Read this article in Hindi to learn about the three main stages of dairy development in India. The stages are:- 1. प्रारम्भिक विकास (Initial Development) 2. स्वतन्त्रता पूर्व विकास (Pre-Independence Development) 3. स्वतन्त्रता पश्चात डेरी विकास (Post-Independence Dairy Development).

Stage # 1. प्रारम्भिक विकास (Initial Development):

मानव प्लियोलिथीक युग (Paleolithic Period) तक पशुओं का उपयोग उन्हें मार कर भोजन तथा कपडों के लिए करता था । इससे आगे नया पाषाण काल (New Stone Age) या नियोलिथिक युग (Neolithic Age) में मानव में सभ्यता का विकास प्रारम्भ हुआ, परिणामस्वरूप मानव ने उपयोगी पशुओं को बांधकर पालना (Animal Taming) प्रारम्भ किया ।

सभ्य जीवन में पशुओं की उपयोगिता से प्रेरित होकर पशुओं को झुण्ड में पालना (Herding of Animals) का विकास हुआ । लगभग 6000 वर्ष ईसा पूर्व भेड तथा बकरी पालन प्रारम्भ हुआ तत्पश्चात गाय ने मानव समाज में अपना स्थान बनाया इस के साथ ही मनुष्य ने खेती (Farming) तथा पशु पालन (Animal Husbandry) व्यवसाय को प्रारम्भ किया ।

महाभारत काल तक गाय, बकरी, घोडा, भेड, खच्चर, गधा तथा कुत्तों का पालन प्रारम्भ हो गया था । भैंस तथा हाथी उस समय जंगली जानवर थे जिन्हें मानव ने बाद में पाला कुकुद वाली गाय (Humped Cow) तथा भैंस (Buffalo) का पालन सर्वप्रथम एशिया प्रक्षेत्र में हुआ । दूध के महत्व को मानव प्राचीन काल में ही जान चुका था ।

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अतः मानव ने दूध के महत्व को पहचान कर अपनी आवश्यकता के अनुरूप उपयोगी गुणों युक्त पशुओं में चयन की प्रक्रिया प्रारम्भ की । मनुष्य ने अपने अनुभव के आधार पर ऐसी प्रजनन विधियों का विकास किया जिससे वसा, दुग्ध उत्पादन या कार्य हेतु अपनी आवश्यकता के अनुरूप पशु से सन्तान उत्पन्न करा सके ।

पशुओं में समायोजित विकास द्वारा ईसा से 3000 वर्ष पूर्व पशुओं की विभिन्न नस्लें बन चुकी थीं । तब से नियमित रूप से पशु विकास का कार्य चल रहा है । दुग्ध विज्ञान का विकास दुग्ध उत्पादक पशुओं के विकास के साथ अभिन्न रूप से जुडा हुआ है ।

Stage # 2. स्वतन्त्रता पूर्व विकास (Pre-Independence Development):

देश में प्रथम पशु चिकित्सा महाविद्यालय 1862 में पूना में सैन्य आवश्यकता पूर्ति हेतु खोला गया । सन् 1868 में एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय लाहौर में स्थापित हुआ जो स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हिसार में स्थानान्तरित किया गया । प्रथम मिलिट्री डेरी फार्म 1886 में इलाहाबाद में प्रारम्भ हुआ ।

उत्तर प्रदेश के इज्जत नगर में सन् 1889 में Imperial Bacteriological Laboratory स्थापित हुई जिसे बाद में Imperial (Indian) Veterinary Research Institute नाम दिया गया । देश में गाय जाति में संकरण (Cross Breeding) के लिए सन् 1907 में Ayrshire Stock का आयात किया गया । देश में प्रथम पशु गणना (Live Stock Census) सन् 1919 में सम्पन्न हुआ ।

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बंगलौर में 1923 में Imperial Institute of Animals Husbandry and Dairying खोला गया जिसको 1941 में Imperial Dairy Institute नाम दिया गया । सन् 1955 में इसका मुख्यालय करनाल (हरियाणा) में स्थानांतरित करके इसे National Dairy Research Institute नाम दिया गया । दो वर्षीय Indian Diploma in Dairying (IDD), Imperial Dairy Institute बंगलौर में तथा Allahabad Agriculture Institute में 1923 में प्रारम्भ किया गया ।

