मृदा प्रदूषण पर निबंध: कारण और नियंत्रण | Essay on Soil Pollution: Causes and Control in Hindi!

Essay # 1. मृदा प्रदूषण का अर्थ एवं कारण (Meaning and Causes of Soil Pollution):

मृदा की गुणवत्ता में प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से कमी आने को मृदा प्रदूषण कहा जाता है । मृदा पृथ्वी की ऊपरी सतह पर फैला ऐसा संसाधन है जिसमें जैविक एवं अजैविक पदार्थों का मिश्रण पाया जाता है ।

मृदा की उर्वरकता के ह्रास के निम्न कारण हैं:

(i) भौतिक प्रक्रिया:

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मृदा अपरदन, उसकी उर्वरकता कम होने का एक प्रमुख कारण है मृदा अपरदन की मात्रा एवं विस्तार, बहुत हद तक वर्षा की मात्रा, तापमान, भूमि के ढलान, वायु की गति तथा प्राकृतिक वनस्पति पर निर्भर करता है । जंगलों को काटने से मृदा अपरदन की मात्रा में वृद्धि हो जाती है ।

(ii) जैविक प्रक्रिया (Biological Processes):

सूक्ष्म जैव के दो प्रकार के होते हैं एक तो ऐसे हैं जिनसे उर्वरकता बढ़ती है तथा दूसरे ऐसी प्रकार के होते है जिनसे उपजाऊपन में कमी आती है । यदि मृदा में ह्रास करने वाले सूक्ष्म जैविकों की बहुतायात हो जाये तो उससे उपजाऊपन में कमी आ जाती है ।

(iii) वायु आधारित स्रोत (Air-Borne Sources):

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धुएँ से वायुमंडल में बहुत-से हानिकारक तत्व प्रवेश कर जाते हैं । वायु से बहुत-से वैषिक पदार्थ खेतों में गिरते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरकता कम हो जाती है ।

(iv) रासायनिक खाद एवं कीटाणुनाशक दवाइयों का प्रयोग (Chemical Fertilizers and Insecticides):

कृषि की फसलों में रासायनिक खाद तथा कीटाणुनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करने से बहुत-से उपयोगी सूक्ष्म-जैव नष्ट हो जाते हैं, जिससे मृदा के उपजाऊपन का ह्रास हो जाता है ।

(v) औद्योगिक एवं नगरीय कूड़ा-करकट (Industrial and Urban Waste):

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औद्योगिक एवं नगरीय कूड़ा-करकट के ठीक तौर पर प्रबंधन करने से भी मृदा प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है ।

Essay # 2. मृदा प्रदूषण के परिणाम (Consequences of Soil Pollution):

मानव जीवन एवं टिकाऊ विकास के लिये मृदा का स्वस्थ अवस्था में रहना अनिवार्य है । यदि मृदा प्रदूषित हो जाए तो उसके बहुत से दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं ।

कुछ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रतिकूल प्रभाव निम्न प्रकार हैं:

(i) कृषि क्षेत्रफल में कमी हो जाएगी ।

(ii) नाइट्रोजन स्थिरीकरण में कमी ।

(iii) मृदा अपरदन में वृद्धि ।

(iv) लवणता में वृद्धि ।

(v) रासायनिक पदार्थ एवं कीटनाशक दवाइयाँ जिनका उपयोग फसलों को उगाने में किया गया है वह आहार श्रृंखला के द्वारा मानव एवं पशु-पक्षियों के शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण बहुत-सी बीमारियाँ फैलती हैं तथा उनकी मृत्यु हो जाती है । एक अनुमान के अनुसार प्रति वर्ष लगभग सात लाख व्यक्तियों की मौत रासायनिक खाद तथा कीटाणुनाशक दवाइयों के फसलों में इस्तेमाल के कारण हो जाती है ।

(vi) टंकी, झीलों तथा पोखरों का निक्षेपण ।

(vii) प्रदूषित गैसों का उत्सर्जन ।

(viii) जैव विविधता में कमी ।

(ix) नालियों का बंद होना ।

(x) अप्रिय गंध ।

Essay # 3. मृदा प्रदूषण नियत्रंण (Control of Soil Pollution):

मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये निम्न उपाय बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं:

(i) मृदा अपरदन को नियंत्रित करना ताकि कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े ।

(ii) गोबर की खाद तथा हरी खाद का फसलों में अधिक उपयोग करना ।

(iii) वैज्ञानिक फसल चक्र से कृषि करना अर्थात् मृदा उत्पादकता कम करने वाली फसलों के पश्चात्, दलहन की फसलें उगाना ताकि मृदा की उर्वरकता बढ़ाई जा सके ।

(iv) औद्योगिक एवं नगरीय कूड़ा-करकट का उचित प्रबंधन करना ।

(v) किसानों को उचित भूमि उपयोग के लिये शिक्षित करना ।

(vi) वृक्षारोपण ।

(vii) चराई पर नियंत्रण करना ।

(viii) कहा-करकट कम करना ।

(ix) संसाधनों का पुनर्ठपयोग व पुनर्चक्रण ।

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