विफलता और सफलता पर थिओडोर रूजवेल्ट का भाषण । Speech of Theodore Roosevelt on “Failure and Success” in Hindi Language!

सन 1899 में 10 अप्रैल को अमेरिका के छब्बीसवें राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने यह प्रेरणात्मक भाषण शिकागो के हेमिल्टन क्लब में दिया था ।

पश्चिम के महानतम शहर के निवासियो, हमारे देश को लिंकन और ग्राण्ट जैसे महान् व्यक्ति देने वाले राज्य के निवासियो, जिनमें स्पष्ट और उत्कृष्ट रूप से अमेरिकी चरित्र की सबसे ज्यादा विशेषताएं हैं, आपको सम्बोधित करते हुए मैं आपको अधम आलस्य का उपदेश नहीं   दूंगा ।

मैं तो आपको मेहनत का जीवन जीने कठिन परिश्रम और प्रयत्न कर जीवन जीने संघर्ष और श्रम का जीवन जीने का उपदेश देना चाहूंगा । कामयाबी अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में उसे नहीं मिलती जो केवल सुखद शान्ति की कामना रखता है । वह उस व्यक्ति को मिलती है, तो विपत्ति पीड़ा या कठिन मेहनत से नहीं घबराता और जो इनके कारण शानदार विजय पाता है ।

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सुस्ती और आलस्यपूर्ण जीवन आकांक्षा या महान् उपलब्धियों के लिए कोशिश करने की सामर्थ्य के अभावजनित शान्ति किसी राष्ट्र के लिए उतनी ही बेकार है, जितनी किसी मनुष्य के लिए ।  मैं आपसे वही चाहता हूं जो कोई भी स्वाभिमानी अमेरिकन  स्वयं से या अपने बेटों से या समस्त अमेरिकी राष्ट्र से चाहता है ।

आप में से कौन अपने पुत्रों के लिए चाहेगा कि इस प्रकार की शान्ति उनकी आंखों के आगे आखिरी लक्ष्य बनकर रहे ? आप शिकागो वासियों ने इस नगर को महान् बनाया है । आप इलिनॉइस वालों ने अमेरिका को महान् बनाने में अपने हिस्से से भी ज्यादा योगदान किया है; क्योंकि आप न तो उपर्युक्त जीवन-दर्शन का उपदेश देते हैं, न ही उस पर अमल करते हैं ।

आप खुद कार्य करते हैं और अपनी सन्तानों का पालन-पोषण करके उन्हें कार्य करने के लायक बनाते हैं ।  यदि आप अमीर है और योग्य हैं, तो आप अपने बेटों को सिखायेंगे कि उनके पास समय हें, तो वे उसे आलस्य में न व्यतीत करें; क्योंकि सूझबूझ से अतिरिक्त समय बिताने का अर्थ है, जिनके पास ऐसा समय है, वे जीविका के लिए समय लगाने की   जरूरत से आजाद होने के पश्चात् अन्य कर्तव्यों के लिए बाध्य       हैं ।

उन्हें विज्ञान, साहित्य, कला, अन्वेषण, ऐतिहासिक अनुसन्धान जैसे-आमदनी न देने वाले कार्यों में वक्त बिताना चाहिए जिसकी इस देश को बहुत जरूरत है । इस प्रकार के कामों को सफलतापूर्वक पूरा करने से देश का गौरव बढ़ता है । हम कायरतापूर्ण शान्ति चाहने वालों की तारीफ नहीं करते ।

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हम उस व्यक्ति के प्रशंसक हैं जो कई प्रकार के प्रयत्न करता है । जो कभी भी अपने पड़ोसियों से बुरा व्यवहार नहीं करता जो किसी दोस्त की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है, जिसमें वे पुरुषोचित गुण हैं, जो जीवन के मुश्किल संघर्ष में विजयी बनाते हैं । असफलता होना पीड़ादायक है, किन्तु सफलता के लिए कभी कोशिश न करना उससे भी बुरा है ।

