वाटरशेड प्रबंधन पर अनुच्छेद | Paragraph on Watershed Management in Hindi language!

जलविभाजक एक ऐसी प्राकृतिक इकाई है, जिसका जल अपवाह एक छोटी नाले या नदी के द्वारा होता है । वाटरशेड एक प्रथम क्रम के बेसिन को कहते हैं । वाटरशेड कुछ हेक्टेयर से लेकर, कई हजार हेक्टेयर तक हो सकता है । वास्तव में जलविभाजक एक भौतिक, जैविक, आर्थिक तथा सामाजिक तंत्र होता है । बेसिन तथा जलग्रहण क्षेत्र की तुलना में जलविभाजक का क्षेत्रफल काफी छोटा होता है ।

भारत सरकार ने जलविभाजक प्रबंधन प्रोग्राम सातवीं पंचवर्षीय योजना में आरंभ किया था । इसका मुख्य उद्देश्य उपलब्ध जल का सदुपयोग करके कृषि उत्पादन बढ़ाना है । आरंभ में 4000 जलविभाजक विभिन्न कृषि जलवायु प्रदेशों का चयन किया गया था ।

जलविभाजक प्रबंधन की मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं:

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1. जल एवं मृदा संरक्षण,

2. वैज्ञानिक ढंग की शुष्क कृषि,

3. पशु-पालन एवं डेरी फार्मिग,

4. सामाजिक एवं कृषि वानिकी विकास ।

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उद्देश्य (Objectives of Water Land Management):

जल विभाजक प्रबंधन के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:

1. भूमि, विशेष रूप से कृषि भूमि को संरक्षण प्रदान करना एवं उसका विकास करना ।

2. उपलब्ध जल का संरक्षण एवं सदुपयोग करना ।

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3. उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग एवं संरक्षण करना ।

उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निम्न उपाय बहुत उपयोगी सिद्ध हुए है:

(i) जल-संचय (Water-Harvesting),

(ii) फसलें उगाने की विशेष टेकनोलोजी,

(iii) मिश्रित फसलें उगाना,

(iv) वृक्षारोपण करना,

(v) भूमिगत जल तथा नदियों एवं जलाशयों के जल का सदुपयोग करना,

(vi) दुग्ध उद्योग और पशुपालन को बढ़ावा देना

(vii) भेड़-बकरियों के पालन पर बल देना,

(viii) रेशम के कीड़ों को पालना,

(ix) फल तथा सब्जियों को सुरक्षण प्रदान करना तथा उनसे अचार, मुरबबे, जैम एवं शर्बत तैयार करना,

(x) किसानों को नई टेकनोलोजी की जानकारी एवं प्रशिक्षण देना तथा युवा पीढ़ी में शुष्क कृषि के प्रति जागरुकता फैलाना ।