प्रसंस्कृत दूध के शीर्ष 8 रूप | Top 8 Forms of Processed Milk. Read this article in Hindi to learn about the top eight forms of processed milk. The forms are:- 1. पूर्ण वसा युक्त दूध या वसा शुद्धीकृत दूध (Full Cream or Fat Corrected Milk – F.C.M.) 2. मानकीकृत टोंड तथा दोहरा टोंड दूध (Standardized, Toned and Double Toned Milk) 3. रचित दूध (Rehydrated or Reconstituted Milk) and a Few Others.

Form # 1. पूर्ण वसा युक्त दूध या वसा शुद्धीकृत दूध (Full Cream or Fat Corrected Milk – F.C.M.):

इसे वसा शुद्धीकृत पूर्ण दूध (Fat Corrected Whole Milk – FCWM) भी कहा जाता है । बाजार से प्राप्त गाय, भैंस या बकरी या इनके मिश्रित दूध में बसा का निर्धारण 6 प्रतिशत तथा वसा रहित ठोस का निर्धारण 9 प्रतिशत के स्तर पर किया जाता है । इस प्रकार प्रतिशत वसा तथा 9 प्रतिशत वसा रहित ठोस युक्त प्रसंस्करित दूध के F.C.M. or F.C.W.M. कहा जाता है । पूर्ण वसा युक्त दूध (Full Cream Milk) भी इसे ही कहते है ।

उत्पादन विधि (Production Method):

i. वसा शुद्धीकृत दुग्ध उत्पादन का प्रवाही आरेख निम्नवत् है:

ADVERTISEMENTS:

Receiving Row Milk → Grading, Sampling, Weighing and Lasting → Preheating (35 -45°C) → Filtration/Classification → Cooling and Storage (5°C or Low) → Standardization (6% fat & 9% SNF) → Pasteurization (72° for 15 Seconds) → Homogenization (Optional) → Packaging & Storage (5°C or Low)

ii. निर्माण विधि का विवरण (Details of Manufacture):

दुग्ध प्राप्ति के समय उस का ताप, रंग, तलछट की मात्रा, अम्लता, मिलावट तथा उसमें वसा की मात्रा का अच्छी प्रकार परीक्षण कर लेना चाहिए । दूध को प्राप्त करके प्रसंस्करण पूर्ण उसे 5C ताप पर संग्रहित करें । प्रसंस्करण के प्रारम्भ में दूध को 35-40C ताप पर गर्म करके छान ले जिससे उसमें दिखाई देने वाली धूल (Visible) अलग हो जायेगी ।

35-40C ताप पर गर्म करने से उसमें उपस्थित वसा द्रवित होगी तथा छानने की प्रक्रिया की दक्षता में वृद्धि होगी । ठण्डे दूध को छानने में छनना रुकने की सम्भावना बढ जाती है । दूध के पास्तुरीकरण से पूर्व उसे 6% वसा तथा 9% वसा रहित ठोस पदार्थ स्तर पर मानकीकृत कर लें ।

ADVERTISEMENTS:

अब FCM को HTST मशीन द्वारा 72C ताप पर 15 सैकिंड के लिए गर्म करते हैं ताकि उसमें उपस्थित सभी व्याधिजन जोवाणु नष्ट हो जाये तथा यह दूध उपभोक्ता के उपभोग के लिए सुरक्षित हो जाये । यदि आवश्यक हो तो इसी ताप पर दूध का समांगीकरण भी कर लें । इसके उपरान्त इसे सुविधानुसार आकार के पैंकिंग में पैक करके 5C ताप पर बिक्री होने तक संग्रहित करें ।

Form # 2. मानकीकृत टोंड तथा दोहरा टोंड दूध (Standardized, Toned and Double Toned Milk):

औसत संगठन की द्रष्टि से मानकीकृत दूध को 4.5% वसा, 8.5% वसा रहित ठोस; टोन्ड दूध को 3.0% वसा, 8.5% वसा रहित ठोस तथा दोहरा टीन्ड दूध को 1.5% वसा एवं 9.0% वसा रहित ठोस स्तर पर मानकीकृत किया जाता है ।