16 जुलाई 1929 में Imperial Council of Agricultural Research की स्थापना हुई जिसका 1965 तथा 1973 में पुर्नगठन हुआ । इसका मुख्यालय नई दिल्ली में रखा गया । वर्तमान में इसका नाम Indian Council of Agricultural Research (ICAR) है । यह एक स्वशासित संस्थान (Autonomous Body) है जो भारत सरकार के Department of Agriculture research and Education (DARE) के अन्तर्गत कार्य कर रहा है ।

1930 में श्री पेस्टीज्जी इडलजी पालसन (Sh. Pestonji Edulji Polson) ने गुजरात के आनन्द में Polson Model Dairy की स्थापना की जिसमें मुख्यतया मक्खन का उत्पादन प्रारम्भ किया गया । मद्रास पशु चिकित्सा महाविद्यालय में 1936 में B.V.Sc. कक्षाएं प्रारम्भ हुई ।

दुग्ध सहकारिता के क्षेत्र में प्रथम दुग्ध संघ The Lucknow Milk Producer Cooperative Union Limited सन् 1937 में गठित हुआ । दुग्ध पदार्थ कम्पनियों द्वारा घी एवं मक्खन की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए Agmark Act 1938 में बना । पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान का प्रारम्भ 1939 में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली में प्रारम्भ हुआ । 1946 में IVRI ने 1 सप्ताह का पशु चिकित्सा तथा कृत्रिम गर्भाधान में प्रशिक्षण कोर्स प्रारम्भ किया ।

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भारत सरकार के Milk Marketing Advisor के रूप में 1945 में श्री आर.ऐ.पेपराल (R.A. Pepprall) की नियुक्ति हुई । इसी बर्ष Government of Bombay Milk Scheme (GBMS) स्थापित कर वहां पर Array Milk Colony स्थापित की गयी । यहाँ पर दुग्ध उत्पादन, प्रसंस्करण तथा विपणन को आधुनिक बनाने के पूरे प्रयास किये गये ।

Stage # 3. स्वतन्त्रता पश्चात डेरी विकास (Post-Independence Dairy Development):

श्री मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में दुग्ध उत्पादकों की प्रथम बैठक 4 जनवरी 1948 को स्मारखा में सम्पन्न हुई । इसी वर्ष The Kaira District Cooperative Milk Producer’s Union का गठन आनन्द में हुआ जिसे अब Anand Milk Union Limited (AMUL) के नाम से जाना जाता है ।

इसी वर्ष GBMS का विलय AMUL के साथ हुआ । भारत में प्रथम बार मुम्बई में पास्तुरीकृत तथा Bottled Milk का विपणन 1950 में प्रारम्भ हुआ । 1950 में ही पशु वीर्य का शुष्क बर्फ (Solid Carbon Dioxide) में Deep Freezing की तकनीकी का विकास हुआ ।

सन् 1950 के बाद भारत में डेरी विकास का ब्यौरा योजनावार प्रस्तुत किया जा रहा है:

1. प्रथम पंचवर्षीय योजना (First Five Year Plan) (1951-56):

प्रथम योजनान्तर्गत दुग्ध विकास पर कम ध्यान दिया गया । मुम्बई सरकार ने दुग्ध आपूर्ति पालसन डेरी से बन्द करके AMUL से लेना प्रारम्भ किया । देश में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा की आवश्यकता का अध्ययन करने के लिए First Joint Indo-American Team का गठन 1954 में हुआ जिन्होंने अमेरिकन Land Grant Collage, के आधार पर कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना करने की संस्तुति की ।

करनाल में Central Cattle Breeding Farm के कैम्पस पर NDRI को 1955 में बंगलौर से स्थानांतरित किया गया । बंगलौर में NDRI का Southern Regional Station बनाया गया ।

2. द्वितीय पंचवर्षीय योजना (Second Five Year Plan) (1956-61):

इस योजना काल में सात Liquid Milk Plant स्थापित किये गये । आठ Pilot Milk Schemes दो Creameries तथा दो Milk Product Factories का निर्माण प्रारम्भ हुआ । जिन शहरों की जनसंख्या एक लाख से अधिक थी ऐसे 31 शहरों में Liquid Plant Plants की स्थापना का कार्य प्रारम्भ हुआ ।

