डेयरी अंकगणितीय: समस्याएं और समाधान | Read this article in Hindi to learn about the problem and solution of dairy arithmetic.

डेरी सयन्त्रों में प्रबन्धकों को कुछ अंकगणितीय समस्याओं का समाधान करना पड़ता है । इन अंकगणितीय समस्याओं समस्या में विशिष्ट दूध का संगठन निर्धारण, आईस्क्रीम में संगठन तथा ओवर रन निर्धारण, मक्खन में ओवर रन निर्धारण, क्रीम का उदासीनीकरण तथा अन्य विभिन्न मानकीकरण क्रियाएं सम्मिलित हैं ।

प्रथमत: इन गणितीय समस्याओं का पहले गम्भीरता-पूर्वक निरीक्षण करें तथा शीघ्रतापूर्वक उनका समाधान निकालना ही दक्षता है । इन समस्याओं के समाधान की प्रक्रिया में दक्षता, अनुभव के आधार पर प्राप्त होती है ।

दूध तथा क्रीम का मूल्य निर्धारण (Determining the Price of Cream and Milk):

वर्तमान में दूध का क्रय, दुग्ध उद्योग में वसा तथा वसा रहित ठोस पदार्थों अर्थात् “द्विकेन्द्री मूल्य निर्धारण प्रणाली” के आधार पर किया जा रहा है । इसमें SNF का मूल्य, वसा के मूल्य का 2/3 लिया जाता है ।

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दूध की दर, गणना के लिए निर्धारित दुग्ध वसा की दर के आधार पर निकाली जाती है । माना दुग्ध वसा का मूल्य रु.150 प्रति कि.ग्रा. है तो SNF का मूल्य रु.100 प्रति कि.ग्रा. होगा ।

दूध के भार तथा आयतन में सम्बन्ध (Weight and Volume Relationship in Milk):

दूध का आपेक्षिक घनत्व 1.030 तथा घी का 0.93 होता है इसका अर्थ है कि मानक ताप तथा दाब पर एक मि.ली. दूध का भार 1.030 ग्राम तथा 1 मि.ली. घी का भार 0.93 ग्राम होगा ।

परिभाषानुसार मानक ताप तथा दाब पर एक मि.ली. शुद्ध जल का भार एक ग्राम होता है । इसी प्रकार इनके विलोमानुपाती मानक ताप तथा दाब पर एक ग्राम घी का आयतन 1/0.93 = 1.0753 मि.ली. तथा 1 ग्राम शुद्ध दूध का आयतन 1/01.030 = 0.97 मि.ली. होगा ।

इस प्रकार- 100 ली. दूध का भार = 103 कि.ग्रा.

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100 ली. घी का भार = 93 कि.ग्रा.

100 कि.ग्रा. दूध का आयतन = 97.087 लीटर

100 कि.ग्रा. घी का आयतन = 107.53 लीटर

भार तथा आयतन के इस सम्बन्ध की प्रयोगात्मक उलझन उस समय उत्पन्न होती है जब डेरी पर दूध का क्रय भार के आधार पर तथा विक्रय आयतन के आधार पर किया जाता है ।

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दूध की प्राप्ति, प्रसंस्करण तथा वितरण में हानि को शून्य मानते हुए यदि हम यह गणना करें- माना एक डेरी पर किसी दिन 1.031 आपेक्षिक घनत्व का 1,00,000 कि.ग्रा. दूध खरीदते हैं तथा वितरण आयतन के आधार पर करें को प्राप्ति, प्रसंस्करण तथा वितरण में हानि शून्य होते हुए भी अन्तिम वितरण 96993.2 लीटर का होगा ।

भार तथा आयतन के इस अन्तर को कई बार रख-रखाव हानि में सम्मिलित कर लिया जाता है परन्तु यह वास्तव में हानि नहीं है बल्कि माप के पैमाने की भिन्नता है ।

दूध को गर्म करने पर यह आयतन में बढ़ जाता है । दूध को 4°C से 40°C तक गर्म करने से उसके आयतन में 1.26% की वृद्धि हो जाती है । दूध का ताप 40°C से 90°C करने पर आयतन वृद्धि 4.75% है जबकि दोनों स्थितियों में भार में कोई परिवर्तन नहीं होता है ।

