Read this article in Hindi to learn about the administrative system of America.

अमरीका की प्रशासनिक व्यवस्था को ”नागरिक संस्कृति” वाली व्यवस्था कहा जाता है । वस्तुतः ब्रिटेन की भांति अमेरिका में राजनीतिक-प्रशासनिक व्यवस्था का विकास क्रमिक और व्यवस्थित रूप से हुआ । इसने राजनीतिक स्थिरता के साथ राजनीति-प्रशासन के उत्कृष्ट संबंधों को जन्म दिया है । सरकारी अधिकारी ”लोक सेवक” की भूमिका में है जिन पर सामाजिक संस्थाओं और नागरिकों का प्रभावी नियंत्रण है ।

1. अमेरिका का संविधान 1787 में अस्तित्व में आया और यह विश्व का पहला लिखित संविधान है ।

2. उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने ब्रिटेन से मुक्ति पायी थी । वस्तुतः अमेरिका (नई दुनिया जो कोलंबस ने खोजी) के मूल निवासी रेड इंडियन्स हैं । ब्रिटेन के राजा जेम्स द्वितीय के अत्याचारों से पीड़ित प्रोटेस्टेंट यहाँ आकर बस गये जिन्हें ”पिलग्रिम फादर्स” कहा गया । इन्होंने यहां 13 उपनिवेश बसा लिये लेकिन इंग्लैंड ने आंतरिक स्वशासन की स्वतंत्रता को छोड़कर बाकी मामलों में इन्हें अपने नियंत्रण में ले लिया ।

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3. जब इंग्लैंड ने इन पर कठोर वित्तीय नियंत्रण लागू किया तो इन उपनिवेशों ने विद्रोह कर दिया । फिलाडेल्फिया में 1774,75 और 76 में तीन सम्मेलन हुए ।

4. 1776 में थामस जेफर्सन द्वारा तैयार अमेरिकी स्वतंत्रता का घोषणा पत्र पड़ा गया और जार्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में स्वतंत्रता संघर्ष शुरू हुआ । ब्रिटेन परास्त हुआ और 1783 की पेरिस संधि के तहत स्वतंत्र अमेरिकी राष्ट्र का जन्म हुआ ।

5. अंततः 1787 में फिलाडेफ्लिया सम्मेलन में उसका संविधान बना जो 1789 को लागू हुआ । इसके निर्माण में जैम्स मेडीसन ने मुख्य भूमिका निभायी जिन्हें अमेरिकी संविधान का शिल्पी कहा जाता है ।

6. यहाँ संघ और राज्यों के अपने-अपने संविधान है ।

अमेरिका शासन-व्यवस्था- विशेषताएँ (US Government – Features):

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अमेरिका प्रजातांत्रिक देश है । संघीय देश अमेरिका में केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर पृथक प्रजातांत्रिक सरकारें कार्य करती हैं । अमेरिका के केंद्रीय शासन और राज्य शासन में अनेक समानताएं हैं और दोनों का प्रशासन कुशल, सुदृढ़ और आधुनिक तरीके से संचालित है ।

अमेरिकी प्रशासन की प्रमुख विशेषताएं हैं:

1. लोक कल्याणकारी स्वरूप:

अमेरिका के विकसित समाज में प्रशासन की भूमिका मात्रात्मक अधिक है । क्योंकि विकास का उच्च स्तर प्राप्त करने के बाद गुणात्मक परिवर्तन के लिये अवसर नहीं रह जाते हैं । लेकिन लोक कल्याणकारी और लोकतांत्रिक आदर्शों ने प्रशासन पर अनेक कार्यों की करने का भार डाला है । यहां का प्रशासन भी इसलिये राज्य के आदर्शों के अनुरूप लोक कल्याणकारी है ।

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2. संघात्मक शासन प्रणाली:

केन्द्र और सभी 50 राज्यों में अपनी जन-निर्वाचित सरकार है जो अपने-अपने विषयों पर काम करती हैं । संविधान ने संघ की शक्ति का उल्लेख कर दिया है और शेष शक्तियां राज्यों को सौंपी हैं [अनुच्छेद- 1(8)] । संघ आपातकालीन और संकटकालीन परिस्थितियों को छोड़कर राज्य के शासन-प्रशासन में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता ।