लाभ (Advantages):

इनके उत्पादन के निम्नलिखित लाभ हैं:

ADVERTISEMENTS:

1. उपभोक्ता को आवश्यक संगठन तथा पोषक महत्व का दूध उपलब्ध हो जाता है ।

2. पूर्ण दूध को मानकीकृत, टीन्ड या दोहरा टीन्ड दूध में परिवर्तित करने पर शेष वसा को घी या मक्खन उत्पादन में प्रयोग कर लिया जाता है ।

3. उपभोक्ता को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार कीमत का दूध उपलब्ध हो जाता है ।

4. इस प्रकार के दूध में वसा प्रतिशत कम होने से उनकी पाचकता में वृद्धि हो जाती है ।

निर्माण विधि (Method of Manufacture):

i. प्रवाही आरेख (Flow Diagram):

Receiving Calculated Amount of Potable Water in Pasteurizing Vat → Pre-Heating (38-43°C) → Mixing of Skim Milk Powder and Buffalo Milk in Water → Filtration (38-43°C) → Pasteurization (72°C/15 Sec.) → Cooling (5°C) → Packaging & Storage (5°C)

ii. विवरण (Details):

सर्वप्रथम पानी, सप्रेटा दुग्ध चूर्ण तथा पूर्ण वसा युक्त दूध का मात्रा की निम्नानुसार गणना कर ले । पानी को 38-43% ताप पर गर्म करके उसमें आवश्यक मात्रा में दुग्ध चूर्ण तथा चूर्ण वसायुक्त दूध मिलायें । इस प्रक्रिया में सावधानी बरतें कि इस दौरान प्रक्षोभक (Agitator) से मिश्रण को हिलाते रहें तथा चूर्ण Agitator की नोक के पास डालें ताकि चूर्ण के गुच्छे न बने ।

इस मिश्रण को तब तक हिलायें जब तक कि समांग मिश्रण (Homogeneous Mixture) न बन जाये । इस मिश्रण को छानकर पास्तुरीकृत करें तथा तुरन्त बाद ताप पर ठण्डा करके विक्रय तक इसी ताप पर संग्रहित करें । इस विधि का उपयोग करके भैंस के दूध को आयतन के 100 से 150 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है । वसा प्रतिशत कम हो जाने से इसकी कीमत कम हो जाती है जिससे साधारण उपभोक्ता भी इस दूध को अपनी आर्थिक क्षमतानुसार खरीद सकता है ।

iii. गणना (Calculation):

भैस के 1500 कि.ग्रा. दूध से, जिसमें 7.5% वसा तथा 9.0% वसा रहित ठोस है, कितना टोंड दूध बनेगा जबकि उपलब्ध बसा रहित दूध चूर्ण में 100 प्रतिशत वसा रहित ठोस है ।

हल (Solution):

Step 1 – वसा का मानकीकरण:

टोंड दूध का संगठन-बसा = 3.0 प्रतिशत

वसा रहित ठोस = 8.5 प्रतिशत

कुल टोंड दूध = भैंस का दूध + बसा रहित दुग्ध चूर्ण + पानी

= 1500 + 2250

= 3750 कि.ग्रा.

Step 2 – वसा रहित ठोस का मानकीकरण:

भैंस के दूध में उपलब्ध वसा रहित ठोस = 1500 × 9/100 = 135 कि.ग्रा.

टोंड दूध में आवश्यक वसा रहित ठोस = 3750 × 8.5 /100 = 318.75 कि.ग्रा.

वसा रहित दुग्ध चूर्ण की आवश्यक मात्रा = 318.75 – 135.00 =183.75 कि.ग्रा.

पानी की आवश्यक मात्रा = 2250 – 183.75 = 2066.25 कि.ग्रा.