दूध में 40°C ताप पर 10% चीनी मिलाने पर आयतन में 6.2% की वृद्धि होती है जबकि भार में 10% की वृद्धि होती है । यदि इस मीठे दूध को 95°C ताप तक गर्म किया जाये तो 5.3% आयतन वृद्धि और हो जाती है । यह नोट किया गया है कि 60°C ताप पर 17.6 मि.ली. दूध का भार, इसी आयतन के दूध के 10°C ताप पर भार से 0.32 ग्रा.म. कम होता है ।

इस प्रकार की भिन्नताओं को ठीक से पहचान कर संयंत्र अभिलेखों में अंकित करना चाहिए अन्यथा यह हानि या लाभ में अंकित हो जायेगा जो वास्तव में भूल होगी ।

दूध में अवयवों का मिलाना या उससे निकालना (Addition or Removal of Components to/from Milk):

किसी मिश्रण में कोई अवयव मिलाना या उससे कोई अवयव निकालना उसके संगठन को परिवर्तित कर देता है । उदाहरणार्थ 50 प्रतिशत शर्करायुक्त 100 कि.ग्रा. विलयन में 10 कि.ग्रा. शर्करा मिलाने से 54.54% शर्करायुक्त 110 कि.ग्रा. विलयन प्राप्त होता है ।

इसी प्रकार 4% वसा तथा 8.9% वसा रहित ठोस युक्त दूध में 40% वसा युक्त क्रीम मिलाकर 4.5% वसा तथा 8.5% वसा रहित ठोस युक्त दूध प्राप्त करना सरल कार्य नहीं है । दूसरी तरह से विचारने पर 4% वसा मुक्त दूध को 3.5% वसा युक्त दूध में परिवर्तित करने के लिए 40% वसा युक्त क्रीम की निकाली जाने वाली मात्रा निर्धारित करना भी तकनीकी कार्य है ।

इस प्रक्रिया में क्रीम में वसा के साथ कुछ मात्रा में पानी तथा वसा रहित ठोस भी दूध से निकल जाते हैं । इस प्रकार के संगठनात्मक परिवर्तनों का ज्ञान तथा उन पर नियन्त्रण की विधि का ज्ञान डेरी प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में कार्यरत कार्यकारी अधिकारी व कर्मचारी को होना आवश्यक है ।

A. मानकीकरण (Standardization):

दूध तथा दुग्ध उत्पाद के प्रसंस्करण में उनके संगठन का मानकीकरण आवश्यक है । मानकीकरण एक या अधिक अवयवों के लिये किया जा सकता है । दूध की स्थिति में मानकीकरण को Toning या Blending भी कहते हैं । सामान्यतया दूध का मानकीकरण वसा तथा वसा रहित ठोस की वैधानिक आवश्यकता पूर्ति के लिए किया जाता है ।

मानकीकरण की दृष्टि से विपणित दूध को 4 समूहों में विभक्त किया जा सकता है:

1. वसा शुद्धिकृत पूर्ण दूध (Fat Corrected Whole Milk) = 6.0% वसा तथा 9.0% वसा रहित ठोस ।

2. मानकीकृत दूध (Standardized Milk) = 4.5% वसा तथा 8.5% वसा रहित ठोस ।

3. टोंड दूध (Toned Milk) = 3.0% वसा तथा 8.5% वसा रहित ठोस ।

4. दोहरा टोंड दूध (Double Toned Milk) = 1.5% वसा तथा 9.0% वसा रहित ठोस ।

दूध के मानकीकरण में जल, सप्रेटिड दूध, सप्रेटिड दुग्ध चूर्ण, क्रीम तथा बटर आयल का प्रयोग किया जाता है । दूध को वसा तथा वसा रहित ठोस के लिए मानकीकरण के अलावा केसीन, केसीन-वसा अनुपात, शर्करा प्रतिशत तथा कुल दुग्ध ठोस आदि के लिए भी मानकीकृत किया जाता है ।

B. क्रीम पृथक्करण (Cream Separation):

दूध से मानकीकरण तथा अपमिश्रण दोनों क्रियाओं में क्रीम पृथक्कीकृत की जाती है । दुग्ध वसा, दूध में सर्वाधिक मूल्यवान पदार्थ हैं, अत: अतिरिक्त लाभ कमाने की दृष्टि से इसे व्यवसायियों द्वारा पृथक कर लिया जाता है ।

क्रीम पृथक्कीरण का यह उद्देश्य, अपमिश्रण की श्रेणी में आता है । लेकिन जब दूध के मानकीकरण में क्रीम का पृथक्करण वैधानिक आवश्यकता पूर्ति के लिए किया जाता है तो मानकीकरण की श्रेणी में आता है ।

