Read this article in Hindi to learn about the constituents of local governance in France.

फ्राँस में स्थानीय शासन की चार इकाइयां हैं:

1. विभाग,

2. एरोंडाइसमेंट,

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3. केन्टन और

4. कम्यून ।

इनमें से विभाग और कम्यून ही स्थानीय शासन की वास्तविक इकाइयां है क्योंकि इनमें चुनी हुई परिषदें शासन करती हैं । शेष वस्तुतः विभाग की उत्तरोत्तर दो विकेंद्रीत उपइकाइयां है जो विभाग के कार्यों को संपादित करती हैं ताकि उसका कार्य बोझ कम हो सके ।

1. विभाग (Divisions):

विभाग स्थानीय शासन की शीर्ष इकाई है । स्थानीय शासन के उद्देश्य से फ्राँस को सर्वप्रथम 90 विभागों में बांटा गया है । इसकी समानता इंग्लैंड में काउंटी से की जाती है यद्यपि विभाग का आकार (क्षेत्रफल में) काउंटी से लगभग दो गुना है ।

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प्रकार:

जनसंख्या, राजनीतिक महत्व, संपदा, समृद्धि आदि आधारों पर विभागों की चार श्रेणीयां हैं:

1. अभिजातीय या विशेष वर्गीय या उच्च वर्गीय विभाग ये सबसे महत्वपूर्ण विभाग हैं लेकिन इनकी संख्या सबसे कम मात्र 15 है ।

2. प्रथम श्रेणी के विभाग – इनकी संख्या 19 है ।

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3. द्वितीय श्रेणी के विभाग – ये 22 है ।

4. तृतीय श्रेणी के विभाग – ये सर्वाधिक 34 हैं ।

गठन:

सभी विभागों के गठन की एक समान प्रक्रिया है । प्रत्येक विभाग के लिये एक सामान्य परिषद होती है जिसके सदस्यों को पार्षद कहा जाता है । पार्षदों का चुनाव विभाग की जनता प्रत्यक्ष मतदान द्वारा करती है । विभाग में स्थित प्रत्येक केण्टन एक वार्ड होता है जहां से एक पार्षद चुना जाता है ।

विभाग में केण्टन (वार्ड) की संख्या समान नहीं है । एक विभाग में सर्वाधिक 67 पार्षद हैं तो एक में सबसे कम मात्र 17 हैं । सामान्य परिषद अपने में से एक अध्यक्ष का चुनाव एक वर्ष की अवधि के लिये प्रतिवर्ष करती है ।

कार्यकाल:

पार्षद 6 वर्ष की अवधि के लिये चुने जाते है जबकि अध्यक्ष पद का कार्यकाल एक वर्ष होता है ।

विभागीय आयोग:

विभाग की एक स्थायी समिति होती है जिसे ”विभागीय आयोग” कहा जाता है ।

पदाधिकारी:

अध्यक्ष विभाग का प्रमुख पदाधिकारी होता है लेकिन प्रशासनिक रूप से विभाग का प्रमुख अधिकारी मुख्य कार्यकारी (Chief Executives) होता है । विभाग में केंद्रीय सरकार के स्थानीय एजेंट के रूप में कार्यरत ”प्रिफेक्ट” ही पदेन रूप से ”मुख्य कार्यकारी” का भार भी संभालता है ।

इस प्रकार प्रिफेक्ट की विभाग में दोहरी भूमिका है- एक केंद्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में वह सरकारी कानूनों, नीतियों, आदेशों को विभाग में लागू करवाता है, दूसरे विभाग की सामान्य परिषद के मुख्य कार्यकारी के रूप में परिषद द्वारा पारित प्रस्तावों, नीतियों को क्रियान्वित करता है । प्रिफेक्ट की नियुक्ति सीधे राष्ट्रपति द्वारा आंतरिक मामलों के मंत्री की सिफारिश पर की जाती है । इस प्रकार प्रिफेक्ट स्थानीय शासन व्यवस्था में महत्वपूर्ण केंद्रीय बिंदु है ।

2. एरोन्डाइसमेंट या प्रांत (Province):

फ्रांस के स्थानीय शासन के पदसोपान में दूसरा स्तर ‘एरोन्डाइसमेंट’ का है । वस्तुतः यह स्थानीय शासन का कोई वास्तविक स्तर नहीं है अपितु विभाग का ही प्रशासनिक उद्देश्यों के लिये आंतरिक विभाजन है । यहां न तो कोई निर्वाचित परिषद है, न ही नामांकित परिषद ।

