Read this article in Hindi to learn about the urban and rural housing schemes in India.

शहरी आवास प्रणाली (Urban Housing Schemes):

सरकार आजादी से निम्न शहरी हाऊसिंग स्कीमों को प्रस्तुत किया है:

i. सरकारी कर्मचारियों के लिए आवासीय घर (Residential Houses for Government Employees):

भारत में, केन्द्रीय और विभिन्न राज्य सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए घरों की बड़ी संख्या को निर्मित किया है ।

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ii. शरणार्थियों के लिए घर (Houses for Refugees):

भारतीय सरकार ने पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए कई बस्तियों, कस्बों और घरों को विकसित किया है ।

iii. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आवास स्कीम (Housing Schemes Economically Weaker Section):

1952 में, सब्सिडी वाली औद्योगिक आवासीय स्कीमों को औद्योगिक कर्मचारियों के लिए शुरू किया । मजदूरों के लिए आवासीय स्कीम को 1953 में पेश किया गया । 1956 में, Plantation Labour Housing Scheme को पेश किया गया जिसके अधीन ऋणों को प्लांटरों (Planters) के लिए निर्माण की लागत के 80% तक दिया गया ।

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iv. शहरी गंदी बस्तियों में सुधार (Improvement in Urban Slums):

1991 में लगभग 5.12 लाख लोग शहरी गंदी बस्तियों वाले क्षेत्रों में रहते थे । सरकार द्वारा द्वितीय योजना के दौरान उनके हालातों में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए । बड़े शहरों में गन्दी बस्तियों की सफाई को शुरू करने के लिए एक योजना बनाई गई, परन्तु इस योजना ने बस्तियों की सफाई के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की उच्च लागत और इनकी गैर-मौजूदगी के कारण वांछनीय नतीजे प्राप्त नहीं हुए ।

नयी गंदी बस्तियों के विकास को भी रोका गया । भविष्य में शहरी क्षेत्रों के लिए ग्रामीण लोगों का अंतर्बहाव को इस समस्या के समाधान के लिए रोका जाना चाहिए ।

v. आवास के लिए बनाए वित्त (Institutional Finance for Housing):

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1970 तक, जीवन बीमा निगम घर बनाने के लिए ऋण प्रदान करने का केवल सार्वजनिक वित्तीय संस्थान है । 1970 में, आवास और शहरी विकास निगम को केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित किया गया था । HUDCO आवास और शहरी विकास प्रस्तावों के लिए स्टेट हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण, नगर निगम के लिए वित्तीय सहायता की मंजूरी देता है ।

1981 से, भारतीय रिजर्व बैंक ने आवास वित्त के उद्देश्य के लिए विशेष फंडों की रकम को वाणिज्यिक बैंकों को सलाना रूप से आबंटित किया । Housing Development Finance Corporation को 1977 में निजी क्षेत्र की आवास वित्त कम्पनी के रूप में स्थापित किया गया था ।

यह व्यक्तियों, आवास कम्पनियों और नये आवासीय घंटों के निर्माण के लिए कम्पनियों को दीर्घ काल के ऋण प्रदान करता है । 1990 मार्च तक, HDFC ने रु. 2089.4 करोड़ के ऋण पास किए । मार्च 1991 तक 60,000 आवासीय कम्पनियां, 40 लाख सदस्यों के साथ थी ।

एक राष्ट्रीय स्तर के संगठन ‘National Co-Operations Housing Federation’ को कोओप्रेटिव हाउसिंग निगमों को विकसित करने के लिए स्थापित किया गया था । राष्ट्रीय आवास बैंकों को जुलाई 1988 में घर के वित्त के लिए एक एपेक्स संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था ।

शहरी ढांचा, घर और स्वच्छता (Urban Infrastructure, Housing and Sanitation):

केन्द्रीय सरकार देश में शहरी ढांचे, घर और स्वच्छता को प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय वित्त संस्थानों द्वारा विभिन्न केन्द्रीय रूप से प्रायोजित स्कीमों के ढंग से राज्य सरकारों को सहायता देती है । इस क्षेत्र में शुरू की गई योजनाएँ जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन, राजीव आवास योजना, एकीकृत निम्न लागत की स्वच्छता योजना है ।

ग्रामीण आवासीय योजना (Rural Housing Schemes):

ग्रामीण शहरी एकीकरण और यहाँ तक कि गरीबों के लिए अवसर और विकास के ढांचे के साथ उच्च सीमा को प्राप्त करने के लिए और समाज के हानिकारक वर्गों में निम्न शामिल हैं:

i. भारत निर्माण (Bharat Nirman):

भारत निर्माण को 2005-06 में सरकार द्वारा मूल सुविधाओं और ग्रामीण भारत के लिए बुनियादी ढांचे को देने के लिए प्रस्तुत किया गया । इसके 6 भाग-सिंचाई, सड़कें, घर, पानी पूर्ति, बिजली और टेली संचार कनेक्टिविटी हैं ।

ii. इंदिरा आवास योजना [Indira Awas Yojana (IAY)]:

IAY भारत निर्माण के छ: भागों में से एक है । 2012-13 के दौरान, 30.10 लाख घरों के भौतिक लक्ष्य के विरुद्ध, 25.35 लाख घरों को पास किया गया था और 31 दिसम्बर, 2012 को 13.88 लाख को निर्मित किया गया । IAY के तहत Dwelling Unit के निर्माण के लिए ग्रामीण घरों को इकाई सहायता प्रदान की जिसकी समीक्षा 1 अप्रैल 2013 को की गई । यह समतल क्षेत्रों में 45,000 से रु 70,000 और पहाडी/दुर्गम क्षेत्रों । एकीकृत कार्यवाही योजना जिलों में रु. 48,500 से रु. 75,000 हो गया ।

iii. प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना [Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana (PMGSY)]:

PMGSY को 2000 में प्रस्तुत किया गया जिसका उद्देश्य समतल इलाकों में 500 व्यक्तियों और ज्यादा की जनसंख्या वाले क्षेत्रों को और 250 व्यक्तियों और ज्यादा की संख्या वाले पहाड़ी क्षेत्र में, मरूस्थल क्षेत्र और कबीले वाले क्षेत्रों को और 82 चुने हुए कबीलों और IAP के अधीन पिछले जिलों को मूल क्षेत्रों के साथ जोड़ना ।

शुरूआत में लगभग 4,74,528 कि.मी. की सड़कों को 1,26,176 आवासों के साथ जोड़ा गया जिनकी प्रभावित लागत रु. 1,42,946 करोड़ थी । 1,02,658 करोड़ की रकम को राज्यों के लिए दिया गया और दिसम्बर 2012 तक लगभग 96,939 करोड़ खर्च किए गए । कुल 3,63,652 किलोमीटर की लम्बाई वाली सड़क को पूरा किया गया और नयी कनेक्टिविटी को राज्यों द्वारा 89,382 आवासों के लिए प्रदान किया गया ।

iv. गन्दी बस्तियों की समस्याएं (Slum Problems):

शहरी गन्दी बस्तियाँ मानवीय दुर्गति और अवनति की बुरी और अंधकारपूर्ण तस्वीर को पेश करती हैं । इन गन्दी बस्तियों में बीमारी और अपराध पैदा होता है । इन गन्दी बस्तियों को साफ करने और गन्दी बस्तियों में रहने वाले लोगों को पुनआवास देने पर जोर दिया जाता है । राज्य सरकारों और स्थानीय संस्थाओं के लिए दूसरी योजना की अवधि के दौरान एक योजना को शुरू किया गया था जो बड़े शहरों में इन बस्तियों को हटाती है ।

इस योजना के तहत, केन्द्र सरकार से 25% सब्सिडी और राज्य सरकार से 25% सब्सिडी गन्दी बस्ती में रहने वाले लोगों को दी जाती है और बाकी के शेष 50% को केन्द्र सरकार से ऋण लेकर कवर किया जाता है । यह महसूस किया गया है कि इन मौजूदा गंदी बस्तियों को स्वच्छता, शौचालयों, सुरक्षित पानी पूर्ति, सड़कों, स्ट्रीट लाइटों और सही निकासी पर जोर दिया जाना चाहिए ।

बढ़ते कस्बों में मास्टर योजना को सख्ती से लागू करके नयी बनने वाली गंदी बस्तियों को बनने से रोका जा सकता है जिसमें कम आय वाले वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को घर की सुविधाएँ दी जाती हैं । शहरी इलाकों के लिए ग्रामीण लोगों का आना रोका जाना चाहिए ताकि गन्दी बस्तियों की समस्या से समाधान मिल सके ।

v. ग्रामीण हाऊसिंग स्कीम की धीमी प्रगति के लिए जिम्मेदार कारण (Reasons Responsible for Slow Progress of Rural Housing Scheme):

ग्रामीण आवास योजना ने बहुत कम प्रगति की है । 1960-61 में 1600 गाँवों के लिए योजना को बनाया गया था । 15,400 घरों के निर्माण के लिए ऋणों को 1960-61 में पास किया गया था । यह कुछ नहीं था सिर्फ सागर में बूंद डालने की तरह था । वास्तव में करीबन 54 लाख घरों को इसकी जरूरत थी । समय गुजरने के साथ, यह समस्या भयानक हो गई ।

इस धीमी प्रगति के निम्न कारण थे:

a. घर की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में विशाल थी ।

b. ग्रामीण लोग अशिक्षित है ।

c. उनका अपने पूर्वजों के बने मिट्‌टी के घरों से काफी जुड़ाव है ।

d. स्कीम में पर्याप्त निधियों का अभाव था ।

e. ग्रामीण बहुत गरीब हैं और वे आधुनिक घरों को बनाने में अक्षम हैं ।

इस प्रकार ग्रामीण इलाकों के लिए हाऊसिंग स्कीम ने धीमी प्रगति को किया ।

सरकार ने शहरी भूमि अधिनियम 1976 (Urban Land Ceiling and Regulation Act) को बनाया । इसे सभी केन्द्रीय शासित प्रदेशों और दो राज्यों पंजाब और हरियाणा में लागू किया जाएगा । इसका लक्ष्य क्षेत्रों जैसे घरों, यातायात, भूमि एकीकरण, विकास और अतिरिक्त भूमि के निपटान में तेजी से विकास को करना होगा ।

दिल्ली किराया अधिनियम, 1995 को भारत के मौजूदा किराया अधिनियम में कमियों पर नियन्त्रण करने के लिए बनाया गया था । भारत ने इस अधिनियम में कई सुझावों के साथ संशोधित करने का निर्णय किया ताकि आवास क्षेत्र में सुधार को प्रोत्साहित किया जा सके । इसके अनुसार दिल्ली किराया (संशोधन बिल) को शहरी ग्रामीण मामलों पर संसदीय स्थायी कमेटी में भेजा गया ।

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