मानकीकरण में यह ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है कि क्रीम का अमुक मात्रा प्राप्त करने के लिए कितना दूध आवश्यक है या दूध की अमुक मात्रा से क्रीम की कितनी मात्रा प्राप्त की जा सकती है । दोनों ही स्थितियों में अंकगणितीय गणना की सहायता ली जाती है ।

C. दुग्ध अपमिश्रण (Milk Adulteration):

सामान्यतया दुग्ध व्यापारियों द्वारा जब दूध को कच्चा व खुला बेचा जाता है तो वे लाभ कमाने की दृष्टि से उसमें पानी या सप्रेटा दूध की मिलावट करते हैं । कभी-कभी अधिक वसा युक्त दूध से क्रीम भी निकाल ली जाती है । इस तरह की मिलावट का आसानी से पता लगाया जा सकता है ।

दुग्ध वसा, दूध में पाये जाने वाले अन्य अवयवों से अधिक मूल्यवान है तथा दूध में इसकी मात्रा वैधानिक मानकों द्वारा निर्धारित स्तर से अधिक पायी जाती है । इसका लाभ उठा कर व्यवसायी दूध की उसी वसा से दूध का, पानी व सप्रेटिड दूध मिला कर आयतन वृद्धि करके या दूध में से क्रीम निकाल कर लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते है ।

जब आयतन वृद्धि के लिए पानी मिलाया जाता है तो लैक्टोमीटर पाठयांक में कमी आ जाती है । इस दूध के लक्टोमीटर पाठयांक को मूल दूध में स्टार्च या सप्रेटा दूध मिला कर सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है ।

चूंकि चीनी का मूल्य अधिक होता है तथा स्टार्च दूध के स्वाद में परिवर्तन करता है, अत: पानी द्वारा मिलावट किये गये दूध में व्यवसायी सप्रेटा का प्रयोग लैक्टोमीटर पाठयांक को सामान्य स्तर तक लाने में करते हैं ।

इस प्रकार यह पानी तथा सप्रेटा दूध द्वारा मिलावट युक्त दूध, वैधानिक रूप से निर्धारित वसा तथा वसा रहित ठोस के स्तर को पूरा करता है तथा व्यवसायी द्वारा इसे शुद्ध दूध कह कर बेचा जाता है । जबकि वास्तव में यह मिलावटी होता है ।

दूध में मिलावट ज्ञात करने के लिए उसकी वसा प्रतिशत तथा लैक्टोमीटर पाठयांक प्रयोग किया जाता है । दूध में पानी मिलाने से उसका लैक्टोमीटर पाठयांक तथा वसा प्रतिशत समान अनुपात में घटते हैं जबकि सप्रेटा दूध की मिलावट करने से लैक्टोमीटर पाठयांक बढ़ता है तथा वसा प्रतिशत घटता है जिससे दुग्ध अवयवों में अनुपातिक असन्तुलन हो जाता है ।

क्रीम तथा मक्खन सम्बन्धी गणनाएं (Calculations Pertaining to Cream and Butter):

क्रीम का उदासीनीकरण (Neutralization of Cream):

क्रीम में अम्लता प्रतिशन निर्धारण (Determination of Acidity Percentage in Cream):

अम्लता प्रतिशत निर्धारण में फिनोल्फथेलीन सूचक का प्रयोग करते हुए N/10 या N/9, NaOH का प्रयोग किया जाता है तथा अम्लता, लैक्टिक अम्ल के प्रतिशत के रूप में आंकलित की जाती है ।

CH3CHOHCOOH + NaOH → CH3 CHOH COONa + H2O

Lactic Acid (90) + Sodium Hydroxide (40) → Sodium Lactate + Water

यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि लैक्टिक अम्ल का एक अणु सोडियम हाइड्रोक्साईड के अणु द्वारा उदासीन हो जाता है । अत: 40 ग्राम NaOH, 90 ग्राम CH3CHOHCOOH को उदासीन कर सकता है । या 1 लीटर N.NaOH विलयन (जिसमें 40 ग्राम सूखा NaOH होता है) 90 ग्राम लैक्टिक अम्ल उदासीन करेगा ।

Because 1 Lit. N NaOH Neutralized 90gms of Lactic Acid

Therefore, 1ml N.NaOH Neutralized 90/1000gm of Lactic Acid

And 1ml N/9 NOH 90 / 1000 × 9 = 0.01gm of Lactic Acid

In Case of N/10 NaOH

1ml. Neutralized 90 / 100 × 10 = 0.009gm of Lactic Acid

The following formula may be used in acidity estimation:

Lactic Acid Percentage = Neutralizer Factors × No. of ml NaOH used × 100 / Weight of Cream Taken

In 10gm of Cream Required 3ml of N/9 NaOH then

Acidity Percentage = 0.01 × 3 × 100 / 10 = 0.30 (Answer).

