Read this article in Hindi to learn about the five important methods adopted for heat treatment of metals. The methods are:- 1. हार्डनिंग (Hardening) 2. टेम्परिंग (Tempering) 3. एनीलिंग (Annealing) and a Few Others.

Method # 1. हार्डनिंग (Hardening):

यह हीट ट्रीटमेंट की एक विधि हैं जिसमें धातु पर हार्डनैस का गुण बढ़ाया जाता है । स्टील में हार्ड होने का गुण उसमें कार्बन की प्रतिशत पर निर्भर करता है ।

विधि:

इस विधि में स्टील को अपर क्रीटिकल तापमान से लगभग 30°C से 50°C तक अधिक तापमान पर गर्म किया जाता है । यह तापमान कार्य की मोटाई के अनुसार पर्याप्त समय तक रखा जाता है जिससे कार्य अंदर तक पूरी तरह से गर्म हो जाये । इसके बाद गर्म स्टील को तुरंत ठंडा कर दिया जाता है जिससे स्टील आसानी से हार्ड हो जाती है ।

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हार्डनिंग करते समय सावधानी बरतनी चाहिये । कार्य को निश्चित तापमान तक ही गर्म करना चाहिये । कम तापमान पर गर्म करने से स्टील हार्ड नहीं होगी और अधिक तापमान पर गर्म करने पर स्टील का पाई खराब हो सकता है ।

इसके अतिरिक्त कार्य को जितनी जल्दी ठंडा करेंगे वह उतना अधिक हार्ड होगा । कार्य को ठंडा करने के लिये पानी, बाइन, तेल और तेज हवा का प्रयोग किया जाता है । पानी और बाइन प्रायः प्लेन कार्बन स्टील के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं ।

प्रति गैलन पानी में लगभग 8% रॉक साल्ट मिलाकर जो घोल बनाया जाता है वह ब्राइन कहलाता है । ब्राइन के प्रयोग से यह लाभ होता है कि हार्डनिंग करते समय बुलबुले नहीं बनते और हार्डनिंग अच्छी होती है । तेल का प्रयोग प्रायः एलॉय स्टील के लिये किया जाता है । इसके लिये कई प्रकार के तेल प्रयोग में लाये जाते हैं ।

अच्छा तेल वह होता है जिसमें फ्लैश प्वाइंट और फायर प्वाइंट अधिक होता है । हाई स्पीड स्टील और टंगस्टन स्टील के लिये तेज हवा का प्रयोग किया जाता है । हाई स्पीड स्टील की हार्डनिंग करने के लिये प्री-हीटिंग की आवश्यकता होती है ।

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उद्देश्य:

a. स्टील के पार्ट्स की घिसावट को रोकने के लिये ।

b. स्टील को अन्य धातुओं को काटने योग्य बनाने के लिये ।

c. स्टील में स्ट्रेग्थ बढाने के लिये ।

Method # 2. टेम्परिंग (Tempering):

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जब स्टील के पार्ट्स या कटिंग टूल्स को हार्ड किया जाता है तो उनमें भंगुरता अधिक हो जाती है जिससे उनके टूटने का भय रहता है । इस कमी को दूर करने के लिये टेम्परिंग की जाती है । इसमें कुछ भंगुरता कम करके टफनैस को बढ़ाया जाता है ।

टेम्परिंग प्रायः निम्नलिखित विधियों से की जा सकती हैं:

(A) सिंगल हीटिंग विधि:

इस विधि में कार्य को अपर क्रीटिकल तापमान से लगभग 30°C से 50°C तक अधिक गर्म किया जाता है । गर्म करने के बाद कार्य को तुरंत पानी में कुछ निश्चित ऊंचाई तक ठंडा किया जाता है । जैसे चीजल आदि कटिंग टूल्स को लगभग 12-13 मि.मी. लंबाई तक ठंडा किया जाता है ।

इसके बाद कार्य को पानी से बाहर निकाल दिया जाता है । इससे पीछे की गर्मी हार्ड किये हुए स्थान की ओर बढ़ती है और उस पर कई रंग बदली होते हैं । जब निश्चित रंग आ जाये तो कार्य या टूल को पूरी तरह से ठंडा कर दिया जाता है । इस प्रकार हार्डनिंग और टेम्परिंग कार्य को एक बार गर्म करने से की जाती हैं । टेम्परिंग रंग तालिका में देखिये ।