सन् 1957 में प्रथम डेरी साईंस कॉलिज की स्थापना हुई । तथा B.Sc. Dairying कोर्स प्रारम्भ हुआ । Delhi Milk Scheme (DMS) 1959 में दिल्ली निवासियों की दुग्ध आपूर्ति के लिए स्थापित की गयी । इसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादकों को उचित कीमत देना तथा दुग्ध उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर उच्च गुणवत्ता मुक्त दूध उपलब्ध कराना था ।

DMS द्वारा घी, मक्खन, सुगन्धित दूध तथा योगर्ट का उत्पादन प्रारम्भ किया गया । AMUL द्वारा भैंस के दूध से प्रथम बार Baby Food तथा Milk Powder का निर्माण 1960 में किया गया ।

G.B. Pant University of Agriculture and Technology, Pant Nagar (First Agriculture and Technology, Pant Nagar (First Agriculture University in India) की स्थापना 1960 में हुई । भविष्य में कृषि विश्वविद्यालय स्थापना अध्ययन हेतु Second Joint-Indo-American Team की नियुक्ति भी 1960 में की गयी ।

3. तृतीय पंच वर्षीय योजना (Third Five Year Plan):

इस योजनान्तर्गत 23 Liquid Milk Plant, 27 Pilot Milk Scheme, 2 Cheese Factories तथा 4 Cattle Feed Factories ने कार्य करना प्रारंभ किया तथा अन्य 37 Liquid Milk Plants की स्थापना का कार्य प्रारम्भ किया गया । इसी समय में B.Sc. (Dairying) उपाधि को B.Sc. (Dairy Technology), तथा B.Sc. (Animal Technology) में विभक्त किया गया ।

करनाल में M.Sc (Dairying) कोर्स आरम्भ हुआ । NDRI ने कलकत्ता तथा मुम्बई में अपने केन्द्र 1961 में प्रारम्भ किये । मुम्बई में 1962 में Western Regional Station स्थापित किया गया । 1964 में Eastern Regional Station Kalyani (West Bengal) में स्थापित हुआ ।

डॉ. वी. कुरियन को 1963 में Community Leadership के लिए Raman Magsaysay पुरस्कार प्रदान किया गया । डा. कुरियन 1965 में National Dairy Development Board (N.D.D.B.) की स्थापना उपरान्त इसके प्रथम अध्यक्ष नियुक्त किये गये ।

4. वार्षिक योजनाएँ (1666-67, 1967-68, 1968-69 Annual Plans):

इस अवधि काल में पूर्व में चल रही योजनाओं को नियमित रखते हुए Operation Flood योजना का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ । श्री त्रिभुवनदास पटेल ने 1968 में NDDB भवन की नींव स्थापित की ।

5. चतुर्थ पंच वर्षीय योजना (Fourth Five Year Plan 1969-74):

इस योजना काल में 6 Milk Supply Scheme तथा 32 Rural Dairy Centers की स्थापना की गयी । 1974 की समाप्ति तक 100 डेरी प्लांट्‌स, 62 पाईलेट डेरी स्कीम पूर्ण हो चुकी थी । इन 100 डेरी संयन्त्रों में 94 का प्रबन्धन सरकारी, 2 का सहकारी तथा 4 का वैयक्तिक प्रबन्धन था ।

NDDB ने 1969 में Operation Flood कार्यक्रम का प्रस्ताव भारत सरकार को सौंपा । इस कार्यक्रम के संचालन में वित्तीय कार्यों हेतु 1970 में Indian Dairy Cooperation (IDC) का गठन भारत सरकार द्वारा किया गया । श्वेत क्रान्ति की प्रथम 5 वर्षीय योजना संचालन का दायित्व NDDB तथा IDC को संयुक्त रूप से दिया गया ।

श्वेत क्रान्ति की प्रथम 5 वर्षीय योजना 1970 में प्रारम्भ हुई जो 1978 तक चली । दुग्ध उद्योग विकास के क्षेत्र में संसार की यह सबसे बडी योजना थी । केन्द्रीय स्तर पर National Cooperative Dairy Federation of India (NCDFI) का गठन 1970 में किया गया जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में बनाया गया । इसे November 1986 में नई दिल्ली से आनन्द में स्थानांतरित कर दिया गया । NCDFI को राज्य स्तर पर Milk Marketing Federation के केन्द्रीय प्रतिनिधि के रूप मैं मान्यता प्राप्त हुई ।

