अंटार्कटिक ओजोन डिलीशन पर अनुच्छेद | Paragraph on Antarctic Ozone Depletion in Hindi language!

ओजोन परत को सबसे अधिक क्षति अंटार्कटिक महाद्वीप के वायुमंडल में देखने को मिल रही है । इस तथ्य की जानकारी वर्ष 1970 के सितंबर-अनुचर के महीनों में हुई थी । वर्ष 1996 के अगस्त तथा सितंबर के महीनों में ओजोन का द॰ ध्रुव (अंटार्कटिक महाद्वीप) से सबसे बड़ा ओजोन छिद्र रिकार्ड किया गया था ।

वास्तव में 1996 में ओजोन छिद्र का आकार लगभग अंटार्कटिक महाद्वीप के क्षेत्रफल के बराबर था । शीत ऋतु में अंटार्कटिक महाद्वीप का तापमान शून्य से बहुत नीचे, -84°C से भी नीचे रिकार्ड किया जाता है ।

इतना नीचा तापमान होने पर वायुमंडल में पाई जाने आर्द्रता (जल वाष्प) हिम-कण तथा नाइट्रिक एसिड कणों का रूप धारण कर लेती है । अगस्त, सितंबर के महीनों में जब सूर्य की किरणें अंटार्कटिक महाद्वीप पर पड़ती हैं तो हिम और नाइट्रिक एसिड़ के कण श्वेत रंग के बारीक बादलों का रूप धारण कर लेते हैं ।

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सफेद रंग के यह बारीक बादल स्ट्रेटोस्फियर बादल कहलाते हैं । यह बादल वायुमंडल की ओजोन परत में प्रवेश कर जाते हैं । नाइट्रिक एसिड से विकसित स्ट्रेटोस्फियर बादल ओजोन परत का तीव्र गति से ह्रास करते हैं ।

ग्रीष्म ऋतु में दक्षिणी ध्रुव पर छ: महीने के लिए दिन हो जाता है, तापमान में अपेक्षाकृत वृद्धि हो जाती है, जिससे सामान्य परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है । चारों ओर के सागरों से अपेक्षाकृत गर्म हवा अंटार्कटिक महाद्वीप के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है ।

जिससे ओजोन का स्तर सामान्य हो जाता है । गर्मी के मौसम में धूप होने पर पोलर स्ट्रेटोस्फियर बादल भी लुप्त हो जाते हैं । ओजोन परत के ह्रास होने के गंभीर परिणाम देखने में आ रहे हैं ।

कुछ महत्वपूर्ण दुष्परिणाम निम्न प्रकार हैं:

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1. बहुत-से पशु-पक्षियों में अल्ट्रा-वायलट किरणों को सहन करने की क्षमता बहुत कम होती है । इन किरणों से डी॰ एन॰ ए॰ प्रभावित होता है । सोयोबीन तथा दलहन की फसलों को सबसे अधिक हानि पहुँचती है ।

2. मानव तथा पशु-पक्षियों में त्वचा कैंसर (Melanoma) के फैलने की आशंका बढ़ी रहती है ।