मैं लोकतन्त्र के आदर्शों का पैरोकार हूं :  “I am the Advocate of the Ideals of Democracy!” in Hindi Language

इस धरती पर हमारी स्थिति अनोखी दिखती है । हममें से प्रत्येक व्यक्ति यहां कुछ वक्त के लिए बिना किसी इच्छा के या बिना बुलाये आया हुआ नजर आता है, यह जाने बिना कि वह क्यों आया है या कहां से आया है ।

अपने रोजाना के जीवन में हम केवल यह अनुभव करते हैं कि मानव यहां दूसरों के लिए आया है: उनके लिए, जिन्हें हम प्रेम करते हैं । उन लोगों के लिए भी जिनका भाग्य हमारे अपने भाग्य से जुड़ा हुआ है । मैं इस विचार से अकसर विचलित हो जाता हूं कि मेरा जीवन काफी हद तक अपने साथियों के कार्य पर निर्भर है ।

मैं उन लोगों का सचमुच बहुत ऋणी हूं । मैं इच्छा की आजादी में विश्वास नहीं करता । स्कोपेहाउर के शब्दों में ‘मानव जो चाहता है, कर सकता है, लेकिन वह जिस वस्तु की इच्छा करता है, नहीं कर सकता ।’ मैं अपने जीवन की प्रत्येक स्थिति में इन शब्दों को स्मरण रखता हूँ ।

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ये शब्द दूसरों के काम से तालमेल बिठाने में मेरी सहायता करते हैं, भले ही वह कार्य मेरे लिए पीड़ादायक हो । इच्छा की आजादी के अभाव के प्रति मेरी जागरूकता मुझे अपनी इच्छा से कार्य करने और निर्णय लेने वाले व्यक्ति के रूप में खुद को और अपने साथी व्यक्तियों को बहुत गम्भीरता से लेने और अपना धैर्य खोने से रोकती है । मैंने पैसा और ऐश-आराम की कामना नहीं की ।

मैं इनसे बहुत नफरत करता हूं । सामाजिक न्याय के प्रति मेरे जुनून के कारण अकसर दूसरे व्यक्तियों के साथ मेरा मतभेद हो जाता है । मैं बन्धन और पराधीनता से बहुत नफरत करता हूं । इस कारण भी दूसरों से मेरा मतभेद हो जाता है ।

मैं बंधन और पराधीनता को जरूरी नहीं मानता । मेरे मन में प्रत्येक व्यक्ति के लिए सदैव से सम्मान रहा है, लेकिन हिंसा और गुटबाजी से मुझे मृणा रही है । मैं इस मायने में धार्मिक हूं । मेरे लिए इन रहस्यों के विषय में अटकलें लगाना और उनमें शामिल वस्तुओं की मात्र एक झलक पाने का प्रयास करना ही काफी है ।