डेयरी उप-उत्पाद की सूची (उपयोग के साथ) | Here is a list of top four dairy by-products along with its uses in Hindi language.

(1) स्किम दूध के उपयोग (Uses of Skim Milk):

स्किम दूध से उत्पादित पास्तुरीकृत दूध, मानकीकृत दूध व क्रीम, सुगन्धित दूध, ऐसिडोफिलस दूध व बलगेरियन दूध, संघनित दूध, सुखा स्किम दूध तथा कोटेज चीज़ का विवरण पुस्तक के अन्य अध्यायों में प्रस्तुत किया जा चुका है ।

(i) सान्द्रित अम्लीय स्किम दूध उत्पादन (Production of Concentrated Sour Skim Milk):

ताजे स्किम दूध को 82°C ताप पर पास्तुरीकृत करके 46°C ताप पर ठण्डा करते हैं । इसमें 2% सामान्य जामन मिलाकर 16-18 घण्टे तक इसी ताप पर 1.7 से 2.0% अम्लता विकसित होने तक रखते हैं । दही को अच्छी प्रकार तोड़ कर उसे शून्यक वाष्पक (Vacuum Evaporator) में 5 से 6% अम्लता सांद्रता तक वाष्पित करते हैं । यह पदार्थ विकसित देशों में पोल्ट्री तथा सूअर (Pigs) राशन के रूप में प्रयोग करते हैं ।

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(ii) बेकर चीज़ (Baker’s Cheese):

यह कोटेज चीज़ की भाँति अमेरिका में बनाया जाने वाला पदार्थ है । इसकी गन्ध अम्लीय होती है क्योंकि इसमें Cooking and Washing प्रक्रिया नहीं होती है । इसका उपयोग Cakes, Pies तथा Pastries बनाने में करते हैं । इसकी संग्रह आयु कम होती है ।

(iii) क्वार्ग चीज़ (Quarg Cheese):

यह ताजी खायी जाने वाली स्किम दूध से निर्मित यूरोपियन चीज़ है । इसकी उत्पादन विधि बेकर चीज़ के समान है परन्तु इसमें पैकिंग से पहले क्रीम मिलाकर वसा प्रतिशत 10 तक की जाती है । इसमें नमी की मात्रा 75% होती है ।

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(iv) गामीलीस्ट चीज़ (Gammelist Cheese):

यह स्किम दूध का उपयोग करके नावें में बनायी जाने वाली अर्ध मुलायम (Semisoft) Blue-Mould Cheese है । पास्तुरीकृत स्किम दूध को 0.5 से 1% जामन मिलाकर 18-24°C ताप पर 1-2 दिन तक रखते हैं । खट्टे मिश्रण की 63°C ताप पर 30 मिनट तक पकाते हैं ।

दुग्ध ठोस को कपड़े में लेकर 3½ घन्टे तक उबलते व्हे में रखा जाता है । हूप में दबाकर हवा में सुखाते हैं । इस पदार्थ में सुई द्वारा छिद्र बना कर Penicillium Roquefort युक्त जामन डाल कर 11°C ताप पर 4 दिन तक रखने पर यह चीज तैयार होती है ।

(v) सेपसागो  चीज़ (Sapsago Cheese):

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हरे रंग की कोनाकार-कठोर चीज़ Switzerland में बनायी जाती है । हल्के खट्टे स्किम दूध को उबालते हुए उसमें धीरे-धीरे मक्खनिया दूध मिलाते हैं । अवक्षेपित दुग्ध ठोस को एक तरफ कर दिया जाता है । अब इसमें केसीन स्कन्दन के लिए पर्पाप्त खट्टा व्हे मिलते हैं ।

दुग्ध ठोस को निकाल कर निचड़ने व सूखने के लिए फैला दिया जाता है । इसको डिब्बों में भर कर 5 सप्ताह तक दबाते है । तैयार 100 कि.ग्रा. पदार्थ में 5 कि.ग्रा. नमक तथा 25 कि.ग्रा. चूर्णित क्लोवर पत्तियां मिलाई जाती हैं । मिश्रण का समांग पेस्ट बना कर उसे कोन में भरते है तथा 5 माह तक पकाने (Curing) के लिए रखा जाता है ।

(vi) केसीन (Casein):

