Read this article in Hindi to learn about:- 1. केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण के अर्थ (Meaning of Centralisation and Decentralisation) 2. केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण के अवधारणा (Concept of Centralisation and Decentralisation) 3. तत्व (Elements).

केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण के अर्थ (Meaning of Centralisation and Decentralisation):

सत्ता या अधिकारों का उच्च स्तरों पर केन्द्रित हो जाना केंद्रीयकरण जबकि उनका निम्नस्तरों तक वितरित जाना विकेंद्रीकरण कहलाता है । संगठन का यह सिद्धांत ”निर्णय करने की शक्ति” को निश्चित करने से संबंधित है । निर्णय करने के लिये सत्ता आवश्यक है । अतः ”निर्णय की सत्ता” के कितने केन्द्र रखे जाएं, यह मुद्दा ही केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण को निर्धारित करता है । जब इनकी संख्या बढ़ाई जाती है तो विकेंद्रीकरण होता है अर्थात निम्न स्तर के कार्मिकों तक निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है । परंतु इससे प्रशासन में नियंत्रण कमजोर हो जाता है तथा प्रशासन एकरूपता भंग होने की संभावना रहती है । इसके विपरीत जब निर्णय-शक्ति का उच्च केंद्रों पर ही केन्द्रीयकरण कर दिया जाता है तो यह व्यवस्था प्रभावशाली नियंत्रण में तथा आपातकालीन परिस्थितियों के लिये सर्वश्रेष्ठ होती है । प्रशासन ऊपर से नीचे तक एक जैसा दिखाई देता है ।

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लेकिन इससे ऊपर बोझ बढ़ जाता है, निर्णय त्रुटिपूर्ण और विलम्बित हो सकते हैं । इस समस्या ने केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण को प्रभावित किया है । चूंकि जनता अधिकाधिक स्वशासन की मांग कर रही है, इसलिए विकेंद्रीकरण एक आवश्यकता हो गयी । उधर स्वचालन की तकनीकों के विकास ने और साधनों के समुचित दोहन की भावना ने केंद्रीकरण के लिए अनुकूल परिस्थितियां बना रखी हैं । अतः समस्या इन दोनों के मध्य उचित संतुलन के निर्धारण की है । कोई भी संगठन न तो पूर्णतः केन्द्रीत होता है और नहीं पूर्णतः विकेन्द्रीत । वह कम या अधिक केन्द्रीत या विकेन्द्रीत होता है ।

परिभाषाएं:

हेनरी फेयोल- ‘विकेन्द्रीकरण अधीनस्थों के महत्व को बढ़ाने वाली क्रिया है, जबकि केन्द्रीकरण घटाने वाली ।’

एल.डी. व्हाइट – ”सत्ता का निम्न तल से उच्च तल की ओर हस्तांतरण केंद्रीयकरण है, तथा इसके विपरीत प्रक्रिया विकेंद्रीकरण ।”

केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण के अवधारणा (Concept of Centralisation and Decentralisation):

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यह राजनैतिक सत्ता और प्रशासनिक सस्ता दोनों में उद्‌भुत होने वाली समस्या है कि निर्णय निर्माण के कितने केंद्र रखे जायें । केन्द्रीत व्यवस्था हो या विकेन्द्रीत, कार्य करने वाले अभिकरण तो उतनी ही संख्या में रह सकते हैं । उन्हें स्वयं पहल करने, निर्णय लेने की कितनी सत्ता या स्वतंत्रता है, यह केन्द्रीकरण या विकेन्द्रीकरण को तय करेगा ।

वह संगठन केन्द्रीत होगा यदि:

1. अधीनस्थ अभिकरण मात्र ऊपर के आदेशों का पालन या क्रियान्वयन भर करे ।

2. उन्हें अपने निर्णय या कार्य के लिये ऊपर से पूर्व स्वीकृति या अनुमति लेनी पड़े ।

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3. उन्हें समस्या पर स्वयं निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं हो ।

4. उन्हें पहल करने की और निर्णय लेने की सत्ता और स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो ।

वह संगठन विकेन्द्रीत होगा यदि:

1. अधीनस्थ अभिकरण या अधिकारी अपने कार्यों को स्वयं निर्णित करे ।

2. उन्हें पहल करने, निर्णय लेने की सत्ता और स्वतंत्रता प्राप्त हो ।

3. उन्हें अपने कार्यों, निर्णयों के लिए ऊपर से अनुमति नहीं लेनी पड़े ।

4. पुनविकेन्द्रीकरण – इससे आशय है कि संगठन पहले केन्द्रित था, जिसका विकेन्द्रीकरण हुआ और बाद में पुनः केंद्रीकरण किया गया । दूसरे शब्दों में निर्णय की शक्ति अधीनस्थों को सौंपी गयी थी, जो पुनः लेकर ऊपरी स्तरों को दे दी गयी ।

केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण के तत्व (Elements of Centralisation and Decentralisation):

विकेंद्रीकरण-केंद्रीकरण को प्रभावित करने वाले तत्व जेम्स फेजलर ने विकेंद्रीकरण व केंद्रीकरण को प्रभावित करने वाले चार तत्व बतायें हैं:

1. कार्यात्मक तत्व (समान कार्य, तकनीकी कार्य, कार्यों में एकरूपता की आवश्यकता):

यदि कार्य एक जैसा हो तो केंद्रीकरण और कार्य तकनीक आधारित या विभिन्न प्रकार के हों तो विकेंद्रीकरण किया जाना चाहिए । कार्यों में एकरूपता की आवश्यकता केन्द्रीयकरण को जन्म देती हैं ।

2. प्रशासनिक तत्व (संगठन की आयु, नीतियों/कार्य तरीकों में स्थिरता):

यदि संगठन पुराना है तो विकेंद्रीकरण और नया है तो केंद्रीकरण उपयुक्त होता है । प्रशासनिक नीतियों और कार्य तरीकों में स्थिरता, क्षेत्रीय एजेन्सीयों की प्रशासनिक क्षमता, शीघ्र कार्य के लिए दवाब तथा प्रशासनिक सुधार आदि भी इस मुद्दे को प्रभावित करते हैं और विकेन्द्रीकरण का समर्थन करते हैं । केन्द्रीकरण मितव्ययिता के लिए और विकेन्द्रीकरण शीघ्र कार्य के लिए उपयुक्त माना जाता है ।

3. बाह्य तत्व:

यदि संगठन में बाहरी दबाव गुटों या जनता को शामिल करना है तो विकेंद्रीकरण करना पड़ता है । नीचे से आयोजन की धारणा विकेन्द्रीकरण के पक्ष में है ।

4. उत्तरदायित्व का तत्व:

उच्च प्रशासक अपने उत्तरदायित्व के कारण अपने कार्यों को अधीनस्थों को नहीं सौंपना चाहते है । इससे केंद्रीकरण का पक्ष मजबूत होता है ।

नोट:

उत्तरदायित्व तत्व और बाह्य तत्व दोनों क्रमशः केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण को जन्म देते हैं जबकि कार्यात्मक तत्व और प्रशासनिक तत्व की प्रकृति के आधार पर केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण दोनों हो सकता है ।