रासायनिक प्रतिक्रिया और रासायनिक समीकरण | Chemical Reaction and Chemical Equation in Hindi.

दैनिक जीवन में हमारे चारों तरफ बहुत से परिवर्तन होते देखते हैं, जैसे- बर्फ के पिघलने से जल का बनना, जल से भाप का बनना, बल्व एवं मोमबत्ती का जलना, दूध से दही का बनना आदि । इन परिवर्तनों में कभी-कभी कुछ रोचक घटनाएं भी आपने देखी होंगी जैसे खाना खाते समय यदि कपड़ों पर सब्जी का दाग लग जाए तो वह हल्दी का पीला दाग साबुन लगाने पर लाल हो जाता है ।

इसी प्रकार आप खाने के लिए सेब काटते हैं तो वह भी थोड़ी देर में लाल हो जाता है, लोहे की कील पर जंग लग जाती है, ताँबे के पात्र पर बारिश में हरी परत दिखाई देती है और हरी मेंहदी रचने पर लाल रंग देती है इत्यादि ।

कुछ तमाशबीनों के जादू भी जरूर देखे, कैसे वह छूमंतर के साथ पानी से भरी तश्तरी में आग लगा देता है । आपको बहुत मजा आता होगा और आश्चर्य भी होता होगा कि वह पानी में कैसे आग लगा देता है । जब वह एक गिलास का घोल दूसरे गिलास में डालता है तो कैसे गहरा सफेद धुँआ निकलता है । ऐसी कई घटनाएं, कई परिवर्तन होते हैं जिन्हें हम देखते हैं ।

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इनमें से कुछ परिवर्तन तो स्थाई होते हैं और कुछ परिवर्तनों के बाद पदार्थ पुन: पूर्वावस्था में आ जाता है । अर्थात किसी परिवर्तन में केवल भौतिक अवस्था में परिवर्तन भौतिक रासायनिक होता है और किसी परिवर्तन में एकदम नया पदार्थ परिवर्तन परिवर्तन बन जाता है । इस आधार पर परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं ।

वे परिवर्तन जिसमें केवल पदार्थों के भौतिक गुण बदलते हैं, कोई नया पदार्थ नहीं बनता “भौतिक परिवर्तन” (Physical Change) कहलाते हैं । ये परिवर्तन अस्थाई एवं उत्क्रणीय होते हैं अर्थात पदार्थ कुछ समय पश्चात अपनी पूर्वावस्था में आ सकता है । जैसे: बर्फ का पिघलना, पानी से भाप का बनना, बल्व का प्रकाशित होना, पदार्थ का चूर्ण में बदलना, जल में शक्कर, नमक का घुलना ।

वे परिवर्तन जिसमें पदार्थ मूल रूप से एक नए पदार्थ में बदल जाता है, अर्थात पदार्थ का रासायनिक संघटन बदल जाता है रासायनिक परिवर्तन (Chemical Change) कहलाता है । ये परिवर्तन स्थाई व अनुत्क्रमणीय होते हैं, अर्थात परिवर्तन के पश्चात् पदार्थ अपनी पूर्व अवस्था में वापिस नहीं आ सक्ता है । जैसे: दूध का फटना दही का बनना, मोमबत्ती का जलना, भोजन का पचना, लोहे पर जंग लगना आदि ।

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ऐसे प्रक्रम को जिसमें रासायनिक परिवर्तन होता है रासायनिक अभिक्रिया (Chemical Reaction) कहते हैं । वह प्रक्रिया जिसमें पदार्थ आपस में क्रिया करके नया पदार्थ बनाते हैं, जिसके गुण क्रिया करने वाले पदार्थों के गुणों से भिन्न होते हैं रासायनिक अभिक्रिया कहलाती है । जो पदार्थ रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं अभिकारक कहलाते हैं । जबकि अभिक्रिया के फलस्वरूप बनने वाले पदार्थ उत्पाद कहलाते हैं ।

रासायनिक अभिक्रियाओं के लक्षण:

उक्त क्रियाकलाप से हम ये जान गए हैं कि, रासायनिक अभिक्रिया में नए पदार्थ बनते हैं । लेकिन कई रासायनिक अभिक्रियाएं कुछ अन्य विशेषताएं भी दर्शाती हैं । कोई रासायनिक अभिक्रिया एक से अधिक अभिलक्षण (विशेषता) भी प्रदर्शित कर सकती है ।

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वे रासायनिक अभिक्रियाएं जिनमें ऊष्मा का उत्सर्जन होता है ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ (Exothermic Reactions) तथा जिनमें ऊष्मा का अवशोषण होता है ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ (Endothermic Reactions) कहलाती हैं ।

उदाहरण:

1. आप जानते हैं कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा पौधे अपने भोजन का निर्माण करते हैं । इस क्रिया में वे सूर्य की ऊष्मा का अवशोषण करते हैं । इस प्रकार प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी ऊष्माशोषी प्रक्रिया है ।

2. इसी प्रकार सोडियम बाइकार्बोनेट (खाने के सोडा) को गर्म करना भी एक ऊष्माशोषी प्रक्रिया है ।

उक्त लक्षणों को रासायनिक अभिक्रियाओं में हमने स्वयं करके जाना कि रासायनिक अभिक्रियाओं में निम्नलिखित महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं:

(1) अवस्था परिवर्तन (क्रियाकलाप-1)

(2) गैस का निकलना (क्रियाकलाप-2)

(3) रंग परिवर्तन (क्रियाकलाप-3)

(4) ऊर्जा परिवर्तन (ऊष्मा का उत्सर्जन या अवशोषण) (क्रियाकलाप-4)

(5) कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं में अवक्षेप भी बनते हैं । जैसे जब आप कठोर जल के साथ साबुन का घोल (डिटर्जेंट को छोड्‌कर) मिलाते हैं तो साबुन के झाग नहीं बनते बल्कि चिपचिपे कण के रूप में साबुन फट जाता है अर्थात अवक्षेपित हो जाता है ।

तमाशाबीन ने जब एक गिलास के घोल को दूसरे गिलास में मिलाया तो सफेद धुँआ क्यों निकला होगा । उसने एक गिलास में अमोनियम हाइड्रॉक्साइड (NH4OH) का घोल तथा दूसरे गिलास में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल(HCL) लिया होगा । जब दोनों गिलास का घोल मिलाया तो रासायनिक अभिक्रिया हुई जिसमें अमोनियम क्लोराइड का सफेद धुँआ उत्पन्न हुआ ।

अर्थात:

इसी प्रकार तमाशाबीन (जादूगर) ने छूमंतर के साथ सोडियम (Na) का टुकड़ा पानी में डाला जिससे हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होने के साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है एवं हाइड्रोजन ज्वलनशील होने के कारण उत्पन्न ऊष्मा से आग पकड़कर जलने लगती है तथा पानी में आग लगाने का जादू दिखाती है ।

इसी प्रकार हल्दी भी साबुन (क्षार) से क्रिया कर लाल रंग देती है इसलिए सब्जी का दाग साबुन लगाने पर लाल हो जाता है ।

रासायनिक समीकरण (Chemical Equation):

अब आप रासायनिक परिवर्तनों एवं रासायनिक अभिक्रियाओं को अच्छी तरह से समझ चुके हैं लेकिन इन अभिक्रियाओं को जब हमें संक्षिप्त रूप में प्रदर्शित करना होता है तब इसे समीकरण के रूप में लिखते हैं जिसे रासायनिक समीकरण कहते हैं ।

रासायनिक समीकरण कैसे लिखते हैं:

किसी भी रासायनिक समीकरण को लिखने के महत्वपूर्ण पद इस प्रकार हैं:

(i) अभिकारक पदार्थ को बायीं ओर तथा उत्पादक पदार्थों को दायीं ओर लिखा जाता है ।

जैसे नाइट्रोजन एवं हाइड्रोजन से अमोनिया का निर्माण होता है यहां नाइट्रोजन और हाइड्रोजन अभिकारक तथा अमोनिया उत्पाद है, इसलिए:

(ii) अभिकारक और उत्पादक पदार्थों के बीच आगे की ओर तीर का चिन्ह लगाकर रासायनिक अभिक्रिया की दिशा को दर्शाया जाता है । कहीं कहीं तीर के स्थान पर = का चिन्ह भी प्रयोग किया जाता है ।

(iii) तीर के निशान के ऊपर अभिक्रिया के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ दर्शाई जाती हैं ।

जैसे:

(iv) अभिकारकों और उत्पादों की भौतिक अवस्थाओं को (g), (l), (s) तथा (aq) संकेतों से दर्शाते हैं ।

  जहां:

g = gas (गैस)

l = liquid (द्रव)

s = solid (ठोस)

aq = aqueous (जलीय विलयन)

(v) गैसीय उत्पादों को सीधे तीर से (↑) तथाठोस उत्पादों (अवक्षेपों) को उल्टे तीर (↓) से दर्शायाजाता है ।

जैसे:

इस प्रकार प्रत्येक रासायनिक अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण द्वारा निरूपित (प्रदर्शित) किया जाता है । वास्तव में रासायनिक समीकरण, अभिक्रिया को रासायनिक संकेतों और सूत्रों द्वारा दर्शाने की संक्षिप्त विधि है ।

संतुलित रासायनिक समीकरण:

चूंकि परमाणु को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही उसे नष्ट किया जा सकता है अत: यह आवश्यक है कि किसी भी रासायनिक समीकरण में दोनों ओर (बायीं तथा दायीं ओर) परमापुओं की संख्या बराबर होनी चाहिए अर्थात अभिकारक एवं उत्पाद में उपस्थित तत्वों के परमाणुओं की संख्या दोनों ओर बराबर होनी चाहिए । जब रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले सभी तत्वों के परमाणुओं की संख्या रासायनिक समीकरण के दोनों ओर समान हो तो समीकरण संतुलित रासायनिक समीकरण कहलाता है ।

जैसे Mg + O2 → MgO (असंतुलित रासायनिक समीकरण)

क्योंकि इसमें बायीं ओर ऑक्सीजन के दो परमाणु तथा दायीं ओर ऑक्सीजन का एक परमाणु है । अब इसे संतुलित करने हेतु MgO के आगे 2 लिख दें और Mg के आगे भी 2 लिख दें ।

तब:

मैग्नीशियम के 2 परमाणु → मैग्नीशियम के 2 परमाणु

ऑक्सीजन के 2 परमाणु → ऑक्सीजन के 2 परमाणु

रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार:

रासायनिक अभिक्रियाओं में कई प्रकार से परिवर्तन होते हैं । इस आधार पर रासायनिक अभिक्रियाएं निम्न प्रकार की होती हैं:

संयोजन अभिक्रियाएं:

इस प्रकार की अभिक्रिया को आप जानते हैं । आपने देखा होगा कि जब मैग्नीशियम के तार (पटाखों में रोशनी वाली रस्सी) को वायु की उपस्थिति में जलाते हैं तो वह तेज दूधिया रोशनी के साथ ऊष्मा उत्पन्न करता है तथा जलने के बाद सफेद पाउडर में बदल जाता है । यहाँ मैग्नीशियम ऑक्सीजन के साथ संयोग करके मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है ।

दैनिक जीवन में संयोजन क्रिया का दूसरा उदाहरण आपने दीवारों पर सफेदी करने का देखा है । आप ये जानते ही है कि जब चूने (CaO) को पानी में डालते हैं तो चूने का पानी Ca(OH)2 (कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड) प्राप्त होता है और इससे जब आप दीवार पर सफेदी करते हैं तो यह चूने का पानी वायु में उपस्थित CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) के साथ धीरे-धीरे अभिक्रिया करके दीवारों पर केल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) की पतली परत बना देता है ।

