Read this article in Hindi to learn about the recruitment system for all India services.

हमारे देश में अखिल भारतीय सेवाओं और उच्च केन्द्रीय सेवाओं में भर्ती की वर्तमान प्रणाली निम्नलिखित समितियों द्वारा की गई अनुशंसाओं पर आधारित है:

1. मैकाले समिति

2. कोठारी समिति

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3. सतीश चंद्रा समिति

भारतीय सिविल सेवा से संबंधित मैकाले समिति की रिपोर्ट में पहली बार 1854 में लोकसेवा में भर्ती संबंधी मूल नीतियों का निर्धारण किया गया । इस नीति के सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष थे-खुली प्रतियोगिता प्रणाली और शिक्षापरक परीक्षा प्रणाली ।

अखिल भारतीय सेवाओं और उच्चर केंद्रीय सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए अभ्यर्थियों की योग्यता और उपयुक्तता की जाँच और आकलन करने की वर्तमान परीक्षा प्रणाली का निर्धारण कोठारी समिति और सतीश चंद्रा समिति द्वारा किया गया है, किंतु मैकाले समिति द्वारा निर्धारित मूल नीति और भर्ती संबंधी मान्यता का प्रभाव अभी भी बना हुआ है ।

डी.एस कोठारी की अध्यक्षता में ‘भर्ती नीति और चयन पद्धति’ विषय पर एक समिति संघ लोकसेवा आयोग द्वारा वर्ष 1974 में नियुक्ति की गई इस समिति ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 1976 में दी थी जिनकी अधिकांश अनुशंसाओं को सरकार ने वर्ष 1978 में स्वीकार किया और उन्हें वर्ष 1979 में लागू किया । इस प्रकार प्रतियोगितात्मक परीक्षा की नई प्रणाली का आविर्भाव वर्ष 1979 में हुआ । वर्ष 1993 में सतीश चंद्रा समिति की अनुशंसाओं के आधार पर इस प्रणाली में कुछ बदलाव किया गया ।

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सतीश चंद्रा की अध्यक्षता में ‘भर्ती नीति और चयन पद्धति’ विषयक समिति की नियुक्ति संघ लोकसेवा आयोग द्वारा वर्ष 1988 में की गई । समिति ने अपनी रिपोर्ट 1989 में दी तथा सरकार ने इस समिति द्वारा की गई अनुशंसाओं में कुछ को वर्ष 1993 में लागू भी किया जिसके अनुसार 200 अंक के निबंध के प्रश्न पत्र को शामिल किया गया था और साक्षात्कार परीक्षा के लिए अधिकतम 250 अंक को बढाकर 300 अंक किए गए । संघ लोकसेवा आयोग द्वारा अखिल भारतीय सेवाओं और उच्चतर केंद्रीय सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए ली जाने वाली परीक्षा को ‘लोकसेवा परीक्षा’ के रूप में जाना जाता है ।

इस परीक्षा की विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

एकल परीक्षा:

लोकसेवा परीक्षा एकल एवं संयुक्त परीक्षा है जिसके तहत भारतीय प्रशासनिक सेवा भारतीय पुलिस सेवा भारतीय विदेश सेवा और उच्चतर केंद्रीय सेवाओं (अर्थात् ग्रुप ए और ग्रुप बी) के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की जाती है ।

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वर्ष 1979 से पहले तीन अलग-अलग परीक्षाएँ ली जाती थीं:

(i) भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय विदेश सेवा के लिए

(ii) भारतीय पुलिस सेवा और संघ शासित राज्यों में क्लास-II पुलिस सेवा और ।

(iii) केंद्रीय सेवाओं के लिए ।

राष्ट्रीयता:

भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा – दोनों के लिए अभ्यर्थी को भारत का नागरिक होना चाहिए । अन्य सेवाओं के लिए अभ्यर्थी को या तो भारतीय नागरिक या नेपाल की प्रजा या भूटान की प्रजा या ऐसा तिब्बती शरणार्थी होना चाहिए जो भारत में स्थापित होने के इरादे से वर्ष 1962 से पहले आया हो, या भारतीय मूल का वह व्यक्ति जो भारत में स्थायी रूप से बसने के इरादे से पाकिस्तान, बर्मा (म्यांमार), श्रीलंका, केन्या, युगांडा, तंजानिया, जांबिया, मलावी, जैरे, इथियोपिया और वियतनाम से भारत आया हो । उपर्युक्त प्रथम श्रेणी (भारतीय नागरिक) और अंतिम श्रेणी (प्रवासित) के तहत न आने वाले अभ्यर्थी भारतीय विदेश सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं हैं ।