उत्तर (Answer):

वसा रहित दुग्ध चूर्ण = 183.75 कि.ग्रा.

पानी = 2066.25 कि.ग्रा.

इस प्रकार 7.5 प्रतिशत वसा तथा 9% वसा रहित ठोस पदा युक्त भैंस के 1500 कि.ग्रा. दूध में 100 प्रतिशत वसा रहित ठोस पदार्थों युक्त 183.75 कि.ग्रा. वसा रहित दुग्ध चूर्ण तथा 2066.25 कि.ग्रा. पानी मिला कर उसे टोंड दूध में परिवर्तित किया जा सकता है ।

पास्तुरीकरण बर्तन में 2066.24 कि.ग्रा. पानी को 38-43C ताप पर गर्म करके उसमें 183.75 कि.ग्रा. वसा रहित दुग्ध चूर्ण चलते प्रक्षौमक (Agitator) की नोक पर डालते हुए मिलाते है । मिश्रण में 1500 कि.ग्रा. भैंस का उपलब्ध दूध मिला कर, उसे पास्तुरीकृत्त करके ठण्डा कर लेते हैं । इस विधि में भैंस के 1500 कि.ग्रा. दूध से कुल 3750 कि.ग्रा. टोंड दूध बनेगा ।

Form # 3. रचित दूध (Rehydrated or Reconstituted Milk):

इसे पुनः निर्माणित दूध भी कहा जाता है । पुनः निर्माणित दूध को तैयार करने के लिए पूर्ण दुग्ध चूर्ण (Whole Milk Powder) को एक निश्चित अनुपात में पानी में मिला कर विलयन तैयार करते हैं । इसके लिए 1 भाग चूर्ण में 7-8 भाग पानी उपयोग किया जाता है ।

पुनः निर्माणित दूध बनाने के लिए Spray Dried Milk Power प्रयोग करना सुविधाजनक रहता है क्योंकि इसकी विलेयता Drum Drying Milk Powder की अपेक्षा अधिक होती है तथा तलछट (Sediment) कम बचता है । विकासशील देशों में दूध की कमी के दिनों (Lean Season) में इस प्रकार का दूध, तरल दूध की आपूर्ति बढाने में काफी मददगार होता है । कुछ देशों में सैनिकों को दुग्ध आपूर्ति हेतु भी पुन: रचित दूध का निर्माण किया जाता है ।

निर्माण विधि (Method of Production):

i. प्रवाही आरेख (Flow Diagram):

Receiving Water in Pasteurizing Vat → Preheating (38-43°C) → Mixing of Whole Milk Powder → Filtration → Pasteurization (63°C/30 Min.) → Cooling, Packaging & Storage (5°C)

ii. विवरण (Detail):

पानी की गुणित मात्रा Pasteurizing Tank में लेकर उसे हिलाते हुए 38-43C ताप पर गर्म करते हैं । गर्म पानी में चलते Agitator की नोक पर पूर्ण दुग्ध चूर्ण डाल कर एक समांगी मिश्रण तैयार करते हैं । मिश्रण को छान कर 63C तापमान पर 30 मिनट तक दूध को पास्तुरीकरण प्रभाव प्राप्त करने के लिए गर्म करते है । इसके तुरन्त बाद 5C ताप पर उसे ठण्डा कर लेते हैं । पुन: निर्माणित दूध को विक्रय तक 5C ताप पर ही रखना चाहिए ।

Form # 4. संयोजित दूध (Recombined Milk):

पुनः संयोजित दुग्ध निर्माण के लिए पानी में वसा रहित दुग्ध चूर्ण तथा बटर आयल मिलाते है । इस प्रकार के दूध में वसा की पूर्ति हेतु बटर आयल के स्थान पर मक्खन वसा या क्रीम का उपयोग भी किया जा सकता है । पुनः संयोजित दूध में वसा तथा वसा रहित ठोस पदार्थ टोंड दूध के समान होने चाहिए ।

