प्रोकैरियोट्स और यूकेरियोट्स में जेनेटिक सामग्री | Read this article in Hindi to learn about the genetic material in prokaryotes and eukaryotes.

प्रोकेरियोट जीव तथा उनका आनुवंशिक पदार्थ (Prokaryote Organisms and their Genetic Material):

विल्हेल्म जॉन्सन ने जीन शब्द 1909 में दिया था । उन्होंने उसे उसके भौतिक (Physical) अथवा रासायनिक प्रकृति (Chemical Nature) के संबंध में किसी भी परिकल्पना से मुक्त रखना पसंद किया, केवल इसलिए क्योंकि गणना में उपयोग की जाने वाली संख्याओं की स्वयं की कोई भौतिक या रासायनिक इकाइयाँ नहीं होती ।

जीन सभी जीवित प्राणियों में मूल आनुवांशिक इकाई (Genetic Unit) होती है । यह एक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के उत्पादन में शामिल डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) का एक खण्ड होता है । इसे कार्य, उत्परिवर्तन एवं पुर्नसंयोजन की इकाई भी कहा जाता है ।

प्रत्येक जीन एक कूट क्षेत्र तथा उससे पहले तथा बाद के क्षेत्र से मिलकर बना होता है । आनुवांशिक पुर्नसंयोजन से प्राप्त गुणसूत्रों पर जीनों के रैखिक क्रम तथा उनके बीच की दूरी को सहलग्नता (Linkage) या आनुवांशिक मानचित्र (Genetic Map) कहा जाता है ।

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अकेन्द्रकीय जीवों के जीन तथा उनके नियंत्रण का सर्वप्रथम अध्ययन किया गया था । जीवाणुओं में प्रोटीन अपचयन संबंधी गतिविधियों में सामान्यतः यादृच्छिक रूप से व्यवस्थित किया जाता है, जिससे कि वे एक एकल पॉलीसिस्ट्रानिक (Polycistronic) mRNA पर अनुलेखित हो सकें, जिसमें प्रत्येक सिस्ट्रानिक घटक एक एकल प्रोटीन के लिए संदेशवाहक टेम्पलेट (Messenger Template) होता है ।

जीनों के ऐसे समूह को एक ओपेरॉन कहा जाता है । जीवाणुओं को तीव्र वातावरणीय परिवर्तनों से अनुकूलन करना होता है, पादपों के समान । अत: उनके जीनों को उच्च स्तर पर परिवर्तनशील दरों पर कार्य करने के लिए सक्षम करने हेतु निर्मित किया जाता है ।

जब आवश्यकता हो, mRNA अणुओं का उत्पादन उच्च स्तरों पर किया जाता है, परंतु केवल तभी जब उनके जीन उपयुक्त संकेत प्राप्त करें । इन संकेतों के लिए उत्तरदायी यौगिकों को उत्प्रेरक कहा जाता है ।

लेक्टोज ओपेरॉन:

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लेक्टोज उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में संदभक, ऑपरेटर (O) से जुड़ जाता है तथा संरचनात्मक जीनों के अनुलेखन का रोक देता है । जब लेक्टोज उपस्थित होता है, तो वह जुड़कर एक उत्प्रेरक-संदभक जटिल का निर्माण करता है, जो ऑपरेटर से नहीं बंध सकता तथा अनुलेखन जारी रखकर एक-एक संदेशवाहक को उत्पन्न करता है, जो β-गेलेक्टोसाइडेज़ (Z), β-गेलेक्टोसाइड पर्मिएज (Y) तथा β-गेलेक्टोसाइड ट्रान्सेटिलेज का निर्माण करता है ।

ई. कोलाई में लेक्टोज (लेक) ओपेरॉन पर 1961 में जेकब (Jacob) तथा मोनॉड (Monad) द्वारा किए गए शास्त्रीय अध्ययन में अकेन्द्रकीय जीनों के नियामक घटकों की समझ के लिए मार्ग प्रशस्त किया ।

लेक ओपेरॉन में तीन प्रोटीनों के लिए संरचनात्मक जीन होते हैं, β-गेलेक्टोसाइडेज, जो लेक्टोज को ग्लूकोज तथा गेलेक्टोज में जलापघटित करता है, लेक्टोज़ पर्मिएज, जो लेक्टोज के कोशिका में प्रवेश का परिवहनकर्ता होता है तथा थायोगेलेक्टोसाइडेज ट्रांसऐसीटिलेज, एक एन्जाइम जो एसीटिल को एन्जाइम A से β-गेलेक्टोसाइडेसिस को एक ऐसीटिल समूह स्थानांतरित करता है ।

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अंतिम एन्जाइम संभवतः अउपापचयी β-गेलेक्टोसाइडेजों के निर्विषीकरण में शामिल होता है, जो उसके बाद कोशिका द्वार स्त्रावित किया जा सकता है । प्रोकैरियोट्स में केवल एक क्रोमोसोम होता है, जो वृत्ताकार (Circular) डी.एन.ए. से बना होता है ।

इसका आकर भिन्न-भिन्न होता है । उदाहरण के लिए ई.कोलाई (Escherichia Coli) का क्रोमोसोम लगभग 3.8 × 106bp लम्बा, बेसीलस सब्टिलिस (Bacillus Subtilis) का क्रोमोसोम 2 × 106bp लम्बा तथा साल्मोनेला टाइफीमुरम (Salmonella Typhi-Murum) में यह 10.5 × 106bp लम्बा होता है ।

अगर ई.कोलाई के क्रेमोसोम को रेखीय (Linear) रूप में खींच कर सीधा कर दिया जाये, तब यह 1mm लम्बा हो जायेगा, लेकिन डी.एन.ए की सुपर कोइलिंग (Super Coiling) के करण यह संघनित रूप में पाया जाता है ।

प्रतिकृतिकरण (Replication), अनुलेखन (Transcription) आदि के एंजाइमों की डी.एन.ए के विभिन्न भागों तक पहुंचने के लिए डी.एन.ए अणु का खुलना आवश्यक होता है । प्रोटीन – डी.एन.ए अन्योन्य क्रियाओं (Interactions) के लिए भी ऐसा आवश्यक होता है ।

यूकेरियोट जीव एवं उसका आनुवंशिक पदार्थ (Eukaryote Organisms and their Genetic Material):

यूकैरियोटिक जीन संरचना (Eukaryotic Gene Structure):

यह उल्लेखनीय है कि m-RNA उसी प्रकार का होना चाहिए जिस प्रकार का कोशिकाद्रव्य में उस डी.एन.ए के लिए अपेक्षित है । इस संकरण (Hybridization) से हमें डी.एन.ए – आर.एन.ए संकर संरचनाएँ (DNA-RNA Hybrid) प्राप्त होती हैं ।

डी.एन.ए – आर.एन.ए. संकर द्विकुंडलित (Double Stranded) रचना के रूप में पाया जाता है, लेकिन इससे कुछ एक कुंडलित लूप (Single Stranded Loops) भी जुड़े होते हैं । वास्तव में यह लूप ऐसे डी.एन.ए खण्ड से बने होते हैं, जिनमें नॉन-कोडिंग अभिक्रम होता है ।

हमें पता है कि अनुलेखन के समय डी.एन.ए में कोड रूप में उपलब्ध आनुवांशिक सूचना m-RNA में ज्यों की त्यों अनुलेखित (Transcribed) हो जाती है ।