संचार की बाधाएं (समाधान के साथ) | Read this article in Hindi to learn about the barriers of communication along with its solutions.

संगठन में संचार के मार्ग में विभिन्न कठिनाइयां आती हैं । इनमें से कुछ तो संगठन की आंतरिक समस्याएं है जैसे पदसोपान के स्तर आदि और कुछ व्यक्तिगत तथा बाहरी बाधाएं हैं ।

1. भाषा संबंधी बाधाएं (Semantic Barriers):

(a) अनेकार्थी शब्दों का प्रयोग:

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टेरी के अनुसार कभी-कभी प्रयुक्त शब्दों का अर्थ समझना कठिन हो जाता है । शब्दों का प्रयोग ऐसा किया जाता है कि वह विभिन्न व्यक्तियों के लिये तो भिन्न हो ही जाते हैं, एक व्यक्ति के लिये भी सदैव समान अर्थ नहीं रखते है।

(b) गबिलिडीगुड भाषा:

रूडोल्फ फ्लेश ने अपने लेख “More about Gobbledygook” में कहा कि संगठन में जो भी अधिकृत संचार होता है उसमें ऐसी कानूनी और अति औपचारिक भाषा का इस्तेमाल होता है जिसे आम आदमी के लिये समझना मुश्किल होता है ।

ऐसा सरकारी कार्यालयों में अधिकांशतया होता है । उनके अनुसार अति-उपयुकत, अति-अमूर्त और अति-अव्यैक्तिक बनाने के चक्कर में आधिकारिक भाषा अत्यधिक रूखी, यहां तक की असहमतिपूर्ण बन जाती है ।

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(c) गूढ़ता और क्लिष्टता:

वस्तुतः सांगठनिक भाषा जब अत्यधिक गूढ़ और जटिल हो जाती है तो संचार के उद्देश्य पर ही पानी फेर देती है ।

2. मानसिक धारातलों में अंतर और वैचारिक बाधाएं (Ideological Barriers):

फिफनर कहते है कि प्रेषक और प्राप्तकर्ता के मध्य मानसिक भिन्नता भी संचार के प्रभावी प्रवाह को अवरूद्ध करती है । फिफनर के अनुसार- ”संगठन में कार्यरत व्यक्तियों की पृष्ठभूमि, शिक्षा और अपेक्षाओं में अंतर उनके सामाजिक और राजनीतिक विचारों में भी भिन्नता उत्पन्न कर देते है । संभवतया प्रभावी संचार की यह सबसे बड़ी रूकावट है और शायद इसे दूर करना भी उतना ही मुश्किल है ।”

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3. पदसौपान के स्तर:

संचार जब विभिन्न स्तरों से गुजरता है तो उसमें अनेक नयी बाते जुड़ सकती हैं या कतिपय बातें छंट सकती है । ऐसा अन्य कारणों से भी हो सकता है जैसे अर्थ ठीक ढंग से नहीं समझना आदि । लेकिन इसकी सीमा पदसौपान के स्तरों के अनुरूप अधिक या कम होती है । जितने अधिक पदसोपान के स्तर होंगे उतनी ही अधिक संभावना छंटनी (Filteration) या जुड़ायी (Addition) की होगी ।

4. द्वि-मूल्य आधारित सोच (Hello Effects):

हिक्स और गुलेट ने संचार की एक बाधा के रूप में ”हेलो इफेक्ट” का उल्लेख किया है । हेलो इफेक्ट अर्थात द्विमूल्य आधारित सोच या आभा मंडल का आभासी प्रभाव । इसमें हम वस्तु या घटना के प्रति दो विरोधी मत रखते है जैसे सही और गलत, अच्छा और बुरा आदि ।

लेकिन हिक्स कहते हैं कि अधिकांश स्थितियां द्विमूल्य आधारित नहीं रहती, जैसे ईश्वर के बारे में राय । यहां मात्र अच्छा ही रहेगा, बुरा नहीं । परिणाम यह होता है कि हमारी ”हेलो इफेक्ट” सोच अत्यंत वास्तविक स्थितियों को भी अति सरलीकृत कर सकती है । जबकि उनके बारे में मात्र एक ही तथ्य होना चाहिये, हम विपरित तथ्य भी गढ़ लेते है ।

5. रूढ़िवादिता या पारंपरिक कट्‌टरता (Dogmatism):

व्यक्ति अपनी पूर्व सूचना या किसी तथ्य, विश्वास को लेकर इतना कट्‌टर होता है कि वह उससे संबंधित नयी बात, तथ्य सुनना पसंद नहीं करता ।

6. स्टीरियो टायपिंग (Stereo Typing):

जब वस्तुओं या घटनाओं के अपर्याप्त विलगीकरण के कारण संचार की विषय वस्तु का अर्थ व्यक्ति अपनी अपेक्षानुरूप लगता है, तो स्टीरियो टायपिंग जैसी समस्याएं खड़ी होती हैं । अर्थात संचार-सामग्री में अनेक बातें इतनी मिश्रित हो जाती हैं कि उसकी स्पष्टता समाप्त हो जाती है ।

7. संचार की अनिच्छा (Lack of will to Communicate):

