Read this article in Hindi to learn about the four main processes adopted for heat treatment of metal. The processes are:- 1. केस हार्डनिंग (Case Hardening) 2. नाइट्राइडिंग (Nitrating) 3. फ्लेम हार्डनिंग (Flame Hardening) 4. इंडक्शन हार्डनिंग (Induction Hardening).

अच्छी सर्विस कंडीशनों और लंबे जीवन काल के लिए सरफेस को हार्ड व घिसावट का प्रतिरोधी बनाने के लिए सरफेस हार्डनिंग की जाती है जिसका कोर टफ और झटकों को सहने वाला होता है ।

प्रायः निम्नलिखित सरफेस हार्डनिंग विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं:

Process # 1. केस हार्डनिंग (Case Hardening):

लो कार्बन स्टील अर्थात् माइल्ड स्टील को हार्ड नहीं किया जा सकता क्योंकि उसमें कार्बन की मात्रा कम होती है । परंतु माइल्ड स्टील के पार्ट्स की सरफेस को घिसने से बचाने के लिये एक प्रकार की क्रिया की जाती है जिसे केस हार्डनिंग कहते हैं । इस विधि से केवल पार्ट्स की बाहरी सरफेस को ही हार्ड किया जाता है और अंदर का भाग मुलायम और टफ रखा जाता है जिससे पार्टस झटके और कंपन को आसानी से सहन कर सकते हैं ।

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मुख्यतः केस हार्डनिंग निम्नलिखित विधियों से कि जा सकती है:

कार्बुराइजिंग:

यह केस हार्डनिंग की एक विधि है जिसमें लो कार्बन स्टील की सतह पर कुछ गहराई में कार्बन की मात्रा बढ़ाई जाती है ।

स्टील पर कार्बुराइजिंग प्रायः निम्नलिखित विधियों द्वारा की जाती है:

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(i) पैक कार्बुराइजिंग:

इस विधि में लो कार्बन स्टील के पार्ट्स को साफ करने के बाद कास्ट ऑयरन के बॉक्स में कार्बनयुक्त पदार्थों जैसे लकड़ी का कोयला, हड्डी का पाउडर, झुलसे हुए चमड़े आदि को केल्शियम, बेरियम या सोडियम के कार्बोनेट के मिश्रण के साथ पैक कर दिया जाता है और बॉक्स को मिट्टी के साथ ऐअर टाइट करने के बाद उसे 900°C से 950°C तक तापमान दिया जाता है ।

तापमान केस की गहराई के अनुसार कई घंटों तक रखा जाता है । इसके बाद पार्ट्स को बॉक्स में ही ठंडा होने दिया जाता है जिससे कार्बन पार्टस की सतह पर जम जाती है । साधारणतया इस विधि में 1 से 2 मि.मी. तक केस की गहराई में कार्बन जमाई जाती है । यदि स्टील को 925°C पर 5 घंटे तक लगातार तापमान दिया जाये तो केस की गहराई 1 मि.मी. बन जाती है ।

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समय और तापमान के अनुसार केस की गहराई तालिका में दर्शाई गई है:

(ii) गैस कार्बुराइजिंग:

इस विधि में लो कार्बन स्टील के पार्ट्स को गैस कार्बुराइजिंग फरनेस में कार्बुनयुक्त गैस के साथ क्रीटिकल रेंज में गर्म किया जाता है । जिससे गैस की कार्बन पार्ट्स की सतह पर जम जाती है । साधारणतया इस विधि से 1 मि.मी. केस की गहराई हार्ड करने के लिये पार्ट्स को कार्बनयुक्त गैस के साथ 870°C से 950°C तापमान पर 6 घंटे तक रखा जाता है ।

(iii) द्रव कार्बुराइजिंग:

आजकल द्रव कार्बुराइजिंग के लिये सोडियम सायनाइड और अन्य प्रकार की साल बाथ प्रयोग में लाई जाती है । सोडियम सायनाइड या साल को बाथ में गर्म करके पिघला दिया जाता है और लो कार्बन स्टील के पार्ट्स को उसमें डाल कर कार्बुराइजिंग किया जाता है ।