इस दूध में 3% वसा तथा 8.5% वसा रहित ठोस पदार्थ मानक पूरे देश में समान है । इस प्रकार के दूध निर्माण से, दूध पर मूल्य नियन्त्रण किया जा सकता है ।

निर्माण विधि (Production Method):

i. प्रवाही आरेख (Flow Diagrams):

Receiving Water in Pasteurizing Vat → Preheating (38-49°C) → Addition of SMP and Mixing (38-43°C) → Addition of Butter Oil, Butter or Cream and Mixing (38-43°C) → Filtration (38-43°C) → Pasteurization (63° for 30 Minutes) → Homogenization (2500 PSI at 63°C) → Cooling, Packaging & Storage (5°C)

ii. विवरण (Detail):

पानी की गुणित मात्रा (Calculated Amount) Pasteurizing Vat में लेकर Agitator की सहायता से हिलाते हुए 34-43C ताप तक गर्म करते हैं । Spray Dried वसा रहित दुग्ध चूर्ण को गर्म पानी में Agitator की नोक पर डालते हुए, मिलाते है । मिश्रण का ताप 43-49C तक बढा कर उसमें Butter Oil/Butter/Cream मिलाया जाता है ।

मिश्रण के समांगी (Homogeneous) होने तक Agitator को चलाते रहते हैं । मिश्रण को छान कर 63C ताप पर 30 मिनट के लिए पास्तुरीकृत करते हैं । पास्तुरीकरण ताप पर ही मिश्रण को 2500 PSI दाब पर एकल अवस्था वाले समांगीकारक में दुग्ध वसा का उचित इमल्सन बनाने के लिए समांगीकरण किया जाता है । इस दुग्ध पदार्थ को 5C ताप पर ठण्डा करके पैकिंग के बाद इसी ताप पर विक्रय तक संग्रह करते है ।

पुनः संयोजित दूध का उत्पादन Operation Flood योजना के अन्तर्गत बड़े शहरों जैसे-दिल्ली, बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रास में व्यापक रूप से किया गया था । संयुक्त राष्ट्र के खाद्य तथा कृषि संगठन द्वारा W.F.P. Project के अन्तर्गत भारत को उपहार स्वरूप प्रदान किये गये बटर आयल तथा स्किम दुग्ध चूर्ण का प्रयोग व्यापक रूप से पुनः संयोजित दूध के निर्माण में किया गया है ।

Form # 5. मानवीकृत दूध (Humanized Milk):

विपणित दूध (Market Milk) को मानव शिशु (Infant) के आहार नाल में सुपाच्य बनाने के लिए किये गये संगठनात्मक परिवर्तनों के बाद उपलब्ध दुग्ध पदार्थ को मानवीकृत दूध कहा जाता है । दूध में इस परिवर्तन की प्रक्रिया को ”दूध का मानवीकरण” (Humanization of Milk) कहते हैं ।

इस प्रक्रिया द्वारा मानव शिशु अमाशय में दूध के पाचन के समय बनने वाली कर्ड को मुलायम बनाने का प्रयास किया जाता है । इस प्रक्रिया में दूध से मुख्य रूप में केसीन तथा कैल्शियम की मात्रा घटायी जाती है ।

निर्माण विधि (Method of Manufacture):

उपरोक्त तुलनात्मक संगठन को दृष्टिगत रखते हुए पशु दूध के मानवीकरण के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाते हैं:

एक इकाई (One Liter) कच्चा दूध गहरे बर्तन में 0-12 घंटे तक रेफ्रीजिरेटर में रखा जाता है । इस समय में बडी वसा गोलिकाओं समेत मुख्य प्रोटीन दूध की सतह पर एकत्र हो जाती है । इस दूध का ऊपरी आधा भाग अलग कर देते हैं तथा शेष आधे भाग में उतना ही पानी मिलाकर उसे पूरा कर लेते है ।

