व्यापार संरक्षण: शीर्ष नौ तरीके | Protection of Trade: Top 9 Methods. Read this article in Hindi to learn about the top nine methods used for the protection of trade. The methods are:- 1. आयात शुल्क (सीमा शुल्क) (Tariffs) 2. कोटा (Quotas) 3. इनाम (Bounties) 4. विनिमय नियन्त्रण (Exchange Control) 5. व्यापारिक समझौते (Commercial Treaties) 6. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार (Boycott of Foreign Goods) and a Few Others.

व्यापार नियमों की विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, परन्तु मूलभूत रूप में वे सब सम्बन्धित देश के लक्ष्य और आवश्यकता पर निर्भर करती हैं ।

संरक्षण की सामान्य विधियों का वर्णन नीचे किया गया है:

Method # 1. आयात शुल्क (सीमा शुल्क) (Tariffs):

यह आयातों को प्रतिबन्धित करने का प्राचीनतम उपकरण है । इस विधि के अधीन उन वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाये जाते हैं जिनका देश में भी उत्पादन होता है । इस प्रकार आयात शुल्क विदेशी प्रतियोगिता की प्रबलता को कम कर देते हैं । इससे आयात की गई वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं ।

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अन्य शब्दों में, वैसी वस्तुओं के आन्तरिक उत्पादन को प्रोत्साहन मिलता है । यदि शुल्क उच्च है तो यह निषेधक बन जाता है । फलत: राष्ट्रीय बाजार को स्वयं प्रोत्साहन प्राप्त होता है और उसी वस्तु के आन्तरिक उत्पादन में तीव्र विस्तार होता है ।

इसलिये, शुल्क लगाने का मुख्य प्रयोजन आन्तरिक उत्पादन को प्रोत्साहित करना होता है । जहां यह याद रखना आवश्यक है कि प्रत्येक राजस्व शुल्क का एक संरक्षक उद्देश्य होता है क्योंकि यह विदेशी आयात को कम करता है और घरेलू उत्पादन को बढ़ाता है ।

Method # 2. कोटा (Quotas):

यह आयातों के मात्रात्मक प्रतिबन्धों से सम्बन्धित है । आयात के आकार की एक सीमा रख दी जाती है । इस सीमा की प्राप्ति के पश्चात् आयातों का निषेध कर दिया जाता है । आयात कोटा प्रणाली के अन्तर्गत घरेलू उत्पादकों को बाहर से आने वाली वस्तु की मात्रा के सम्बन्ध में बताया जाता है । अत: घरेलू देश को आन्तरिक मांग से निपटने का पूरा अवसर प्राप्त होता है ।

Method # 3. इनाम (Bounties):

इनाम विदेशी वस्तुओं का अस्पष्ट निरुत्साहन है । जब घर में निर्मित वस्तुओं के उत्पादन की लागत ऊंची होती है और यह विदेशी प्रतियोगिता का सामना करने के योग्य नहीं होती तब इस विधि को अपनाया जाता है ।

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ऐसे देश की सरकार कुल लागत का कुछ भाग इनाम के रूप में उत्पादक को देने के लिये सहमत हो जाती है । दूसरे शब्दों में- यह घरेलू देश के उत्पादक को उसकी कीमतों की हानि को पूरा करने के लिये एक प्रकार की सहायता है ।

यदि उत्पादक अपने उत्पाद को उत्पादन की लागत के नीचे बेचता है और हितकर शर्तों पर विदेशी प्रतियोगिता का सामना करता है, इस प्रकार सहायता उस विकासशील देश के कीमत लाभ को निष्क्रिय कर देती है । उदाहरणतया इस प्रकार का सहायता भारत सरकार द्वारा ‘टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी’ (TISCO) को आरम्भिक सोपानों पर दी गई थी ।

Method # 4. विनिमय नियन्त्रण (Exchange Control):

विदेशी विनिमय के अभाव की स्थिति में इस विधि का सुझाव दिया गया है । प्राय: विनिमय दर निर्यातों को उत्साहित करता है और आयातों को कम करता है । कभी-कभी, इस विधि का प्रयोग आवश्यक कच्चे माल और हितकर शर्तों पर पूंजी वस्तुओं की प्राप्ति को उत्साहित करता है ।

निर्यातों को प्रोत्साहित करने के लिये मुद्रा का अवमूल्यन किया जाता है । इस प्रकार कम विकसित देश आयातों को नियन्त्रित करने तथा एक पर्याप्त स्तर तक घरेलू उत्पादों को उत्साहित करने के लिये इस विधि का प्रयोग करते हैं ।

