Read this article in Hindi to learn about the relations between India and Sri Lanka.

श्रीलंका भारत के दक्षिण में स्थित एक द्वीप है, जिसकी आबादी 20 मिलियन है । पाक की खाड़ी दोनों देशों को अलग करती है । भारत और श्रीलंका के सम्बन्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक रहे हैं । रामायण में जिस लंका का उल्लेख आता है वह यही श्रीलंका है । अशोक के शासनकाल में यहाँ बौद्ध धर्म का प्रचार किया गया तथा यहाँ की बहुसंख्यक जनसंख्या बौद्ध धर्म की अनुयायी है ।

जिनका प्रतिशत 74 है । दूसरे नम्बर पर भारत से श्रीलंका में गये तमिलों का है जो लगभग कुल जनसंख्या में 20 प्रतिशत है । श्रीलंका भी ब्रिटिश उपनिवेशवाद का अंग था तथा 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई ।

भारत और श्रीलंका के सम्बन्ध में निम्न मुद्दे महत्त्वपूर्ण हैं:

1. तमिलों की नागरिकता का प्रश्न (Question Related to Citizenship of Tamils):

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ब्रिटिशकाल में चाय बागानों में काम करने के लिए बड़ी संख्या में भारतीय तमिलों को श्रीलंका ले जाया गया था । लेकिन स्वतंत्रता के बाद श्रीलंका की सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से मना कर दिया । ऐसे तमिलों की संख्या 9 लाख 50 हजार थी । इस सम्बन्ध में भारत और श्रीलंका के बीच 1954, 1964 तथा 1974 में तीन समझौते हुये जिसके द्वारा 3 लाख 75 हजार तमिलों को श्रीलंका की नागरिकता प्रदान की गयी तथा शेष तमिलों को भारत ने वापस बुलाकर भारतीय नागरिकता प्रदान की ।

2. तमिल समस्या (Problem of Tamil):

भारत और श्रीलंका के बीच विवाद और तनाव का एक मुख्य कारण तमिलों के अधिकारों की समस्या है । श्रीलंका में निवास कर रहे भारतीय मूल के तमिल ब्रिटिशकाल में तथा आजादी के तुरंत बाद शासन तथा राजनीति में प्रभावशाली स्थिति में थे । लेकिन आजादी के बाद श्रीलंका की सिंहला सरकारों ने शासन और राजनीति से तमिलों के प्रभाव को कम करना शुरू कर दिया ।

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सिंहली भाषा को सरकारी नौकरी पाने के लिए अनिवार्य कर दिया गया । इसका परिणाम यह हुआ कि 1983 में तमिलों ने श्रीलंका की सरकार के विरुद्ध हिंसक विद्रोह कर दिया । लिट्‌टे के नेतृत्व में तमिलों का यह विद्रोह श्रीलंका के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया ।

1987 में भारत ने श्रीलंका के साथ एक समझौता किया तथा लिट्‌टे से हथियार डलवाने का प्रयास किया लेकिन भारत को सफलता नहीं मिली । 2009 में यद्यपि लिट्‌टे का अंत हो गया है, लेकिन श्रीलंका के तमिलों की स्वायत्ता की समस्या अब भी विद्यमान है । भारत तमिलों को स्वायत्ता प्रदान करने का पक्षधर है, लेकिन श्रीलंका सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कदम नहीं हिंसक हैं ।

2009 में श्रीलंका की सेना द्वारा लिट्‌टे के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही के दौरान तथा लिट्‌टे के अंत के तुरन्त बाद तमिलों के वाधिकारों का सेना द्वारा गंभीर उल्लंघन किया गया है तथा भारत ने इस सम्बन्ध में संयुक्त राष्ट्र संघ में 2011 व 2012 में विरोध दर्ज कराया है । भारत के तमिलनाडु राज्य में विरोध के चलते नवम्बर 2013 दें कोलम्बो में कामनवेल्थ का जो सम्मेलन हुआ है उसमें भारत के प्रधानमंत्री ने भाग नहीं लिया ।

3. अन्य मुद्दे (Other Issues):

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भारत और श्रीलंका के बीच अन्य मुद्दों में एक प्रमुख मुद्दा कच्छाद्वीव द्वीप की सम्प्रभुता को लेकर था । लेकिन भारत ने इस द्वीप में श्रीलंका की सम्प्रभुता स्वीकार कर ली है । इसमें शर्त यह है कि भारतीय मछुवारों को भी इस द्वीप में जाने की आजादी होगी । लेकिन श्रीलंका सरकार भारतीय मछुवारों के विरुद्ध समय-समय पर पुलिस कार्यवाही करती रहती है । भारतीय मछुवारों की सुरक्षा श्रीलंका व भारत के मध्य एक प्रमुख समस्या है ।

दोनों देशों के सम्बन्धों की वर्तमान स्थिति यह है कि जहाँ भारत एक ओर श्रीलंका से तमिलों के विरुद्ध मानवाधिकार को रोकने के लिए दबाव बना रहा है, वहीं वह तमिलों को स्वायत्ता देने की माँग कर रहा है । दूसरी तरफ दोनों देशों के व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध भी तेजी से बड़े हैं ।

1998 में दोनों देशों ने एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये थे । जिससे दोनों देशों के व्यापारिक सम्बन्धों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है । दोनों के सांस्कृतिक सम्बन्ध भी आगे बढ़ रहे हैं ।

श्रीलंका के वर्तमान राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे ने जून 2013 में भारत की यात्रा की थी तथा तमिलों की समस्या के समाधान सहित सांस्कृतिक आदान-प्रदान आदि के पाँच समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये थे । उल्लेखनीय है कि तमिलों की समस्या भारत के लिए एक संवेदनशील समस्या है तथा इसके समाधान के आधार पर ही दोनों ‘देशों के सम्बन्धों को मजबूत दिशा मिल सकेगी ।

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