3. विधि का शासन:

ब्रिटेन के अनुरूप अमेरिका ने भी विधि के शासन को अपनाया है जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था को विशेष स्थिति नहीं दी गयी है अपितु कानून की सर्वोच्चता है और जिसके समक्ष सब बराबर हैं यद्यपि इसके कुछ अपवाद हैं ।

4. नौकरशाही तंत्र:

अमेरिकी प्रशासन भी नौकरशाही की अहमवादी भावना से ग्रस्त है । यद्यपि यह तंत्र कुशल है तथापि नार्मन पावेल के अनुसार, ”विशाल, महंगा और शक्तिशाली है ।” उच्च नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों में घनिष्ठ संबंध पाये जाते हैं ।

5. सुदृढ़ स्थानीय स्वशासन:

अमेरिका में स्थानीय स्वशासन राज्य सूची का विषय है । वहां ग्रामीण और नगरीय दोनों क्षेत्रों में स्वशासन की सशक्त व्यवस्थाएँ विद्यमान हैं ।

6. अन्य विशेषताएं:

(i) विशाल प्रशासनिक तंत्र जिसमें अनेक विभाग, आयोग, एजेन्सीयां कार्यरत हैं ।

(ii) लूट प्रणाली के अवशेष आज भी विद्‌यमान हैं ।

(iii) रक्षा, पुलिस, परमाणु, अस्त्र-शस्त्र, अंतरिक्ष को छोड़कर शेष क्षेत्रों में निजी पूंजी का वर्चस्व । सरकार की भूमिका अन्य क्षेत्रों में गौण ।

(iv) नस्ल, धर्म, व्यवसाय, कार्य आधारित अनेक दबाव समूह और उनका अत्यधिक प्रभाव ।

(v) सुदृढ़ केंद्रीय शासन जिसमें स्वतंत्र नियामिकीय आयोग जैसी विश्रृंखलन विशेषता वाली विशिष्ट अमेरिकी प्रणाली ।

प्रमुख केंद्रीय संस्थाएं और कार्यालय, राष्ट्रपति का प्रशासनिक कार्यालय (ईओपी) [Major Central Bodies and Offices, the Administrative Office of the President (EOP)]:

वर्तमान में 9 उपकार्यालयों की संयुक्त संरचना है, ”राष्ट्रपति का प्रशासनिक कार्यालय ।” इसकी सिफारिश ब्राउन लो कमेटी (1937) ने राष्ट्रपति को जनरल स्टाफ उपलब्ध कराने हेतु की थी । राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने 1939 के पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत एक प्रशासनिक आदेश द्वारा इसकी स्थापना की ।

कार्य:

इसमें सरकारी विभागों के उच्च नौकरशाह होते हैं जो राष्ट्रपति को प्रमुख कार्यपालक के रूप में दायित्वों के निर्वहन में सहायता करते हैं ।

स्वतंत्र नियामिकीय आयोग:

स्वतंत्र नियामिकीय आयोग सूत्र अभिकरण का वह प्रकार है, जो प्रशासनिक संरचना में विघटन के सिद्धांत पर आधारित है । यह अमेरिकी प्रशासन की विशेषता है, जो कांग्रेस और राष्ट्रपति के परस्पर अविश्वास और शक्ति संतुलन का परिणाम है ।

इनको कार्यपालिका से स्वतंत्र रखकर मिश्रित प्रकृति के विभिन्न कार्य सौंपे गये ताकि वे अस्वस्थ प्रतियोगिता के हानिप्रद दुष्प्रभावों को समुचित रूप से नियंत्रित कर सके । इनकी सफलता ने जहां नागरिकों के मन में इनके प्रति सम्मान पैदा किया है, वही इनकी स्वायत्त उपस्थिति ने अमेरिकी प्रशासन में विश्रृंखलता पैदा की है ।

स्थापना के कारण:

अमेरिका में अनेक औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियां निजी क्षेत्र के हाथों में संचालित हैं । इनके मध्य तीव्र प्रतियोगिता के अनेक दुष्प्रभाव अमेरिकी समाज पर आने लगे, तब इनके समाज हित में नियमन की समस्या उत्पन्न हुई; जैसे निजी बस मालिकों की किराया प्रणाली को नियंत्रित करना । इसका समाधान कांग्रेस (व्यवस्थापिका) ने स्वतंत्र नियामिकीय आयोगों की स्थापना में ढूंढा ।

अमेरिका में शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत (Theory of Power Dissociation in America):

व्यवस्थापिका इन कार्यों के लिए नये विभाग भी बना सकती थी परंतु इससे राष्ट्रपति की शक्ति में वृद्धि हो जाती क्योंकि वे राष्ट्रपति के अधीन पूर्ण नियंत्रण में रहते हैं । अतएव उसने स्वतंत्र नियामिकीय आयोगों को जन्म दिया जो उक्त नियामिकी कार्यों को संपादित कर सकें ।

अर्थ और परिभाषा:

स्वतंत्र नियामिकीय आयोग के अर्थ को डिमॉक ने इस प्रकार स्पष्ट किया है, ये स्वतंत्र हैं, मात्र इसलिए नहीं कि राष्ट्रपति के नियंत्रण से मुक्त है अपितु इसलिए कि विभागों की सामान्य निष्पादक रेखा के बाहर होते हैं ये नियामिकीय हैं क्योंकि अस्वस्थ प्रतियोगिता के दोषों को दूर करने के उद्देश्य से क्षेत्र विशेष में नियमन-नियंत्रण लागू करते हैं और आयोग इसलिए हैं कि इनका संचालन करने वाला शीर्ष प्रबन्ध ”मण्डल” या ”आयोग” के रूप में एक समूह होता है ।

डिमाक ने इनकी परिभाषा देते हुए कहा कि- ”स्वतंत्र नियामिकीय ”आयोग” ऐसे प्रशासनिक संगठन हैं जो प्रशासकीय, अर्ध विधायी और अर्ध न्यायिक प्रकृति के कार्य सम्पन्न करते हैं ।” राबर्ट कृशमेन के शब्दों में- ”प्रशासन में सुनीतिपूर्ण समस्या का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था का नाम है, स्वतंत्र नियामिकीय आयोग ।”

अमेरिका में स्वतंत्र नियामिकीय आयोग (Independent Regulatory Commission in America):

पहला स्वतंत्र नियामिकीय आयोग ”अंतर्राज्यीय वाणिज्यिक आयोग” अमेरिका में ही 1887 में गठित हुआ था, जिसका उद्देश्य परिवहन से संबंधित सभी समस्याओं को निपटाना था, विशेष कर यात्री भाडा नियंत्रण । इसमें 11 सदस्य थे और कार्यकाल 7 वर्ष था । अब तक 10 से अधिक आयोग वहां स्थापित हो चुके हैं जो कि पहले आयोग की सफलता के परिणाम थे । फेडरल रिजर्व बोर्ड (1913) का कार्यकाल सर्वाधिक 14 वर्ष था ।

अमेरिका में आयोग के गठन की प्रक्रिया (Process of Formation of Commission in the US):

व्यवस्थापिका (कांग्रेस) की सहमति से राष्ट्रपति इनके सदस्यों को नियुक्त करता है, जबकि इनका निर्माण, इनके कार्य, और उद्देश्यों की व्याख्या स्वयं कांग्रेस करती है । सदस्यों को राष्ट्रपति उन्हीं आधारों पर हटा सकता है जिनका उल्लेख कांग्रेस ने अधिनियम में किया हो ।

हम्फ्री विवाद (1935) में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय था कि नीतिगत मतभेदों के आधार पर श्री हम्फ्री (फेडरल ट्रेड कमीशन) को हटाना गलत था तथापि किसी सदस्य को अकार्य-कुशलता या अक्षमता के आधार पर ही हटाया जा सकता है । मायर्स विवाद (1926), वीनर केस (1958) में भी यही निर्णय दिया गया ।

नोट:

1925 में राष्ट्रपति कोलिंज ने हम्फ्री को आयोग में नियुक्त किया था जबकि 1935 में रूजवेल्ट ने नीतिगत मतभेद के कारण उन्हें दिया था ।