प्रसंस्कृत दूध के रूप: स्किम्ड और मेटाबोलाइज्ड | Read this article in Hindi to learn about the eleven main forms of processed milk.The forms are:- 1. समांगीकृत दूध (Homogenized Milk) 2. मुलायम दही योग्य दूध (Soft Curd Milk) 3. क्रीम उतरा दूध (Skimmed Milk) 4. क्रीम निकला दूध (Separated Milk) 5. कृत्रिम दूध (Imitation or Artificial Milk) and a Few Others.

1. समांगीकृत दूध (Homogenized Milk):

दूध में उपस्थित वसा को ऐसा उपचार देना कि वसा कण टूट कर इतने छोटे हो जाये कि यदि इस दूध को 48 घंटें तक बिना हिलाये रखे तो सतह पर एकत्र क्रीम दिखाई न पडे तथा संग्रहित दूध की ऊपरी सतह तथा अन्य मिश्रित भाग में वसा की मात्रा में 10 प्रतिशत से अधिक कर भिन्नता न होवे । इस प्रकार के दूध को समांगीकृत दूध कहते हैं । इसमें वसा कणों का आकार 2 माईक्रोन (Micron = µ = 1/1000 mm or 1/10,000 cm.) या इससे कम होना चाहिए ।

निर्माण विधि (Method of Manufacture):

(i) प्रवाही आरेख (Flow Diagram):

ADVERTISEMENTS:

Receiving of High Grade Milk → Cooling to 5°C → Preheating (35-40°C) → Standardization (Attain Required Level of Fat and SNF) → Filtration/Classification → Preheating (60°C) → Homogenization (Single Stage) → Pasteurization (HT ST Method) → Packaging and Storage at 5°C till Consumption

 

(ii) विवरण (Details):

उच्च गुणवत्ता मुक्त दूध को प्राप्त कर उसे 5C ताप पर ठण्डा किया जाता हैं । छानने से पूर्व उसे 35-50C ताप पर गर्म करते है ताकि छनायी में असुविधा न हो । वैधानिक आवश्यकतानुसार दूध का मानकीकरण भी कर लिया जाता है । मानकीकृत छने हुए दूध की 60C ताप पर गर्म करके एकल अवस्था वाले Homogenizer से दूध को उचित दाब तथा ताप पर समांगीकृत करते हैं ।

ADVERTISEMENTS:

समांगीकृत दूध को HTST विधि का प्रयोग करते हुए पास्तुरीकृत किया जाता है । समांगीकृत एवं पास्तुरीकृत दूध को तुरन्त ठण्डा करके 5C ताप पर पैकिंग करके या Silo में संग्रहित करते हैं ।

2. मुलायम दही योग्य दूध (Soft Curd Milk):

विभिन्न प्रकार के दूध का Curd Tension 15 से 150 ग्राम तक होता है । यदि दही का Curd Tension 30 ग्राम से कम हो तो उसे Soft Curd कहा जाता है । दूध का Curd Tension नापने के लिए दूध में जामन लगाने से पहले उसमें एक Multi-bladed Knife रख दिया जाता है । निश्चित Coagulating Interval पर इस Knife को Spring Balance द्वारा खींचा जाता है ।

Spring Balance से जितने ग्राम बल उस चाकू को खींचने में लगता है वह उस दूध का Curd Tension माना जाता है । दही की कठोरता, उसमें अम्लता, प्रोटीन तथा विलेय कैल्शियम दारा प्रभावित होती है । प्रोटीन की भौतिक अवस्था बदलने तथा अम्लता घटाने से सामान्य दूध को Soft Curd Milk में परिवर्तित किया जा सकता है ।

दूध में Sodium Alginate, Sodium Pyrophosphate या Sodium Metaphosphat मिलाना अथवा दूध को उबालना, उसे Soft Curd Milk में परिवर्तित करने का आसान तरीका है । इनमें से कोई उपचार देने के बाद दूध की Curd Tension 25 gm तक या इससे भी नीचे स्तर पर लायी जा सकती है ।

ADVERTISEMENTS:

विभिन्न दूध की Curd Tension निमयन है:

i. मानव दूध – 00 ग्राम

ii. गाय का उबला दूध – 3 ग्राम

iii. ट्रिपसिन उपचारित दूध – 10 ग्राम

iv. गाय का समांगीकृत दूध – 14.5 ग्राम

v. गाय का पास्तुरीकृत दूध – 44.5 ग्राम

vi. गाय का कच्चा दूध – 55.0 ग्राम

3. क्रीम उतरा दूध (Skimmed Milk):