NDDB ने 1973 में दुग्ध वितरण की Coin चलित Bulk Vending प्रणाली विकास हुआ । साबरमति आश्रम गौशाला का प्रबन्धन कार्य 1973 में NDDB ने अपने दायित्व में लिया । DARE की स्थापना दिसम्बर 1973 में की गयी जिसके अन्तर्गत अब ICAR कार्य कर रहा है ।

6. पाँचवीं पंच वर्षीय योजना (Fifth Five Year Plan 1974-78):

विकासशील देशों में प्रथम बार International Dairy Federation (IDF) का 58वां वार्षिक अधिवेशन तथा 19वीं International Dairy Congress का आयोजन नई दिल्ली में हुआ । डा. (मिस) अमृता पटेल को International Dairy Congress का Secretary-General बनाया गया । दिल्ली में मदर डेरी की स्थापना 1974 में हुई ।

गुजरात में 6 दुग्ध संघों को मिलाकर उनके ऊपर का गठन किया गया । 1975-76 में National Milk Grid का उदभव हुआ जिसके अर्न्तगत दूध का लम्बा परिवहन Rail Milk Tanker द्वारा प्रारम्भ हुआ । 1976 में NDDB की दुग्ध उत्पाद विकास प्रयोगशाला द्वारा 1976 में ”सुगम” ब्रांड नाम से श्रीखण्ड तथा टी-इनरिचर का विकास किया गया ।

NDRI करनाल में Human Nutrition तथा Dietities विभाग की स्थापना हुई । NDDB-IDC के कार्यों में सामंजस्य स्थापना के लिए 1977 में Regional Advisory Council का गठन हुआ । इसी वर्ष विपणित दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद विकास Milk & Milk Product Advisory Council का गठन हुआ ।

श्वेत क्रान्ति-II को धनापूर्ति के लिए विश्व बैंक की बैठक हुई । NDDB ने Bhav Nagar Vegetable Product Unit के प्रवन्धन का कार्य अपने अधीन लिया ।

7. वार्षिक योजनाएँ (Annual Plan 1978-79, 1979-80):

भारत सरकार-द्वारा 1978 में श्वेत क्रान्ति योजना-द्वितीय प्रावस्था का अनुमोदन हुआ । NDDB ने Mother Dairy, Calcutta का प्रबन्धन कार्य अपने अधीन कर लिया । पूर्व प्रधानमन्त्री श्री चरण सिंह द्वारा 1979 में Operation Flood IInd प्रारम्भ किया गया तथा Mother Dairy, Delhi का दुग्ध उत्पादकों तथा दुग्ध उपभोक्ताओं को समर्पण किया गया भारत में सहकारी प्रबन्धन तथा ग्राम्य विकास को द्रष्टिगत रखते हुए आनन्द में NDDB एवं IDC द्वारा 1979 में की स्थापना की गयी ।

भारत में प्रथम बार (National Institute of Rural Management) विचार को मूर्त रूप प्रदान करते हुए दूध का 4000 लीटर Rail Milk Tanker द्वारा दूध का परिवहन आनन्द से कलकत्ता (2000 कि.मी.) किया गया ।

NDRI, Karnal में Dairy Engineering में M.Sc. तथा Ph.D. कार्यक्रम का प्रारम्भ 1979 में हुआ । ICAR द्वारा तहसील फरहा (Farah) के पास गांव मखदूम (Makhdoom) Central Institute for Research on Goats की स्थापना 12.7.1979 को की गयी ।

8. छठी पंच वर्षीय योजना (Sixth Five Year Plan) 1980-85:

NDRI द्वारा आनन्द में 1980 में Animal Disease Diagnostic Laboratory की स्थापना की गयी जिसका 1988 में Animal Disease Research Laboratory नाम परिवर्तित किया गया । दूध के Aseptic Packaging के लिए Laminated Paper निर्माण के लिए IDC द्वारा Paper Laminating Plant की स्थापना Tata Pak (Switzerland) सहयोग में से की गयी ।