Method # 5. व्यापारिक समझौते (Commercial Treaties):

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दो या अधिक राष्ट्र परस्पर समझौते के अन्तर्गत एक दूसरे को व्यापार सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं । यह समझौता ‘मोस्ट फेवरड नेशन क्लाज’ (MFNC) के रूप में होता है । बिना शर्त, एम. एफ. एन. सी. के अन्तर्गत रियायतें जो एक देश दूसरे को देता है वह समझौते द्वारा प्रच्छन्न सभी देशों को अपने आप उपलब्ध हो जाती हैं ।

दूसरी ओर शर्तपूर्ण विधि के अन्तर्गत, एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को कुछ प्राप्त सुविधाओं के बदले में रियायत देता है । तीसरा देश भी उन्हीं रियायतों की आशा कर सकता है जो पहले दो राष्ट्रों द्वारा प्राप्त की गई है ।

Method # 6. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार (Boycott of Foreign Goods):

राष्ट्रवाद की भावना की उत्पत्ति द्वार देश के भीतर विदेशी वस्तुओं का कड़ाई से बहिष्कार किया जाता है जिससे प्राकृतिक साधनों का अधिकतम प्रयोग उपलब्ध होता है । प्रथम विश्व युद्ध से पहले, भारतीय उद्योगों को विदेशी प्रतियोगिता के विरुद्ध संरक्षण प्राप्त हुआ (स्वदेशी आन्दोलन के परिणामस्वरूप) परन्तु यह बहुत प्रचण्ड पग है जिनके अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में कभी-कभी गम्भीर परिणाम होते हैं ।

Method # 7. वैधानिक निषेध (Legal Prohibitions):

घरेलू उद्योगों को उत्साहित करने के लिये सरकारी नियमों द्वारा आयातों और निर्यातों पर अनेक वैधानिक प्रतिबन्ध लगाये जाते हैं । उदाहरतया, भारत में निर्मित मलमल और छपाई वाले कपड़े की इंग्लैण्ड की स्त्रियों में अत्यधिक मांग थी ।

परिणामिता, इंग्लैण्ड में निर्मित सूती कपड़े की मांग घट गई । इंग्लैण्ड सरकार को, भारतीय वस्त्रों के आयात का संसद के एक अधिनियम द्वारा निषेध करना पड़ा ।

Method # 8. राज्य द्वारा व्यापार (State Trading):

कभी-कभी सरकार समग्र विदेशी व्यापार को अपने हाथों में ले लेती है । ऐसी स्थिति में, सरकार द्वारा आयातों पर कड़ा नियन्त्रण रखना सम्भव हो जाता है ।

Method # 9. अवमूल्यन (Devaluation):

किसी देश की मुद्रा का अवमूल्यन इसके निर्यात को बढ़ा देता है और आयातों को हतोत्साहित करता है । अवमूल्यन के कारण घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा के सन्दर्भ में कम हो जाता है । अवमूल्यन आयातों को खर्चीला और निर्यातों को सस्ता बना देता है ।

कौन-सा ढंग सर्वोत्तम है? (Which Method is the Best?):

यहां एक प्रश्न मन में आता है कि संरक्षण का कौन-सा ढंग सर्वोत्तम है । संरक्षण की विभिन्न विधियों का विश्लेषण करने के पश्चात्, कोई व्यक्ति इस स्थिति में नहीं होता कि किसी ढंग को सर्वोत्तम कह सके ।

यह एक जटिल और व्याख्या योग्य प्रश्न है । कारण यह है कि प्रत्येक विधि के अपने-अपने गुण और अवगुण हैं । कोटा प्रणाली, आयात शुल्क और लाइसैंस प्रणाली का विभिन्न देशों में अधिक अनुसरण किया जाता है ।

नि:सन्देह ये विधियां देशी शुल्कों को प्रोत्साहित करती हैं परन्तु उसी समय, दूसरे देश इन विधियों को अपनाने के पक्ष में नहीं होते । इसके अतिरिक्त, कुछ देशों में देशी उद्योगों को ईनामों और रियायतों द्वारा परोक्ष रूप में संरक्षण दिया जाता है । इस विधि को बड़े स्तर पर नहीं अपनाया जा सकता क्योंकि यह बहुत खर्चीली है ।

अत: इन परिस्थितियों के अन्तर्गत हम इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते कि कोई एक विधि सर्वोत्तम है । राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुये विभिन्न देश भिन्न-भिन्न समयों में भिन्न-भिन्न विधियों का प्रयोग करते हैं ।

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