Read this article in Hindi to learn about the specialties of independent regulatory commission of USA.

ब्रिटेन, फ्रांस और भारत से अलग संयुक्त राज्य अमेरिका में तीन प्रकार की लाइन एजेंसियाँ होती हैं- विभाग, सार्वजनिक निगम और स्वतंत्र नियामक आयोग । इन आयोगों की स्थापना सामाजिक हितों की सुरक्षा करने और उनको बढ़ावा देने के उद्देश्य से निजी आर्थिक गतिविधियों और निजी संपत्ति पर सार्वजनिक नियमन और नियंत्रण स्थापित करने के लिए की गई थी । पहले स्वतंत्र आयोग की स्थापना 1887 में की गई थी और इसका नाम था । अंतर-राज्यीय वाणिज्य आयोग । वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका में नौ आईआरसी हैं ।

इनका गठन निम्न कालक्रम में किया गया था:

(i) दि इंटरस्टेट कॉमर्स कमीशन (1887),

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(ii) दि फेडरल रिजर्व बोर्ड (1913),

(iii) दि फेडरल ट्रेड कमीशन (1914),

(iv) दि फेडरल पावर कमीशन (1930),

(v) दि फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (1934),

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(vi) दि सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (1934),

(vii) दि नेशनल लेबर रिलेशंस बोर्ड (1935),

(viii) दि यूनाइटेड स्टेट्‌स मारीटाइम कमीशन (1936),

(ix) दि सिविल एयरोनॉटिक्स बोर्ड (1940) ।

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इन आयोगों की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

(i) अमरीका की विशेष संवैधानिक प्रणाली एवं राजनीतिक विचारधारा के कारण इन आयोगों की स्थापना अमरीका के कार्यकारी विभागों (जिनकी संख्या वर्तमान में 14 है) से बाहर की गई थी । अत: इनको संयुक्त राज्य अमरीका की प्रशासनिक प्रणाली के अंतर्गत ‘स्वायत्तता के द्वीप समूह’ कहा जाता है ।

(ii) ये नियम बनाते हैं, इन नियमों को लागू करते हैं और इनको तोड़ने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करते हैं; या दूसरे शब्दों में, वे अर्ध-विधायी, प्रशासनिक एवं अर्ध-न्यायिक कार्य करते हैं ।

जो कार्य ये करते हैं उनकी मिश्रित प्रकृति के कारण, ये तीन परंपरागत शाखाओं (अर्थात विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका) में से किसी में भी पूरी तरह से नहीं रखे जा सकते । अत: इनको ‘सरकार की चौथी शाखा’ कहा जाता है ।

(iii) ये आयोग बहु-प्रमुखीय होते हैं और इनके विशेषज्ञ सदस्यों की संख्या पांच या सात होती है । इनकी नियुक्ति सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । उनका कार्यकाल पांच से सात वर्ष का होता है । इनकी सदस्यता द्विपक्षीय होती है।

(iv) इनके विधायी एवं न्याय-निर्णयन (Adjudicatory) कार्यकलाप पक्षपात मूलक राजनीति से परे होते हैं अत: इस अर्थ में वे राष्ट्रपति से स्वाधीन होते हैं । दूसरे शब्दों में, ये न तो राष्ट्रपति के उत्तरदायी हैं और न ही उसके लिए रिपोर्ट करते हैं ।

चूँकि ये राष्ट्रपति या किसी भी अन्य प्रशासनिक निकाय के अधीन नहीं होते हैं अत: इनको ‘नेतृत्वविहीन’ कहा जाता है । इनको ‘अनुत्तरदायी आयोग’ अथवा ‘अनुत्तरदायित्व के क्षेत्र’ भी कहा जाता है ।

(v) कांग्रेस द्वारा स्थापित इन आयोगों के संविधान और कार्यकलापों का निर्धारण कांग्रेस ही करती है । इस रूप में इनको ‘कांग्रेस की भुजाएँ’ कहा जाता है ।

(vi) इन आयोगों की उपस्थिति से संयुक्त राज्य अमरीका के संघीय प्रशासन का ‘विघटन’ हो जाता है क्योंकि इनका संबंध राष्ट्रपति की अधीनता वाली शेष प्रशासनिक प्रणाली से नहीं होता है ।

(vii) इन आयोगों के सदस्यों के कार्यकाल परस्पर व्याप्त होते हैं, क्योंकि ये सभी सदस्य एक ही समय पर नियुक्त या लेवनिवृत्त या सेवानिवृत्त नहीं होते हैं । उसके फलस्वरूप राष्ट्रपति से इनकी स्वतंत्रता को मजबूती मिलती है ।

(viii) राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किये जाने के बावजूद इन आयोगों के सदस्यों को राष्ट्रपति अपनी इच्छा से पदमुक्त नहीं कर सकता है । राष्ट्रपति इन आयोगों का गठन करने वाले विधन में विनिर्दिष्ट आधारों पर ही इन्हें कार्यमुक्त कर सकता है ।

(ix) इनका न्यायाधिकार क्षेत्र राष्ट्रव्यापी होता है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के सम्पूर्ण भू-प्रदेश तक फैला हुआ है ।