ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना: दृष्टि और लक्ष्य | Read this article in Hindi to learn about:- 1. ग्यारहवीं योजना का दृश्य (Vision of Eleventh Plan) 2. ग्यारहवीं योजना के उद्देश्य (Objectives of Eleventh Plan) 3. लक्ष्य (Targets).

ग्यारहवीं योजना का दृश्य (Vision of Eleventh Plan):

यू.पी.ए. सरकार के राष्ट्रीय न्यूनतम साझे कार्यक्रम (NCMP) के अनुकूल प्रस्ताव पत्र के मसौदे ने (प्रस्ताव पेपर के प्रलेख) ने अपने दृश्य एवं उद्देश्यों को निम्नलिखित अनुसार रेखाचित्रित किया ।

ग्यारहवीं योजना वृद्धि के नये दृश्य की प्राप्ति के लिये नीतियों के पुनर्निर्माण का एक अवसर उपलब्ध करती है । यह कहीं अधिक विस्तृत आधार वाली एवं समावेशी है जो निर्धनता को तीव्रतापूर्वक कम करने तथा निर्धनों और समृद्धों के बीच के अन्तराल को कम करने में सहायता करती है । पहला पग दसवीं पंचवर्षीय योजना के मध्य में उठाया था जो कि सरकार द्वारा अपनाई गई राष्ट्रीय न्यूनतम सांझे कार्यक्रम (NCMP) की नीति पर आधारित था । इन पगों को और भी सुदृढ़ करके ग्यारहवीं योजना के लिये एक रणनीति के रूप में संघटित करना चाहिये ।

तीव्र वृद्धि को रणनीति का एक आवश्यक भाग बनना है क्योंकि एक वृद्धिशील अर्थव्यवस्था में ही हम सामान्य लोगों की आय में पर्याप्त वृद्धि का सपना देख सकते हैं जिससे लोगों के जीवन की स्थितियों में सुधार हो । सौभाग्य से, वृद्धि के उद्देश्य अब से कहीं अधिक निष्पाद्य (Achievable) है । योजना आयोग का विचार है कि अर्थव्यवस्था 8 से 9 प्रतिशत वृद्धि के भीतर स्थायी आधार पर बढ़ सकती है यदि प्रासंगिक नीतियों का उचित ढंग से प्रयोग किया जाये ।

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जनसंख्या के प्रतिवर्ष 15 प्रतिशत बढ़ने से सुनिश्चित होगा कि एक औसत भारतीय की आय दस वर्ष में दुगनी हो जायेगी । इस तथ्य की प्राप्ति उन नीतियों को अपना कर की जा सकती है जो विस्तृत आधार वाली वृद्धि सुनिश्चित करें जिससे देश के सभी भागों और विशेषतया ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ है ।

सरकार को चाहिये कि सभी स्तरों पर, हमारी जनसंख्या के बड़े भागों को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करने के यत्न करें जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा तथा पीने के लिये साफ-सुथरा जल, वर्तमान में यह सुविधाएं लोगों को उपलब्ध नहीं है । यदि हम विस्तृत आधार वाली एवं समावेशी वृद्धि प्राप्त करने में सफल होते हैं तो भी अनेक वर्ग ऐसे होंगें जो अब भी पिछड़े हुये होंगे । इसमें सम्मिलित हैं पिछड़े हुये जनजाति वर्ग, नवयुवतियां, 0-3 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे और अन्य ऐसे लोग जिन के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिये सुदृढ़ समर्थक नहीं है ।

निजी क्षेत्र जिनमें कृषि, लघु क्षेत्रीय उद्यम और निगमित क्षेत्र सम्मिलित है तीव्र एवं अधिक समावेशी वृद्धि प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में कुल निवेश के 70 प्रतिशत के लिए उत्तरदायी है । अतः हमारी नीतियों को ऐसे वातावरण की रचना का लक्ष्य रखना चाहिये जिनमें उद्यमवृति की वृद्धि हो सके ।

हमारे कार्यक्रमों और नीतियों की स्व-समीक्षा की आवश्यकता है ताकि यह देखा जा सके कि क्या कार्य कर रहा है और क्या काम नहीं कर रहा । विशेष उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये निर्मित कार्यक्रम, पर्याप्त व्यय किये जाने के बावजूद, लक्ष्य प्राप्ति में असफल होते हैं । अतः प्रस्ताव पत्र, ग्यारहवीं योजना काल में ऐसी समस्याओं के समाधान के लिये उदार रणनीति का सुझाव देता है, जो हमारी दृढ़ता के निर्माण से और दुर्बलताओं के विरोध से सम्भव है ।

ग्यारहवीं योजना के उद्देश्य (Objectives of Eleventh Plan):

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ग्यारहवीं योजना का उद्देश्य है ”तीव्र तथा अधिक समावेशी वृद्धि ।” ग्याहरवीं योजना का प्रस्ताव पत्र वर्णन करता है कि योजना ”अर्थव्यवस्था को सतत वृद्धि के साथ योजना काल के अन्त तक लगभग 10 प्रतिशत के वृद्धि दर की प्राप्ति का लक्ष्य रखती है ।”

