दूध का विशिष्ट किण्वन | Read this article in Hindi to learn about the effects of fermentation of milk.

1. दूध का खट्टा होना (Souring of Milk):

दूध का खट्टा होना दूध का सामान्य किण्वन है । जीवाणुओं द्वारा उत्पादित एन्जाइम की क्रिया से लैक्टोज का लैक्टिक अप्ल में परिवर्तन होने से दूध में अम्लता बढती है । इन जीवाणुओं में Lactococcus Lactics, Lactococcus Cremosis प्रमुख हैं । अम्ल उत्पादन में यीस्ट तथा मोल्ड की भूमिका नगण्य करते है ।

Lactococcus Species के जीवाणु दूध में सामान्य ताप (10C से 37C) पर कार्य करते है । इनके लिए उपयुक्त ताप 18.3C से 29.9C है । ये दूध को 0.6 से 0.7% अम्लता पर स्कन्दन कर उसे दही में परिवर्तित कर देते हैं । यह प्रक्रिया Curding कहलाती है । इन जीवाणुओं द्वारा दूध में 1% तक अम्लता उत्पादित की जा सकती है ।

लैक्टिक अम्ल उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं का दूसरा समूह Lactobacillus Spp. है इनमें Lactobacillus Bulgrious, L. Acedophillus तथा L.Casei है । ये जीवाणु लैक्टोज को लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित करके दूध में 2-4% प्रतिशत तक अम्लीयता बढ़ा सकते है ।

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इनकी कार्यशीलता के लिए उचित तापमान 37C से 43.3C है । ये 15.5C से कम ताप पर अक्रियाशील हो जाते हैं । इन जीवाणुओं का उपयोग पेट रोगों में आन्तिक किण्वन (Intestinal Fermentation) को रोकने के लिए चिकित्सा विज्ञान में भी किया जाता है ।

दूध में लैक्टीज से उत्पन्न खट्टापन दो वर्गों में बाट सकते हैं:

i. Homofermentation – Lactose → Lactic Acid (98-99%) + CO2 (1-2%)

ii. Heterofermentation – Lactose → Lactic Acid (50%) + Acetic Acid + CO2/50%

2. खट्टापन तथा गैस उत्पादन (Souring and Gassiness):

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खाद तथा कचरे में पाये जाने वाले कुछ जीवाणु जैसे Escherichia Coli, Aerobactor Aerogeness के द्वारा भी लैक्टोज का किण्वन लैक्टिक अम्ल में किया जाता है । ये जीवाणु लैक्टिक अम्ल के साथ-साथ अन्य अम्ल तथा कुछ गैस भी निर्मित करते हैं ।

अतः दूध में इनकी उपस्थिति होने से उससे निर्मित दही या चीज अच्छी गुणवत्ता युक्त नहीं बनती हैं । किण्वित दुग्ध पदार्थों में अवांछनीय गन्ध उत्पन्न हो जाती है । दूध में यीस्ट तथा बीजाणु बनाने वाले जीवाणु गैस बनाते है ।

3. सुवास/सौरथ तथा सुरस उत्पादन (Aroma and Flavour Production):

दूध में अच्छी सुवास तथा सुरस उत्पादन Lactococcus एसपीपी. के सहयोगी (Associated) जीवाणु प्रमुखतः Leuconostoc Citrovorum तथा Leuconostoc Dextranicum द्वारा सिट्रिक अम्ल पर क्रिया द्वारा किया जाता है ।

इन जीवाणुओं की क्रिया के फलस्वरूप दूध में कुछ वाष्पशील अम्ल जैसे Acetic Acid, Diacetyle आदि बनते है जो दूध से हवा में विसरित होकर अपनी विशिष्ट गन्ध फैलाते है । मक्खन निर्माण हेतु जामन में इन जीवाणुओं का बडा महत्व है ।

4. प्रोटीन विघटन (Proteolysis):

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प्रोटीन के विघटन को Proteolysis या Peptonization कहा जाता है । दूध की प्रोटीन को विघटित करने वाले जीवाणुओं में Bacillus Subtilis, Streptoliquefacience, Clostridium Butyricum तथा Serratia Macescens प्रमुख है ।

इस विघटन के परिणामस्वरूप अपसुरस (Off-Flavour) तथा अवांछनीय गन्ध उत्पन्न हो जाती है । अमीनो अम्बल बन जाने के कारण स्वाद में कड़वाहट भी आ जाती है । यद्यपि चीज में वांछित जीवाणु तथा मोल्ड द्वारा Proteolysis से सुहावनी सुवास (Pleasant Aroma) उत्पन्न करायी जाती है ।

5. क्षार उत्पादन (Alkali Production):

दूध में कुछ जीवाणु कार्बनिक अम्लों के लवणों पर क्रिया करके उन्हें क्षारीय कार्बोनेटस में परिवर्तित कर देते है, फलस्वरूप दूध की प्रतिक्रिया क्षारीय हो जाती है । इस प्रकार के किण्वन का विशिष्ट व्यवसायिक महत्व नहीं है ।

