भारत में पशु संरक्षण परियोजनाओं की सूची | List of Animal Conservation Projects in Hindi language.

1. बाघ प्रोजेक्ट ( पैंथरा टिग्रिस) [Project Tiger (Panthera Tigris)]:

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री इंदिरागांधी के समय में 1973 में बाघ संरक्षण योजना आरंभ की थी इसका मुख्य बाघ को संरक्षण देना तथा इस जीव-जाति की जनसंख्या में वृद्धि करना है ।

सन 2014 में भारत वर्ष में 45 टाइगर रिजर्व थे । इनमें से मानस टाइगर रिजर्व को UNESCO की World Heritage Site में सम्मिलित किया जा चुका है । एक अनुमान के अनुसार वर्ष 1900 में बाघों की संख्या 40,000 थी जो 2011 में घटकर 1700 रह तथा 2014 में यह संख्या 2226 हो गई ।

प्रोजेक्ट टाइगर के प्रमुख उद्देश्य अग्रलिखित हैं:

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(i) बाघों की विद्यमान संख्या के परिरक्षण को वैज्ञानिक आर्थिक, सांस्कृतिक तथा सौन्दर्यात्मक मूल्य हेतु सुनिश्चित करना ।

(ii) लोगों के मनोरंजन व शिक्षा हेतु सदैव ऐसे जैविक महत्व के राष्ट्रीय विरासत क्षेत्रों को संरक्षित करना ।

(iii) असुरक्षित प्रजातियों का संरक्षण ।

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(iv) बाघ रिजर्व के आसपास अनुसूचित जनजातियों तथा स्थानीय लोगों के अधिकारों को संरक्षित करना ।

2. हाथी प्रोजेक्ट (Project Elephant):

भारत सरकार ने हाथियों के संरक्षण के लिये हाथी प्रोजेक्ट फरवरी 1992 में आरंभ किया था ।

प्रोजेक्ट का प्रमुख उद्देश्य है:

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(i) हाथियों की विद्यमान संख्या को संरक्षित करने के लिए राज्यों को सहायता प्रदान करना तथा प्राकृतिक आवासों में हाथियों की चिन्हित संख्या की दीर्घकालीन उत्तरजीवितता को सुनिश्चित करना ।

(ii) उनके आवासों व गलियारों को संरक्षण प्रदान करना ।

(iii) मानव व हाथी के द्वंद्व के मुद्दे को हल करना, तथा

(iv) पालतू बनाए गए हाथियों व उनके पालन पर ध्यान देना

(v) हाथियों को वध से संरक्षण प्रदान करना ।

इस परियोजना को 17 राज्यों में लागू किया गया जिनके नाम निम्न प्रकार हैं:

(i) आंध्र प्रदेश,

(ii) अरुणाचल प्रदेश,

(iii) असम,

(iv) छत्तीसगढ,

(v) झारखंड,

(vi) कर्नाटक,

(vii) केरल,

(viii) मणिपुर,

(ix) महाराष्ट्र,

(x) मेघालय,

(xi) नागालैंड,

(xii) ओडिशा,

(xiii) तमिलनाडु,

(xiv) त्रिपुरा,

(xv) उत्तराखंड,

(xvi) उत्तर प्रदेश,

(xvii) प. बंगाल ।

इस प्रोजेक्ट के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:

(क) हाथियों तथा उनके प्राकृतिक निवास तथा गलियारों का संरक्षण करना ।

(ख) मानव एवं जंगली पशु संघर्ष पर ध्यान देना ।

(ग) पालतू हाथियों की देख-भाल एवं संरक्षण पर ध्यान देना ।

इस समय भारत वर्ष में 26 हाथी रिजर्व हैं जो लगभग 60,000 वर्ग किलोमीटर पर फैले हुये हैं । प्रत्येक पाँच वर्ष के पश्चात हाथियों की गणना की जाती है । यह बड़े संतोष की बात है कि इस परियोजना के पश्चात हाथियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है । सन 2002 की तुलना में हाथियों की संख्या में 2014 तक दो हजार से अधिक की वृद्धि हुई है । भारत सरकार हाथियों को अनाधिकृत मारने पर विशेष ध्यान रखती है ।