इस प्रकार से मूल दूध में से वसा, प्रोटीन तथा कुछ लवणों को कम कर लिया जाता है । इस तैयार मिश्रण में स्वादानुसार चीनी या लैक्टोज मिलाते है । इस दूध की प्रतिक्रिया क्षारीय (pH 7.2) करने के लिए लगभग आधा चम्मच (छोटा) खाने का सोडा (Sodium Bicarbonate) मिलाते हैं । मूल दूध में पानी मिलाने से कम हुए के ठोसों की पूर्ति के लिए इस मिश्रण में आवश्यकतानुसार वे पेस्ट या के चूर्ण भी मिलाया जा सकता है ।

Form # 6. सुगन्धित दूध (Flavoured Milk):

दूध में जब कुछ सुवास (सुगन्ध) मिश्रित करके पेय पदार्थ तैयार करते है तो उसे सुगन्धित दूध या दुग्ध पेय (Flavoured Milk या Milk Drink) कहते है । इस तैयार पेय पदार्थ में जब वसा प्रतिशत दूध के वैधानिक स्तर को पूरा करती है तो Flavoured Milk तथा यदि वसा प्रतिशत दूध के वैधानिक स्तर से कम होती है तो उसे Milk Drink के नाम से जाना जाता है ।

सामान्यतया 1-2% बसा युक्त दुग्ध पेय डेरी संयन्त्रों में तैयार किये या रहे है । कुछ कम्पनियां Flavoured Toned या Flavoured Double Toned Milk भी तैयार कर रही है । सुगन्धित दुग्ध उत्पादन का मुख्य उद्देश्य स्किम दूध को स्वादिष्ट बना कर उससे लाभ कमाना है । इस प्रक्रिया द्वारा अबिक्री योग्य दूध को ऊंची कीमत पर बिक्री योग्य बनाया जा सकता है ।

उत्पादन तकनीक (Production Technique):

A. Chocolate Milk

i. प्रवाही आरेख (Flow Diagram):

 

ii. विवरण (Details):

चोकोलेट दूध तैयार करने के लिए दुग्ध प्राप्ति उपरान्त निरीक्षण व परीक्षण करके उसका मानकीकरण करते हैं वसा तथा वसा रहित ठोस का स्तर टीड तथा डबल टोंड दूध के लिए निर्धारित स्तर पर रखते है । तैयार टोंड या डबल टोंड दूध में 1.5% कोका चूर्ण, 6% चीनी तथा 0.2% स्थायीकारक भी मिलाते है ।

कोका चूर्ण तथा चीनी को अलग-अलग न लेकर इनका शर्बत (Syrup) तैयार करके भी रखा जा सकता है । शर्बत बनाने के लिए 4.5 कि.ग्रा. कोका चूर्ण में 25 कि.ग्रा. चीनी तथा 11 कि.ग्रा. पानी मिलाकर उसे 85-90C ताप पर 30 मिनट तक गर्म करते हैं । इस तैयार शर्बत की 1 कि.ग्रा. मात्रा 7 कि.ग्रा. दूध की दर से हैं ।

इस मिश्रण को 35C ताप पर गर्म करके छान कर साधारण चोकलेट दूध निर्माण के लिए 71.1C ताप पर 30 मिनट के लिए या 76.6C से 62.1C ताप पर 15 से 25 सैकिंड तक पास्तुरीकृत करते हैं तथा ठण्डा करके पैकिंग उपरान्त विक्रय तक 5C तापमान पर संग्रह करते हैं ।

लोंग लाईफ चोकलेट दूध (Long Life Chocolate Milk) निर्माण के लिए उपरोक्त मानकीकृत तथा छने हुए दूध को 65C ताप पर 180 kg/cm2 दाब पर समांगीकरण करके UHT Sterilization विधि (140C/4 Sec) द्वारा जीवाणु हनन करके 30C ताप पर ठण्डा कर लेते है इसका स्वच्छता पूर्वक पैकिंग (Aseptic Packaging) करके कमरे के ताप पर संग्रह कर सकते हैं ।