उदासीनकारी का उदसीनीकरण कारक ज्ञात करना (Determination of Neutralizer Factor of Neutralizers):

उदासीनीकरण का सिद्धान्त क्षार तथा अम्ल की प्रतिक्रिया पर आधारित है जिसे निम्नलिखित प्रकार से दर्शाया जा सकता है:

NaHCO3(84) + CH3CHOHCOOH(90) → CH3CHOHCOONa + H2O + CO2

उदासीनीकरण कारक (Neutralizer Factor):

एक इकाई लैक्टिक अम्ल को उदासीन करने के लिए आवश्यक उदासीनकारी की उसी इकाई में मात्रा, उस उदासीनकारी का उदासीनकरण कारक कहलाता है । लैक्टिक अम्ल तथा सोडियम बाईकार्बोनेट का अणु भार क्रमश: 90 तथा 84 है ।

लैक्टिक अम्ल का एक अणु सोडियम-बाई-कार्बोनेट के एक अणु द्वारा उदासीन हो सकता है । उपरोक्त समीकरण दर्शाती है कि 90 ग्राम लैक्टिक अम्ल 84 ग्राम सोडियम-बाई-कार्बोनेट द्वारा उदासीन हो जाती है । अब हमें यह गणना करनी है कि एक इकाई लैक्टिक अम्ल को उदासीन करने के लिए NaHCO3 की कितनी मात्रा आवश्यक होगी ।

गणना विधि नीचे दी गयी हैं:

 

Because 90gms of Lactic Acid is neutralized by 84gms NaHCO3

Therefore 1gm of Lactic Acid is neutralized by 84/90 = 0.933

One Unit of Lactic Acid is, therefore, Completely Neutralized by 0.933 Units of NaHCO3 in the similar way, the Neutralizer Factor of Other Neutralizers can be estimated.

उदासीनीकरण के प्रकार (Types of Neutralization):

उदासीनीकरण में प्रयोग होने वाले उदासीनकारी तथा क्रीम में उपस्थित उदासीन किये जाने योग्य अम्लता की मात्रा को दृष्टिगत रखते हुए उदासीनीकरण को दो वर्गों में विभक्त किया गया है:

1. एकल उदासीनीकरण (Single Neutralization):

उदासीनीकरण प्रक्रिया में जब मात्र एक प्रकार के उदासीनकारी (सोडा या चूना) का प्रयोग किया जाता है तो इसे एकल उदासीनीकरण के नाम से जानते हैं । अधिक अम्लता प्रतिशत होने पर एक ही उदासीनकारी के प्रयोग से क्रीम में उदासीनकारी की गन्ध तथा स्वाद उत्पन्न हो जाता है । जो क्रीम की विपणन गुणवत्ता को विपरीत रूप से प्रभावित करता है ।

2. दोहरा उदासीनीकरण (Double Neutralization):

क्रीम में उदासीन करने योग्य अधिक अम्लता प्रतिशत को उदासीन करने के लिए अधिक मात्रा में प्रयुक्त विशिष्ट उदासीनकारी के गन्ध तथा स्वाद से क्रीम के बचाव के लिए दोनों वर्गों के दो या अधिक उदासीनकारियों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में प्रयोग किया जाता है ।

इस विधि या प्रक्रिया को दोहरा उदासीनीकरण कहते हैं । सोडा वर्ग के उदासीनकारी का अधिक मात्रा में प्रयोग करने पर क्रीम में उदासीनीकरण के समय अधिक मात्रा में CO2 बनती है ।

NaHCO3 + CH3CHOHCOOH → CH3CHOHCOONa + H2O + CO2

CO2, उदासीनीकरण के समय अधिक मात्रा में झाग उत्पादित का उदासीनीकरण प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं । इसके साथ क्रीम में अन्तिम अम्लता परीक्षण को भी विपरीत रूप में प्रभावित करती है ।