6. सूत्रता (Ropines):

दूध में Lacctococcus Lactis Var. Hallandicus व Alcaligenes Vincosus आदि कैपसूल बनाने वाले जीवाणु चिपकने वाला गोद जैसा पदार्थ (Sticky-Gum Like) बनाते हैं । इस प्रकार के दूध को यदि ऊपर से गिराए तो एक रस्सी (Rope) जैसी रचना बनती है जिसकी लम्बाई कुछ इन्च से कई फीट तक हो सकती है ।

इस प्रकार के दूध को रोपी दूध कहा जाता है । ये जीवाणु सतही जल (Surface Water) में पाये जाते हैं । गाय या भैस को अयन की बिमारी (Mastitis) होने पर उसके दूध में Pus, Tissue Cells तथा रक्त संघटक (Blood Constituents) होने के कारण Stringy या Slimy Condition पायी जाती है । यह दूध की एक असामान्य दशा होती है न कि किण्वन दशा अतः यहाँ पर Ropiness तथा Sliminess में भिन्नता को स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए ।

7. मधुरित जमाव (Sweet Curding):

कभी-कभी दूध अम्ल की अनुपस्थिति में भी स्कन्दित हो जाता है जिसका कारण Basillus Coagulance तथा Bacillus Substilis जीवाणुओं द्वारा Rennet-Like-Enzyme उत्पादन करना है । इस प्रकार के स्कन्दन में प्रोटीन विघटन से अमीनो अम्ल उत्पादन के कारण दूध का स्वाद कडवा भी हो सकता है ।

यह किण्वन सामान्य दूध या पास्तुरीकृत दूध में कम ताप पर संग्रहण के समय भी हो सकता है । यह Pasteurized तथा Sterilized Milk में बीजाणु बनाने वाले जीवाणु जैसे B.Cerus, B.Mycoides तथा Str. Liquifaciens द्वारा हो जाता है ।

8. व्यूटाइरिक अम्ल किण्वन (Butyric Acid Fermentation):

खट्टी क्रीम को सामान्य से उच्च ताप पर संग्रहीत करने पर उसमें Clostridium Butyricum जीवाणु वृद्धि के कारण Butyric Acid उत्पन्न हो जाता है । इसके साथ-साथ कुछ गैस तथा अवांछनीय सुवास भी उत्पन्न हो जाती है । दूध में इन जीवाणुओं का प्रवेश गोबर, साइलेज या मिट्टी से होता है ।

9. कडवी गन्ध (Bitter Flavour):

पशुओं को तीव्र गन्ध युक्त चारा खिलाने या दूध की तीक्ष्ण गन्ध युक्त पदार्थों के पास रखने या दूध में Streptococcus Liquefaciens, Pseudomonas Florescence, Bacteria Subtilis तथा Torula Amorma के संक्रमण से भी कडवी गन्ध उत्पन्न हो जाती है ।

यीस्ट के संक्रमण से दूध में फलों जैसी गन्ध (Fruity Flavour) उत्पन्न हो जाती है । कडवी गन्ध दूध को कम ताप पर संग्रहण के समय मधुरित जमाव या वसा, प्रोटीन व लैक्टोज के विघटन के कारण होती है ।

10. झाग बनना (Frothiness):

कुछ विशिष्ट प्रकार के सूक्ष्म जीवाणु जैसे Arobactor Acrogenes, Torula Cremoris तथा Torula Sperica आदि द्वारा दूध में रासायिनक परिवर्तनों से गैस उत्पादिक होकर झाग बनते हैं ।

11. रंग उत्पन्न होना (Production of Colour):

दूध में विभिन्न जीवाणु भिन्न-भिन्न रंग उत्पन्न करते है इन जीवाणुओं को Chromogenic Microorganism कहते हैं । नीला रंग Pseudomonas Syncyanea व Pseudomonas Synxanthus, पीला रंग Streptococcus Lutea, Mycobacterium Folium, व Bacterium Erythrogen, लाल रंग Serratia Marcesens तथा हरा रंग Pseudomonas Fluorescens द्वारा उत्पन्न किया जाता है ।

12. एल्कोहल किण्वन (Alcohol Fermentation):

इस प्रकार के किण्वन के परिणाम स्वरूप लैक्टोज से इथाइल एल्कोहल दूध में उच्च अम्लता की अवस्था में Yeast द्वारा बनता है । Saccharomyces Cereviseae द्वारा एल्कोहल डिहाइड्रोजिनेज एन्जाईम उत्पादन से एल्कोहल बनता है ।

13. वसा का टूटना (Bitty or Broken Cream):

कच्चे या निरोगित दूध में B.Cerus या B.Mycoides आदि द्वारा वसा कणों को अलग-अलग कर दिया जाता है जो मिलने के प्रयास के बाद भी नहीं मिलते है । चाय या काफी बनाने पर उसमें अलग-अलग तैरते रहते हैं बोतलों में ढक्कन के नीचे Cream Plug भी बन जाता है । यह अवगुण Bitty or Broken Cream कहलाता है ।

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