(B) डबल हीटिंग विधि:

इस विधि में कार्य को दो बार गर्म किया जाता है । पहले हार्डनिंग विधि द्वारा कार्य को हार्ड कर लिया जाता है । फिर हार्ड किये हुए कार्य को लोअर क्रीटिकल तापमान से कम तापमान पर गर्म करके ठंडा किया जाता है ।

कार्बन और टूल स्टील को टेम्परिंग करने के लिये औसतन तापमान 280°C और हाई स्पीड व एलॉय स्टील के लिए औसतन तापमान 560°C रखा जाता है । इसके अतिरिक्त कार्य का रंग देखकर भी टेम्परिंग की जाती है ।

उद्देश्य:

a. हार्ड किये हुए पार्टस से आवश्यकतानुसार हार्डनैस और भंगुरता कम करने के लिये ।

b. कार्य को बार-बार गर्म करने से उत्पन्न आंतरिक तनाव को दूर करने के लिये ।

c. स्टील में सही आंतरिक रचना लाने के लिये जिससे उसमें टफनैस और झटके सहन करने की शक्ति को बढ़ाया जा सके ।

Method # 3. एनीलिंग (Annealing):

स्टील के हार्ड पार्ट्स को मशीनिंग करने योग्य बनाने के लिये मुलायम करने की विधि को एलीनिंग कहते हैं ।

विधि:

इसमें स्टील के पार्टस को उनके एनीलिंग तापमान पर गर्म किया जाता है और यह तापमान कार्य की मोटाई के अनुसार कुछ समय तक रखा जाता है । इसके बाद कार्य को धीमी गति से ठंडा किया जाता है । कार्य को ठंडा करने के लिये या तो उसे भट्टी में ही ठंडा होने दिया जाता है या उसे भट्टी से निकाल कर रेत, चूना या राख में डाल दिया जाता है । 0.9% कार्बन वाली स्टील का एनीलिंग तापमान उसके अपर क्रीटिकल तापमान से 30°C से 50°C तक अधिक तथा 0.9% से अधिक कार्बन वाली स्टील ओर टूल स्टील का तापमान उसके लोअर क्रीटिकल तापमान से 30°C से 50°C तक अधिक रखा जाता है ।

उद्देश्य:

a. हार्ड स्टील को मशीनिंग योग्य मुलायम करने के लिये ।

b. स्टील में डक्टिलिटी बढ़ाने के लिये ।

c. ग्रेन साइज को रिफाइन करने के लिये ।

d. इलेक्ट्रिकल और मैग्नेटिक गुणों का संशोधन करने के लिये ।

e. स्टील में उत्पन्न आंतरिक स्ट्रैसों को दूर करने के लिये ।

Method # 4. नार्मलाइजिंग (Normalising):

स्टील पर ठंडी या गर्म हालत में कार्य करने के बाद उसे सामान्य दशा में लाने के लिये जो क्रिया की जाती है उसे नार्मलाइजिंग कहते हैं ।

विधि:

इसमें स्टील के पार्टस को उनके अपर क्रीटिकल तापमान से लगभग 30°C से 50°C तक अधिक गर्म किया जाता है और यह तापमान कार्य की मोटाई के अनुसार कुछ समय तक रखा जाता है । इसके बाद गर्म किये हुए पार्टस को स्थिर हवा में ठंडा कर दिया जाता है ।

उद्देश्य:

a. स्टील के पार्ट्स पर ठंडी या गर्म हालत में कार्य करने से उत्पन्न आंतरिक स्ट्रैसों को दूर करने के लिये ।

b. ग्रेन साइज को रिफाइन करने के लिये ।

c. आवश्यकतानुसार यांत्रिक गुणों की प्राप्ति के लिये ।

Method # 5. सरफेस हार्डनिंग (Surface Hardening):

अच्छी सर्विस कंडीशनों और लंबे जीवन काल के लिए सरफेस को हार्ड व घिसावट का प्रतिरोधी बनाने के लिए सरफेस हार्डनिंग की जाती है जिसका कोर टफ और झटकों को सहने वाला होता है । सरफेस हार्डनिंग की कई विधियां प्रयोग में लाई जाती है ।