केफिर: उत्पादन और उपयोगिता | Read this article in Hindi to learn about:- 1. केफीर के जामन (Culture of Kefir) 2. केफीर के उत्पादन  (Production of Kefir) 3. उपयोगिता (Utility).

केफीर के जामन (Culture of Kefir):

केफीर उत्पादन में यदि शुद्ध संवर्धन प्रयोग किया जाये तो जीवाणु तथा यीस्ट के सन्तुलन की समस्या आती है । इससे बना केफीर परम्परागत केफीर से कुछ भिन्न होता है । परम्परागत केफीर उत्पादन में केफीर ग्रेन से बना जामन प्रयोग किया जाता है ।

शुद्ध संवर्धन से परम्परागत केफीर जैसा पदार्थ का उत्पादन करने के लिए वामन तथा दूध में 1:30 to 1:50 का अनुपात रखा जाता है । शुद्ध संवर्धन के रूप में Lactic Acid Bacteria तथा Yeast का उपयोग करते हैं । केफीर के लिए शुद्ध संवर्धन पुन: रचित दूध में Candida Pseudotropicalis, Lactococcus Lactis तथा Lactobacillus Caucasicus उगा कर तैयार किया जाता है ।

परम्परागत केफीर ग्रेन में Candida Holmii, Candida Pseudotropicolis, Kluyveromyces Marxianus ssp. Marxianus, Saccharomyces Crevisiae, Saccharomyces Delbrueckii, Saccharomyces Unisporus, Saccharomyces Lipolytica तथा Torulopsis Kefyr आदि Yeast पाये जाते हैं । जीवाणुओं में Homofer-mentative समूह के Lactococcus Lactis sub sp. Lactis, Lactococcus Lactis sub sp. Cremoris पाये जाते हैं ।

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Lactobacillus Brevis, Lactobacillus Viridescans, Lactobacillus Casein, Lactobacillus Kefir, Lactobacillus Acidophilus, Lactobacillus Kefiranofaciens, Lactobacillus Kefir granum, Lactobacillus para Kefir, Leuconostoc Spp. Lactococcus Lactis ssp. Lactis Subsp. Cremoris तथा Acetobacter Aceti केफीर में Ropi Consistency उत्पन्न करने तथा Synersis रोकने में योगदान करते हैं ।

कुछ देशों में सफेद मोल्ड (Geotrichum Candium) की उपस्थिति भी आवश्यक मानी जाती है । केफीर ग्रेन के केन्द्र में Yeasts, मध्य में Yeast तथा Bacteria तथा बाह्य सतह पर दंडाकार (Rod Shaped) लैक्टिक अम्ल जीवाणु पाये जाते हैं । केफीरान (Kefiran) केफीर ग्रेन को आपस में चिपका कर रखने (Intact) में गोंद की तरह से कार्य करता है ।

रासायनिक दृष्टि से इसे ग्लूकोज तथा ग्लैक्टोज समान अनुपात में पाया जाता है । यह लैक्टोवैसीलस जाति के जीवाणुओं दारा निर्मित होता है । केफीर ग्रेन के कुल भार का लगभग 35% केफीरान होता है ।

केफीर के उत्पादन (Production of Kefir):

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प्रवाही आरेख (Flow Diagram):

विवरण (Details):

केफीर उत्पादन में दो विधियाँ अपनायी जाती हैं । प्रथम में केफीर ग्रेन से निर्मित जामन उष्मा उपचारित दूध में मिलाकर उसे 25°C ताप पर 18 घन्टे किण्वन के लिए रखते हैं । दूसरी विधि में उष्मा उपचारित दूध में पहले लैक्टिक अम्ल उत्पादन जीवाणु मिलाकर दूध का किण्वन कराने के बाद यीस्ट मिलाते हैं तथा दुबारा फिर 25°C ताप पर 18 घन्टे के लिए किण्वन हेतु रखते हैं ।

किण्वन के बाद तैयार केफीर को 10-12 घन्टे में धीरे-धीरे 4-6°C ताप तक ठण्डा करते हैं । इस समय में केफीर की विशिष्ट गन्ध (Aroma) तथा स्वाद (Typical Taste) विकसित होता है । इसी समय में अधिक CO2 उत्पादन के कारण केफीर बर्तन से बाहर बहने लग सकता है अत: Non-Lactose Fermenting Yeast का प्रयोग करना उचित है । इसे में अतिरिक्त चीनी मिलाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है ।

केफीर की उपयोगिता (Utility of Kefir):

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केफीर का उपयोग रक्त में कोलैस्ट्रोल की मात्रा कम करके उपभोक्ता को हृदय रोगों से बचाता है । किण्वन के समय केफीर में Vit. B2 (Riboflavin), Vit. B12 (Cynocobalamine), Vit B1 (Thiamine) तथा फोलिक अम्ल की मात्रा में वृद्धि होती है ।

जब केफीर को दो दिन तक किण्वित किया जाता है तो इसका उपयोग बच्चों को Staphylococcal Sepsis से बचाता है । केफीर में Torulospora spp. कोलीफोर्म जीवाणुओं के लिए Bacteriostatic तथा Bactericidal प्रभाव रखता है । केफीर में कुछ आवश्यक अमीनो अम्ल, एन्जाईम तथा कुछ अतिरिक्त खनिज क्रियाशील तथा उपलब्ध रूप में रहते हैं ।

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