परमाणु ऊर्जा पर अनुच्छेद | Paragraph on Nuclear Energy in Hindi language!

परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में परमाणु प्रतिक्रिया के द्वारा भाप उत्पन्न की जाती है जिससे जेनीरेटर घूमता है और बिजली उत्पन्न करता है । कोयले, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के भंडारों की समाप्ति की देखते हुए परमाणु ऊर्जा आर्थिक विकास के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण हो गई है ।

विश्व का सबसे पहला परमाणु ऊर्जा प्लांट ब्रिटेन के काल्डर हाल स्थान पर 1956 में लगाया गया था । इस समय विश्व में 400 से अधिक परमाणु ऊर्जा केंद्र हैं । इनमें से अधिकतर संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, रुस, जापान, स्वीडन, बेलज्यिम, स्विट्‌जरलैंड, इटली, आस्ट्रेलिया तथा भारत में हैं ।

परमाणु ऊर्जा अन्य प्रकार की बिजलियों से सस्ती पड़ती है । आने वाले समय में परमाणु ऊर्जा की भूमिका महत्वपूर्ण है, परंतु यह ऊर्जा की पूरी माँग की आपूर्ति नहीं कर सकती । इसका एक मुख्य कारण यह है कि यदि परमाणु ऊर्जा यंत्र अपनी पूरे उत्पादन शक्ति पर न चले तो परमाणु ऊर्जा महँगी पड़ती है ।

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एक अनुमान के अनुसार परमाणु ऊर्जा कभी भी विश्व की ऊर्जा माँग का 60 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति नहीं कर सकती । भारत में चूंकि कोयले, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, इसलिए परमाणु ऊर्जा पर विशेष बल दिया जा रहा है। इस समय भारत में 27 परमाणु ऊर्जा कारखानें हैं ।

भारत में परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्राम्बे की स्थापना 1954 में हुई थी । वर्ष 1969 में भारत का पहला परमाणु ऊर्जा केंद्र मुंबई के निकट तारापुर में लगाया गया था । तत्पश्चात् 1972 में रावतभाटा परमाणु प्लांट स्थापित किया जिसकी क्षमता 200 MW थी ।

वर्ष 1989 में नरौरा (यू. पी.), केगा (कर्नाटक) तथा काकरापारा (गुजरात) में 1993 में परमाणु ऊर्जा कारखाने स्थापित किये गये । जैतापुर (महाराष्ट्र) 2010 में, कुंडाकुलम (तमिलनाडु) में 2013 में परमाणु ऊर्जा कारखाने का उद्‌घाटन किया गया था ।

इनके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले के बागडी-चुटका, पश्चिमी बंगाल में हरिपुर, सीमांधरा में कावाडा, हरियाणा में कुम्हारिया तथा गुजरात के भावनगर औद्योगिक केंद्र के निकट मीठी-वर्दी में परमाणु ऊर्जा केंद्रों पर निर्माण कार्य जारी है ।

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पर्यावरण के विशेषज्ञों के अनुसार परमाणु ऊर्जा उत्पादन से प्रदूषण की भारी समस्या उत्पन्न हो रही है । नैतिकता के आधार पर भी परमाणु ऊर्जा केंद्रों के विरुद्ध आंदोलन होते रहते हैं । जापान के 30 प्रतिशत तथा यूरोप के 25 प्रतिशत नगरीय परमाणु ऊर्जा केंद्रों को मानव एवं पारिस्थितिकी के लिये खतरनाक माना जाता है । जापान के वर्ष 2011 के फूकिशीमा तथा सोवियत संघ के 1986 के चर्नोबिल हादसों परमाणु ने ऊर्जा उत्पादन पर बहुत-से प्रश्न खडे कर दिये हैं ।