Read this article in Hindi to learn about:- 1. आदेश की एकता का अर्थ (Meaning of Unity of Command) 2. आदेश की एकता का महत्व (Importance of Unity of Command) 3. लाभ और दोष (Merits and Demerits) 4. आलोचना (Criticisms).

आदेश की एकता का अर्थ (Meaning of Unity of Command):

आदेश की एकता का सीधा अर्थ है, एक कार्मिक को एक ही अधिकारी द्वारा आदेश दिया जाना । संगठन में एक कार्मिक को एक ही उच्च कार्मिक से आदेश मिलना चाहिए । अर्थात एक कार्मिक एक ही अधिकारी के नियंत्रण, निर्देशन में हो, जहां तक उसके कार्यों का सवाल है । फेयोल इस सिद्धांत का प्रतिपादक है ।

परिभाषाएं:

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फिफनर एवं प्रेस्थस – ”एक कार्मिक को एक ही नेता के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए ।”

हेनरी फैयोल – ”एक कार्मिक को एक ही उच्च अधिकारी से आदेश मिलना चाहिए ।”

अवधारणा:

1. आदेश की एकता का मूलाधार यह तथ्य है कि किसी भी संगठन की रचना दोहरे नियत्रंण के अनुकूल नहीं होती है ।

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2. एक कार्मिक-एक बीस के इस सिद्वांत के केन्द्र में वे अधीनस्थ है जिन्हें आज्ञा या आदेश ग्रहण करने हैं, न कि वे जिन्हें आदेश देने हैं ।

3. एक उच्च अधिकारी एक से अधिक उन अधीनस्थों को आदेश दे सकता है जो उसके नियंत्रण में रखे गये है, लेकिन उनमें से प्रत्येक अधीनस्थ मात्र उसी से आदेश ग्रहण करेगा, किसी अन्य से नहीं ।

4. स्पष्ट है कि आदेश की एकता, आदेश प्राप्ति से संबंधित है, आदेश देने से नहीं ।

आदेश की एकता का महत्व (Importance of Unity of Command):

यह एक सहज बात है कि कोई भी व्यक्ति एक समय पर दो भिन्न आदेशों का पालन नहीं कर सकता । और यदि वे एक दूसरे के विपरित हों, तब तो उसके सामने यह विनिश्चय करना कठिन हो जाएगा कि वह किस एक का पालन करें । फेयोल आदेश की एकता के सिद्धान्त का सबसे प्रबल समर्थक हुआ ।

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उसी के शब्दों में – ”इस सिद्धान्त के उल्लंघन से सत्ता कमजोर हो जाती है, अनुशासन खतरे में पड़ जाता है, व्यवस्था भंग हो जाती है और संगठन का स्थायित्व ही संकटग्रस्त हो जाता है । एक व्यक्ति के ऊपर जब दो अधिकारी सत्ता का उपभोग करने लगते है, तो गड़बड़ी पैदा होने लगती है । ऐसे दोहरे नियंत्रण में या तो दो में से एक अधिकारी का लोप हो जाता है या संगठन का विनाश होने लगता है ।”

गुलिक-उर्विक – ”एक व्यक्ति दो बॉस की सेवा नहीं कर सकता ।”

उल्लेखनीय है कि फेयोल ने अपने 14 सिद्धान्तों में आदेश की एकता के साथ निर्देश की एकता का भी जिक्र किया है ।

क्रिस आरगाइरिस के अनुसार – निर्देश की एकता विशिष्टीकृत एकक प्राधिकार से संबंधित है जबकि आदेश की एकता सामान्यीकृत एकक प्राधिकार से । अर्थात निर्देश की एकता वहाँ होगी जहां प्रत्येक ईकाई की एक ही गतिविधि नेता द्वारा निर्देशित होती है । यह एक योजना-एक नेता की अवधारणा से संबंधित है ।

वस्तुतः आदेश की एकता के सिद्धान्त का महत्व इस तथ्य में है कि इसके पालन से सांगठनिक कुशलता बढ़ती है, उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जा सकता है और अधीनस्थों को भी इसके अभाव में बेजा लाभ उठाने से रोका जा सकता है ।

आदेश की एकता के लाभ और दोष (Merits and Demerits of Unity of Command):

1. उत्तरदायित्व तय करने में आसानी (सबसे बड़ा लाभ) ।

2. अनुशासन की स्थापना ।

3. भ्रम की स्थिति नहीं कि कार्मिक को किसका आदेश मानना है ।

4. जपदसोपान के अनुकूल ।

आदेश की एकता के दोष:

1. एक स्वामी एक अधीनस्थ की धारणा पर आधारित है ।

2. संगठन में कार्मिक को उनके अधिकारियों के नियंत्रण में रहना पड़ता है ।

3. साइमन के अनुसार यह विशेषीकरण का विरोधी सिद्धान्त है ।

आदेश की एकता के आलोचना (Criticisms of Unity of Command):

(1) टेलर – ”यह एक सैनिक तानाशाही है । एक संगठन में एक कार्मिक के 8 बॉस (दल-नायक) होते हैं । क्रियात्मक संगठन में आदेश की एकता नहीं पायी जाती है । टेलर ने इसके स्थान पर ”फंक्शनल फोरमेनशीप” का सिद्धान्त दिया ।

(2) सेकलर हडसन – ”अनुभव ने इसे असफल सिद्ध किया है । एक कार्मिक को संगठन में अनेक स्वामियों से आदेश मिलता है, किसी से वित्त संबंधी, किसी से सेवी वर्ग संबंधी, तो किसी से सामग्री संबंधी ।”

(3) साइमन – ”आदेश की एकता संगठन में आवश्यक है फिर भी यह संभव है कि किसी कार्मिक को दो अधिकारी से आदेश लेने पड़े तब यह तय होना चाहिए कि उनमें जब विरोधाभास हो तो कार्मिक किसके आदेश को स्वीकार करे ।”

(4) मिलेट – ”सामान्यतया संगठन में द्विमुखीय पर्यवेक्षण पाया जाता है । पहला एक प्रशासनिक अधिकारी का पर्यवेक्षण और दूसरा एक तकनीकी नियंत्रण रखने वाले अधिकारी का पर्यवेक्षण ।”