Tropical Countries में डेरी विकास के लिए नई दिल्ली में International Bureau of Tropical Dairying की स्थापना 1980 में हुई । इसके Founding सदस्य अर्जेन्टीना, ब्राजील, क्यूबा, भारत, पाकिस्तान, थाईलैंड तथा वेनेजुएला थे ।

NDDB ने 1981 में फल तथा सब्जी व्यापार Mother Dairy, Calcutta द्वारा प्रारम्भ किया । बडौदा में IDD (DH) सुगम डेरी द्वारा ”सुगम गुलाब जामुन” का प्रादुर्भाव 1981 में किया गया । बंगलौर में IDD (DH) 1983 में प्रारम्भ हुआ । इसी वर्ष अनन्तपुर (आन्ध्र प्रदेश) के Garlidinne में दक्षिण भाग के लिए Farm Machinery Training and Testing Institute खोला गया ।

सूरत में प्रथम Aseptic Packaging Station प्रारम्भ किया गया । 1984 में पशु चिकित्सकों के पंजीकरण के लिए Indian Veterinary Council Act 1984 बना ।

9. सातवीं पंच वर्षीय योजना (Seventh Five Year Plan) 1985-90:

NDDB द्वारा 1985 में S.A.G. Bidaj में Embryo Transfer Technology Project प्रारम्भ की गयी । Operation Flood Project-III 1987-94 योजना की सहमति पर विश्व बैंक भारत सरकार तथा NDDB ने 1987 में हस्ताक्षर किये इस योजना को बाद में World Bank National Dairy Project-III 1987-94 नाम दिया गया ।

Indian Parliament Act 37 of 1987 द्वारा IDC का विलय NDDB के साथ किया गया । Dairy Technology Mission द्वारा सहकारी संरचना का विस्तार, भारत के 60% भाग को आच्छादित करने वाले 275 जिला क्षेत्रों तक विस्तार करने का सुझाव रखा ।

शिलोंग (मेघालय) में ”मिथुन” प्रजाति पर अध्ययन के लिए The National Research Centre on Mithun की स्थापना 1988 में की गयी । जिसे 1993 में नागालैंड के Jharnapari Madziphema पर स्थानातरित कर दिया गया । 1989 में गुजरात कृषि विश्वविद्यालय के आनन्द कैम्पस पर B.Sc. (Dairying) का नाम परिवर्तित कर B.Tech (D.T) किया गया तथा Indian Institute of Dairy Technology प्रारम्भ किया गया ।

इस वर्ष NDRI को Deemed to be University का दर्जा किया गया तथा यहां पर M.Sc. स्तर पर Biotechnology खोला गया । दुग्ध उद्योग के माध्यम से ग्रामीण आय तथा रोजगार को गति देने के उद्देश्य से 1989 में Technology Mission on Dairy Development प्रारम्भ किया गया । विश्व में पहले I.V.F. Buffalo Calf ”प्रथम” का जन्म 1990 मैं हुआ । कृषि मन्त्रालय के अन्तर्गत पशु पालन एवं दुग्ध विज्ञान विभाग 1991 में खोला गया ।

10. आठवीं पंचवर्षीय योजना (Eighth Five Year Plan) 1992-97:

दस हजार लीटर या अधिक दूध का प्रतिदिन प्रसंस्करण करने वाले डेरी यन्त्रों का Hygiene एवं Sanitation की शर्तों को पूरा करने एवं पंजीकरण सम्बन्धी आदेश Milk and Milk Product Dairy Order 1992 भारत सरकार द्वारा लागू किया गया । भारत की प्रथम Vertical Dairy का Noida में निर्माण 1993 में NDDB द्वारा प्रारम्भ किया गया जिसकी क्षमता 4,00,000 लीटर प्रतिदिन होगी ।

भारत सरकार ने 1993 में NDDB के माध्यम से दुग्ध पदार्थों का आयात तथा निर्यात खोला । M.M.P.O के अन्तर्गत 75,000 लीटर दूध प्रतिदिन या 3750 मिलियन टन दुग्ध ठोस प्रतिवर्ष धारण (Handle) करने वाले डेरी सन्यन्त्रों का पंजीकरण करने का अधिकार 1993 में राज्य सरकारों तथा इससे अधिक दूध धारण क्षमता के सन्यत्रों का पंजीकरण का अधिकार Central Registering Authority को दिया गया ।