प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से पौधों द्वारा भोजन बनाना भी संयोजन क्रिया का उदाहरण है । वायु में मौजूद CO2 को पौधे प्रहाण कर रासायनिक क्रियाओं द्वारा कार्बोहाइड्रेट में बदल देते हैं । इस प्रकार संयोजन के अंतर्गत अभिकारक जुड़कर नया उत्पाद बनाते हैं ।

 

अपघटन अभिक्रियाएं:

यह अभिक्रिया संयोजन अभिक्रिया के विपरीत है अर्थात इन अभिक्रियाओं में यौगिक टूटकर दो या अधिक सरल पदार्थों में अपघटित हो जाता है ।

जल में कुछ बूँदे अम्ल की डालकर विद्युत धारा प्रवाहित करने पर जल का अणु टूटकर हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विभक्त हो जाता है । यह अपघटन (वियोजन) अभिक्रिया का ही उदाहरण है । चूंकि इसमें विद्युत द्वारा अपघटन होता है इसलिए इसे विद्युत अपघटन कहते हैं ।

इसी प्रकार यदि गर्म करने पर पदार्थ विघटित होता है तो उसे तापीय विघटन कहते हैं । उदाहरण के लिए चूने के पत्थर (CaCO3), को गर्म करने पर वह CaO (केल्शियम ऑक्साइड) और CO2 में अपघटित हो जाता है ।

शरीर में पाचन भी अपघटन (वियोजन) किया का अच्छा उदाहरण है । जब हम आलू चावल, गेहूँ आदि से बना भोजन खाते हैं तो इन पदार्थों में उपस्थित स्टार्च शरीर में सरल शर्करा में अपघटित हो जाती हैं और दाल में उपस्थित प्रोटीन विघटन के बाद एमीनो अम्ल बनाता है ।

विस्थापन अभिक्रिया:

विस्थापन अभिक्रिया को समझने के लिए आइए एक क्रियाकलाप करते हैं । इस क्रियाकलाप को शिक्षक के मार्गदर्शन में तथा समीपस्थ हायर सेकण्डरी शाला की प्रयोगशाला से आवश्यक सामग्री लेकर किया जा सकता है ।

उदासीनीकरण अभिक्रिया:

अग्ल वे रासायनिक यौगिक हैं जिनका स्वाद हमेशा खट्टा होता है । हाइड्रोजन इनका प्रमुख अवयव है तथा यह नीले लिटमस को लाल कर देता है । उदाहरण- खट्टे फलों में अम्ल होता है । क्षार वे रासायनिक यौगिक हैं जिनमें मुख्यत: (OH) आयन (हाइड्रॉक्सिल आयन) उपस्थित होता है ये स्वाद में कड़वे (कसेले) होते हैं तथा लाल लिटमस को नीला करते हैं । साबुन में भी क्षार पाया जाता है । जब अम्ल एवं क्षार की क्रिया होती है तब लवण और पानी बनता है । यह क्रिया उदासीनीकरण कहलाती है ।

ऑक्सीकरण अपचयन (रेडाक्स) अभिक्रिया:

किसी यौगिक या तत्व में ऑक्सीजन का जुड़ना या हाइड्रोजन का निकलना ऑक्सीकरण कहलाता है ।

इसके विपरीत किसी तत्व या यौगिक के साथ हाइड्रोजन का जुड़ना या किसी यौगिक से ऑक्सीजन का निकलना अपचयन कहलाता है ।

वह पदार्थ जो किसी यौगिक का ऑक्सीकरण करता है । ऑक्सीकारक कहलाता है तथा जो पदार्थ किसी यौगिक का अपचयन करता है अपचायक कहलाता है । ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रियाएं साथ-साथ होती हैं । जब एक पदार्थ ऑक्सीकृत होता है तो दूसरा अपचयित होता है । ऐसी अभिक्रियाओं को रेडॉक्स अभिक्रिया कहते हैं ।

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