कच्चे दूध को यदि ठण्डा करके बिना हिलाये कुछ समय के लिए रखा जाये तो उसकी सतह पर जल विलेय प्रोटीन तथा वसा आदि मलाई (Skin) के रूप में एकत्र हो जाती है । सामान्यतया यह मलाई दृष्टिगोचर (Visible) नहीं होती है । यदि दूध को 60C ताप तक गर्म किया जाये तो उसकी सतह पर निर्मित Skin को देखा जा सकता है इसमें स्कन्दित एल्ब्यूमिन, ग्लोब्यूलिन, कैल्शियम फोस्फेट, केसीन तथा वसा पाये जाते हैं ।

यदि इस Skin को उतार लिया जाये तो शेष बचे पदार्थ को Skimmed Milk कहते है । यह शब्द केवल प्राकृतिक रूप से वसा कणों के ऊपर उठ कर सतह पर आने तथा उन्हें अलग करने के बाद शेष बचे पदार्थ के लिए बना था परन्तु वर्तमान में इस शब्द का प्रयोग Separated Milk के पर्यायवाची के रूप में सामान्य हो गया है । परन्तु Separated Milk में Skimmed Milk की अपेक्षा बसा की मात्रा काफी कम पायी जाती है ।

4. क्रीम निकला दूध (Separated Milk):

वह दूध जिसमें से वसा को पूर्ण रूप से निकाल लिया गया हो उसे क्रीम निकला दूध कहा जाता है । इस दूध में शेष वसा की मात्रा मशीन (Separator) के प्रकार, गति तथा स्थिति पर निर्भर करती है । लेकिन सामान्यतया इस पदार्थ में लगभग 0.1% तक वसा पाया जाता है । इस प्रकार के दूध में 3.6% प्रोटीन, 5% लैक्टोज तथा 0.7% भस्म पायी जाती है । पानी की मात्रा इसमें 90% के लगभग होता है ।

5. कृत्रिम दूध (Imitation or Artificial Milk):

कृत्रिम दूध में Sodium Caseinate के अतिरिक्त अन्य कोई दुग्ध अव्यव नहीं पाया जाता है । इस पदार्थ का निर्माण दूध से अतिरिक्त अव्यवों जैसे नारियल का तेल (Coconut Oil), सोयाबीन की प्रोटीन (Soy Protein), कोर्न शर्बत (Corn Syrup Solids) ठोस, पोली सोरबेट (Poly Sorbates) Potassium Phosphate, खनिज लवण, विटामिन, कृत्रिम रंग तथा कृत्रिम सुवास (Artificial Flavour) मिला कर किया जाता है ।

इनमें Soya Protein के स्थान पर Sodium Casainate लिया जा सकता है । कृत्रिम दूध में सामान्यतया कैल्शियम तथा प्रोटीन कम मात्रा में पाया जाता है अतः भारत में इसका अच्छा भविष्य नहीं है ।

6. विटामिन युक्त या किरणित (Vitaminized/Irradiated Milk):

दूध में एक या एक से अधिक विटामिन सी रूप में मिलाये जाते है । Baby Food Powder निर्माण में विटामिन-डी मुख्य रूप से मिलाया जाता है । इस प्रकार सीधे रूप में विटामिन मिले दूध को Vitaminized Milk कहा जाता है । जब दूध में विटामिन डी की मात्रा विकिरण (Radiation) द्वारा बढ़ायी जाती है ।

इस प्रकार के दूध को किरणित दूध कहा जाता है । किरणित दूध बनाने के लिए दूध को पतली परत के रूप में तेज गति से प्रवाहित करते हुए 3 से 5 Second समय के लिए Ultra Violet Radiation उपचार दिया जाता है । इन विकिरण तरंगों के कोलैस्ट्रोल पर प्रभाव द्वारा विटामिन डी निर्मित होता है ।

पशु को Ultra Violet विकिरण उपचार देने या उपचारित चारा पशु को खिलाने से भी यह प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है । दूध को उपचारित करने पर विटामिन D की मात्रा 15-20 गुणा तक बढायी जा सकती है । अब संश्लेषित विटामिन का निर्माण होने लगा है अतः अब यह विधि अधिक उपयोगी नहीं रह गयी है ।

7. उपपचयी दूध (Metabolized Milk):