आयु सीमा:

इस परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी को 21 वर्ष से कम और 30 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिए । अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए इस आयु सीमा में पाँच वर्ष की तथा अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए तीन वर्ष की छूट है । उल्लेखनीय है कि कोठारी समिति ने इस परीक्षा के लिए आयु सीमा 21-26 वर्ष होने की अनुशंसा की थी ।

शैक्षिक योग्यता:

इस परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी को केंद्रीय या राज्य के विधान के अधिनियम द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय अथवा संसद के अधिनियम के तहत स्थापित अन्य शैक्षिक संस्थानों अथवा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 के तहत विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त शैक्षिक संस्थानों से स्नातक की उपाधि अथवा समकक्ष योग्यता (व्यावसायिक या तकनीकी उपाधि) धारण किए हुए होना चाहिए ।

प्रयासों की संख्या:

सफल होने के लिए प्रत्येक अभ्यर्थी इस परीक्षा में चार प्रयास कर सकता है । अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थी सात बार प्रयास कर सकते है । अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए प्रयास संख्या प्रतिबंधित नहीं है ।

इस प्रकार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभ्यर्थी 21 से 35 वर्ष की आयु सीमा के भीतर जितनी बार चाहें, उतनी बार इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं । यहाँ उल्लेखनीय है कि कोठारी समिति ने सामान्य वर्ग और अनुसूचित/अनुसूचित जनजाति वर्ग दोनों के लिए केवल दो प्रयास की अनुमति देने की अनुशंसा की थी ।

परीक्षा योजना:

लोक सेवा परीक्षा दो चरणों में ली जाती है- प्रथम चरण में प्रारंभिक परीक्षा और द्वितीय चरण में मुख्य परीक्षा । प्रारंभिक परीक्षा के माध्यम से मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है जब कि मुख्य परीक्षा विभिन्न सेवाओं और पदों पर अभ्यर्थियों के चयन के लिए ली जाती है ।

प्रारंभिक परीक्षा:

इस परीक्षा में दो प्रश्नपत्र होते हैं जो इस प्रकार हैं:

प्राशनपत्र I – सामान्य अध्ययन – 150 अंक

प्राशनपत्र II – वैकल्पिक विषय – 300 अंक

योग – 450 अंक

अभ्यर्थी, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा निर्धारित सूची में शामिल विषयों में से किसी एक विषय को चुन सकता है । दोनों प्रश्नपत्र बहुविकल्पीय (अर्थात प्रश्नों के चार उत्तर के साथ) होते हैं । प्रश्न पत्र हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होते हैं । प्रत्येक प्रश्न पत्र के लिए दो घंटे का समय निर्धारित है ।

इस परीक्षा में अर्जित अंकों की गिनती अभ्यर्थी के रैंक को अंतिम तौर पर निर्धारित करने के लिए नहीं की जाती है । यह (प्रारंभिक) परीक्षा अभ्यर्थियों की संख्या को कम करने के लिए स्कीनिंग टेस्ट के रूप में ली जाती है ।

मुख्य परीक्षा:

इस परीक्षा के दो भाग हैं- लिखित परीक्षा और साक्षात्कार ।

लिखित परीक्षा में निम्नलिखित प्रश्न पत्र होते हैं:

उपर्युक्त प्रश्नपत्रों में से भारतीय भाषा और अंग्रेजी के प्रश्नपत्रों में अर्जित अंक को रैंक निर्धारित करने की दृष्टि से गणना में शामिल नहीं किया जाता है । इसके अतिरिक्त सिक्किम तथा पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड के अभ्यर्थियों के लिए भारतीय भाषा का प्रश्नपत्र अनिवार्य नहीं है । लिखित परीक्षा के लिए सभी विषयों के प्रश्नपत्र निबंधात्मक होते हैं ।

प्रत्येक प्रश्न पत्र तीन घंटे की अवधि का होता है । अभ्यर्थी भाषा के प्रश्न पत्र (प्रश्नपत्र I और II) को छोड़कर सभी प्रश्नपत्रों का उत्तर संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं में से किसी एक भाषा में या अंग्रेजी भाषा में दे सकता है । भाषा के प्रश्नपत्र I और II को छोड़कर सभी प्रश्नपत्र केवल हिंदी और अंग्रेजी में तैयार किए जाते हैं ।

साक्षात्कार परीक्षा:

इस परीक्षा का उद्देश्य लोक सेवा की दृष्टि से अभ्यर्थी की वैयक्तिक उपयुक्तता का आकलन करना है । साक्षात्कार परीक्षा के माध्यम से अभ्यर्थी की मानसिक सतर्कता, आत्मीकरण की विवेचनात्मक क्षमता, योग्यता, स्पष्ट एवं तर्कपूर्ण अभिव्यक्ति निर्णय लेने की क्षमता रुचि की विविधता और गहनता सामाजिक लगाव और नेतृत्व क्षमता तथा बौद्धिक एवं नैतिक ईमानदारी का आकलन किया जाता है ।

अभ्यर्थियों का चयन:

अभ्यर्थियों द्वारा लिखित परीक्षा अर्थात निबंध, सामान्य अध्ययन और दो वैकल्पिक प्रश्नपत्रों जिनका कुल अंक 2000 होता है तथा साक्षात्कार परीक्षा (300 अंक) में अर्जित अंकों के आधार पर उनका अंतिम परिणाम (रैंक निर्धारण) आधारित होता है । मुख्य परीक्षा में अभ्यर्थियों द्वारा विभिन्न सेवाओं के लिए व्यक्त वरीयता को भी ध्यान में रखा जाता है ।

कोठारी समिति ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के अतिरिक्त तीसरे स्तर पर अर्थात प्रशिक्षण के बाद के परीक्षण की भी अनुशंसा की थी । समिति ने सुझाव दिया था कि मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण के बाद एक परीक्षा ली जानी चाहिए ।

अभ्यर्थियों को विभिन्न सेवाओं में नियुक्ति मुख्य परीक्षा और प्रशिक्षण के बाद की परीक्षा दोनों में अर्जित अंक के आधार पर की जानी चाहिए । सरकार ने इस अनुशंसा को इस आधार पर नहीं माना था कि इससे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी को पुनर्गठित करना पड़ेगा ।

संघ लोक सेवा आयोग सफल अभ्यर्थियों की सूची योग्यताक्रम में तैयार कर उसे कार्मिक मंत्रालय को प्रस्तुत करता है । विदेश मंत्रालय को इन सफल अभ्यर्थियों में भारतीय विदेश सेवा के कोटे के अनुसार पद चुनने का अवसर मिलता है । इसके बाद कार्मिक मंत्रालय भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए अभ्यर्थियों का चयन करता है । इसके बाद भारतीय पुलिस सेवा के लिए अभ्यर्थी गृह मंत्रालय द्वारा चुने जाते हैं तथा शेष बचे सफल अभ्यर्थियों को मंत्रालयों/विभागों में ग्रुप-ए या ग्रुप-बी के पद दिए जाते हैं ।

यहाँ उल्लेखनीय है कि उपर्युक्त संयुक्त परीक्षा में भारतीय वन सेवा शामिल नहीं है जो अखिल भारतीय स्तर का सेवा संवर्ग है । इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग अलग से परीक्षा लेता है जिसमें लिखित परीक्षा और साक्षात्कार परीक्षा होती है। इस सीधी भर्ती के अतिरिक्त पदोन्नति द्वारा भर्ती की प्रक्रिया भी अपनाई जाती है ।

अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 1951 में यह उल्लेख है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा में कुल पदों की संख्या के अधिकतम 33 या 1/3 प्रतिशत के बराबर वरिष्ठ कार्यभार पदों को राज्य सेवाओं में तैनात अधिकारियों को पदोन्नति देकर भरा जाना चाहिए । ऐसी पदोन्नतियाँ प्रत्येक राज्य में इस प्रयोजन से गठित ‘चयन समिति’ की अनुशंसा पर ही की जाती हैं । इन समितियों की अध्यक्षता संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या कोई अन्य सदस्य करता है ।

इस प्रकार, अखिल भारतीय स्तर की सर्वोच्च सेवा- भारतीय प्रशासनिक सेवा में अधिकारियों की भर्ती निम्नलिखित तीन पद्धतियों से होती है:

(i) संयुक्त, खुली, प्रतियोगी लोक सेवा परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा ।

(ii) राज्य लोक सेवाओं के अधिकारियों को पदोन्नति देकर अप्रत्यक्ष भर्ती द्वारा ।

(iii) राज्य सरकारों के अंतर्गत राजपत्रित पदधारी अधिकारियों को, जो राज्य प्रशासनिक सेवाओं के सदस्य नहीं है विशेष रुप से चयन कर के ।