स्किम दूध से भारत में बनने वाला मुख्य पदार्थ केसीन है । केसीन पोषण की दृष्टि से सर्वोत्तम प्रोटीन है इसका Protein Efficiency Ratio 2.5 होता है । दुग्ध उद्योग में दो प्रकार की केसीन बनती है । स्किम दूध से लगभग 2.8 से 3.2% तक केसीन प्राप्त की जा सकती है ।

1. व्यावसायिक केसीन (Industrial Casein),

2. खाने योग्य केसीन (Edible Casein) ।

व्यावसायिक केसीन (Industrial Casein):

यह केसीन अम्ल तथा रनेट से बनायी जाती है ।

(i) अम्ल केसीन (Acid Casein):

साफ-स्वच्छ स्किम दूध में केसीन Calcium Caseinate-Calcium Phosphate Complex रूप में पाया जाता है जो 5.3 pH पर अवक्षेपित होना प्रारम्भ हो कर pH 4.7 पर अधिकतम अवक्षेपण हो जाता है । यदि विलयन का pH 4.1 तक ले जाय तो जटिल का कैल्शियम घुल कर निकल जाता है तथा केसीन कठोर (Coarse) बन जाती है ।

अवक्षेपण के लिए 1 Percent HCL या 0.5% H2SO4 विलयन का प्रयोग 38°C ताप पर करते हैं । ताप कम रहने पर कर्ड महीन व मुलायम बनती है जो देर में Settle होती है । पूर्ण स्कन्दन उपरान्त व्हे निकाल कर प्रथम धुलाई 4.1 pH के पानी से करते हैं ।

कम से कम दो धुलाई की जाती है । इसे कपड़ा लगे हूप में भर कर अधिकतम 53% तक नमी रहने तक दबाते हैं । तत्पश्चात् इसे छोटे-छोटे टुकडों में तोड़कर 8% नमी रहने तक सुखाते हैं । सूखी केसीन को ठण्डा होने पर इसे पीस कर 3 Ply-Paper Bag में भर कर सूखे व अन्धेरे स्थान में संग्रहित किया जाता है ।

(ii) रेनेट केसीन (Rennet Casein):

रेनेट केसीन उत्पादन के लिए दूध के 38°C ताप पर गर्म करके उसमें 0.1 से 0.3% Calcium Chloride (1% घोल के रूप में) तथा 2-4% रटेन (20 से 40 गुने पानी में विलयन के रूप में) मिलाते हैं । दूध का तापमान 54 से 66°C तक धीरे-धीरे हिलाते हुए ले जाते हैं तथा 30 मिनट तक कर्ड को इस ताप पर रखते हैं । अन्य क्रियाएं अम्ल केसीन के समान की जाती है ।

(iii) लस्सी केसीन (Desi-Butter Milk Casein):

देशी मक्खनिया दूध की अवक्षेपित केसीन को 32°C ताप पर क्षार द्वारा pH 7.5 करके घोलते हैं । फिर इसको HCL द्वारा pH 4-6 पर अवक्षेपित करके व्हे निकाल कर दबा दिया जाता है ।

व्हे निष्कासन के बाद पुन: 38°C ताप पर क्षारीय विलयन में घोल कर क्रीम सप्रेटर द्वारा इसमें उपस्थित वसा निकालते हैं । तत्पश्चात फिर अम्ल द्वारा स्कन्दन करके केसीन प्राप्त कर ली जाती है । इस विधि को “Double Alkali Treatment-cum-Mechanical Separation Process” कहा जाता है ।

व्यवसायिक केसीन के उपयोग (Uses of Industrial Casein):

1. रेनेट केसीन का उपयोग प्लास्टिक के सामान जैसे- बटन, आभूषण, कंधा आदि निर्माण में किया जाता है ।

2. अम्ल केसीन में गोंदा, कागज की पुताई, पेंट, धागे, फिल्म, चमड़े की चमक, कीटनाशक तथा कुछ दवाओं (Silver and Mercury Caseinate) का उत्पादन किया जाता है ।

(iv) खाने योग्य केसीन (Edible Casein):

ऐसी केसीन जिसे विशेष सावधानियों के साथ बनाया गया हो ताकि इसका उपयोग भोज्य पदार्थ व दवाओं में सुरक्षित रूप में किया जा सके, उसे Edible Casein कहते है ।

ये सावधानियां निम्नलिखित हैं:

1. स्किम दूध की गुणवत्ता पर नियन्त्रण ।

2. मानक यन्त्र तथा तकनीक का उपयोग ।

3. स्वच्छ दशाओं का निर्धारण ।

4. आदर्श पैकेजिंग तथा संग्रहण दशाओं का निर्धारण ।

पर्याप्त दुग्ध उपलब्धता के मौसम (Flush Season) में फालतू स्किम दूध को खाने योग्य केसीन में परिवर्तन करके संग्रह करने की मानक तकनीकी ताजे मीठे स्किम दूध के लिए विकसित है । अम्लीय दूध होने पर उनमें वांछित परिवर्तन करने पड़ते हैं । खाने योग्य केसीन निर्माण में Stainless Steel के Vat, Press तथा Drier उपयोग करने वांछित हैं ।

स्किम दूध से शुष्क दुग्ध चूर्ण बनाने की अपेक्षा केसीन बनाना अधिक उपयुक्त रहता है क्योंकि शुष्क स्किम दुग्ध चूर्ण में लैक्टोज की उपस्थिति के कारण गर्म करने व संग्रहण के समय गठनात्मक कमियां (Textural Defects) तथा Browing Defect उत्पन्न हो जाते हैं । केसीन को Sodium व Calcium Caseinate में परिवर्तित करके बहुत से क्रियात्मक गुण (Functional Properties) विकसित किए जा सकते हैं ।

उत्पादन विधि (Method of Production):

प्रवाही आरेख (Flow Diagram):

शुद्ध पूर्ण दूध का 40-45°C ताप पर Cream Separation करके 0.05% से कम वसा युक्त स्किम दूध प्राप्त करते हैं । इसे 72°C ताप पर 16 सैकिंड तक गर्म करने से केसीन की पैदावार में वृद्धि होती है । किण्वन द्वारा अवक्षेपण करने के लिए पास्तुरीकृत दूध में 22-26°C पर 0.5% जामन मिलाकर 14-16hr तक 4.6 pH होने तक रखते हैं ।

स्कन्दन के लिए HCI या H2SO4 प्रयोग करने के लिए क्रमशः 1:3 से 9 तथा 1:20 के अनुपात में विलयन बना कर 38-48°C ताप पर दूध में इतना मिलाते हैं कि pH 4.1 हो जाय । स्कन्दन होने पर व्हे निकाल कर पहली धुलाई pH 4.6 पर 32°C ताप के पानी द्वारा करते हैं । दो बार केसीन को सादे पानी से इसी ताप पर धोयें ।

प्रत्येक धुलाई में पानी केसीन के साथ 15-20 मिन्ट तक रहना चाहिए । केसीन को हूप में भर कर 12-15 घप्टे तक 34 kg/cm2 दाव पर अधिकतम 55-60 नमी रहने तक रखते हैं । इस केसीन में मोल्ड तथा जीवाणु का विकास रोकने के लिए केसीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर 0.9 से 1.1 कि.ग्रा. प्रति 75 × 75cm आकार की ट्रे में 8% नमी रहने तक सुखाते हैं ।

सुखाने में तापमान 57°C से अधिक नहीं होना चाहिए । इसके बाद केसीन को धीरे-धीरे 24 घन्टे में कमरे के ताप तक ठण्डा करें । ठण्डी केसीन को पीस कर अवश्यकतानुसार 30-40 Mesh, 60 Mesh या 90 Mesh की छलनी से छानते हैं । Mesh का अर्थ है 1 इंच लम्बाई में छिद्रों की संख्या ।

BIS मानक के अनुसार केसीन 500 Micron आकार की छलनी से निकल जानी चाहिए । एक Micron (µm) 0.001 mm के बराबर होता है । इस प्रकार 100 Mesh छलनी का एक छिद्र 0.147 mm या 147 µm तथा 400 Mesh छलनी का एक छिद्र 0.037 mm या 37 µm के बराबर होगा । पिसे हुए केसीन को कपड़े या 3-Ply Paper Bag में भर कर सूखे तथा अन्धेरे स्थान पर भंडारित किया जाता है ।

भैंस के दूध से केसीन बनाना (Edible Casein from Buffalo Milk):

भैंस के दूध में केसीन तथा खनिज अव्ययों के गुण गाय के दूध की केसीन से कुछ भिन्न होते हैं । अत: इस दूध से केसीन बनाने के लिए परम्परागत विधि में कुछ संशोधन करने होते हैं । भैंस के दूध की केसीन कर्ड कठोर तथा गुच्छेदार (Lumpier) होती है ।

