उज्वा का आर्थिक विकास का मॉडल | Read this article in Hindi to learn about Uzawa’s model of economic development.

आर्थिक वृद्धि के द्विक्षेत्रीय मॉडल ऐसे प्रारूप हैं जिनमें दोनों क्षेत्रों की भिन्नताप्रद विशेषताएँ होती है । उदाहरण हेतु, इनमें से एक क्षेत्र एकरूप उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करता है जिसे उपभोग क्षेत्र कहते हैं तथा दूसरा क्षेत्र एक रूप पूंजी वस्तुओं का उत्पादन करता है जिसे विनियोग क्षेत्र कहते है ।

प्रायः दोनों वस्तुओं को उत्पादन के दो एकरूप साधनों यथा, श्रम एवं पूँजी के द्वारा उत्पादित किया जाता है जो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र के मध्य स्वतन्त्र रूप से स्थान्तरणीय होते हैं ।

सामान्यतः इस प्रकार के मॉडल ‘स्थिर गुणांक उत्पादन फलनों’ पर आधारित होते हैं । ऐसे सामान्य मॉडल में उत्पादन फलन पूंजी एवं श्रम के मध्य सतत् प्रतिस्थापनीयता रखते हैं ।

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इस पृष्ठ भूमि में हिरोफूमी उजावा ने प्रावैगिक अर्थशास्त्र पर अपना महत्वपूर्ण मॉडल प्रस्तुत किया ।

उजावा के मॉडल के आधारभूत समीकरण (Basic Equation of Uzawa’s Model): 

उजावा के मॉडल के आधारभूत समीकरण निम्न हैं जहाँ एक Symbol के ऊपर एक बिन्दु d/dt operator को सूचित करता है तथा I व C Subscripts क्रमश: विनियोग क्षेत्र व उपभोग क्षेत्र हैं ।

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समीकरण (1) श्रम-शक्ति में स्थिर आनुपातिक वृद्धि की दर की मान्यता है ।

समीकरण (2) कुल पूंजी स्टॉक में शुद्ध वृद्धि की परिभाषा, जो विनियोग क्षेत्र के उत्पादन, Y1(t) ऋण ह्रास द्वारा प्रदर्शित है जिसे विद्यमान पूँजी स्टॉक का अनुपाती माना गया है ।

समीकरण (3) व समीकरण (4) उपभोग एवं विनियोग क्षेत्र के उत्पादन फलन हैं । एक क्षेत्र का उत्पादन, इस क्षेत्र में लगी पूंजी की मात्रा एवं रोजगार प्राप्त श्रम की मात्राओं को निरूपित करता है ।

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यह उत्पादन फलन प्रतिफल के स्थिर पैमाने एवं धनात्मक व ऋणात्मक सीमान्त उत्पादकताओं को सूचित करता है ।

समीकरण (10) विनियोग-बचत Exante समानता है, इस मान्यता के अधीन कि चालू सकल राष्ट्रीय उत्पाद का एक स्थिर भाग बचाया जाता है तथा स्वचालित रूप से विनियोजित किया जाता है ।

किसी भी समय अवधि में, श्रम-शक्ति एवं पूंजी स्टाक दिए हुए हैं । श्रम-शक्ति का निर्धारण बर्हिजात रूप से एवं पूंजी स्टॉक पूर्व में किए गए संचय का परिणाम है ।

इस प्रकार समीकरण (3) से (10) सन्तुलन मात्राओं एवं कीमतों को निर्धारित करता है जो अल्पकालीन संतुलन है । जबकि समीकरण (1) एवं (2) वृद्धि साम्य के पथ को निर्धारित करता है जो दीर्घकालीन सन्तुलन है ।

व्युत्पन्न चरों की परिभाषा (Derived Variables Define):

उजावा के मॉडल में व्यूत्पन्न चरों को निम्न प्रकार स्पष्ट रूप से समझाया गया है । संक्षिप्तता के लिए t के सूचक को हटा दिया गया है ।

प्रथम अंश के उत्पादन फलनों की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए समीकरण (3) व (4) को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:

 

 

उजावा मॉडल के निष्कर्ष (Conclusion of Uzawa’s Model):

उजावा ने निष्कर्ष दिया कि पूंजी गहनता दशा सन्तुलित वृद्धि साम्य हेतु एक समर्थ दशा है । यदि ऐसी दशा सामने न आए तब बहुविध संतुलन सम्भव हो सकता है । यह भी वैकल्पिक रूप से स्थायी अथवा अस्थाई हो सकता है । अत: यदि पूंजी गहनता दशा सन्तुष्ट नहीं होती तब भी प्रणाली सन्तुलित वृद्धि साम्य की ओर जाने को अभिमुख होती है । हिरोफोमी उजावा ने इसे वैश्विक स्थायित्व कहा ।

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