एक तत्व का परमाणु संरचना: तीन मॉडल | Atomic Structure of an Element: 3 Models | Hindi.

1. सर जे॰जे॰ टॉमसन का परमाणु मॉडल:

सर जे.जे. टॉम्‌सन ने बताया कि परमाणु एक धनात्मक आवेश (प्रोटॉन) के गोले का बना हुआ है, जिसमें कई जगह इलेक्ट्रॉन वितरित होते हैं । यह सिद्धांत शीघ्र ही अमान्य कर दिया गया ।

 

2. रदरफोर्ड का नाभिकीय मॉडल:

ब्रिटेन के एक भौतिकी विज्ञानी रदरफोर्ड ने एक प्रयोग कर अपना नाभिकीय मॉडल प्रस्तुत किया ।

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रदरफोर्ड का प्रयोग:

रदरफोर्ड ने इस प्रयोग में सोने की पतली पन्नी पर (0.0004 से॰मी॰) पर अल्फा कणों (α-कण) से बौछार की ।

जब अल्फा कण सोने की पतली पन्नी से टकराते हैं तो उन्होंने देखा:

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1. अधिकांश α कण पन्नी के आरपार सीधे चले गए अर्थात अप्रभावित रहे ।

2. कुछ कण अपने पथ से विचलित हो गए ।

3. बहुत थोड़े से कण ऐसे भी थे जो पन्नी से टकराकर उसी मार्ग से वापस आ गए ।

चित्र में तीनों प्रकार के कण दर्शाए गए हैं: रदरफोर्ड प्रयोगों में जो देखा उसकी व्याख्या करने के लिए ये निष्कर्ष प्रस्तुत किए:

1. परमाणु का समस्त धन आवेश (प्रोटॉन) केंद्र में उपस्थित होता है जिसे नाभिक (Nucleus) कहते हैं । इस नाभिक का आयतन परमाणु की तुलना में बहुत कम होता है इसलिए परमाणु का अधिकांश भाग खोखला होता है । ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन नाभिक के आसपास घूमते हैं । (जैसे सूर्य के आसपास यह चक्कर लगाते हैं)

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2. प्रयोग में अधिकांश α कण पन्नी के आरपार सीधे चले गए क्योंकि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला है ।

3. कुछ कण जो नाभिक के पास से गुजरे वे अपने पथ से विचलित हो गए क्योंकि नाभिक और α कणों दोनों पर धनावेश था, अर्थात समान आवेश था ।

4. जो अल्फा कण नाभिक से सीधे टकराए वे नाभिक के द्रव्यमान एवं अत्यधिक प्रतिकर्षण के कारण उसी मार्ग से वापस आ जाते हैं । (धनावेश जब धनावेश के पास आता है प्रतिकर्षण होता है क्योंकि आप जानते हैं समान आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं जबकि विपरीत आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं ।)

रदरफोर्ड परमाणु मॉडल की असफलता:

विभिन वैज्ञानिकों ने रदरफोर्ड के परमाण्विक मॉडल की आलोचना की । उन्होंने दर्शाया कि इस प्रकार का मॉडल स्थाई नहीं हो सकता क्योंकि इलेक्ट्रॉनों के लगातार घूमने के कारण ऊर्जा में लगातार कमी होती जाएगी और अंत में इलेक्ट्रॉन केंद्रक (नाभिक) में गिर जाएंगे ।

3. नील्स बोर का परमाणु मॉडल:

रदरफोर्ड के मॉडल को नील्स बोर ने संशोधित किया ।

बोर के अनुसार परमाणु के दो भाग होते हैं:

(1) नाभिक:

जिसमें परमाणु का समस्त द्रव्यमान तथा धनावेश उपस्थित होता है ।

(2) बाह्य कक्षाएँ:

इसमें इलेक्ट्रॉन निश्चित ऊर्जा वाले कक्षा में उपस्थित होते हैं और नाभिक के चारों ओर बिना ऊर्जा खोए परिक्रमा करते रहते हैं । ये इलेक्ट्रॉन उन कक्षों को तब तक नहीं छोड़ते जब तक कि इन कक्षाओं से अधिक ऊर्जा इन्हें किसी बाह्य स्त्रोत से प्राप्त नहीं हो जाती । वर्तमान में नीत बोर मॉडल की मान्यता के आधार पर कण विज्ञान (Particle Science) का अध्ययन किया जा रहा है ।

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास:

किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉनों का इलेक्ट्रॉन का कक्षाओं में वितरण कर प्रकार होता है, नील्स बोर ने इसके संबंध में नियम दिए ।

इसके अनुसार:

(i) किसी भी कक्षा में अधिकतम 2n2 इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं जहाँ n = कक्षा की संख्या है । (n = 1 (प्रथम कक्षा) n = 2 (द्वितीय कक्षा) चित्र 3.14 की सहायता से इसे समझाया गया है ।

(ii) जब कक्षा में अधिकतम इलेक्ट्रॉन हो जाते हैं तब इलेक्ट्रॉन नई कक्षा में प्रवेश करते हैं ।

कुछ तत्वों के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समझें:

कार्बन में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं । बोर के नियम से

n = 1 (प्रथम कक्षा) में 2 इलेक्ट्रॉन

n = 2 (द्वितीय कक्षा) में 4 इलेक्ट्रॉन होंगे ।

कक्षा कार्बन में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को चित्र 3.15 से समझा जा सकता है ।

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