इस दूध में कैल्शियम तथा फास्फोरस की अधिक मात्रा भी केसीन को बांध कर रखती है । अत: भैंस के दूध से केसीन बनाने के लिए उसे 35°C ताप पर 37 ± 0.05 pH पर स्कन्दित करते हैं । HCl की सान्द्रता 1:1 रखी जाती है । कर्ड को 3 बार 15 मिनट तक डुबो कर 35°C ताप पर धोया जाता है । पहली दो धुलाई pH 4.0 के पानी से की जाती है । इस विधि से केसीन उत्पादन 2.83% तक होता है ।

(vii) केसीनेट (Caseinates):

अम्ल केसीन पानी में अघुलनशील होती है । जब इसे उपयुक्त दशाओं में क्षारीय विलयन (Alkali) में घोला जाता है तो केसीन विलयन रूप में प्राप्त हो जाता है । इसे केसीनेट कहते हैं ।

(viii) सोडियम केसीनेट (Sodium Caseinate):

 

स्प्रेटा दूध से निर्मित केसीन लेकर pH 6.7 पर NaOH प्रयोग करते हुए उसका विलयन बनाते हैं । इस विलयन को 20-25% सान्द्रता पर 60-70°C ताप पर गर्म करते हैं ।

इस गर्म विलयन से में शुष्कन विधि (Inlet Air 190-200°C, Outlet Air 100-90°C) द्वारा सोडियम केसीनेट चूर्ण तैयार कर लेते हैं । इस जल विलेय केसीन का उपयोग खाने की वस्तुओं के निर्माण में प्रोटीन-स्रोत के रूप में किया जाता है ।

(ix) कैल्शियम केसीनेट (Ca-Caseinate):

इसके उत्पादन की विधि सोडियम केसीनेट के समान है । भिन्नता केवल यह है कि अम्ल केसीन का विलयन तैयार करने के लिए इसमें Ca(OH2) का प्रयोग करते हैं । विलयन का pH 6.6 से 7.5 तक स्थिर करते हैं । इस प्रकार की केसीन का उपयोग भोज्य पदार्थ तथा दवाइयां बनाने में किया जाता है ।

(2) मक्खनिया दूध के उपयोग (Utilization of Butter Milk):

(i) संघनित मक्खनिया दूध (Condensed Butter Milk):

मक्खनिया दूध जिसमें 1.6% अम्लता हो को 3:1 में शून्यक वाष्पित्र (Vacuum Evaporator) में वाष्पीकरण द्वारा गाढ़ा करते हैं । गाढ़े दूध में अम्लता 5-6% तक होनी चाहिए । मीठा मक्खनिया दूध लेने की स्थिति में प्रारम्भिक अम्लता Lactic Acid, Acetic Acid, Citric Acid या Tartaric Acid मिला कर भी प्राप्त की जा सकती है । इसका उपयोग Poultry or Pig राशन में किया जाता है ।

(ii) मुलायम चीज़ (Soft Cheese from Butter Milk):

ताजे मीठे मक्खनिया दूध को समान मात्रा में स्प्रेटा दूध के साथ मिलाते हैं । मिश्रण को 65°C ताप पर 20 मिनट के लिए गर्म करके 35°C ताप पर ठण्डा करते हैं । इसमें 10% जामन मिला कर 2-3 घन्टे के लिए रख दिया जाता है ।

कर्ड को चीज़ को काटने के लिए प्रयोग होने वाले उपयुक्त चाकुओं से काट कर इस प्रकार गर्म करने हैं कि 40°C ताप 15-20 मिनट में पहुँचे । कर्ड क्यूब्स को कपड़े में लेकर रात भर के लिए दबाते हैं ।

इस समय ताप 5-10°C रखा जाता है । इस प्रकार तैयार चीज़ की संग्रह आयु कम होती है, अत: इसे जल्दी उपभोग कर लेना चाहिए । उपभोग पूर्व इसमें 15% चीनी मिलाते हैं । प्रोसैस्ट चीज़ उत्पादन में भी 10% तक इसका उपभोग किया जा सकता है ।

(iii) नमकीन-मसालेदार मक्खनिया दूध (Salted-Spiced Butter Milk-SSMB):

देशी विधि से तैयार मक्खनिया दूध का उपयोग करके यह पदार्थ तैयार किया जा सकता है । इस पदार्थ का पोषण मान तथा औषधीय मान अन्य संवर्धित दूधों के समान होता है । सहकारी तथा प्राईवेट क्षेत्र की डेयरिया SSBM का उत्पादन कर 200 ml के Pouches में पैक करके वितरित कर रही हैं ।