अपितु ”उप प्रिफेक्ट” के नेतृत्व में यह एक प्रशासनिक इकाई है जिसका निर्माण विभाग के कार्य बोझ को कम करने के उद्देश्य से किया गया है । एक विभाग में अनुमन 3 या 4 ”एरोन्डाइसमेंटस” होते हैं । इन्हें भी 4 प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है- अभिजातीय, प्रथम वर्ग, द्वितीय वर्ग और तृतीय वर्ग । प्रत्येक एरोन्डासइसमेंट का प्रमुख अधिकारी ”उपप्रिफेक्ट” होता है जो प्रिफेक्ट के एजेन्ट के रूप में काम करता है और उसके प्रति ही उत्तरदायी होता है । इसकी नियुक्ति भी सरकार करती है ।

3. केण्टन (Canton):

एरोन्डाइसमेंट की भांति केण्टन भी स्थानीय शासन की तुलना में एक प्रशासनिक इकाई ही है । प्रत्येक एरोन्डाइसमेंट को 9 केन्टन में विभक्त किया जाता है । केण्टन वस्तुतः प्रशासन की क्षेत्रीय इकाई है जो सेना और न्याय संबंधी प्रशासनिक कार्यों के प्रति उत्तरदायी होती है । इसकी प्रमुख विशेषता है कि यह विभाग के चुनाव हेतु एक ”वार्ड” के रूप में भाग लेती है । एक केण्टन से एक पार्षद विभाग हेतु निर्वाचित होता है ।

4. कम्यून या तहसील (Commune or Tehsil):

स्थानीय शासन के पदसोपान में अंतिम और निम्नतम पायदान पर ”कम्यून” है । यह आकार में भी सबसे छोटी है । भारत में ग्राम पंचायत की भांति ”कम्यून” फ्रांस की प्राचीनतम ”स्थानीय शासन” संस्था है । इसका अस्तित्व मध्य युग से दिखायी देता है । 1789 की फ्रांसीसी क्रांति के दौरान ”पेरिस की कम्यून” ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी । वर्तमान में 38 हजार से भी अधिक कम्यून फ्रांस में विद्यमान हैं ।

अवधारणा:

केण्टन के अंतगर्त स्थित ग्राम, नगर, आवासीय बस्तियाँ, औद्योगिक क्षेत्र, कृषि क्षेत्र आदि के लिए ”कम्यून” का गठन होता है । यह केण्टन की उपविभागीय एक प्रशासनिक इकाई भी है और अपने गांव या शहर की स्थानीय शासन इकाई भी । विभाग के बाद कम्यून ही स्थानीय शासन की वास्तविक इकाई है जहां एक निर्वाचित परिषद शासन का संचालन करती है । सभी कम्यून की कार्य प्रणाली समान होती है चाहे वे शहर के हों, गांव के हों या औद्योगिक क्षेत्रों के हों ।

गठन:

प्रत्येक कम्यून में एक नगरीय परिषद होती है । इसका काम अपने क्षेत्र के लिये नीति, विधि, योजना का निर्माण करना है । इसके सदस्य पार्षद कहलाते हैं जिनका चुनाव 6 वर्ष के लिये प्रत्यक्ष मतदान द्वारा किया जाता है । कम्यूनों के आकार (जनसंख्या) के अनुसार पार्षदों की संख्या 11 से 37 तक हो सकती है ।

परिषद का प्रमुख ”महापौर” पार्षदों द्वारा अपने मध्य में से चुना जाता है । इसका कार्यकाल भी 6 वर्ष होता है । विभाग के प्रशासक की भांति कम्यून का महापौर भी दोहरी भूमिका में होता है; वह कम्यून का मुख्य कार्यकारी भी है और कम्यून में केंद्र सरकार का स्थानीय प्रतिनिधि भी ।

पहली भूमिका में महापौर का प्रमुख कार्य है, परिषद द्वारा पारित प्रस्तावों, नीतियों को लागू करना । केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में उसके प्रमुख कार्य हैं पुलिस, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सैनिक सेवा संबंधी उन कार्यों को संपादित करना, जिनका आदेश विभाग के प्रशासक से मिलता है ।

ब्रियान चैपमेन ने ठीक ही लिखा है कि फ्राँसीसी महापौर ब्रिटिश महापौर से अधिक शक्तिशाली है और जिसकी तुलना जर्मनी के बर्गोमास्टर (महापौर) से ही की जा सकती है, ब्रिटिश मेयर से नहीं ।