Read this article in Hindi in learn about the various aspects of Indo-Nepal relationship.

भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व घनिष्ठ सामाजिक सम्बन्ध रहे हैं । नेपाल भारत के उत्तर में स्थित चारों तरफ से भूमि से घिरा हुआ देश है । अतः वह अपने व्यापार के लिए भारतीय बन्दरगाहों पर निर्भर है । भारत और नेपाल के बीच वर्तमान सम्बन्धों की नींव 1950 में हस्ताक्षरित शांति व मित्रता की संधि के द्वारा रखी गयी । जिसके द्वारा दोनों ने एक-दूसरे को विशेष दर्जा प्रदान किया है ।

इस संधि की शर्तों के अनुसार बिना वीजा के दोनों देशों के नागरिक एक-दूसरे के यहाँ जा सकते हैं तथा रोजगार व व्यवसाय कर सकते हैं । साथ ही इस संधि में यह भी व्यवस्था है कि दोनों देश एक-दूसरे के विरुद्ध किसी बाह्य देश द्वारा सुरक्षा के खतरे को बर्दाश्त नहीं करेंगे तथा ऐसी स्थिति में एक-दूसरे से विचार-विमर्श करेंगे ।

यद्यपि नेपाल के कुछ संगठन व दल इस दूसरी शर्त को नेपाल की सम्प्रभुता के विरुद्ध मानते हैं तथा संधि में संशोधन की माँग कर रहे हैं, लेकिन भारत और नेपाल की पारस्परिक निर्भरता से नेपाल को जो लाभ हो रहा है उस कारण अभी इसका सरकारी स्तर पर विरोध नहीं किया गया है ।

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1978 में दोनों देशों ने व्यापार और पारगमन संधि पर हस्ताक्षर किये थे । यह संधि 1989 में समाप्त हो गयी थी तथा इसके बाद 1991 में व्यापार और पारगमन दोनों के लिए अलग-अलग संधियाँ की गयी थीं । पारगमन का तात्पर्य भारत की भूमि से नेपाल के आयात और निर्यात की सुविधा से है । समय-समय पर इन दोनों संधियों की अवधि बढ़ायी जाती रही है ।

भारत और नेपाल के सम्बन्धों के प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:

1. राजनीतिक सम्बन्ध (Political Affiliation):

भारत और नेपाल के राजनीतिक सम्बन्धों के दो पहलू हैं । प्रथम नेपाल द्वारा समय-समय पर भारतीय प्रभाव को कम करने के लिए चीन के साथ नजदीकियाँ बढ़ाने का प्रयास । भारत नेपाल सम्बन्ध में चीन की बढ़ती हुई भूमिका का विरोध करता रहा है । जब से नेपाल में माओवादियों का प्रभाव बढ़ा है तो नेपाल में चीन के प्रभाव की संभावना बढ़ गयी है ।

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उदाहरण के लिए 2008 में जब नेपाल के माओवादी पार्टी के नेता पुष्प कमल दहल प्रधानमंत्री बने तो अपनी पहली विदेश यात्रा में चीन गये थे । जबकि इसके पहले नेपाल के नये प्रधानमंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा में भारत ही आते थे । राजनीतिक सम्बन्धों का दूसरा पहलू यह है कि नेपाल में 1990 से लोकतंत्र की स्थापना का आन्दोलन चल रहा है ।

भारत नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना का समर्थक है । भारत की मध्यस्थता से 2005 में नई दिल्ली में नेपाल के साथ राजनीतिक दलों का एक समझौता हुआ था जिसके द्वारा राजशाही को समाप्त करने के लिए एक आम सहमति बनी थी ।

इन पार्टियों के आन्दोलन को सफलता मिली तथा 2006 में राजा ने सत्ता राजनीतिक दलों को सौंप दी । 2008 में नई संविधान सभा के लिए चुनाव हुये तथा नेपाल में राजतंत्र को समाप्त कर दिया गया । विभिन्न कारणों से पहली संविधान सभा नेपाल का संविधान नहीं बना पायी । अत: दूसरी संविधान सभा के चुनाव 2013 में सम्पन्न हुये । चूंकि नेपाल इस समय लोकतांत्रिक संक्रमण से गुजर रहा है । अत: भारत-नेपाल सम्बन्धों में कोई अधिक प्रगति की गुंजाइश नहीं है ।

2. आर्थिक सम्बन्ध (Economic Relationship):

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भारत वर्तमान में नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार व विदेशी निवेशक देश है । नेपाल का 7 प्रतिशत व्यापार भारत के साथ होता है । वर्तमान में भारत ने नेपाल में 462 परियोजनाओं में 1586 करोड़ की पूँजी निवेश कर रखी है । भारत और नेपाल के बीच विकास साझीदारी भी महत्त्वपूर्ण है । भारत नेपाल में ढाँचागत सुविधाओं के विकास तकनीकि प्रशिक्षण आदि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।

ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों के मध्य सहयोग उल्लेखनीय है । नेपाल में सरकारी अनुमान के अनुसार 43 हजार मेगावाट जल विद्युत् की उत्पादन क्षमता विद्यमान है । वर्तमान में दोनों के मध्य देवी घाट त्रिशूल, करनाली तथा पंचेश्वर जल विद्युत् परियोजनाएं चल रही हैं ।

3. सम्बन्धों के अन्य पहलू (Other Aspects of the Relation):

सम्बन्धों के अन्य पहलुओं में सीमा का प्रभावी प्रबन्धन प्रमुख है, क्योंकि दोनों देशों के बीच खुली सीमा है तथा जिसका लाभ लेकर हथियारों नशीली दवाओं जाली करेंसी आदि की तस्करी बढ़ रही है । पाकिस्तान के आतंकवादी भी नेपाल छ रास्ते भारत में घुसने का प्रयास करते हैं ।

अत: भारत और नेपाल सीमा के प्रभावी प्रबन्धन में सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हुये हैं । दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान तथा पर्यटन के क्षेत्र में भी घनिष्ठ सम्बन्ध हैं । भारतीय मूल की एक बड़ी जनसंख्या नेपाल में निवास करती है । नेपाल के तराई में स्थित इस समुदाय को मधेसी के नाम से जाना जाता है ।

सम्बन्धों की वर्तमान स्थिति यह है कि नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का दौर विद्यमान है । भारत वहाँ पर स्थायित्व व लोकतंत्र की स्थापना हेतु प्रसार है । नेपाल में सक्रिय कतिपय राजनीतिक दल विशेषकर माओवादी विरोधी रूख अपना रहे हैं, लेकिन भारत ने अपनी दक्षिण एशिया नीति के तहत नेपाल के साथ विकास साझीदारी में कोई कटौती नहीं है ।

भारत की कई लघु और मध्यम विकास परियोजनाएं इस समय नेपाल में चल रही हैं । उम्मीद है कि नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के बाद दोनों देशों के सम्बन्धों को नई दिशा प्राप्त होगी ।

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