(3) व्हे का उपयोग (Utilization of Whey):

व्हे दुग्ध उद्योग का एक प्रमुख उपोत्पाद है जिसमें दूध के लगभग 50% ठोस पदार्थ पाये जाते हैं । इसमें वसा, प्रोटीन, लैक्टोज खनिज तथा वसा विलेय विटामिन पाये जाते हैं । इन दुग्ध ठोस पदार्थों की उपस्थिति के कारण यह एक पौष्टिक पदार्थ होता है ।

भारतीय दुग्ध उद्योग में स्कन्दित दुग्ध पदार्थों के उत्पादन के साथ निकले व्हे को Waste Product माना जाता है । कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति के कारण यह पदार्थ पर्यावरण प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न करता है ।

व्हे का BOD 39000 PPM से 48000 PPM तक होता है जो घरेलू धोवन की अपेक्षा लगभग 200 गुणा ज्यादा है । यह प्रदूषण तथा Bacteriophage संक्रमण की समस्या भी उत्पन्न करता है । व्हे का उपयोग विभिन्न रूप से किया जा सकता है ।

व्हे पेय उत्पादन (Production of Whey Drinks):

व्हे से लैक्टिक अम्ल उत्पादक जीवाणुओं का उपयोग करके विभिन्न पेय पदार्थ बनाये जा सकते हैं ।

व्हेविट की बोतलों में CO2 द्वारा रिक्त स्थान पूर्ति करने से इसकी संग्रह आयु 2-3 गुणा बढ़ जाती है ।

व्हे प्रोटीन सान्द्र (Whey Protein Concentrate):

इस समूह में विलेय तथा स्कन्दित प्रोटीन सम्मिलित की जाती है ।

लैक्टोज़ उत्पादन (Lactose Production):

लैक्टोज़ का प्रमुख किस्टलीय रूप α – Lactose Hydrate है । लैक्टोज के इस रूप का ही व्यावसायिक महत्व भी है । लैक्टोज़ उत्पादन के लिए सामान्यतया चीज़ व्हे का उपयोग किया जाता है । भारत में छैना व्हे से लैक्टोज उत्पादित करते हैं ।

 

लैक्टोज़ को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाता है:

1. Crude- यह प्रथम अवस्था पर अशुद्धियों सहित पदार्थ है ।

2. Edible- इसमें अशुद्धियाँ Crude से कम परन्तु USP से अधिक होती हैं ।

3. USP- क्रड लैक्टोज को शुद्ध करके USP ग्रेड का लैक्टोज़ बनाते हैं । यह नवजात शिशुओं के लिए अधिक उपयोगी लैक्टोज़ है । इस में शुद्धता के उच्चतम् मानक होते हैं ।

लैक्टोज का वैधानिक संगठन:

उत्पादन विधि (Production Method):

व्हे को उबालते हुए उसमें चूने का पानी (Milk of Lime) 0.05% अनुमापनीय अम्लता (pH 6.2) होने तक मिलाते हैं । स्कन्दन पूरा होने पर कुछ मिनटों के लिए स्थिर छोड़ते हैं ताकि अशुद्धियां बैठ जाएं । स्वच्छ व्हे को Triple Effect Evaporator में 20°C Baume (30% Lactose) तक सान्द्र करते हैं ।

इस आंशिक रूप से सान्द्रित व्हे को छान कर 40°C Baume सान्द्रता तक गाढ़ा करते हैं । इस बार Single Effect Evaporator का उपयोग किया जाता है । इस स्टेज पर विलयन में क्रिस्टल बनने लगते हैं । क्रिस्टल निर्माण प्रारम्भ होने पर भाप बन्द कर दी जाती है ।

लगभग 51-60°C ताप पर लैक्टोज शर्बत को Crystallization Vat में Setting के लिए रखते हैं । इस समय में शर्बत को धीरे-धीरे चलाते रहते हैं । यह प्रक्रिया पूर्ण होने पर सेन्ट्रीफ्यूज मशीन द्वारा 600 तथा 1200 rpm पर क्रिस्टलस को धोते हुए निकाल लिया जाता है । यह क्रूट लैक्टोज है । इसे शीघ्र ही या तो सुखा लेते हैं या शुद्धीकरण (Refining) करते हैं ।