योजना के अन्य उद्देश्यों में हैं:

(क) कृषि क्षेत्र में 4 प्रतिशत की वृद्धि,

(ख) तीव्र रोजगार की उत्पत्ति,

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(ग) क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना,

(घ) सबके लिये आधारभूत भौतिक संरचना तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाएँ उपलब्ध करना ।

ग्यारहवीं योजना के लक्ष्य (Targets of Eleventh Plan):

प्रस्ताव पत्र ने ग्यारहवीं योजना काल के दौरान निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किये हैं:

(i) सकल घरेलू उत्पाद में 9 प्रतिशत का तीव्र औसत वृद्धि दर प्राप्त करना ताकि योजना के अन्त तक सकल घरेलू उत्पाद के 10 प्रतिशत वृद्धि दर की प्राप्ति हो सके ।

(ii) समाज के सभी वर्गों तक विकास के लाभों को फैलाने के लिये अधिक समावेशी वृद्धि की प्राप्ति ।

(iii) कृषि में 4 प्रतिशत वृद्धि प्राप्त करना ।

(iv) शिक्षित बेरोजगारी के दर को 5 प्रतिशत से कम करना ।

(v) वर्ष 2009 तक सबके लिये बिजली की औसत पूर्ति ।

(vi) नवम्बर 2007 तक देश के सभी गाँवों में टैलीफोन सेवाओं का प्रबन्ध ।

(vii) जितनी शीघ्रता से सम्भव हो सके लिंग अनुपात अथवा नर-मादा अनुपात को सुधारना ।

(viii) सबके लिये मूलभूत भौतिक संरचना तथा स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं सुनिश्चित करना ।

(ix) सात करोड़ नई नौकरियों की रचना ।

(x) स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के दर को 20 प्रतिशत तक कम करना जो कि इस समय 52 प्रतिशत है ।

(xi) शिशु मत्यु-दर को घटा कर 28 प्रति 1000 जन्मों के स्तर पर लाना ।

(xii) मातृ मत्यु दर को 1 प्रति 1000 जन्मों तक कम करना ।

(xiii) वर्ष 2011-12 तक सभी गाँवों को ब्रांड-बैन्ड के साथ जोड़ना ।

(xiv) वर्ष 2009 तक 1000 तक की जनसंख्या वाले सभी गाँवों के लिए सड़कें उपलब्ध करना ।

(xv) वन आच्छादन अथवा वृक्ष उत्पादन को 5 प्रतिशत से बढ़ाना ।

(xvi) वर्ष 2011-12 तक सभी प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता के विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O) मानकों की प्राप्ति ।

(xvii) वर्ष 2011-12 तक नदियों की सफाई के लिये शहरों के सम्पूर्ण गन्दे जल का शोधन करना ।

ग्यारहवीं योजना के वृद्धि लक्ष्य एवं समष्टि-आर्थिक संकेत (Growth Targets and Macro-Economic Indicators of Eleventh Plan):

ग्यारहवीं योजना के प्रस्ताव पत्र ने पाया कि 9.0 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर की प्राप्ति का कार्य एक दृढ़ रोजकोषीय प्रयत्न के बिना सम्भव नहीं है, तथापि, वर्तमान संवेग, अर्थव्यवस्था का सन् 2007-12 के दौरान, 9 प्रतिशत वार्षिक औसत वृद्धि की प्राप्ति की ओर अग्रसर करेगा तथा अर्थव्यवस्था को सतत वृद्धि मार्ग पर लायेगा जहाँ योजना के अन्त तक वृद्धि दर 100 प्रतिशत होगा । अतः समष्टि आर्थिक संकेतकों के सन्दर्भ में वृद्धि के लक्ष्य तालिका 6.1 में दिये गये हैं ।

तालिका 6.1 दसवीं योजना के समष्टि आर्थिक संकेत और 11वीं योजना के प्रक्षेपित दर दर्शाती है । सकल घरेलू उत्पाद की वार्षिक वृद्धि दर 9.0 प्रतिशत रखी गई । जब कि इसकी तुलना में दसवीं योजना के दौरान यह प्रतिशत थी । ग्यारहवीं योजना के लिये कृषि, उद्योग तथा सेवा क्षेत्रों की वृद्धि दर क्रमशः 4.1 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत और 9.9 प्रतिशत निर्धारित किये गये जब कि दसवीं योजना के दौरान इनकी प्राप्ति क्रमशः 1.7 प्रतिशत, 8.3 प्रतिशत और 9 प्रतिशत थी ।

सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में निवेश का दर ग्यारहवीं योजना के लिए 35.1 प्रतिशत था जब कि दसवीं योजना के दौरान यह दर 27.8 प्रतिशत था । सकल घरेलु उत्पाद के प्रतिशत के रूप में अनुमानित बचत दर 32.3 प्रतिशत है ।