कार्बुराइज किए हुए पार्ट्स की हीट ट्रीटमेंट करना:

पार्ट्स पर कार्बुराइजिंग करने के बाद केस को हार्ड करने के लिए पहले उन्हें 860°C से 870°C तक गर्म करके नार्मलाइजिंग करते हैं । इसके बाद पार्ट्स को 760°C से 780°C तक गर्म करके पानी, ब्राइन या तेल में ठंडा किया जाता है । इस प्रकार पार्टस की सतह हार्ड हो जाती है । और कोर साफ और टफ बना रहता है ।

Process # 2. नाइट्राइडिंग (Nitrating):

यह विधि एलॉय स्टील के पार्टस की सतहों को हार्ड करने के लिए की जाती है । इस विधि में पार्ट्स को अमोनिया गैस के साथ 500°C से 550°C तक तापमान देकर गर्म किया जाता है और पार्ट्स को धीरे-धीरे ठंडा होने दिया जाता है । इससे अमोनिया की नाइट्रोजन पार्ट्स की सतहों को हार्ड कर देती है । सामान्यत: पार्ट्स को अमोनिया गैस के साथ 50 घंटे तक गर्म करके उनकी सतह को 0.4 मि.मी. तक गहराई में हार्ड किया जा सकता है ।

Process # 3. फ्लेम हार्डनिंग (Flame Hardening):

इस विधि में पार्ट्स को ऑक्सी-एसीटिलीन टार्च के द्वारा ली देकर गर्म किया जाता है और साथ-साथ पानी का फुआरा देकर पार्ट्स को ठंडा करते रहते हैं । यह क्रिया प्रायः हाई कार्बन या एलॉय स्टील के पार्टस को हार्ड करने के लिये की जाती है ।

इस विधि से प्रायः निम्नलिखित लाभ होते हैं:

(i) पार्ट्स को भट्टी की अपेक्षा जल्दी गर्म किया जा सकता है ।

(ii) पार्टस पर आवश्यकतानुसार लंबाई और गहराई में हार्डनिंग की जा सकती है ।

(iii) ऐसे बड़े-बड़े पार्ट्स जिनको भट्टी में गर्म करने में असुविधा होती है उनको आसानी से गर्म करके हार्ड किया जा सकता है ।

Process # 4. इंडक्शन हार्डनिंग (Induction Hardening):

इस विधि में इंडक्शन हार्डनिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है । इसमें लगभग 200 साइकिल का करेंट एक कॉपर इंडक्शन ब्लॉक से प्रवाहित किया जाता है । इस ब्लॉक को पार्ट्स की हार्ड करने वाली सतह के पास रखा जाता है और ध्यान रखा जाता है कि पार्ट्स की सतह इस ब्लॉक से स्पर्श न करें ।

एलॉय स्टील की हार्डनिंग करने के लिए तापमान लगभग 790°C से 800°C तक रखा जाता है और .5% कार्बन वाली स्टील के लिए तापमान लगभग 750°C से 760°C तक रखा जाता है । इसके बाद पार्ट्स के गर्म किये हुए स्थान को पानी के फुआरों के द्वारा तुरंत ठंडा कर दिया जाता है ।

इस विधि से साधारणतया 5 सेंकड में 3 मि.मी. तक पार्ट्स की सतह की गहराई हार्ड की जा सकती है । इस विधि के द्वारा प्रायः कैम शाफ्ट क्रेंक शाफ्ट और एक्सिल शाफ्ट की बियरिंग सतहों को हार्ड किया जाता है ।

इंडक्शन हार्डनिंग से प्रायः निम्नलिखित लाभ होते हैं:

(a) बहु उत्पादन के लिए यह विधि कम खर्चीली होती है ।

(b) पार्टस की बाहरी सतह को हार्ड करते समय उसके भीतरी भाग पर कोई असर नहीं पड़ता

(c) दूसरी विधियों की अपेक्षा इसमें कम समय लगता है ।

(d) पार्ट्स टेढ़े-मेढ़े नहीं होते ।