लैक्टोज का शुद्धीकरण (Refining of Lactose):

अशुद्ध लैक्टोज का लगभग पर 30% विलयन में 100 kg लैक्टोज पर ¼ कि.ग्रा. Filtering Aid तथा 1 कि.ग्रा. Decolorizing Paste (3 Part Bone Black + 1 Part Activated Carbon + 1 Part 36% HCl + Required Water) मिलाकर उपचारित करते हैं ।

इस विलयन को उबालते हुए HCI की सहायता से अम्लता 0.09% पर स्थिर करते हैं । अब छानने से पूर्व चूने द्वारा अनुमापनीय अम्लता 0.05% पर ले आते हैं । उदासीनीकरण अधिक होने पर लैक्टोज का Caramalization या Discoloration होने का खतरा रहता है ।

इस विलयन को उबाल कर अवक्षेपण के उपरान्त कुछ समय के लिए स्थिर रखते हैं । अब इसे छान लेते हैं । स्वच्छ विलयन को Single Effect Evaporator में 40° Be तक सान्द्र किया जाता है । तत्पश्चात् पूर्व विधि अनुसार Crystallization, Washing, Drying Milling, Packaging तथा Storage करते हैं ।

पैदावार (Yield):

व्हे में कुल लैक्टोज का लगभग 70% भाग प्राप्त किया जा सकता है ।

(4) घी अवशेष (Ghee Residue):

घी अवशेष से, उसे उपयोग करने से पूर्व अतिरिक्त वसा निकालने के लिए पदार्थ को कपड़े में लपेट कर बाटर-बाथ में उबलते पानी में रखते है । 30-40 मिनट तक रखने के उपरान्त पानी निचोड़ कर इसे 10 मिनट तक सोडियम-बाई-कार्बोनेट विलयन में उबालते हैं । इस उपचारित घी अवशेष का उपयोग केंडी तथा चोकोलेट बनाने में किया जा सकता है ।

i. कैन्डी (Candy):

चीनी का 50% सान्द्रता का शर्बत बनाकर (कड़ाही में), उसमें उपचारित घी अवशेष मिश्रित करते हैं । पेस्ट बनने तक हल्की उष्मा द्वारा इसे चलाते हुए वाष्पीकृत करते हैं । चिपकने योग्य सांद्रता पर इसमें सूखा गोले का चूर्ण मिलाकर एक घन्टे के लिए प्लेट में फैला कर 5-10°C ताप पर रखते हैं ।

इसे ठण्डा होने पर टुकडों में काटकर पार्चमैन्ट में लपेटा जाता है । इसे उपभोग तक सामान्य ताप पर ही संग्रह किया जाता है । एक कि.ग्रा. उपचारित घी अवशेष के लिए 500 से 625 ग्राम चीनी तथा 150-250 ग्राम सूखा नारियल चूर्ण पर्याप्त होता है ।

ii. चोकोलेट (Chocolate):

कैन्डी उत्पादन विधि से तैयार चिपकने योग्य सान्द्रता के पदार्थ 1 कि.ग्रा. उपचारित घी अवशेष व 500 से 625 ग्राम चीनी से तैयार) में 60-90 ग्राम कोका चूर्ण (Coca Powder) तथा 250 ग्राम Skim Milk Powder मिलाकर 10-12 घन्टे की लिए 5-10°C ताप पर प्लेट में फैला कर रखा जाता है । इस क्यूब्स में काट कर पार्चमैन्ट पेपर में लपेट कर कमरे के ताप पर उपभोग तक संग्रह करते हैं ।

iii. चोकसिदु बर्फी (Chocsidu Burfi):

उपचारित घी अवशेष में, उसमें उपस्थित कुल ठोस का 45% खोआ मिला कर गर्म करते हुए उसमें घी अवशेष के ठोस का 75% चीनी मिला कर 10-15 मिनट तक अच्छी प्रकार से चलाते हैं । इस मीठे पदार्थ के 1/3 भाग में 8% चोकोलेट चूर्ण मिलाते हैं ।

शेष 2/3 भाग को दो अन्य उथले पात्रों में फैला कर उनके ऊपर चोकोलेट चूर्ण मिला पदार्थ फैलाया जाता है । ठण्डा होने पर उचित आकार के टुकडों में काट लिया जाता है । उचित आकार के पैकेजिंग में इसे विक्रय करते है ।

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