जबकि दसवीं योजना के दौरान बचत दर 28.2 प्रतिशत थी । उपरोक्त योजना के चालू खाते का शेष सकल घरेलू उत्पाद का ( – ) 2.8 प्रतिशत अनुमानित किया गया है, सरकारी राजस्व का शेष सकल घरेलू उत्पाद का ( – ) 0.2 प्रतिशत और सरकार के राजकोषीय शेष को सकल घरेलू उत्पाद का ( – ) 6.0 प्रतिशत अनुमानित किया गया ।

ग्यारहवीं योजना की वित्त व्यवस्था (Financing of the Eleventh Plan):

राष्ट्रीय विकास परिषद ने 9 दिसम्बर सन् 2006 को हुई अपनी 52वी बैठक में ग्यारहवीं योजना के प्रस्ताव पत्र को पारित किया जिसमें ”तीव्र अधिक व्यापक आधार सहित तथा समावेशी” वृद्धि का औसत वार्षिक दर वर्ष 2007-08 से आरम्भ होने वाले पाँच वर्षों के लिये 9 प्रतिशत निश्चित किया गया ।

प्रस्ताव पत्र दर्शाता है कि इसके लिये ‘महत्वपूर्ण क्षेत्रों में योजना कार्यक्रमों के लिये सार्वजनिक साधनों के निर्धारण में पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता है’ इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सम्मिलित हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और संरचना, सरकारी बचतों में सुधार-जो बचतें वर्ष 2005-06 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग -1.5 प्रतिशत थी को कम से कम से कम + 1.0 प्रतिशत तक लाना – भुगतानों के सन्तुलन की समस्या के बिना कुल निवेश दर में वृद्धि (सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में) जो 2005-06 में 30.1 प्रतिशत थी, को योजना के दौरान 35.1 प्रतिशत की औसत तक लाना, और अतिरिक्त की मांग करना (सार्वजनिक क्षेत्र) वर्ष 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत बिन्दुओं से अधिक योजना व्यय; प्रस्ताव पत्र प्रस्तुत करता है कि ”ग्यारहवीं योजना के आकार का अन्तिम रूप प्रान्तों और केन्द्रीय मन्त्रालयों के साथ विचार-विमर्श और योजना स्रोतों के विभिन्न क्रियाशील वर्गों के विवरणों पर विचार करने के पश्चात सामने आयेगा ।”

प्रस्ताव पत्र ने पाया कि ”प्रारम्भिक अभ्यास सुझाव देते हैं कि ग्यारहवीं योजना काल में FRBMA लक्ष्य की प्राप्ति के लिये राजकोषीय घाटे में कमी समग्र योजना काल के लिये सकल घरेलू उत्पाद के 2.3 प्रतिशत बिन्दुओं से GBS में 2.3 प्रतिशत वृद्धि के अनुकूल प्राप्त कर ली जायेगी । इसके लिये निम्न गैर-योजना व्यय अथवा सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 0.2 प्रतिशत बिन्दुओं से अतिरिक्त कराधान द्वारा साजन की आवश्यकता है । यद्यपि रोजकोषीय घाटे के लक्ष्य से निपटना पहले दो वर्षों में योजना व्यय को बढ़ाने की सम्भाव्यता को सीमित कर देगा यदि गैर-योजना व्यय में कमी को महत्वपूर्ण दग से अग्र भारित नहीं किया जाता ।”

ग्यारहवीं योजना की वित्त व्यवस्था के लिये योजना आयोग का मत था कि सरकार को कर राजस्व बढ़ाने, वित्तीय सहायता को कम करने और मुख्य क्षेत्रों जैसे संरचना और सिचाई में उच्च आर्थिक वृद्धि के लिये निवेश उपलब्ध करने हेतु सार्वजनिक सेवाओं पर उपभोक्ता शुल्क लगाने की आवश्यकता है ।

अपने प्रस्ताव पत्र में योजना आयोग सुझाव देता है कि यदि कर राजस्व बढ़ाने और गैर-योजना व्यय को वित्तीय सहायताएं कम करके घटाने के जुड़वा लक्ष्य पूरे भी कर लिये जाते है तो भी केन्द्र के लिये सन् 2008-09 तक FRBMA लक्ष्य अनुसार राजस्व घाटे का विलोपन सरल नहीं होगा ।

आयोग का कहना है कि संरचना, सिंचाई, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये योजना में बजटीय साधनों में वृद्धि की आवश्यकता होगी, दसवीं योजना के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के 7.15 प्रतिशत की औसत से ग्यारहवीं योजना में इसके लगभग 9.7 प्रतिशत तक बढ़ाने की आवश्यकता है ।

अतः इस कार्य के लिए आवश्यक साधनों की गतिशीलता को कर-प्रशासन तथा कर-अनुपालन में सुधार द्वारा कर राजस्व बढ़ा कर तथा गैर-योजना व्यय जिससे स्पष्ट एवं अस्पष्ट वित्तीय सहायताएं सम्मिलित हैं, को कम करके प्राप्त किया जा सकता है ।