एक तत्व परमाणु संरचना | Atomic Structure of an Element in Hindi. Read this article in Hindi to learn about:- 1. Atoms 2. Molecules 3. Principles of Atoms by John Dalton 4. Atomic Number 5. Atomic Mass 6. Isotopes 7. Valency 8. Chemical Formula of Atoms.

Contents:

  1. परमाणु (Atoms)
  2. अणु (Molecules)
  3. जॉन डॉल्टन का परमाणु सिद्धांत (Principles of Atoms by John Dalton)
  4. परमाणु संख्या या परमाणु क्रमांक (Atomic Number)
  5. परमाणु भार या परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass)
  6. समस्थानिक (Isotopes)
  7. संयोजकता (Valency)

1. परमाणु (Atoms):

हजारों वर्षों पूर्व भारतीय महर्षि कणाद ने सबसे पहले यह बताया था कि यदि हम पदार्थ को विभाजित करते जाएं तो हमें छोटे-छोटे कण प्राप्त होंगे और एक स्थिति ऐसी आएगी जब इसे और विभाजित नहीं किया जा सकेगा ।

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इस प्रकार उन्होंने सूक्ष्म कणों की अवधारणा दी जिन्हें परमाणु नाम दिया गया । इसी प्रकार ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिट्‌स के भी यही विचार थे । उन्होंने पदार्थ के सूक्ष्म अविभाजित कण को परमाणु (Atom) कहा ।

इस प्रकार पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना है तथा ”परमाणु पदार्थ की मूलभूत इकाई है ।”

क्या सभी पदार्थों के परमाणु एक समान होते हैं ? इसे जानने के लिए आइए एक सरल प्रयोग करें । ताँबे के तार के कुछ टुकड़े एवं लोहे की कुछ कीलें लेकर उनके पास एक छड़ चुम्बक लाइए । आप देखेंगे कि लोहे की कीलें चुम्बक की ओर आकर्षित होती हैं किंतु तांबे के तार के टुकड़े नहीं । इससे स्पष्ट होता है कि अलग-अलग पदार्थों में अलग-अलग प्रकार के परमाणु होते हैं ।

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जब समान प्रकार के कई परमाणु आपस में मिलते हैं तो एक शुद्ध पदार्थ प्राप्त होता है जिसे तत्व कहते हैं ।


2. अणु (Molecules):

अब हम ये जान चुके हैं कि परमाणु क्या है ? लेकिन एक विशेष बात जानना भी आवश्यक है कि पदार्थ में परमाणु स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाए जाते हैं । पदार्थ में केवल अणु स्वतंत्र अवस्था में उपस्थित रहता     है । दो या दो से अधिक परमाणु आपस में जुड़कर अणु (Molecule) बनाते हैं ।

अणु दो प्रकार से बनते हैं:

1. समान तत्वों से:

ये समान प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बनते हैं । जैसे- हाइड्रोजन का अणु (H2) हाइड्रोजन के दो परमाणुओं से मिलकर बनता है ।

2. असमान तत्वों से:

ये असमान तत्वों के परमाणुओं से मिलकर बनते हैं । जैसे- एक हाइड्रोजन का परमाणु व एक क्लोरीन का परमाणु मिलकर हाइड्रोजन क्लोराइड (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) का एक अणु बनाते हैं ।

इसी प्रकार जल का अणु (H2O) दो हाइड्रोजन परमाणुओं एवं एक ऑक्सीजन परमाणु से मिलकर बनता है ।

यौगिक के अणुओं के अन्य उदाहरण:

NH3 (अमोनिया का अणु), मीथेन (CH4) का अणु आदि ।

उपरोक्त उदाहरणों में आपने एक बात और देखी । कुछ अणु दो परमाणुओं से मिलकर बने हैं, कुछ अणु तीन परमाणु से और कुछ चार परमाणु से ।

इस प्रकार जिस अणु में:

1. केवल एक परमाणु होता है, उसे एक परमाण्विक अणु कहते हैं ।

उदाहरण: He (हीलियम), Ne (नियॉन)

2. दो परमाणु वाले अणु द्विपरमाण्विक अणु कहलाते हैं ।

उदाहरण: N2 (नाइट्रोजन), NaCl (सोडियम क्लोराइड या साधारण नमक)

3. तीन परमाणु वाले अणु त्रिपरमाण्विक अणु कहलाते हैं ।

उदाहरण: H2O (जल का अणु)

इसी प्रकार अमोनिया का अणु NH3 चतुर्थ परमाण्विक होता है क्योंकि इसमें एक नाइट्रोजन एवं तीन हाइड्रोजन परमाणु होते हैं । इस तरह कुल चार परमाणु होते हैं ।


3. जॉन डॉल्टन का परमाणु सिद्धांत (Principles of Atoms by John Dalton):

सन् 1808 में अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन डॉल्टन ने अपना परमाणु सिद्धान्त प्रस्तुत किया ।

इस सिद्धांत के अनुसार:

i. प्रत्येक पदार्थ बहुत छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनता है जिन्हें परमाणु (Atom) कहते हैं ।

ii. परमाणु अविभाज्य होता है ।

iii. एक ही तत्व के सभी परमाणु आकार, भार तथा अन्य गुणों में समान होते हैं किन्तु दूसरे तत्व के परमाणुओं से भिन्न होते हैं ।

iv. परमाणु को न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही बनाया जा सकता है ।

v. परमाणु सरल (पूर्णांक) अनुपात में संयुक्त होते हैं ।

परमाणु का संघटन:

जॉन डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत की धारणा लगभग सौ वर्षों तक रसायन शास्त्र की प्रगति में सहायक हुई । काफी समय तक यह मान्यता परमाणु एक अविभाज्य कण लेकिन बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अनेक वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में काम किया और प्रयोगों के आधार पर यह सिद्ध किया कि परमाणु विभाजित किया जा सकता है ।

आइए इस तालिका से परमाणु के तीन मूलभूत कणों इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन जानकारी प्राप्त करें:

यह विभिन्न प्रकार के अति सूक्ष्म कणों से मिलकर बना है, जिन्हें मूलकण कहते हैं । मुख्य रूप से ये तीन मूलकण हैं- इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन:

इलेक्ट्रॉन की खोज:

इलेक्ट्रॉन बहुत हल्के ऋणावेशित कण हैं । इसकी खोज इंग्लिश वैज्ञानी सर जे॰जे॰ टॉमसन ने कैथोड किरणों में की । इलेक्ट्रॉन का भार हाइड्रोजन परमाणु के भार लगभग  1/1837 भाग होता है।

प्रोटॉन की खोज:

प्रोटॉन अति सूक्ष्म धनावेशित कण हैं । इसकी खोज गोल्डस्टीन ने की । एक प्रोटीन का भार लगभग 1800 इलेक्ट्रॉनों के भार के बराबर होता है । प्रोटॉन का भार हाइड्रोजन परमाणु के भार के लगभग बराबर होता है ।

न्यूट्रॉन की खोज:

न्यूट्रॉन विद्युत उदासीन कण है, इसकी खोज इंग्लिश वैज्ञानी जेम्स चैडविक ने की थी । न्यूट्रॉन का भार लगभग एक प्रोटॉन के भार के बराबर होता है ।

अणु व परमाणु में अंतर को समझें:

 

क्रियाकलाप:

उद्देश्य:

कार्बन ने इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को दर्शाने वाला मॉडल बनाना ।

आवश्यक सामग्री:

थर्माकॉल शीट, लोहे के तार, रंग-बिरंगे मोती, लोहे की छोटी कीलें, स्केच पेन, गोंद या फेविकॉल आदि ।

प्रक्रिया:

थर्माकॉल शीट पर लोहे के तार से दो गोल घेरे छोटी कीलों पर बाँधकर बनाएं । पहले घेरे में दो लाल मोती और दूसरे घेरे में चार लाल मोती पिरोकर घेरा पूरा बनाएं । ये लाल मोती दोनों कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन की संख्या को प्रदर्शित करते हैं । बीच में स्केच पेन से गोला खीचे और नाभिक बनाएं ।

इस नाभिक में भी पीले रंग उड़े 6 मोती तथा हरे रंग के 6 मोती चिपकाएँ । पीले मोती 6 प्रोटॉन को तथा 6 हरे मोती न्यूट्रॉन को प्रदर्शित करते हैं । कार्बन परमाणु का यह मॉडल इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को दर्शाता  है ।


4. परमाणु संख्या या परमाणु क्रमांक (

Atomic Number):

किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटान की संख्या उस तत्व की परमाणु संख्या अथवा परमाणु क्रमांक कहलाती है । इसे ‘Z’ से प्रदर्शित करते हैं ।

चूंकि परमाणु उदासीन होता है इसलिए किसी परमाणु में जितने प्रोटॉन (धनावेशित कण) होते हैं उतने ही इलेक्ट्रॉन (ऋणावेशित कण) होते हैं अर्थात


5. परमाणु भार या परमाणु द्रव्यमान (

Atomic Mass):

किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन की संख्या का योग परमाणु भार अथवा परमाणु द्रव्यमान कहलाता है । इसे ‘A’ से प्रदर्शित करते हैं ।

इस प्रकार परमाणु संख्या एवं परमाणु भार ज्ञात होने पर किसी तत्व के परमाणु में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन की संख्या बताई जा सकती है ।

देखिए तालिका:


6. समस्थानिक (

Isotopes):

एक ही तत्व के ऐसे परमाणु जिनकी परमाणु संख्या (Z) समान लेकिन परमाणु भार (A) अलग-अलग होते हैं, समस्थानिक कहलाते हैं । अर्थात् एक ही तत्व के कुछ परमाणुओं में यद्यपि प्रोटॉनों की संख्या तो दूसरे परमाणु को प्रोटानों की संख्या के समान होती है परन्तु उनके नाभिकों में न्यूट्रॉनो की संख्या दूसरे परमाणुओं के नाभिकों के न्यूट्रॉनों की संख्या के बराबर नहीं होती ।

उदाहरण- हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं:

आयनों का बनना:

परमाणु उदासीन होता है क्योंकि इसमें धनावेशित कण (प्रोटॉन) एवं ऋणावेशित कण (इलेक्ट्रॉन) की संख्या बराबर होती है । यदि इस विद्युत उदासीन परमाणु में एक और इलेक्ट्रॉन आ जाए तो इसमें एक इलेक्ट्रॉन की अधिकता हो जाती है इसलिए वह ऋण आवेशित हो जाएगा ।

दूसरी ओर यदि उदासीन परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन निकल जाए तो इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक कम हो जाएगी और प्रोटॉन (धनआवेश) एक अधिक हो जाएगा इसलिए वह धनआवेशित हो जाएगा ।

 

एक उदाहरण से इसे समझते हैं:

(Na) सोडियम के परमाणु की परमाणु संख्या = 11

अर्थात इसमें प्रोटॉन (11) = इलेक्ट्रॉन (11)

यदि इसमें से एक इलेक्ट्रॉन निकल जाता है तब इलेक्ट्रॉन की संख्या 10 एवं प्रोटॉन की संख्या 11 हो जाती है अर्थात एक प्रोटॉन (धनआवेश) ज्यादा हो जाता है, इसलिए सोडियम धन आयन बन जाता है ।

इसी प्रकार ऋण आयन का बनना क्लोरीन के उदाहरण से समझा जा सकता है ।

क्लोरीन (Cl) की परमाणु संख्या = 17

अर्थात इसमें प्रोटॉन (17) = इलेक्ट्रॉन (17)