B. फलों की सुगन्धि युक्त दूध (Fruit Flavoured Milk):

फलों की सुगन्धि युक्त दुग्ध उत्पादन में प्रमुखतया स्ट्राबैरी (Strawbarry), सन्तरा (Orange), अन्नानास (Pineapple), केला (Banana) तथा वैनिला (Vanila) का उपयोग किया जाता है । खट्टे फलों का प्रयोग कम से कम किया जाये क्योंकि इनके उपयोग से दूध का स्कन्दन (Coagulation) हो सकता है । पाँच भाग दूध के लिए एक भाग फलों का शर्बत (Fruit Syrup) पर्याप्त होता है । इसे तैयार करने की विधि साधारण चोकोलेट दूध के सामान है ।

Form # 7. पूरित दूध (Filled Milk):

स्किम्ड दूध या स्किम्ड दुग्ध चूर्ण व पानी के मिश्रण में वनस्पति वसा मिलाकर पुनः निर्माणित (Reconstituted Milk) दूध निर्माण विधि से तैयार किया गया यह पदार्थ पूरित दूध कहलाता है । भारत में इसे मिलावटी दूध (Adulterated Milk) की संज्ञा दी जाती है ।

अतः यहाँ इसके उत्पादन का अच्छा भविष्य नहीं है । इस प्रकार के दूध में दुग्ध वसा नहीं होता बल्कि वनस्पति वसा होता है । अतः हृदय रोगियों के लिए यह दूध अहानिकर हो सकता है । इसमें बसा के अतिरिक्त अन्य सभी दूध के संघटक पाये जाते हैं ।

Form # 8. फोर्टिफाईड दूध (Fortified Milk):

यह सुविदित है कि हमारे भोजन में विटामिन्स की कमी से हमें कुछ बीमारियां हो सकती हैं । विशिष्ट विटामिन की कमी से विशिष्ट रोग उत्पन्न होता है । भोजन में विशिष्ट विटामिन की मात्रा वृद्धि किये जाने का अन्य विधि द्वारा उस विटामिन की कमी पूर्ति करने से उसकी कमी से उत्पन्न विशिष्ट रोग ठीक किये जा सकते है ।

विभिन्न विटामिन्स की कमी से होने वाले विशिष्ट रोग लक्षण निम्नवत् है:

1. विटामिन A – बच्चों में वृद्धि तथा संक्रमण प्रतिरोधिता में कमी ।

– रतौंधी

2. विटामिन D – बच्चों में रिकेट (Rickets) या सूखा

– व्यस्कों में ओस्टीमलेशिया (Osteomalacia)

3. विटामिन B1 (Thiamin) – बेरी-बेरी

4. विटामिन B2 (Riboflavin) – जीभ व मुख का फोडा (Sore Mouth & Tongue Aliments)

5. विटामिन C – स्कर्वी (Scurvy-Swollen Gums)

उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए दूध के प्रसंस्करण (Processing) के समय अतिरिक्त विटामिन तथा खनिज लवण मिलाये जाते हैं । अतिरिक्त विटामिन तथा खनिज लवणों युक्त इस पदार्थ को Fortified Milk कहा जाता है । दूध में विटामिन तथा खनिज लवण मिलाने की प्रक्रिया को Fortification कहते हैं ।

दूध में एक या अधिक विटामिन तथा खनिज लवण एक साथ मिलाये जा सकते है विटामिन मिले दूध को Vitaminized Milk तथा खनिज लवण मिले दूध को Mineralized Milk के नाम से जाना जाता है ।

दुग्ध प्रसंस्करण के समय निश्चित मात्रा में विटामिन या खनिज लवण या दोनों मिलाये जाते है । सामान्यतया बच्चों के लिए उत्पादित दुग्ध पदार्थों में Fortification किया जाता है । इस प्रक्रिया में सामान्यतया Vitamin D Concentrate मिलाया जाता है ।

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