दूधारू पशुओं को विकिरण उपचारित यीस्ट खिलाने से उनसे उत्पादित दूध में विटामिनस की मात्रा में वृद्धि हो जाती है । जब पशु से इस प्रकार का दूध दूहा जाता है जिसमें भोजन के प्रयोग द्वारा प्राकृतिक रूप से दूहे गर्म दूध में विटामिन D की मात्रा सामान्य स्तर से अधिक हो तो उसे उपपचयी दूध कहा जाता है ।

8. सोया दूध (Soy Milk):

सोयाबीन से तैयार किया गया दूध अपने आप में अनूठे स्वाद वाला होता है । यह एक स्वादिष्ट पेय के रूप में ठण्डा या गर्म किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है । यह बाजार में कई स्वादों में उपलब्ध है । इसे फलों के रस के साथ मिलाकर स्वादिष्ट पेय तैयार किया जा सकता है यह प्राकृतिक दूध या नारियल के दूध के, एक विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ।

यह दूध उन लोगों के लिए उपयोगी है जो लैक्टोज नहीं पचा पाते या हृदय रोग से ग्रस्त हैं । सोया दूध प्रोटीन, विटामिन-बी कीम्पलैक्स तथा लोह तत्व का अच्छा स्रोत है । यह Diabetic Patients के लिए भी अच्छा होता है ।

निर्माण विधि (Method of Manufacture):

सोयाबीन के बीजों को साफ स्वच्छ कर लें । 10 कप (2 लीटर) पानी उबाल कर उसमें एक चम्मच Baking Soda (NaHCO3) डालें । इस पानी में 2 कप (400 ग्राम) सोयाबीन के बीज डाल कर 5 मिनट तक गर्म करें । अब पानी निकाल कर, बीजों को गर्म पानी से अच्छी प्रकार धोयें ।

इन घुले सोयाबीन को दुबारा 2 लीटर उबलते पानी में डालें जिसमें 1/4 चम्मच Baking Soda पडा हो तथा इसे 5 मिनट तक गर्म करें । गर्म पानी निकाल कर फिर गर्म पानी से सोयाबीन को अच्छी प्रकार धो लें । लगभग 90C ताप के 3 लीटर पानी में इस सोयाबीन को तीन मिनट तक पीसें (Grind) ।

मारकीन के साफ कपडे से छान कर थोडा ठण्डा होने पर अच्छी प्रकार निचोड़ लें । इस प्रकार लगभग तीन लीटर सोय दूध तैयार हो जायेगा । इसमें आवश्यक लवण 4 ग्राम एवं चीनी ग्राम मिला कर 20 मिनट तक लगभग 90C ताप पर गर्म करें । इस दूध में वैनिला या चोकोलेट सुगन्ध भी मिलायी बा सकती है । निर्माण के दिन ही उपयोग कर लें या रेफ्रीजीरेटर में रखें ।

9. कार्बनिक दूध (Organic Milk):

दुग्ध उपभोक्ता दुग्ध उपभोग से पहले अपनी सुरक्षा चाहता है । वह जो भी दूध प्रयोग करता है प्रयोग से पूर्व यह गारन्टी चाहता है कि वह दूध उसके उपभोग हेतु सुरक्षित है । वर्तमान के उत्पादित दूध में फसलों तथा पशु पर उपयोग होने वाले रसायनों के अवशेष पाये जा रहे है ।

अतः दूध उद्योग के सुरक्षित भविष्य के लिए हमें ऐसा दूध उत्पादित करना होगा जिसमें उर्वरक, कीटनाशी, प्रति जैविक (Antibiotic) तथा अन्य रसायनों या धातुओं आदि के अवशेष उपस्थित न हों ।

इस प्रकार के दूध को ही कार्बनिक दूध कहा जाता है । समाज का एक बडा वर्ग इस प्रकार के दूध का उपभोग करना चाहता है । इस प्रकार के दुग्ध-उपभोग का उद्देश्य स्वास्थ को बनाये रखना तथा शरीर को बीमारियों से बचाये रखना होता है । दुधारु पशुओं में बकरी से कार्बनिक दूध बडी आसानी से प्राप्त किया जा सकता है ।

कार्बनिक दूध के निम्नलिखित 6 लक्षण होते है:

(i) एन्टीबायोटिक प्रयोग रहित दुग्ध उत्पादन ।

(ii) संश्लेषित हारमोन रहित उत्पादन ।

(iii) हानिकारक कीटनाशी राहत दुग्ध उत्पादन ।

(iv) कीन्जुगेटिड लिनोलीक अम्ल की प्रचुरता ।

(v) कैल्शियम का सर्वोत्तम स्रोत ।

(vi) स्वास्थ बर्द्धक ।

 