3. गैंडा प्रोजेक्ट (Rhinoceros Projects):

भारतीय गैंडा एक सींग वाला गैंडा हो भारत के अधिकतर गैंडे असम में पाये जाते हैं । बीसवीं शताब्दी के आरंभ में गैंडा प्रजाति एक संकटापन्न वर्ग में मानी जाती थी ।

भारत सरकार ने संरक्षण के लिये विशेष योजनाएँ तैयार की, जिसके फलस्वरूप 1800 से अधिक गैंडे केवल असम राज्य में हैं असम राज्य में अधिकतर गैंडे काजीरंगा नेशनल पार्क डिब्रु सरवोवा तथा मानस टाइगर रिजर्व में पाये जाते हैं । इनके अतिरिक्त कुछ गैंडे प. बंगाल के सुंदरवन जीवनमंडल संरक्षण में भी पाये जाते हैं ।

भारत-राइनो विजन (Rhino Vision) 2020:

भारत राइनो विजन, पर्यावरण व वन मंत्रालय, असम द्वारा बोडो स्वायत परिषद् के साथ कार्यान्वित किया गया । यह कार्यक्रम डब्ल्यू डब्ल्यू एक-WWF एशिया राइनो तथा एलिफेंट एक्शन स्ट्रेटजी इंडिया तथा इन्टरनेशनल राइनो फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित किया जाता है ।

विजन 2020 का प्रमुख उद्देश्य गैंडों की संख्या को 2020 तक 2000 से 3000 करना है । इसका एक अन्य प्रमुख उद्देश्य गैंडों को सात संरक्षित क्षेत्रों में वितरित करना है । जिन सात संरक्षित क्षेत्रों में गैंडों को वितरित किया गया ।

वे इस प्रकार हैं:

(i) डिब्रु शेखोवा वन्य जीव अभयारण्य,

(ii) काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

(iii) लाओखोवा-बुरा चपोरी वन्य जीव अभयारण्य

(iv) मानस जीवमंडल रिजर्व

(v) प्रोबिट्रिया वन्य जीव अभयारण्य

(vi) सोनाई रूपाई तथा

(vii) सुन्दरबन जीवमंडल रिजर्व ।

मानस राष्ट्रीय उद्यान/जीवमंडल रिजर्व गैंडे के स्थानांतरण के लिए प्रथम स्थल के रूप में चयनित किया गया है । गैंडों के स्थानांतरण से इस असुरक्षित प्रजाति को बचाने में सहायता प्राप्त होगी ।

4 . घड़ियाल प्रोजेक्ट (Gharial Project):

लंबी सूँड वाले मगरमच्छ को घड़ियाल कहते हैं । इसकी खाल से बहुत-सी वस्तुएँ तैयार की जाती हैं ।

इस प्रोजेक्ट के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

(i) घड़ियालों की जनसंख्या को संरक्षित करना ।

(ii) घड़ियालों की संख्या में वृद्धि करना ।

(iii) बंदी प्रजनन को संरक्षण प्रदान करना ।

(iv) घडियालों के प्रबंधन के अनुसंधान को प्रोत्साहित करना ।

(v) स्टाफ को घडियालों के प्रजनन व प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण देना ।

1970 के दशक में घडियाल लुप्त होने की कगार पर थे इसलिये भारत सरकार ने घड़ियाल के लिये विशेष योजना आरंभ की थी । सन् 198 से लेकर घड़ियालों की संख्या में तीन हजार से अधिक की वृद्धि हो चुकी है ।

5. गिद्ध परियोजना (Project Vultures):

गिद्ध को सफाई पक्षी माना जाता है । यह मरे हुये पक्षियों को खाता है, जिनसे नाना प्रकार की बीमारियों के फैलने का डर रहता है ।

भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियाँ हैं, जिनका विवरण निम्नानुसार है:

(i) ओरियंटल, सफेद कमर वाले गिद्ध,

(ii) पतली चोंच वाला गिद्ध,

(iii) लम्बी चोच वाला गिद्ध,

(iv) भारतीय ग्रिफन गिद्ध,

(v) मिस्र का गिद्ध,

(vi) लाल हाथ वाला गिद्ध,

(vii) हिमालय ग्रिफन गिद्ध,

(viii) दाढ़ी वाला गिद्ध,

(ix) खाकी गिद्ध ।

इनमें से सफेद कमर वाले गिद्ध और लंबी चोच वाले गिद्धों की संख्या तीव्र गति से कम हो रही है । भारत की गिद्धों की उपरोक्त जातियाँ संकटमय श्रेणी में सम्मिलित हैं । गिद्धों की संख्या में कमी का प्रमुख कारण डिक्लोफेन्क सोडियम है जो किडनी को प्रभावित करता है । इन संकटमय परिस्थितियों को देखकर 2004 में भारत सरकार ने गिद्धों के संरक्षण की विशेष योजना तैयार की थी ।

6. ग्रेट इंडियन सोहन चिड़िया/बस्टर्ड (Great Indian Bustard):

सोहन चिड़िया अथवा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान मरुस्थल के घास के मैदानों में पाई जाती है । इस पक्षी की संख्या निरंतर घट रही है । इसी कारण सोहन चिड़िया को आई.यू.सी.एन. (IUCN) की लाल सूची में सम्मिलित किया गया है । विश्व में इसकी संख्या तीव्रता से घट रही है ।

बर्फ में रहने वाले तेंदुआ:

बर्फ में रहने वाले तेंदुए का आवास उच्च हिमालय, वृक्ष रेखा (3000 मी.) से ऊपर होता है । वे जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश उत्तराखण्ड, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश राज्यों में पाए जाते हैं ।

बर्फ में रहने वाले तेंदुओं व उनके आवास के संरक्षण के उद्देश्य से प्राजेक्ट स्नो लिपर्ड वर्ष 2009 में प्रारंभ किया गया था । इसका अन्य उद्देश्य स्थानीय समुदायों में स्नो लिपर्ड की महत्ता के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहित करना भी था ।

7. गंगा डाल्फिन (Ganga Dolphin):

वन व पर्यावरण मंत्रालय ने गंगा नदी डाल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीवन के रूप में नामांकित किया है । डाल्फिन गंगा व ब्रह्मपुत्र नदियों में पायी जाती है । गंगा की डाल्फिन विश्व की स्वच्छ जल में पायी जाने वाली चार लाचार डाल्फिन में से एक है । अन्य तीन ताजा जल की डाल्फिन हैं । (i) बैजी, (ii) इन्डस (पाकिस्तान) की भूलान तथा अमेजन नदी का बोटो । ये चार प्रजातियाँ या तो नदी में अथवा झीलों में रहती हैं ।

गंगा नदी डाल्फिन को जल प्रदूषण, मछली के जाल में फँसने तथा तेल के लिए मार दिए जाने से खतरा है । इसके अतिरिक्त बाँधो व बैराजों का निर्माण डाल्फिन की जनसंख्या में कमी हेतु उत्तरदायी है । भारत सरकार ने डाल्फिन के संरक्षण हेतु उत्तर प्रदेश में एक कार्यक्रम संचालित किया है ।

8. हेंगुल प्रोजेक्ट (Hangul Project) [कश्मीरी बारहसिंगा (Kashmiri Stag)]:

हेंगुल एक विशेष प्रकार का हिरन है जो कश्मीर में पाया जाता है । हेंगुल एक संकटापन्न प्राणी है । अधिकतर हेंगुल श्रीनगर के निकट स्थिति डाचीगाम नेशनल पार्क में संरक्षित है ।

9. लाल पांडा प्रोजेक्ट (Project Red Panda):

भारत में लाल-पांडा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा दार्जिलिंग के आस-पास पाया जाता है । यह 1500 फिट से लेकर 4000 फिट की ऊँचाई तक पाया जाता है । इसके संरक्षण के लिये भारत सरकार ने 1966 में पदमजा नायडू हिमालय पार्क की स्थापना की थी ।

10. मणिपुर थामिन प्रोजेक्ट (Project Manipur Thiamin):

थामिन एक विशेष प्रकार का हिरन है, जो मणिपुर के जंगलों में पाया जाता है । इसकी गणना दुर्लभ प्राणियों की सूची में की जाती है । इसके संरक्षण तथा संख्या वृद्धि के लिये विशेष योजना 1977 में आरंभ की गई थी ।