाया जाता है । भारतीय दशाओं में समांगित्र को पास्तुरीकरण यंत्र से पहले लगाना अधिक उपयुक्त होता है । क्योंकि बाद में लगाने से समांगित्र से दूध में संक्रमण होने की सम्भावना बढ जाती है ।

साथ ही दूध का भंडारण भी गर्म जलवायु व आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण आवश्यक कम तापमान पर नहीं हो पाता है तथा दूध खराब होने की सम्भावना अधिक हो जाती है ।

समांगीकरण के लाभ (Merits of Homogenization):

1. दूध का Curd Tension कम हो जाता है अतः दूध की पाचनशीलता में पर्याप्त वृद्धि हो जाती है ।

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2. दूध के रंग में गुणात्मक सुधार होकर वह अधिक सफेद हो जाता है ।

3. समांगीकृत दूध बर्तन से नहीं चिपकता है ।

4. दूध के उपर क्रीम लेयर नहीं बनती है तथा हिलने डुलने से वसा का पृथक्कीकरण भी नहीं होता है ।

समांगीकरण की हानियां (Demerits of Homogenization):

1. वसा गोलिकाओं की संख्या में वृद्धि होने से वसा का खुला सतह तल (Open Surface Area) बढ जाता है तथा कुछ ट्राईग्लिसराईड वसा गोलिका परत द्वारा अनाच्छादित नहीं हो पाते तथा लाईपेज (Lypage) एन्जाईम द्वारा अनाच्छादित वसा का जल अपघटन होने की सम्भावना बढ जाती है ।

2. इससे न ही क्रीम निकाली जा सकती तथा न ही समागीकृत दूध को मथ कर दूध से मक्खन (बसा) प्राप्त किया जा सकता है ।

3. दही मुलायम बनती है अतः इस प्रकार के दूध का प्रयोग चीज,पनीर व छैना बनाने में उचित नहीं रहता है ।

4. समांगीकृत दूध में झाग अधिक व जल्दी बनते है ।

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