भारतीय संघ शासित प्रदेश पर निबंध | Essay on Indian Union Territory in Hindi!

संघ का नाम और राज्य क्षेत्र :

संघ का नाम ‘भारत’ (India) है । अनुच्छेद (1) के खण्ड (1) के अनुसार : ”भारत अर्थात् राज्यों का संघ होगा ।” प्रथम अनुसूची में शामिल किये गये इसके सदस्यों को राज्य कहा जाता है । भारत के राज्य क्षेत्र में :

1. राज्यों का क्षेत्र

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2. संघ राज्य क्षेत्र

3. सरकार द्वारा अर्जित राज्य क्षेत्र सम्मिलित होंगे ।

वर्तमान में पहली अनुसूची में 28 राज्य तथा 7 संघ राज्य क्षेत्रों का उल्लेख है ।

नये राज्यों का प्रवेश व स्थापना :

(i) संविधान के अनुच्छेद 2 के अन्तर्गत संसद को यह अधिकार है कि वह विधि बनाकर संघ में नये राज्यों को प्रवेश दे सकती है या नये राज्यों की स्थापना कर सकती है । नये राज्यों का प्रवेश या उसकी स्थापना ऐसे निर्बन्धनों और शर्त्तों के अनुसार की जायेगी जिन्हें संसद उचित समझे ।

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(ii) अनुच्छेद 3 में नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों सीमाओं या नामों में परिवर्तन का उपबन्ध है ।

(iii) भारतीय संविधान के निर्माताओं ने संघ को राज्यों के पुनर्गठन की शक्ति दी है ।

(iv) जम्मू-कशमीर राज्य क्षेत्र को घटाने-बढ़ाने या उसके नाम या सीमा में परिवर्तन करने वाला विधेयक उस राज्य के विधानमण्डल की सर्वसम्मति के बिना संसद में पेश नहीं किया जा सकता है ।

भारत में क्षेत्रीय परिषद :

(i) भारतीय संविधान में क्षेत्रीय परिषदों के सम्बन्ध में कोई प्रावधान नहीं किया गया है । 21 दिसम्बर, 1955 को राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट पर लोकसभा में विचारण के दौरान पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राज्य अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया की तर्ज पर भारत के क्षेत्रीय परिषदों के निर्माण का सुझाव दिया ।

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(ii) राज्य पुनर्गठन विधेयक प्रस्तुत करते समय तत्कालीन गृहमन्त्री पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त ने प्रधानमन्त्री पण्डित नेहरू के विचारों का समर्थन करते हुए कहा: ”भारत सरकार ने क्षेत्रीय परिषदें स्थापित करने का निर्णय लिया है, जो विभिन्न क्षेत्रों के अन्तर्गत आने वाले राज्यों की आर्थिक नियोजन सम्बन्धी और पुनर्गठन सम्बन्धी समस्याओं के निराकरण में सहायक होगी ।”

(iii) राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 15 के अनुसार 5 क्षेत्रीय यरिषदों का गठन किया गया । बाद में 1971 में उत्तर-पूर्व के नवगठित राज्यों के रनए उत्तर-पूर्वी परिषद् (North-Eastern Council) का गठन किया गया ।

(iv) क्षेत्रीय परिषदों के गठन का आधार देश की प्राकृतिक एव भौगोलिक  स्थिति आर्थिक विकास की आवश्यकताएं सांस्कृतिक एवं भाषायी सम्पर्क, नदी व्यवस्था संचार के साधन तथा सुरक्षा की आवश्यकताएं रही    हैं ।

(v) क्षेत्रीय परिषदों का उद्‌भाव संविधान से नहीं बल्कि संसद के अधिनियम से हुआ है ।

संरचना :

क्षेत्रीय परिषदों का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है । इसके निम्नलिखित मदस्य होते हैं :

(i) भारत के गृहमन्त्री या राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत भारत सरकार का कोई अन्य मन्त्री ।

(ii) क्षेत्रीय परिषद् के अधीन आने वाले राज्यों के मुख्यमन्त्री ।

(iii) क्षेत्रीय परिषद् के अधीन आने वाले प्रत्येक राज्य के राज्यपाल द्वारा मनोनीत दो-दो अन्य मन्त्री ।

(iv) संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में प्रत्येक के लिए राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत एक सदस्य ।

(v) योजना आयोग के सदस्यगण (सलाहकार के रूप में) ।

(vi) प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद् का अध्यक्ष भारत के गृहमन्त्री या राष्ट्रपति द्वारा एनीत केन्द्रीय मन्त्री होता है तथा सम्बन्धित राज्यों के मुख्यमन्त्री उपाध्यक्ष होते हैं, जो प्रतिवर्ष बदलते रहते हैं ।

क्षेत्रीय परिषद के कार्य:

(i)जनता में भावनात्मक एकता पैदा करना ।

(ii) क्षेत्रवाद तथा भाषावाद के आधार पर उत्पन्न होने वाली विघटनकारी भारतीय  प्रवृत्तियों को रोकना ।

(iii) केन्द्र तथा राज्यों को आर्थिक तथा सामाजिक मामलों में समान नीति बनाने के विचारों तथा अनुभवों का आदान-प्रदान करना ।

(iv) पारस्परिक विकास योजना के सफल तथा तीव्र क्रियान्वयन में सहयोग करना ।

(v) देश के विभिन्न क्षेत्रों में एक प्रकार की राजनीतिक सन्तुलन की अवस्था को निर्धारित करना ।

निम्नलिखित मामलों में सलाह देना:

1. अन्तर्राज्यिक परिवहन के मामले में,

2. भाषायी अल्पसंख्यकों की समस्या के मामले में,

3. आर्थिक तथा सामाजिक योजनाओं के मामले में,

4. दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य सीमा सम्बन्धी विवाद के मामले में ।

राज्यों का पुनर्गठन:

(i) संविधान सभा ने राज्यों के पुनर्गठन हेतु नवम्बर, 1947 में न्यायमूर्ति एस॰के॰ दर की अध्यक्षता में एक भाषाई आयोग का गठन किया था ।

(ii) इस आयोग ने 1948 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की । इस रिपोर्ट में मातृभाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का विरोध किया गया था । आयोग ने भौगोलिक तारतम्यता, वित्तीय आत्मनिर्भरता प्रशासनिक सुगमता व विकास की सम्भावना को भी ध्यान में रखने की सिफारिश की ।

(iii) इस आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के लिए कांग्रेस ने अपने जयपुर अधिवेशन में एक त्रिसदस्यीय जेवीपी समिति का गठन किया । इस समिति में  पं॰ जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैया सम्मिलित थे ।

(iv) इस समिति ने राज्यों के पुनर्गठन में सबसे महत्त्वपूर्ण देश की सुरक्षा एकता व आर्थिक प्रगति को माना ।

(v) कांग्रेस ने तत्कालीन परिस्थितियों में आन्ध्र प्रदेश के निर्माण की बात मान ली तथा आन्ध राज्य अधिनियम 1953 द्वारा मद्रास राज्य के कुछ क्षेत्रों को निकालकर इस राज्य की स्थापना कर दी गयी । पृथक् तेलुगु राज्य की मांग को लेकर पोट्टी श्री रामलू आमरण अनशन पर बैठे थे जहां कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गयी थी ।

(vi) 29 दिसम्बर 1953 को एक संकल्प द्वारा भारत सरकार ने राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की ।

(vii) इसके अध्यक्ष सैय्यद फजल अली थे । आयोग के अन्य सदस्यों में हृदय नाथ कुंफजरू व सरदार के॰एम॰ पणिक्कर थे । आयोग ने 30 सितम्बर, 1955 को केन्द्र सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी ।

आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा:

1. राज्यों का पुनर्गठन भाषा और संस्कृति के आधार पर अनुचित है ।

2. राज्यों का पुनर्गठन राष्ट्रीय सुरक्षा वित्तीय एवं प्रशासनिक आवश्यकता तथा पंचवर्षीय योजनाओं की सफलता को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए ।

3.आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 पारित किया गया ।

4. वर्तमान में भारत में 28 राज्य तथा 7 केन्द्रशासित प्रदेश हैं ।

1950 के बाद नये राज्य:

1. आन्ध्र प्रदेश:  आन्ध्र राज्य अधिनियम 1953 द्वारा मद्रास राज्य का कुछ क्षेत्र निकालकर बनाया गया ।

2. गुजरात तथा महाराष्ट्र : मुम्बई पुनर्गठन अधिनियम 1960 द्वारा मुम्बई राज्य को दो भागों-गुजरात तथा महाराष्ट्र-में विभाजित कर दिया ।

3. केरल: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 द्वारा ट्रावनकोर कोचीन की जगह बनाया गया ।

4. कर्नाटक: राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 द्वारा तत्कालीन मैसूर राज्य से बनाया गया । 1973 में इसे कर्नाटक नाम दिया गया ।

5. नागालैण्ड: नागालैण्ड राज्य अधिनियम, 1962 द्वारा असम राज्य के कुछ क्षेत्र को निकालकर बनाया गया ।

6. हरियाणा: पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 द्वारा पंजाब के कुछ भाग को निकालकर बनाया गया ।

7. हिमाचल प्रदेश:  हिमाचल संघ राज्य क्षेत्र को हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम, 1970 द्वारा राज्य का दर्जा प्रदान किया गया ।

8. मेघालय: संविधान के 23वें संविधान संशोधन अधिनियम 1960 द्वारा इसे मेघालय, असम राज्य के भीतर एक उपराज्य बनाया गया । पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम 1971 द्वारा उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया ।

9. मणिपुर, त्रिपुरा:  पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम, 1971 द्वारा संघ राज्य क्षेत्र से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया ।

10. सिक्किम:  संविधान के 35वें संशोधन अधिनियिम, 1974 द्वारा सहयुक्त राज्य का दर्जा दिया गया तथा 36वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया ।

11. मिजोरम:  मिजोरम राज्य अधिनियम 1986 द्वारा संघ राज्य क्षेत्र से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया ।

12. अरूणाचल प्रदेश:  अरूणाचल प्रदेश अधिनियम 1986 द्वारा संघ राज्य क्षेत्र से पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया ।

13. गोवा:  गोवा दमन और दीव पुनर्गठन 1987 द्वारा संघ राज्य क्षेत्र में से दमन और दीव को संघ राज्य क्षेत्र बना रहने दिया तथा गोवा को निकालकर राज्य का दर्जा प्रदान किया गया ।

14. छत्तीसगढ़:  यह राज्य मध्य प्रदेश से अलग कर पृथक् राज्य बनाया गया है ।

15. उत्तराखण्ड: यह राज्य उत्तर प्रदेश से अलग कर पृथक् राज्य बनाया गया है ।

16. झारखण्ड:  यह राज्य बिहार राज्य से अलग कर पृथक् राज्य बनाया गया है ।

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