स्वान का आर्थिक विकास का मॉडल | Read this article in Hindi to learn about:- 1. स्वान के मॉडल का कथन (Statement of the Model of Swan) 2. स्वान के मॉडल के मान्यताएँ (Assumption of Swans Model) 3. समीकरण (Equations).

स्वान के मॉडल का कथन (Statement of the Model of Swan):

स्वान ने 1960 में गामागोरी, जापान में आर्थिक विकास पर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक एसोसिएशन के सम्मेलन में ‘Growth Models of Golden Ages and Production Functions’ नामक शोधपत्र प्रस्तुत किया । इसमें अविरत वृद्धि के बारे में संकल्पनाऐं प्रस्तुत की गईं । विशेष रूप से तकनीकी प्रगति की प्रकृति से सम्बन्धित मान्यताएं उल्लेखनीय रहीं ।

स्वान ने स्वर्णिम नियम की व्यत्पत्ति की । उन्होंने नव-प्रतिष्ठित मॉडलों की आलोचनाओं को स्वीकार किया व यह मत व्यक्त किया कि जोन रोबिन्सन कालडोर व चैम्परनोन के मॉडल अति विशिष्ट मान्यताओं पर आधारित हैं ।

स्वान का मत है कि आर्थिक वृद्धि के मॉडलों में से हम आर्थिक गतिरोध के संकट को उत्पन्न कर सकते हैं । माल्थस द्वारा वर्णित जनसंख्या समस्या के संकट व जाल मुद्रा प्रसार की बाधाएँ स्वयं स्फूर्ति की अस्थायित्व भरी दशाएँ और व्यापार चक्रों से प्रतिफलित समस्याएं है ।

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विचारणीय तथ्य तो यह है कि हर समस्या के निदान के लिए मात्र आर्थिक सिद्धान्त पर आधारित रहा जाता है व लोगों, जनता, व्यावहारिक तकनीक जैसे पक्षों की उपेक्षा की जाती है । इसी प्रकार भूतकाल में घटी घटनाओं व आर्थिक इतिहास पर आधारित विश्लेषणात्मक ढाँचा भी भविष्य हेतु अधिक सार्थक नहीं बन पाता ।

आर्थिक वृद्धि के सिद्धान्त को वस्तुतः कुछ सार्थक अन्तप्रेरणाओं से सम्बन्धित होना चाहिए । यह मात्र वास्तविकताओं का विवरण न हो बल्कि एक पद्धति हो जिससे विचारों को ग्रहण किया जा सके ।

यदि कुछ संकल्पनाएँ स्थापित भी की जाती हैं तब सन्देह यह होता है कि क्या यह समस्त समय अवधियों एवम् दशाओं में खरी भी उतर पाती है ? साथ ही आर्थिक वृद्धि के लिए इनका क्या उपयोग किया जा सकता है । ऐसे में यह प्रश्न भी उठता है कि क्या आर्थिक वृद्धि दश है ?

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स्वान का मत है कि एक स्वर्णिम युग एक स्थिर घातांक दर जैसे egt से परिवर्तित होती है, जहाँ g घनात्मक हो सकता है, शून्य या ऋणात्मक हो सकता है……. । स्वर्णिम युग में सभी चर एक सरल रूपान्तरण से स्थिर या अचरों में परिवर्तित हो जाते हैं तब यह सम्भव होता है कि स्वर्णिम युग या युगों की सम्भावनाओं व परिसीमाओं को ध्यान में रखा जाये ।

स्वान के मॉडल के मान्यताएँ (Assumption of Swans Model):

स्वान के मॉडल के समीकरण (Equations of Swans Model):

इस प्रकार, हम पाते है कि 1/s जितना अधिक होगा, Y/K या उत्पादन पूंजी अनुपात भी उतना ही अधिक होगा साथ ही लाभ की दर r तथा वास्तविक मजदूरी दर w भी अधिक होगी ।

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स्वान ने प्रदर्शित किया कि जब सभी लाभों को बचा लिया जाता है तथा समस्त मजदूरियों व्यय कर दी जाती हैं तब प्रति इकाई उपभोग अधिकतम होगा । उन्होंने प्रदर्शित किया कि s = α म तथा अल्पकाल में यह प्रति इकाई उपभोग को उच्च करने की दशा सचालित करेगा, यदि s में वृद्धि हो । स्वर्णिम युग में उपभोग होने के साथ α आय में लाभों के शेयर को प्रदर्शित करेगा ।

तकनीकी प्रगति की प्रस्तावना (Introduction of Technology Progress):

अभी तक हमने ऐसे उत्पादन फलन को ध्यान में रखा है जो एकरूपता एवं ह्रासमान सीमान्त प्रतिफलों की सामान्य आवश्यकताओं से सम्बन्धित है ।

अब यदि हम तकनीकी प्रगति (माना m प्रतिशत) की प्रस्तावना रखें तो समीकरण 4 को निम्न रूप में लिखते है:

 

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