इस जीवन में हम कोशिश के अलावा और क्या पाते हैं ? कोशिश से मुक्ति का केवल एक ही अर्थ है कि अतीत में किया गया प्रयास संजोकर रखा हुआ है । किसी व्यक्ति को काम करने की अनिवार्यता से तभी मुक्ति मिल सकती है, जब उसने या उसके पूर्वजों ने अच्छे उद्देश्य के लिए जमकर काम किया हो ।

यदि इस प्रकार उपलब्ध मुक्ति का सही उपयोग किया जाये और वह व्यक्ति अभी भी यथार्थ काम करता है, भले ही वह काम अलग प्रकार का हो किसी लेखक के रूप में या सेनापति के रूप में भले ही राजनीति के क्षेत्र में या अन्वेषण के क्षेत्र में वह सिद्ध करता है कि वह उस ऐश्वर्य के योग्य है ।

यदि वह अपने काम से मुक्ति के इस अवकाश को तैयारी का समय न मानकर केवल आमोद-प्रमोद का समय मानता है, भले ही उस आमोद-प्रमोद में दुर्व्यसन न हों वह इस पृथ्वी पर बोझ ही है ।  वह निश्चय ही जरूरत पड़ने पर अपने संगी-साथियों के किसी काम नहीं आ सकता । केवल आराम का जीवन अन्तत: बहुत सन्तोषजनक नहीं होता ।

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ऐसा जीवन उन लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है, जो संसार में कोई महत्त्व का कार्य करना चाहते हैं । सही स्थितियां तभी बनी रह सकती हैं, जब उनका निर्माण करने वाले स्त्री-पुरुष स्वच्छ, ओजस्वी स्वस्थ जीवन व्यतीत करते हों । जब बच्चों को ऐसा प्रशिक्षण दिया जाये कि वे मुश्किलों से घबरायें नहीं उन पर जीत हासिल करें ।

आलस्य की कामना न करें अपितु जोखिम और मुश्किल परिश्रम के जोर पर विजय प्राप्त करें । किसी पुरुष को पुरुषोचित कार्य करके सन्तुष्ट होना चाहिए-साहस धैर्य और मेहनत के साथ अपना और अपने आश्रितों का भरण-पोषण करके ।  जब पुरुष काम से या न्यायपूर्ण युद्ध से डरे हुए रहते हैं, जब महिलाएं मातृत्व से डरी हुई रहती हैं, तो वे दोनों ही विनाश के कगार पर होते हैं और ऐसे लोगों को तो धरती से गायब ही हो जाना चाहिए ।

जो कुछ व्यक्ति के लिए सत्य है, वही राष्ट्र के लिए भी सत्य है । यह कहना अधम कोटि का असत्य है कि जिस राष्ट्र का कोई इतिहास न हो वह सुखी राष्ट्र होता है । जिस राष्ट्र का गौरवशाली इतिहास हो वह उसकी अपेक्षा तीन गुना सुखी होता है ।

गौरवशाली जीत पाने या बड़ी वस्तुएं पाने के लिए कोशिश करना बेहतर है, भले ही असफलता प्राप्त हो । यह उन हीन आत्माओं की भांति जीवन बिताने से कहीं अच्छा है, जो न तो ज्यादा आनन्द पाते हैं न ज्यादा दु:ख पाते हैं । वे उस धुंधलके वाली गोधूलि में रहते हैं, जहां न जीत होती है, न हार ।

भगवान् को धन्यवाद कि हमारे पूर्वजों के खून में इस्पात था । जो लिंकन के विवेक के समर्थक थे जिन्होंने ग्राण्ट की सेना में तलवारें या बद्धके उठायी थीं । जिन्होंने खुद को उन महान् दिनों के अनुकूल प्रमाणित किया उन्हीं पूर्वजों की हम सन्तानें हैं ।

जिन पूर्वजों ने महान् गृहयुद्ध में भाग लिया और जीत हासिल की उनकी सन्तान होने के कारण हमें भगवान् का धन्यवाद करना चाहिए कि हमारे पूर्वजों ने शान्ति के हेय परामर्श को अस्वीकार किया; पीड़ा, हानि, हताशा के अन्धकार का  अडिंग होकर सामना किया और सालों का संघर्ष झेला ।