आम आदमी पार्टी पर निबंध | Essay on Aam Aadmi Party in Hindi!

‘नयी राजनीति’ का उदय: आम आदमी पार्टी (Rise of ‘New Politics’: Aam Aadmi Party):

21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में भारत की राजनीति में एक नयी राजनीतिक शैली का उदय हुआ है, जिसे ‘नयी राजनीति’ की संज्ञा दी जाती है । राजनीति की इस नयी शैली का प्रतिनिधित्व 26 नवम्बर, 2012 को स्थापित आम आदमी पार्टी द्वारा किया जा रहा है । इस पार्टी के मुख्य नेता अरविन्द केजरीवाल हैं ।

इस पार्टी की स्थापना 26 नवम्बर को इसलिये की गयी कि इसी दिन 1949 को भारत का संविधान संविधान सभा द्वारा स्वीकार किया गया था । यह पार्टी भारत के संविधान की प्रस्तावना में निहित मौलिक आदर्शों व मूल्यों जैसे लोकतंत्र, पंथनिरपेक्षता, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा आदि में अपनी आस्था व्यक्त करती है । इन आदर्शों को 24 नवम्बर, 2012 को पार्टी की शीर्ष संस्था राष्ट्रीय परिषद् द्वारा अपनाये गये पार्टी के संविधान में शामिल किया गया है ।

आम आदमी पार्टी ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र आरंभ में देश की राजधानी दिल्ली को बनाया तथा वहाँ गत एक वर्ष में बिजली तथा पानी की बढ़ती हुयी कीमतों तथा महिलाओं के लैंगिक शोषण के विरुद्ध आन्दोलन कर अपना व्यापक जनाधार तैयार कर लिया है ।

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दिल्ली में उसे युवाओं, छात्रों, महिलाओं, सरकारी कर्मचारियों तथा कमजोर वर्गों का भारी समर्थन हासिल हुआ । परिणामत: दिसम्बर 2013 में संपन्न हुये दिल्ली विधान सभा के चुनावों में इस पार्टी को कुल 70 सीटों में से 28 सीटें प्राप्त हुईं । यद्यपि भारतीय जनता पार्टी को 33 सीटें प्राप्त हुईं लेकिन उसने सरकार बनाने से मना कर दिया ।

अन्तत: कांग्रेस के बिना शर्त समर्थन से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में अपनी सरकार बनायी तथा इस पार्टी के प्रमुख नेता अरविन्द केजरीवाल 26 दिसम्बर, 2013 को दिल्ली प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये । देश के अन्य हिस्सों विशेषकर शहरी क्षेत्रों से इस पार्टी को व्यापक समर्थन प्राप्त हो रहा है । अत: पार्टी आगामी लोक सभा चुनावों में बड़े स्तर पर भाग लेने की तैयारी कर रही है ।

आम आदमी पार्टी की राजनीतिक शैली को समझने के लिये इसकी उत्पत्ति की पृष्ठभूमि को समझना आवश्यक है । प्रसिद्ध गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे द्वारा 2011 व 2012 में दिल्ली में भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक बड़ा आन्दोलन चलाया गया । इस आन्दोलन को देशव्यापी समर्थन मिला तथा यह आन्दोलन देश के अन्य शहरों में भी फैल गया ।

इस आन्दोलन की मुख्य माँग थी कि भ्रष्ट नेताओं व अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही हेतु कानून बनाकर जन लोकपाल बिल का गठन किया जाये । इस आन्दोलन में अन्ना हजारे को कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे अरविन्द केजरीवाल, पूर्व पुलिस अधिकारी किरन बेदी, प्रसिद्ध विधिवेत्ता प्रशान्त भूषण, शान्ति भूषण, कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त सन्तोष हेगडे आदि ने भी महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया ।

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अन्ना हजारे के इन सहयोगियों को ‘टीम अन्ना’ के नाम से जाना जाता है तथा भ्रष्टाचार विरोधी इस आन्दोलन को ‘इण्डिया अगेन्स्ट करप्शन’ (India Against Corruption) के नाम से जाना जाता है ।

देशव्यापी आन्दोलन के बावजूद भी केन्द्र में सत्ताधारी दल कांग्रेस व अन्य पार्टियों ने इस माँग के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई तथा कानूनी दाँव-पेच लगाकर जनलोकपाल विधेयक को पारित नहीं होने दिया । इससे आन्दोलन के समर्थकों व आम जनता में निराशा व आक्रोश की भावना उत्पन्न हुयी । इससे जनमानस में स्थापित राजनीतिक दलों तथा वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था के प्रति विश्वास में कमी आयी ।

निराशा और आक्रोश के इस माहौल में 2012 में टीम अन्ना के सदस्यों में इस बात पर बहस हुयी कि क्या भ्रष्टाचार की समस्या के समाधान के लिये उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेकर सत्ता प्राप्ति का प्रयास करना चाहिये अथवा उन्हें सक्रिय राजनीति से दूर रहकर भ्रष्टाचार विरोधी सामाजिक आन्दोलन को आगे बढ़ाना चाहिये ।

इस बीच में केजरीवाल तथा प्रशान्त भूषण आदि ने सक्रिय राजनीति में भाग लेने का समर्थन किया जबकि अन्ना हजारे किरन बेदी तथा सन्तोष हेगडे इसके पक्षधर नहीं थे । 19 सितम्बर, 2012 को अन्ना हजारे तथा केजरीवाल इस बात पर सहमत हुये कि इस बात पर उनके मतभेद स्थायी हैं । इसके बाद केजरीवाल ने 02 अक्तूबर 2012 को नई पार्टी का गठन करने की घोषणा कर दी । अन्तत: 26 नवम्बर, 2012 को आम आदमी पार्टी का गठन किया गया ।

