Read this article in Hindi to learn about the features of the constitution of France.

फ्रांस की संवैधानिक प्रणाली के विकास पर फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है । फ्रांस ने क्रांति के बाद से अपने संविधान में औसतन प्रत्येक 12 वर्ष बाद परिवर्तन किया है । इसने तीन राजतंत्रीय, दो तानाशाही, तीन साम्राज्यीय तथा चार गणराज्यीय संविधानों को अपनाया है ।

फ्रांस का वर्तमान संविधान 1958 में लागू हुआ था । इसको जनरल कि गाल के निर्देशानुसार तैयार किया गया था । इसका उद्देश्य फ्रांस को एक शक्तिशाली और स्थायी सरकार प्रदान करना था । पाँचवें गणतंत्र की स्थापना इसी संविधान ने की थी ।

फ्रांस के पाँचवें गणराज्य की मुख्य विशिष्टताएँ निम्नलिखित हैं:

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i. लिखित संविधान (Written Constitution): 

1958 का फ्रांसीसी संविधान लिखित संविधान है । इसमें एक प्रस्तावना तथा 15 अध्यायों में 92 धाराएँ शामिल हैं । पांचवें गणतंत्र के आदर्श वाक्य के रूप में स्वतंत्रता समानता और मातृत्व की उद्घोषणा की गई है । इसमें संविधान की धारा 2 में कहा गया है कि- ”फ्रांस एक अविभाज्य, धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक एवं सामाजिक गणराज्य है ।”

1958 के फ्रांसीसी संविधान की प्रस्तावना कहती है- ”इसके द्वारा फ्रांसीसी जन मानव अधिकारों एवं राष्ट्रीय प्रभुसत्ता के सिद्धांतों के प्रति अपनी निष्ठा घोषित करते हैं जिनको 1789 की घोषणा में परिभाषित और 1946 के संविधान की प्रस्तावना द्वारा पूर्ण किया गया था ।”

ii. अनम्य संविधान (Inflexible Constitution): 

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ब्रिटिश संविधान के विपरीत, फ्रांसीसी संविधान की प्रकृति अनम्य (Rigid) है । संशोधन के लिए इसमें एक विशेष प्रक्रिया दी गई है । इसमें संसद के दोनों सदनों में 60 प्रतिशत बहुमत के द्वारा ही संशोधन किया जा सकता है ।

विकल्प के तौर पर संवैधानिक संशोधन पर राष्ट्रपति राष्ट्रीय जनमत संग्रह का आह्वान कर सकता है । परंतु फ्रांस में सरकार के गणतांत्रिक रूप को संशोधित नहीं किया जा सकता है । अत: फ्रांस में राजतंत्र का कोई स्थान नहीं है ।

iii. एकात्मक संविधान (Unitary Constitution): 

1958 के फ्रांसीसी संविधान में एकात्मक राज्य का प्रावधान है । केंद्रीय और स्थानीय या प्रांतीय सरकारों के बीच शक्तियों का कोई विभाजन नहीं है । सारी शक्तियाँ पेरिस में स्थित एकमात्र सर्वोच्च केंद्र सरकार में निहित है ।

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स्थानीय सरकारों का निर्माण और उनकी समाप्ति केवल प्रशासनिक सुविधा के लिए केंद्र सरकार द्वारा की जाती है । वास्तव में ब्रिटेन की अपेक्षा फ्रांस अधिक एकात्मक है ।

iv. अर्द्ध-अध्यक्षात्मक और अर्ध-संसदीय (Semi-Presidential and Semi-Parliamentary): 

पाँचवें गणराज्य में न तो सरकार का प्रावधान है और न ही संसदीय सरकार का । बल्कि इसमें दोनों के तत्त्वों का मिश्रण है । एक ओर तो इसमें शक्तिशाली राष्ट्रपति का प्रावधान किया गया है जिसका प्रत्यक्ष निर्वाचन सात साल के कार्यकाल के लिए किया जाता है और दूसरी ओर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मनोनीत मंत्री परिषद होती है जिसका उत्तरदायित्व संसद के प्रति होता है, परंतु मंत्री संसद के सदस्य नहीं होते हैं ।

v. द्विसदनीय पद्धति (Bicameral System): 

फ्रांसीसी संविधान में द्विसदनीय विधायिका की व्यवस्था की गई है । संसद का गठन राष्ट्रीय सभा (निचला सदन) और सीनेट (ऊपरी सदन) से होता है । राष्ट्रीय सभा में पाँच साल के कार्यकाल के लिए प्रत्यक्ष तौर पर निर्वाचित 577 सदस्य होते हैं । सीनेट के 321 सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से नौ वर्ष के कार्यकाल के लिए होता है । सीनेट की अपेक्षा राष्ट्रीय सभा अधिक आधिपत्यपूर्ण और शक्तिशाली होती है ।

vi. युक्तिसंगत संसद (Rationalised Parliament):

1958 फ्रांसीसी संविधान ने एक युक्तिसंगत संसद की स्थापना की थी जिसकी शक्तियाँ प्रतिबंधित और सीमित थी । फ्रांसीसी संसद की शक्तियाँ राजनीतिक कार्यपालिका की तुलना में सीमित हैं । यह कानूनों का निर्माण केवल संविधान में निर्धारित विषयों पर ही कर सकती है ।

अन्य तमाम मामलों पर सरकार कार्यकारी आदेश द्वारा कानून बना सकती है । सरकार कानून बनाने का अधिकार कार्यपालिका अंग को सौंपने का अधिकार रखती है । संसदीय सत्ता पर ये सीमाएँ एक शक्तिशाली कार्यपालिका प्रदान करने के उद्देश्य से लगाई गई थीं ।

vii. संवैधानिक परिषद (Constitutional Council):

संविधान ने एक संवैधानिक परिषद की स्थापना की है । इसमें नौ वर्ष के कार्यकाल के लिए निर्वाचित नौ सदस्य होते हैं । यह एक न्यायिक पहरेदार का काम करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कार्यकारी आदेश और संसदीय कानून संविधान के प्रावधान के अनुसार हों । परंतु यह केवल एक सलाहकार संस्था है और इसकी सलाह बाध्यकारी नहीं है ।

viii. राजनीतिक दलों को मान्यता (Recognition to Political Parties):

फ्रांस के नये संविधान में राजनीतिक दलों और उनकी भूमिका को संवैधानिक मान्यता दी गई है । फ्रांस के गणतांत्रिक संविधान ने पहली बार न केवल राजनीतिक दलों का उल्लेख किया है बल्कि उनको राजनीतिक जीवन का सामान्य अंग भी स्वीकार किया है । संविधान की धारा 4 में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय प्रभुसत्ता तथा जनतंत्र के सिद्धांतों का आदर करना चाहिए ।

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