यदि इसमें एक ओर इलेक्ट्रॉन आ जाए तब इलेक्ट्रॉन की संख्या 18 तथा प्रोटॉन की संख्या 17 हो जाती है अर्थात एक इलेक्ट्रॉन ज्यादा हो जाता है इसलिए क्लोरीन ऋणआयन बन जाता है ।


7. संयोजकता (

Valency):

हम जानते हैं कि परमाणु आपस में जुड़कर अणु बनाते हैं । प्रत्येक परमाणु की दूसरे परमाणु से जुड़ने (संयोजन) की क्षमता निश्चित होती है जिसे संयोजकता कहते हैं। संयोजकता को कई तरह से परिभाषित किया गया है ।

इसे हाइड्रोजन की संयोजकता द्वारा तुलनात्मक रूप से  निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है:

किसी भी तत्व की संयोजकता वह संख्या है जो यह दर्शाती है कि उस तत्व का एक परमाणु हाइड्रोजन के कितने परमाणुओं से संयोग करता है, अथवा विस्थापित करता है ।

उदाहरण:

1. HCL में Cl की संयोजकता 1 है क्योंकि वह हाइड्रोजन के 1 परमाणु से संयोग करती है ।

2. H2O (जल) में ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है क्योंकि वह हाइड्रोजन के 2 परमाणुओं से संयोग करता है ।

3. NH3 में (अमोनियामें) नाइट्रोजन की संयोजकता 3 है क्योंकि वह हाइड्रोजन के 3 परमाणुओं से संयोग करती हैं ।

4. CH4 (मिथेन) में कार्बन की संयोजकता 4 है क्योंकि यह हाइड्रोजन के 4 परमाणुओं से संयोग करता है । किन्तु सभी तत्व हाइड्रोजन से संयोग नहीं करते । ऐसे तत्वों की संयोजकता ऑक्सीजन की संयोजकता 2 द्वारा तुलनात्मक रूप से ज्ञात की जाती है ।

उदाहरण:

MgO में Mg की संयोजकता 2 होती है क्योंकि यह O के एक परमाणु से संयोग करता है, जिसकी संयोजकता 2 होती है ।

परिवर्तनशील संयोजकता:

कुछ तत्वों में एक से अधिक संयोजकता होती है उदाहरण- फेरस क्लोराइड (FeCl2) आयरन की संयोजकता 2 तथा फेरिक क्लोराइड (FeCl3) में आयरन की संयोजकता 3 होती है । ऐसे तत्वों की संयोजकता परिवर्तनशील (चर) संयोजकता कहलाती है । कॉपर, टिन आदि भी परिवर्तनशील संयोजकता दर्शाते हैं ।

मूलक:

विभिन्न तत्वों के आवेशित परमाणु या परमाणुओं के समूहों को मूलक कहते हैं । अनेक बार विभित्र परमाणुओं का आवेशित समूह एक इकाई की तरह कार्य करता है । इन समूहों को मूलक कहते हैं ।

ये मूलक दो प्रकार के होते हैं:

1. धनात्मक मूलक जैसे Na+ (सोडियममूलक), NH4+ (अमोनियम मूलक) जो नाइट्रोजन एवं हाइड्रोजन परमाणुओं का समूह है ।

2. ऋणात्मक मूलक जैसे Cl (क्लोराइडमूलक), CO32- (कार्बानट मूलक) जो कार्बन और ऑक्सीजन परमाणुओं का समूह होता है ।

प्रत्येक मूलक एक इकाई के रूप में रासायनिक क्रियाओं में भाग लेता है । प्रत्येक मूलक पर एक निश्चित आवेश होता है । मूलकों पर जो आवेश लगाया जाता है वह उस मूलक की संयोजकता होती है ।

मूलक अणु का ही एक हिस्सा होता है । किसी अकार्बनिक यौगिक का अणु दो मूलकों से मिलकर बनता है जैसे सोडियम क्लोराइड (NaCl) का अणु Na+ (सोडियम आयन या मूलक) तथा Cl (क्लोराइड मूलक या आयन) से मिलकर बनता है ।


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