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आम आदमी पार्टी की विचारधारा (Aam Aadmi Party Ideology):

आम आदमी पार्टी किसी स्थापित विचारधारा जैसे दक्षिणपंथ अथवा वामपंथ से बंधी हुयी नहीं है । पार्टी के संस्थापक केजरीवाल के अनुसार- ‘हम आम आदमी हैं । यदि हमारी समस्या का समाधान वामपंथ विचारधारा का अनुसरण करने में होता है तो उसका अनुसरण करेंगे तथा यदि हमारी समस्या के समाधान में दक्षिणपंथी विचारधारा सहायक है तो हमें उसका भी अनुसरण करने में खुशी होगी ।’ फिर भी यदि हम इस पार्टी की नीतियों व कार्यक्रमों को देखें तो स्पष्ट है कि यह पार्टी वामपंथ की ओर झुकी हुयी मध्यममार्गी विचारधारा का अनुसरण करती है ।

संक्षेप में पार्टी की विचारधारा के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं:

(i) पार्टी भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निहित आदर्शों जैसे लोकतंत्र, पंथ निरपेक्षता, सामाजिक-आर्थिक न्याय, स्वतंत्रता तथा समानता, भाई-चारा, मानव की गरिमा आदि में आस्था रखती है ।

(ii) इस पार्टी ने गांधीवादी ‘स्वराज्य’ की धारणा को स्वीकार किया है, जिसके अन्तर्गत सरकार बिना नौकरशाही के सीधे जनता के प्रति उत्तरदायी होगी । इस स्वराज माडल में स्वशासन, समुदाय की भावना का विकास तथा सत्ता के विकेन्द्रीकरण आदि पर विशेष बल दिया गया है ।

(iii) राजनीतिक व्यवस्था आम आदमी की आकांक्षाओं तथा समस्याओं के प्रति संवेदनशील होगी तथा उसका संचालन जवाबदेही, ईमानदारी तथा खुलापन के आधार पर होगा ।

(iv) यह पार्टी आम जनता के सशक्तीकरण में विश्वास रखती है ।

पार्टी के वर्तमान एजेण्डे में चार मुद्‌दों को शामिल किया गया है:

1. जनलोकपाल विधेयक को पारित करना,

2. मतदाताओं को चुनावों में सभा प्रत्याशियों को अस्वीकृत करने का अधिकार देना,

3. मतदाताओं को अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों को पाँच वध के पूर्व वापस बुलाने का अधिकार प्रदान करना तथा

4. राजनीतिक स्तर का विकेन्द्रीकरण ।

एजेण्डा के उक्त चारों बिन्दु लोक सशक्तीकरण की प्रक्रिया को मजबूत बनाने राजनीतिक प्रतिनिधियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में सहायक हैं । आम आदमी की राजनीतिक शैली को राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा ‘नयी राजनीति’ की संज्ञा दी गयी है ।

आम आदमी की राजनीतिक शैली निम्न अर्थों में अन्य स्थापित राजनीतिक दलों से भिन्न है:

(1) राजनीतिक आडम्बरहीनता से परहेज (Avoiding Political Obscenity):

आम आदमी पार्टी अन्य दलों से अलग राजनीतिक आडम्बरहीनता से परहेज करती है । उदाहरण के लिये पार्टी के मंत्री अपनी गाड़ियों में लालबत्ती तथा सरकार द्वारा दी जाने वाली सरकारी निजी सुरक्षा का प्रयोग नहीं करेंगे । साथ ही पार्टी के जनप्रतिनिधि आडम्बरयुक्त सरकारी आवासों का उपयोग नहीं करेंगे ।

(2) अन्य पार्टियों से अलग इस पार्टी की आंतरिक कार्यशैली लोकतांत्रिक, पारदर्शी तथा जवाबदेह है ।

इसके लिये निम्न व्यवस्थाएँ की गयी हैं:

i. पार्टी में कोई केन्द्रीय कमाण्ड नहीं होगी । इसकी शीर्ष संस्था राष्ट्रीय कांसिल के सदस्यों का चुनाव नीचे की इकाइयों द्वारा किया जायेगा । इस परिषद् द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी का चुनाव किया जायेगा तथा परिषद् को कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा सही काम करने पर वापस बुलाने का अधिकार होगा ।

ii. वित्तीय मामलों में पार्टी में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित की गयी है ।

iii. भ्रष्टाचार के दोषी तथा अपराधियों को पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिया जायेगा ।

iv. पार्टी के सदस्यों में अनुशासन व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये एक आन्तरिक आचार संहिता लागू की जायेगी ।

v. एक ही परिवार के दो सदस्य न तो पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकेंगे और न ही दो सदस्य कार्यकारिणी के सदस्य चुने जायेंगे ।

(3) जन प्रतिनिधियों की जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये पार्टी जनप्रतिनिधियों के गलत आचरण पर उन्हें पाँच साल के पहले वापस बुलाने की व्यवस्था (Right to Recall) की पक्षधर है ।

(4) पार्टी सामाजिक न्याय तथा लैंगिक समानता की प्रबल पक्षधर है । पार्टी सभी के लिये न्याय के सिद्धान्त की समर्थक है । पार्टी में महिलाओं, युवाओं, दलितों तथा अल्पसंख्यकों को हर स्तर पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करेगी ।

आम आदमी पार्टी की राजनीतिक शैली की उक्त विशेषताओं के आधार पर कहा जा सकता है कि इसके द्वारा भारत की राजनीति में एक नयी राजनीतिक संस्कृति का विकास किया जा रहा है । कई अन्य दल भी इन आदर्शों के अपनाने का दावा कर सकते हैं, लेकिन वास्तविक अन्तर सिद्धान्तों की घोषणा नहीं वरन् व्यवहार में उनका पालन करने का है ।

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