NDRI University का पहला Convocation 9.11.1994 को हुआ । इसी वर्ष इस संस्थान के Dairy Technology Division तथा Dairy Cattle Breeding Division को Centre of Advance Studies का दर्जा दिया गया । 30 अप्रैल 1996 को Operation Flood-III का समापन हुआ ।

NDRI के Southern Regional Station, Bangalore पर दो वर्षीय National Dairy Diploma (NDD) प्रारम्भ हुआ । ICAR द्वारा 1996 में NDRI के KVK (Krushi Vigyan Kendra) को 1993-94 का Outstanding K.V.K घोषित किया गया ।

11. नौंवीं पंचवर्षीय योजना (Ninth Five Year Plan) 1992-2002:

दुग्ध विज्ञान के छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए NDDB द्वारा 60,000 लीटर दूध प्रतिदिन क्षमता का Automated Model Dairy Plant NDRI Karnal में स्थापित किया गया । NDDB के प्रथम अध्यक्ष Dr. V. Kurien के 1998 में त्यागपत्र के बाद Dr. (Ms.) Amrita Patel को 26.11.98 की अध्यक्ष पद का कार्यभार सौंपा गया ।

1999 में भारत विश्व का सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाला देश बना । Quality Control Services (QAS) द्वारा भारत में पहली आनन्द स्थित विद्या डेरी को HACCP 9,000 मानक प्रमाणपत्र दिया गया । यह मानक विश्व के उच्चतम् Quality Assurance Certifications में से एक है ।

International Biographical Centre, Cambridge, England द्वारा Dr. R. S. Gandhi (NDRI Karnal-Animal Breeder) की Biography को “Outstanding People of the 20th Century” में प्रकाशित करने के लिए चुना । उत्तर प्रदेश, 1999 में देश का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक प्रदेश बना ।

इसी वर्ष PCDF ने ईद के दिन 11.36 लाख लीटर दूध प्राप्ति तथा 8.5 लाख लीटर दूध बेचने का रिकार्ड बनाया । 1988 में प्रारम्भ Technology Mission of Dairy Development का 31.3.99 को सम्पन्न हुआ । वर्ष 1999 का NDRI करनाल में करन फ्रिज गाय का एक दिन का 44.2 कि.ग्रा. दूध तथा वर्ष 2000 में Punjab Agricultural University, Punjab की संकर गाय का एक दिन का रिकार्ड दुग्ध उत्पादन 52.5 kg. हुआ ।

12. दसवीं पंचवर्षीय योजना (Tenth Five Year Plan) 2002-07:

भारत सरकार के पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान विभाग ने दसवीं योजना के अन्तर्गत डेरी सैक्टर के विकास के लिए ”Dairy Venture Capital Fund” नाम से योजना चलाई है । इस योजना के अन्तर्गत डेरी उद्योग लगाने के लिए प्रोजेक्ट लागत का 50% तक ब्याज विहीन कर्ज देने के प्रावधान है । शेष में 10% उद्यमी द्वारा तथा 40% बैंक लोन द्वारा लगाने का प्रावधान है ।

ये योजना निम्नलिखित के लिए हैं:

i. 10 दुग्ध पशु इकाई (भैंस व संकर गाय) खोलने के लिए- Rs.3 लाख (जहां O.F. लागू नहीं था) ।

ii. दूध निकालने की मशीन, मिल्को टैस्टर या शीतलन इकाई (2000 lit.) स्थापना हेतु Rs. 15 लाख ।

iii. दुग्ध प्रसंस्करण उपकरण खरीद हेतु- रु. 30 लाख ।

iv. दुग्ध परिवहन व कोल्ड श्रृंखला हेतु-रु. 20 लाख ।

v. शीत संग्रह सुविधा उपलब्ध करने हेतु-रु. 25 लाख ।

vi. वैयक्तिक पशु चिकित्सालय स्थापना हेतु-रु. 15 लाख स्थाई चिकित्सालय के लिए तथा रु. 2 लाख गतिशील चिकित्सालय के लिए ।

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