माहेश्वरी के अनुसार संचार की एक बाधा यह भी है कि व्यक्ति अपने उच्चाधिकारियों के रुख रवैये के कारण संचार के प्रति उदासीन या अनिच्छुक होते है । टालमटोल की प्रवृत्ति भी संचार को अवरूद्ध करती है ।

8. संचार साधनों की स्थिति:

संचार साधनों का अभाव तो संचार की बाधा है ही, संचार साधनों की बहुलता भी संचार की बाधा बन जाती है क्योंकि ऐसी स्थिति में यह तय नहीं हो पाता कि किस माध्यम से संचार करें और कभी-कभी गलत माध्यम चुन लिया जाता है ।

9. अन्य बाधाएं:

(a) उपयुक्त संचार साधनों का अभाव ।

(b) कार्मिकों के मध्य मधुर संबंधों का अभाव ।

(c) संगठन के अनुकूल संचार प्रणाली का नहीं होना ।

(d) प्रतिपेषण का अभाव ।

(e) संगठन का बड़ा आकार ।

(f) भौगोलिक और सामाजिक दूरी ।

प्रभावी संचार प्रणाली- संचार की बाधाओं को दूर करना:

एक प्रभावी संचार व्यवस्था के आवश्यक तत्व निम्नानुसार होते हैं:

(i) संचार स्पष्ट हो और आवश्यक जानकारी से युक्त हो । इस हेतु उचित शब्दावली का प्रयोग, महत्वपूर्ण शब्दों की पुनरावृत्ति आदि पर ध्यान देना जरूरी है ।

(ii) उच्च और अधीनस्थ स्तरों के मध्य विचारों की एकता होना प्रभावी संचार के लिए आवश्यक है ।

(iii) संचार अपूर्ण नहीं हो अपितु पर्याप्त हो । उसमें कोई बात न की हो ।

(iv) सूचना का सम्प्रेषण सही समय पर हो।

(v) संचार द्विमार्गी हो अर्थात प्रतिक्रिया से संचारकर्ता अवगत हो सक कि संचार सही अर्थों में पहुंचा या नहीं ।

(vi) संचारकर्ता यदि संचारप्राप्त कर्ता को विश्वास में लेकर संचार करेगा तो ऐसा संचार स्वमेव प्रभावी होगा ।

(vii) संचार में लगे व्यक्तियों को संचार तकनीकों की पर्याप्त जानकारी होना चाहिये उन्हे इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ।

(viii) प्रभावी संचार सदैव ही सरल और सुबोध होना चाहिये ।

(ix) जहां तक संभव हो सके प्रत्यक्ष संचार को अपनाया जाना चाहिये ।

(x) वैसे संचार की विषयवस्तु के अनुरूप संचार का माध्यम होगा तो वह अधिक प्रभावी होगा । इस दिशा में सम्मेलन प्रणाली का प्रयोग लोकप्रिय हुआ है ।

टेरी ने प्रभावी संचार के लिये आठ सुझाव दिये हैं:

1. स्वयं को पूरी तरह सूचित रखो ।

2. एक-दूसरे में परस्पर विश्वास पैदा करो ।

3. अनुभव की साझा पृष्ठभूमि हो ।

4. आपस में ज्ञात शब्दों का इस्तेमाल करो ।

5. परिप्रेक्ष्य के प्रति सचेत रहो ।

6. सूचना प्राप्तकर्ता का ध्यान अपनी ओर केंद्रित बनाये रखो ।

7. उदाहरणों और दृश्य सहायक सामग्रियों का प्रयोग करो ।

8. प्रतिक्रियाएं व्यक्त करने में समय लो ।

मिलेट ने संचार को प्रभावी बनाने के लिये छह कारक अनिवार्य माने है । संचार को:

1. स्पष्ट होना चाहिये ।

2. प्राप्तकर्ता की अपेक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए ।

3. पर्याप्त होना चाहिए ।

4. सही वक्त पर होना ।

5. एकरुप होना चाहिए ।

6. स्वीकार्य होना चाहिए ।

अमेरिकन मैनेजमेंट एसोसिएशन के अनुसार:

1. संचार से पूर्व संचार प्रक्रिया तय कर लेनी चाहिए ।

2. पूर्व परामर्श कर लेना चाहिए ।

3. मूल सूचना के साथ अन्य तथ्यों का हवाला हो ।

4. संदेश की भावी उपयुक्तता भी हो ।

5. प्राप्तकर्ता के व्यवहार का पूर्वानुमान हो ।

6. दूसरों को समझाने से पहले उन्हें समझिये ।

चेस्टर बर्नार्ड ने प्रभावी संचार के 7 घटक बताये हैं:

1. संचार के माध्यम निश्चित तथा सभी को ज्ञात होने चाहिए ।

2. संगठन के प्रत्येक सदस्य से संपर्क का एक निश्चित औपचारिक माध्यम होना चाहिए ।

3. जहां तक हो सके संचार तंत्र सीधा एवं छोटा होना चाहिए ।

4. सामान्यत: संचार के लिए पूर्ण औपचारिक तंत्र का उपयोग किया जाना चाहिए ।

5. संचार केंद्रों के रूप में कार्यरत व्यक्तियों को योग्य होना चाहिए ।

6. संगठन जब कार्यरत हो तो संचार तंत्र में बाधा नहीं आनी चाहिए ।

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