भारत में उगाए गए मसालों की सूची | Here is a list of top nine spices grown in India in Hindi language.

भारत के गर्म-मसालों में काली मिर्च, चोटी तथा बड़ी इलायचि, अदरक, हल्दी, धनिया, जीरा तथा मिर्च प्रमुख हैं । इनमें से काली मिर्च तथा इलायचि का उत्पादन केवल केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु तक सीमित हैं, जबकि उपरोक्त शेष गर्म मसाले देश के विभिन्न भागों में उगाए जाते हैं ।

काली मिर्च की खेती का विस्तार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में संभावित है । अंडमान तथा निकोबार में गर्म मसाले की खेती का विस्तार किया जा सकता है ।

1. काली मिर्च/सियाह मिर्च (Black Pepper):

काली मिर्च को गर्म मसालों का बादशाह भी कहा जाता है । भारत, काली मिर्च का 75 देशों को निर्यात करता है । आयात करने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान प्रथम है ।

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काली मिर्च ऊष्ण आर्द्र जलवायु का पौधा है । इसको 200 से 250 सेमी॰ वर्षा की आवश्यकता होती है । फसल तैयार होने पर लगभग दो महीने शुष्क होने चाहिए । लगभग 1500 मीटर की ऊँचाई तक इसकी खेती की जाती है ।

चूंकि काली मिर्च एक बेल (लता) है इसलिए इसको सहारे की आवश्यकता होती है । नवंबर तथा दिसंबर के महीनों में फसल को सिंचाई की आवश्यकता होती है । फसल 180 से 200 दिन में तैयार हो जाती है ।

2. छोटी इलायची (Cardamom Small):

छोटी इलायचि को ‘गर्म मसालों की रानी’ भी कहा जाता है । वास्तव में छोटी इलायची एक सूखा फल है । इसके लिए 10-35C तापमान तथा 150 से 400 सेमी॰ वर्षा की आवश्यकता होती है । इसकी खेती 600 से 1500 मीटर की ऊँचाई पर की जाती है । जनवरी तथा फरवरी के महीनों में सिंचाई की आवश्यकता होती है । केरल (60%), कर्नाटक (31%) तथा तमिलनाडु (9%), छोटी इलायची का उत्पादन करने वाले मुख्य प्रदेश हैं ।

3. दालचीनी (Cinnamon):

दालचीनी का पेड़ एक सदाबहार वृक्ष है, जिसकी ऊँचाई 6-15 मीटर होती है । इसकी खेती 1000 मीटर की ऊँचाई तक की जाती है । वर्षा 200 से 300C चाहिए । इसको सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती । केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु इसके प्रमुख उत्पादक हैं ।

4. लौंग (Clove):

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लौंग एक सूखी हुई कली है । इसका पेड़ सदाबहार है । यह मध्य केरल की उपजाऊ मिट्‌टी में उगाई जाती है । पश्चिम घाट की उपजाऊ घाटियों में भी इसके बगीचे हैं ।

5. धनिया (Coriander):

इसकी खुशबू खाने को स्वादिष्ट बनाती है । इसका उपयोग दवाइयों में भी किया जाता है । इसको दिसंबर के आखिरी हफ्ते में बोया जाता है अप्रैल के महीने में फसल तैयार हो जाती है । जब 50% बीजों का रंग पीला पड़ जाए तो फसल काट ली जाती हैं । इसका उत्पादन आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में की जाती है ।

6. सफेद जीरा (Cumin):

खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए जीरे का उपयोग किया जाता है । आयुर्वेदिक औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है । जीरे का उत्पादन मुख्यतः गुजरात एवं राजस्थान में उगाया जाता है ।

इसकी खेती के लिए हल्की सर्दी की आवश्यकता है । इसको सिंचाई की कम आवश्यकता होती है । दाँती से काटकर साफ स्थान पर इसको भूसे से अलग किया जाता है तथा बोरियों में भरकर मंडी में भेज दिया जाता है ।

7. अदरक (Ginger):

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अदरक का उपयोग बहुत प्रकार की औषधियों पेय एवं खाने में किया जाता है । भारत विश्व में सबसे अधिक अदरक उत्पादन करने वाला देश है । भारत के अतिरिक्त यह वेस्टइंडीज, ब्राजील, चीन, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया, पाकिस्तान, म्यामार, थाइलैड तथा वियतनाम में उगाया जाता है । भारत में केरल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार तथा उत्तर-पूर्वी राज्य इसके मुख्य उत्पादन करने वाले राज्य है ।

अदरक ऊष्ण आर्द्र जलवायु का पौधा है । सागर स्तर से 300-900 मीटर की ऊँचाई पर इसका उत्पादन अधिक होता है । अदरक के खेत में पानी नहीं ठहरना चाहिए । एक ही खेत में बार-बार अदरक की खेती करने से बीमारी लागने का डर रहता है ।

8. इमली (Tamarind):

इमली का उपयोग भोजन का स्वाद बढ़ाने कपड़ों की रंगाई, औषधियों तथा पेय के लिए किया जाता है । इमली के वृक्ष ऊष्ण आर्द्र जलवायु में ठीक पनपते है, वर्षा 75-150 सेमी॰ होनी चाहिए । इसका फल जनवरी से अप्रैल तक पक जाता है । बिहार, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में इसके वृक्ष अधिक हैं ।

9. हल्दी (Turmeric):

हल्दी को गर्म मसाले, रंगाई, कॉस्मेटिक दवाइयों तथा धार्मिक कर्मकांड के लिए प्रयुक्त किया जाता है । इसका उत्पादन आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में किया जाता है ।

हल्दी की खेती के लिए 20C से 30C तापमान तथा 150 सेमी॰ वर्षा की आवश्यकता होती है । लगभग 1200 मीटर की ऊँचाई तक इसकी खेती की जाती है । वृक्षों के साथ में इसका उत्पादन अधिक होता है । इसको नारियल के बगीचों, मक्के एवं सब्जी के खेतों में भी उगाया जा सकता है ।

हल्दी की फसल 7 से 9 महीने में तैयार होती है । कम वर्षा के प्रदेशों में लगभग 15 से 20 बार फसल को सींचने की आवश्यकता होती है । जब हल्दी के पौधे का हरा भाग सूख जाए, समझो फसल तैयार हो गई । हल्दी की गाँठों को पानी एवं रसायन में धोकर बेचने के लिए तैयार किया जाता है । केरल के अलप्पी, तेलंगाना के हैदराबाद तथा कुडप्पाह इसके संचय-केंद्र तथा बड़े गोदाम हैं ।

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