भारत में प्रशासन पर नियंत्रण नियंत्रण | Presidential Control Over Administration in India | Public Administration.

प्रशासन पर विधायी नियंत्रण की पद्धति राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार (संयुक्त राज्य अमरीका) में संसदीय प्रणाली की सरकार (भारत और ब्रिटेन) से भिन्न होती है । अत: विधायी नियंत्रण के जिन उपायों का वर्णन ऊपर किया गया है, उनमें से अधिकांश संयुक्त राज्य अमरीका में लागू नहीं होते ।

इस प्रकार की भिन्नता का कारण ‘सत्ता के पृथक्करण के सिद्धांत’ में निहित है । संयुक्त राज्य अमरीका में प्रचलित राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार इसी सिद्धांत पर आधारित है । इसके अनुसार कार्यपालिका और विधायिका को एक-दूसरे से अलग कर दिया जाता है और इसलिए वे एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं ।

राष्ट्रपति एवं सचिवों से निर्मित कार्यपालिका न तो विधायिका में (जिसे संयुक्त राज्य अमरीका में कांग्रेस कहते हैं) बैठती है और न ही अपनी नीतियों और कार्यों के लिए इसके प्रति उत्तरदायी होती है ।

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अमरीकी राष्ट्रपति का कार्यक्रम चार वर्ष का होता है और सामान्य परिस्थितियों में इसे इसका कार्यकाल पूरा होने से पहले नहीं हटाया जा सकता है । पद पर बने रहने के लिए राष्ट्रपति को कांग्रेस में बहुमत प्राप्त होना आवश्यक नहीं है ।

वास्तव में राष्ट्रपति और उसके सचिव न तो कांग्रेस के सदस्य होते हैं और न ही उसकी कार्यवाही में भाग लेते हैं । अत: कार्यपालिका पर कांग्रेस का नियंत्रण प्रश्नों या स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से या अविश्वास या निंदा प्रस्ताव द्वारा लागू करना संभव नहीं ।

इन परिस्थितियों में संयुक्त राज्य अमरीका में कांग्रेस प्रशासन अपना नियंत्रण निम्नलिखित तरीकों से लागू करती है:

(i) कांग्रेस कार्यकारी विभागों आयोगों, निकायों तथा अन्य प्रशासनिक एजेंसियों का निर्माण करती है और उनके ढाँचे, संगठन तथा उनके अधिकारों और कार्यों का निर्धारण भी यही करती है । वास्तव में स्वाधीन नियामक आयोग राष्ट्रपति के नियंत्रण में न होने के कारण सीधे कांग्रेस को रिपोर्ट करते हैं ।

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(ii) प्रशासनिक विभागों और एजेंसियों की कार्यप्रणाली की जाँच-पड़ताल और आलोचना करने के लिए कांग्रेस समितियों को नियुक्त करती है ।

(iii) सार्वजनिक नीतियों, पद्धतियों तथा कार्यविधियों का निर्धारण करने के लिए कांग्रेस कानून बनाती है या मौजूदा कानूनों को संशोधित या निरस्त करती है ।

(iv) केंद्रीय (संघीय) बजट को स्वीकृति कांग्रेस देती है । इसको बजट एवं प्रबंधन कार्यालय द्वारा राष्ट्रपति के निर्देश में तैयार किया जाता है । राष्ट्रपति अपना बजट कांग्रेस में प्रस्तुत करता है और अपनी समितियों तथा उपसमितियों के द्वारा कांग्रेस उसकी पूरी तरह से छानबीन तथा संशोधन करती है । यह लेखा तथा लेखा-परीक्षा की भी जाँच करती है ।

(v) राष्ट्रपति द्वारा की गई संधियों को अनुमोदित करने का अधिकार कांग्रेस के ऊपरी सदन, सीनेट को प्राप्त है ।

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(vi) कांग्रेस को राष्ट्रपति की उच्च पदों पर की गई नियुक्तियों की पुष्टि करने का भी अधिकार है ।

(vii) देशद्रोह अथवा भ्रष्टाचार के आधार पर राष्ट्रपति के चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उस पर महाभियोग लगाने का अधिकार भी कांग्रेस को प्राप्त है ।

(viii) इसकी समितियों को प्रशासनिक एजेंसियों से उनके पिछले कार्यों या भावी योजनाओं की रिपोर्ट माँगने का भी अधिकार है । एफ.ए. नीग्रो इसे ‘सह निर्देशन का सिद्धांत’ कहते हैं जिसका अर्थ है कि प्रशासनिक निर्णय-निर्माण में कांग्रेस की प्रत्यक्ष भागीदारी है ।

(ix) कार्यकारी विभाग अपने कार्य निष्पादन एवं समस्याओं से जुड़ी विशेष रिपोर्ट एवं वार्षिक रिपोर्ट कांग्रेस के समक्ष पेश करते हैं ।

(x) कांग्रेस सदस्यों को कार्यालय एवं कर्मचारी उपलब्ध कराये जाते हैं । ताकि वे प्रशासनिक अधिकारियों के निरंतर सम्पर्क में रहकर अपने क्षेत्र के नागरिकों की समस्याओं शिकायतों का निपटारा कर सके ।

(xi) कुछ विभागों एवं अभिकरणों के कार्यचालन कांग्रेस द्वारा प्रत्यक्ष रूप से पर्यवेक्षण किया जाता है । इसे ‘विधायी अधिनीक्षक’ कहा जाता है । इस प्रकार संयुक्त राज्य अमरीका में प्रशासन पर कांग्रेस का नियंत्रण प्रकृति एवं विस्तार में प्रतिबंधित व सीमित है ।