अत: दोहरा उदासीनीकरण में क्रीम की अम्लता को उपस्थित स्तर से 0.3-0.4% तक कम करने के लिए पहले चूना वर्ग के उदासीनकारी का प्रयोग करते हैं तथा बाद में कम मात्रा में शेष अम्लता को सोडा वर्ग के उदासीनकारी द्वारा उदासीन करते हैं ।

इस विधि द्वारा अधिक मात्रा की अम्लता को उदासीन करने में चूंकि दोनों वर्गों के उदासीनकारियों का प्रयोग होता है कोई विशिष्ट गन्ध व स्वाद उत्पन्न नहीं होता है ।

पूर्ण दूध तुल्यांक (Whole Milk Equivalents):

पूर्ण दूध तुल्यांक, पूर्ण दूध की वह मात्रा है जो किसी विशिष्ट दूग्ध उत्पाद की एक कि.ग्रा. मात्रा उत्पादन के लिए आवश्यक होती है । यह मन समय, संयन्त्र, प्रसंस्करण हानि, प्रयोग तकनीक आदि कारकों द्वारा दूध के संगठन तथा पदार्थ के संगठन में भिन्नता के कारण, भिन्नता दर्शाता है ।

इसकी गणना करते समय रख-रखाव की मानक हानियों को सम्मिलित किया जाना चाहिए । प्रसंस्करण के समय बनने वाले उप उत्पाद की मात्रा व संगठन भी दुग्ध तुल्यांक के मान को प्रभावित करते हैं ।

कुल ठोस निर्धारण (Total Solids Estimation):

A. सूत्र का प्रयोग:

विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा तीन विशिष्ट परिचलो वसा प्रतिशत, लैक्टोमीटर पाठयांक तथा स्थिर कारक में सम्बन्ध स्थापित करते हुए दूध में कुल ठोस निर्धारण हेतु कुछ सूत्र विकसित किये हैं ।

जो निम्नलिखित हैं:

1. The British Standard Institution Recommends the Formula, T.S % = 0.25, D + 1.22, F + 0.72 at 20°C for use in Great Britain.

2. Richmond’s Formula is:

T.S % = 0.25 G + 1.2F + 0.14 at 60°F

Where, D = 1000 × (Density – 1) at 68°F

G = 1000 × (Sp. gr. – 1) at 60°F

F = Fat Percentage

SNF = 0.25D + 0.22F + 0.72.

3. Formulae for Indian Milk:

S = 0.216G + 0.124F + 1.307 for Cow Milk

S = 0.206G + 0.139F + 1.815 for Buffalo Milk

Where, S = Solids Not Fat Percent

G = Lactometer Reading at 15°C

F = Fat Percent in Milk.

इन सूत्रों का प्रयोगात्मक उपयोग सीमित है क्योंकि ये नमूनो की पर्याप्त संख्या पर आधारित नहीं हैं । वसा, लैक्टोज, प्रोटीन तथा खनिज लवण दूध के प्रमुख ठोस अवयव है । यदि वसा को सम्मिलित न करें तो शेष ठोस अवयवों को वसा रहित ठोस (Solids Not Fat-SNF) कहते हैं ।

प्रयोगशाला में दूध में कुल ठोस निर्धारण के लिए ग्रेविमैट्रिक विधि का प्रयोग किया जाता है । दूध के कुल ठोस में सम्मिलित अवयवों में एक विशेष सम्बन्ध होता है ।

B. रिचमंड पैमाने का उपयोग (Use of Richmond’s Scale):

दूध में कुल ठोस % का निर्धारण रिचमंड स्केल के प्रयोग द्वारा भी किया जा सकता है । नमूने के दूध का लैक्टोमीटर पाठयांक निर्धारित करते हैं । प्राप्त लैक्टोमीटर पाठयांक को पैमाने पर अंकित तापमान अंकों में 20°C के चिन्ह के नीचे लाकर दूध के वास्तविक तापमान के अंक के नीचे LR (Lactometer Reading) का अंक नोट करते हैं ।

जो इस नमूने के लिए CLR (Correct Lactometer Reading) होगा । अब पैमाने के गतिशील भाग पर अंकित तीर के निशान को (सीधे रूप में) नमूने में वसा प्रतिशत के अंक के नीचे मिला कर, CLR के अशांकन में C.L.R. के नीचे स्थिर भाग पर अंकित कुल ठोस का अंक नोट करते हैं । प्राप्त अंक दूध के नमूने में कुल ठोस प्रतिशत है ।

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