दूध और मानव स्वास्थ्य पर निबंध | Essay on Milk and Human Health in Hindi.

यह स्थापित सत्य है कि गन्दगी युक्त दूध बीमारियों का एक महत्वपूर्ण वाहक हो सकता है असुरक्षित दूध से उत्पन्न महामारियां विश्व के कई देशों में फैल चुकी हैं अतः दूध आपूर्ति में इनका ज्ञान तथा रोकथाम के उपाय आवश्यक रूप से जानकारी में होने चाहिए । यदि इस तथ्य पर उचित ध्यान नहीं दिया गया तो दूध से होने वाले लाभों की अपेक्षा हानि अधिक हो सकती है ।

दूध से फैलने वाली बीमारियों को दो समूहों में बांट सकते हैं:

A. दुधारू पशुओं के संक्रमण से सम्बन्धित मानव बीमारियां (Human Disease Associated with Infection of the Cow):

1. क्षय रोग (Tuberculosis):

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यह गाय से मनुष्य में जाने वाली महत्वपूर्ण बीमारी है । गाय के अयन में (Tuberculosis) का संक्रमण होने पर, ये जीवाणु दूध में आ जाते हैं जो मनुष्यों में यह रोग फैलाते है । पशुओं में इस रोग की जांच के लिए Tuberculin परीक्षण करते रहना चाहिए । पशु में ये परीक्षण धनात्मक होने पर उससे प्राप्त दूध को उष्मा से उपचारित करने के बाद ही उपभोग में लेना चाहिए ।

2. अनडुलैन्ट ज्वर (Undulant Fever):

गायों में Contagious Abortion के रोगाणु Brucella Abortus द्वारा मनुष्यों में यह रोग फैलता है । इग्लैड में 20 से 30 प्रतिशत दूध के नमूनों में ये रोगाणु उपस्थित पाये जाते है । भारत में यह रोग कम फैलता है मनुष्यों में यह रोग संक्रमित कच्चा दूध पीने से फैलता है ।

3. स्ट्रैप्टोकोकल संक्रमण (Streptococcal Fever):

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गायों में थनैला रोग होने पर दूध में उसके रोगाणु आ जाते है । इस तरह का कच्चा दूध पीने से मनुष्यों में Strpyogenes के संक्रमण से Septic Sore Throat नामक रोग हो जाता है । गायों में थनैला रोग के दूसरे रोगाणु Str. Mastitis या Str. Agalactia मानव के लिए रोगकारी नहीं होते है । थनैला दूध के पीने से मनुष्यों में Scarlet Fever भी हो सकता है ।

4. फूड पोयजनिंग (Food Poisoning):

गायों में Salmonella रोगाणु का संक्रमण होने पर यह दूध इन रोगाणुओं की उपस्थिति के कारण (कच्चा दूध पीने से) मनुष्य में Food Poisoning पैदा कर सकता है । इस रोगाणु के लिए आईसक्रीम एक विशेष वाहक का कार्य करता है ।

कभी-कभी Staphylococcus Aureus भी दूध में पाया जाता है । यह रोगाणु Enterotoxin नामक विष उत्पन्न करता है जो मनुष्यों में फूड पोयजनिंग उत्पन्न करता है । यह रोगाणु गाय के अयन से या मानवसंक्रमण द्वारा भी आ सकता है ।

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गाय के अयन से Septicaemia के रोगाणु Sal. Enteritis तथा पशु के बच्चों में Diarrhea तथा Enteritis उत्पन्न करने वाले रोगाणु Sal. Enteritis Dublin भी मनुष्यों में Food Poisoning फैलाते है ।

B. संक्रमित दूध से फैलने वाली बीमारियां (Diseases Spread through Infected Milk):

दूध जीवाणुओं के लिए भी पोषक माध्यम (Nutritious Medium) है । अतः वातावरण से जीवाणु दूध में प्रवेश पर अच्छी वृद्धि करते हैं । यदि उपभोग पूर्व इन जीवाणुओं को नष्ट न किया जाये तो ये उपभोक्ता में कुछ जीवाणु जनित रोग भी फैलाते हैं ।

संक्रमित दूध के उपयोग से फैलने वाले रोगों को  दो वर्गों में बांट सकते हैं:

1. The Enteric Diseases – Typhoid Fever, Paratyphoid Fever, Dysentery.

2. Other Acute Infection Disease – Diphtheria, Scarlet Fever, Sore Throat Outbreaks.

इनका विवरण निम्नवत है:

1. इन्ट्रीक रोग (Enteric Disease):

Typhoid ज्वर, जल जनक (Water Born) रोग है परन्तु यदि दूध में इस से संक्रमित पानी मिलाया जाता है तो दूध भी इस रोगाणु का वाहक बन जाता है । इसका रोगाणु B.Typhosus होता है । इसी प्रकार से दूध के लिए भी वाहक का कार्य करता है ।

दूध में B.Paratyphosus कारक रोगाणु भी प्रवेश पाकर उपभोक्ता में पेचिरा रोग उत्पन्न कर देते है । इसके लिए कई तरह के रोगाणु कारक बन सकते हैं । इनमें Flexner प्रकार के रोगाणु प्रमुख हैं । इस प्रकार की रोगाणु जनित पेचिश में मृत्यु दर न्यूनतम होती है ।

2. अन्य संक्रमण (Other Acute Infection Disease):

जो Scarlet Fever तथा Sore Throat जैसी बीमारियां गायों से मानव में सीधे रूप से आने के साथ-साथ दूध के वातावरणीय संक्रमण से भी फैलाती है । डिपथिरिया दूध द्वारा फैलने के कम प्रकरण मिलते हैं । परन्तु दुग्ध व्यवसाय में संलग्न व्यक्ति यदि इस रोग से पीडित है तो इस रोग के रोगाणुओं (Diphtheria Bacillus) द्वारा संक्रमित होकर दूध इस रोग का वाहक बन जाता है ।

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