10. कुसुम का दूध (Safflower Milk):

कुसुम का दूध, दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में पशु दूध का एक अच्छा विकल्प बन सकता है । यह उपभोग में सुरक्षित हैं तथा इसमें अब तक कोई ज्ञात Anti-nutritional कारक भी नहीं है । इसकी उत्पादन लागत प्राकृतिक दूध से कम है तथा जो उपभोक्ता गाय या भैंस के दूध के प्रति Allergic हैं या जिन्हें Lactose Intolerance समस्या है, इसका उपयोग सुरक्षित रूप से कर सकते हैं ।

इसमें कोलेस्ट्रोल नहीं होता तथा उपस्थित Poly Unsaturated वसीय अम्ल शरीर में पहले से उपस्थित कोलैस्ट्रोल को कम करते है,फलस्वरूप हृदय होगों से बचाव करता है ।

निर्माण विधि (Method of Manufacture):

200 ग्राम कुसुम के बीजों बने गर्म पानी में धोकर Mixer में पीस लें । इस पेस्ट को एक लीटर बनाने के लिए आवश्यक पानी मिलायें ताकि इसका गाढ़ापन भैंस के दूध के समान हो जायें । इस मिश्रण को मारकीन के कपड़े से छान लें ।

इस दूध की उष्मा के प्रति स्थायीपन (Heat Stability) बढ़ाने के लिए 0.2% Hexametaphosphate तथा स्वाद व ग्राहयता (Acceptability) वृद्धि के लिए 0.05% साधारण नमक मिलाते हैं । इसे 2 मिनट तक उबाल कर ठण्डा या गर्म करके पीने या दुग्ध उत्पाद जैसे खीर आदि बनाने में प्रयोग किया जा सकता है ।

11. संश्लेषित दूध (Synthetic Milk):

दूध में मिलावट करना कोई नयी क्रिया नहीं है अपितु प्राचीन काल से यह क्रिया चली आ रही है । घरों में भी दूध में पानी मिला कर उपभोग किया जाता है । दूध में मिलाये जाने वाले मुख्य पदार्थों में पानी (आयतन वृद्धि के लिए) स्टार्च (घनत्व वृद्धि के लिए) तथा संश्लेषित दूध (रसायनों का दूध जैसा विलयन) आजकल प्रयोग हो रहे हैं ।

वैधानिक रूप से दूध में कोई परिरक्षी (Preservative) मिलाने की अनुमति भी नहीं है । लेकिन Sodium Bicarbonate का उपयोग गर्मी के महीनों में विकसित अम्लता वृद्धि के कारण दूध के स्कन्दन को रोकने के लिए सामान्य रूप से किया जा रहा है ।

समाज में कुछ बेईमान तत्व दूध में घातक रसायनों की मिलावट करके सामान्य जन के जीवन से खिलवाड भी कर रहे हैं । घातक पदार्थों रसायनों से बना दूध जैसा विलयन ही आजकल के प्रचलन में ”संश्लेषित दूध” (Synthetic Milk) कहा जा रहा है ।

संश्लेषित दूध के घातक प्रभाव (Deleterious Effects of Synthetic Milk):

संश्लेषित दूध में यूरिया (Urea), अपमार्जक (Detergents) तथा क्षार (Alkalis) आदि होते हैं जो उपभोक्ता के स्वास्थ्य को गम्भीर रूप से कुप्रभावित करते हैं ।

इनमें कुछ हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं:

1. लम्बे समय तक उपयोग करते रहने से हाथ तथा पैरों पर सूजन आ जाती है ।

2. आँखों की रोशनी पर बुरा प्रभाव पडता है । उपभोक्ता इस प्रकार के दूध के नियमित उपभोग से अंधा भी हो सकता है ।

3. गुदें (Kidney) तथा यकृत (Liver) रोग ग्रस्त हो जाते हैं जिसकी परिणति कैंसर (Cancer) में भी हो सकती है ।

4. यूरिया तथा अमोनियम योगिकों के विषैले प्रभाव से Muscle Tremors, Abdominal Pain, Polyuria, Cyanosis, Dyspnoea तथा Hyperthermia आदि रोग उत्पन्न हो सकते है ।

5. इसके उपयोग से हृदय-धमनी रोग (Cardiovascular Disease) तथा तन्त्रिका रोग (Neurological Disorders) भी पैदा हो सकते हैं ।

Home››Dairy Science››Milk››