वनों पर अनुच्छेद | Paragraph on Forests in Hindi language!

प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उस वनस्पति से है जो मानव व उसकी गतिविधियों से अप्रभावित रहती है । यह भारत के वृहत मैदानों तथा पश्चिमी यूरोप जैसे क्षेत्रों में जलवायुविक व मृदा संबंधी दशाओं में पूरी तरह अपना संतुलन बनाये रखती है, जिन पर मानव का वास हजारों वर्ष से है । प्राकृतिक वनस्पति का उत्तम उदाहरण वास्तव में सवाना है ।

प्राकृतिक वनस्पति मानवता को अनेकों प्रकार के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ प्रदान करते हैं ।

वनों से मानव को होने वाले विभिन्न लाभ निम्नलिखित हैं:

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(i) वन हमें इमारती लकड़ी, बांस, डंडे, पत्ते, घास, तेल, रेसिन, गोंद, सब्जियाँ, शैल्क, कत्था, चमडे का सामान, रंग, शहद, मधुमक्खी का शहद, हाथी दाँत, खालें, सींग, फर, फल, नट्स, जडें तथा टयूबर प्रदान करते हैं ।

(ii) वन घरेलू/पालतू जानवरों तथा पादपों, जीवों व सूक्ष्म जीवों की अनेकों प्रजातियों को वास प्रदान करते हैं ।

(iii) वन पर आधारित उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं ।

(iv) वन औषधि निर्माण हेतु जड़ी-बूटियाँ प्रदान करते हैं ।

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(v) वन प्रत्यक्षतः और अप्रत्यक्षतः जलवायु तापमान, नमी, भूजल तालिकाओं, सूक्ष्म जलवायु को प्रभावित करते हैं । यह कहा जाता है जितना अधिक क्षेत्र जंगल के अन्तर्गत होगा उतनी ही अधिक मात्रा में नमी होगी । जितना ही नमी वाला क्षेत्र होगा उतना ही अधिक क्षेत्र जंगल से युक्त होगा ।

(vi) वन बाढों को व मृदा अपरदन को रोकते हैं ।

(vii) वन आवरण बायोटा, मृदा अपरदन, भूमि का ह्रास, वायु की गुणवत्ता व प्रदूषण तथा जल को प्रभावित करता है ।

(viii) वन वायु व जल को शुद्ध करने में सहायक होते हैं तथा मृदा प्रदूषण को कम करते हैं ।

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(ix) वन प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं ।

(x) वन पारिस्थितिकी की लोचशीलता को बनाए रखते हैं तथा पर्यावरण व पारिस्थितिकी सततता को परिरक्षित करते हैं ।

खाद्य व कृषि संगठन के अनुसार भारत वन क्षेत्र के संदर्भ में शीर्ष दस राष्ट्रों की श्रेणी में आता है । भारत के अंतर्गत विश्व का 1.6 प्रतिशत वन क्षेत्र आवरित है तथा प्रति व्यक्ति 0.06 हैक्टेयर वन भूमि है ।

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