मट्ठा से प्राप्त उत्पाद | Read this article in Hindi to learn about the top six products obtained from whey. The products are:- 1. व्हे से इथेनोल उत्पादन (Ethanol Production from Whey) 2. एकल कोशीय प्रोटीन (Single Cell Protein-SCP) 3. बेकर्स यीस्ट (Baker’s Yeast or Yeast Autolysate) and a Few Others.

भारत में पनीर, चीज व केसीन उत्पादन के साथ उपोत्पाद के रूप में उत्पन्न व्हे का वर्तमान उत्पादन लगभग 1000 मिलियन कि.ग्रा. वार्षिक है । व्हे में कुल दुग्ध ठोस का लगभग 50% ठोस पदार्थ पाये जाने हैं । व्हे उत्पादन की मात्रा निकट भविष्य में अन्य चीज संयंत्रों की स्थापना के साथ बढ़ने की उम्मीद है ।

व्हे की पोषकता अधिक होने के कारण इसकी B.O.D. उच्च (35,000-45,000 Mg/L) होती है । अत: व्हे को Drain करने से आर्थिक हानि के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी अधिक है ।

अत: भारत के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में भी व्हे का उपयोग कुछ पदार्थों जैसे Whey Protein Concentrate तथा Whey Beverages उत्पादन में भी करने के लिए अनुसन्धान कार्य किये जा रहे हैं । अत: अभी तक व्हे की पूर्ण उपयोगिता का लाभ नहीं लिया जा रहा है ।

1. व्हे से इथेनोल उत्पादन (Ethanol Production from Whey):

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इथेनोल उत्पादन प्रक्रिया में लैक्टोज किण्वन करके B.O.D. कम करते हैं । इथैनोल निर्माण में लैक्टोज किण्वन के लिए प्रयोग होने वाले प्रमुख Yeast-K. Marxianus, C. Kefir तथा Torula Cremoris है ।

इनके लिए Substrate के रूप में व्हे को 12-13% लैक्टोज सांद्रता पर प्रयोग किया जाता है । एक कि.ग्रा. लैक्टोज उपापचय पर 0.538 kg इथैनोल बनता है । इस प्रकार किण्वित व्हे में लगभग 5.5% Ethanol होता है । इथैनोल उत्पादन द्वारा 80-90% तक BOD में कमी लायी जा सकती है ।

2. एकल कोशीय प्रोटीन (Single Cell Protein-SCP):

उत्पादन- अभी तक SCP का उत्पादन फ्रांस में विकसित “Bell-Process” द्वारा किया जाता है । इसमें किण्वन के लिए K. Marxianus Var. Lactis या Var. Marxianus प्रयोग किये जाते हैं । व्हे को 4.5 pH तथा 90°C ताप उपचार देकर उसकी 75% व्हे प्रोटीन्स को विघटित कर लिया जाता है ।

इस पदार्थ का pH 3.3 तथा लैक्टोज सान्द्रण 29-35 ग्राम प्रति लीटर करके नाइट्रोजन पूर्ति के लिए अमोनियम सल्फेट विलयन तथा जलीय अमोनिया मिलाया जाता है । pH निर्धारण H2SO4 के उपयोग द्वारा किया जाता है ।

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किण्वन के समय पर्याप्त वायु आपूर्ति की जाती है । “Portable” के रूप में SCP प्राप्त होता है । जिसमें 50% प्रोटीन, 30% कार्बोहाइड्रेट, 6 प्रतिशत लिपिड तथा 8 प्रतिशत खनिज पाये जाते हैं ।

3. बेकर्स यीस्ट (Baker’s Yeast or Yeast Autolysate):

शुक्ष्म जीव विज्ञानीय माध्यम (Microbiological Media) में Yeast Extract के स्थान पर Yeast Autolysate का प्रयोग भी किया जा सकता है । इसके निर्माण में लैक्टोज का जल अपघटन द्वारा करा कर, ग्लूकोज तथा ग्लैक्टोज को Yeast उपचार दिया जाता है ।

4. β-ग्लेक्टोसाइडेज निर्माण (βGlactosidase Formation):

दुग्ध उद्योग का यह एक महत्वपूर्ण एन्जाईम है । इस इन्जाइम के उत्पादन में व्हे सर्वोत्तम माध्यम है । इसके उत्पादन के लिए व्हे को 4.5 pH व 85°C ताप पर 30 मिनट तक गर्म करके व्हे प्रोटीन का उष्मा अवक्षेपण करते हैं । अब इसमें 10% Corn Steep Liquor तथा नाईट्रोजन यौगिक मिलाते हैं ।

30°C ताप पर ठण्डा करके 10% Kluyveromyces Marxianus संवर्धन मिलाते हैं । वातीय दशा में नाईट्रोजन मिलने (2-8 घण्टे) तक किण्वन कराते हैं । यीस्ट कोशों का पृथक्कीकरण करके उनकी धुलाई की जाती है । यीस्ट कोशों का निस्सार (Extract) लेकर प्रयोग होने तक 6.6 से 6.8 pH तथा 4°C ताप पर संग्रह करते हैं ।

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उपयोग (Uses):

इस एन्जाईम का उपयोग Lactose Intolerance की समस्या को दूर करने के लिए, लैक्टोज जल अपघटन तथा ऐसा शर्बत जो लैक्टोज से अधिक मीठा हो व जल्दी Crystallize न हो, बनाने में उपयोग किया जाता है ।

5. व्हे के किण्वन द्वारा निर्मित कार्बनिक अम्ल (Organic Acids Made from Whey Fermentation):

इससे निम्नलिखित कार्बनिक अम्ल बनाये जाते हैं:

(1) Lactic Acid,

(2) Propionic Acid,

(3) Ammonium Lactate.

लैक्टिक अम्ल उत्पादन के लिए व्हे में Corn Steep Liquor, Malt Sprouts या Malt or Yeast Extract मिलाकर Lactobacillus जीवाणुओं द्वारा 43°C ताप पर 5.5-6.5 pH रखते हुए किण्वन किया जाता है । L. Bulgaricus जीवाणु द्वारा लैक्टिक अम्ल उत्पादन के समय तरल अमोनिया मिला देने से बनता है ।

Propionic Acid का उपयोग Bread तथा Bakery Products के उत्पादन में परिरक्षी (Fungi Static Agent) के रूप में करते हैं । इसका उत्पादन Propionibacterium Shermanii द्वारा व्हे का किण्वन करके किया जाता है ।

6. मिथेन उत्पादन हेतु के किण्वन (Fermentation of Whey to Methane-Biogas):

व्हे किण्वन द्वारा एक सस्ता ऊर्जा स्रोत भी विकसित किया जा सकता है । इस प्रकार के किण्वन में बहुत कम मात्रा में अवमल बनता है । अत: Waste Disposal की यह अधिक फल साधक विधि है ।

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