संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय और राज्य सरकारों के बीच प्रभाग की शक्तियां | Powers of Division between the Federal and State Governments in USA.

अमरीकी संविधान में एक संघीय राज्य की व्यवस्था की गई है जिसमें राष्ट्रीय अर्थात संघीय और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन है । स्थानीय सरकार राज्य का विषय है । प्रत्येक राज्य ने इतिहास, अनुभव और परिस्थितियों के आधार पर स्थानीय सरकारों की अपनी प्रणाली स्थापित की है ।

अत: संयुक्त राज्य अमरीका में स्थानीय सरकार की इकाइयों के नाम, संगठन और कार्य एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न हैं । या दूसरे शब्दों में, स्थानीय सरकार की अमरीकी प्रणाली की विशिष्टता समानता नहीं अपितु भिन्नता है । इसकी एक अन्य विशेषता यह है कि इन इकाइयों को उच्च स्तर की स्वायत्तता प्राप्त है । वास्तव में ये स्थानीय सरकार की ब्रिटिश इकाइयों से अधिक स्वायत्त हैं ।

वर्तमान में संयुक्त राज्य अमरीका में स्थानीय सरकार की निम्न इकाइयां हैं:

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(i) काउंटी या ग्रामीण क्षेत्र,

(ii) नगर (नगर पालिका),

(iii) कस्बा और नगर क्षेत्र,

(iv) विशेष जनपद ।

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स्थानीय सरकार के उद्देश्य के लिए संयुक्त राज्य अमरीका के संघीय गणराज्य का प्रत्येक राज्य अनेक काउंटी क्षेत्रों में विभक्त है । प्रत्येक कांउटी क्षेत्र अनेक शहरों और कस्बों और नगर क्षेत्रों में विभाजित किया गया है । इसके साथ-साथ अनेक विशेष जनपद हैं जिनका संबंध विशेष प्रकार के कार्यों से है । वर्तमान में लगभग 3000 काउंटी क्षेत्र, 18000 नगर, 17,000 कस्बे और नगर क्षेत्र तथा 40,000 विशेष जनपद हैं ।

काउंटी (County):

भू-प्रादेशिक रूप से काउंटी संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानीय शासन की सबसे बड़ी इकाई है । काउंटी राज्य सरकार की एजेंसियों के रूप में कार्य करती है । ये स्थानीय शासन की इकाइयों होने के साथ-साथ राज्यों के उपजिलों के रूप में भी कार्य करती हैं । प्रत्येक राज्य में काउंटी क्षेत्रों का संगठन, शक्तियां एवं कार्य अलग-अलग हैं ।

आमतौर पर काउंटी क्षेत्र निम्नलिखित कार्य करते हैं:

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(i) कानून लागू करना,

(ii) न्याय व्यवस्था,

(iii) सड़कें और राजमार्ग,

(iv) जनकल्याण और सार्वजनिक सुविधाएँ,

(v) कृषि और सहकारिता विस्तार,

(vi) शिक्षा,

(vii) स्वास्थ्य एवं सफाई,

(viii) नियोजन और परिक्षेत्र निर्माण ।

प्रत्येक काउंटी क्षेत्र के प्रबंध निकाय के रूप में इसका एक काउंटी क्षेत्र बोर्ड होता है । इसको भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे- बोर्ड ऑफ कमिश्नर्स, बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स, काउंटी कोर्ट, पुलिस ज्यूरी ।

प्रत्येक निकाय में चार से लेकर पचास तक सदस्य होते हैं जिनका निर्वाचन दो से चार वर्षों के लिए प्रत्यक्षत: किया जाता है । सामान्यतया यह एक अध्यक्ष का चुनाव करता है जो सभापति के रूप में काम करता है । निकाय के पास नियम बनाने के तथा कुछ प्रशासनिक अधिकार होते हैं ।

प्रशासनिक सत्ता के रूप में बोर्ड के अलावा, प्रत्येक काउंटी क्षेत्र में अनेक अधिकारी होते हैं, जैसे कि शेरिफ (शासनाधिकारी), लिपिक, कोरोनर (राज्य संपदाधिकारी), अधिवक्ता, लेखा परीक्षक, अभिलेखपाल, सर्वेक्षक, खजांची, कर निर्धारक, स्कूल अधीक्षक और न्यायाधीश इत्यादि । इन अधिकारियों का चुनाव प्रत्यक्षत: लोगों द्वारा, सामान्यत: दो वर्ष के लिए किया जाता है । ये अपने प्रशासनिक अधिकारों का उपयोग बोर्ड से स्वाधीन रूप में करते हैं ।

नगर (Town):

नगर शहरी स्थानीय स्वायत्त शासन की एक इकाई है । इसे नगरपालिका के रूप में संस्थापित किया जाता है । इसकी तुलना ब्रिटेन के बोरो (नगर) से की जा सकती है । इसका एक अधिकार पत्र अर्थात बुनियादी कानून होता है जो इसके संगठन, अधिकारों तथा कार्यों को परिभाषित करता है ।

शहर को यह अधिकतर पत्र राज्य विधायिका द्वारा विशेष अधिनियम अथवा सामान्य कानूनों के अंतर्गत दिया जाता है । नगर पालिका स्वशासन के अंतर्गत कोई शहर अपना अधिकार पत्र खुद भी तैयार कर सकता है ।

विधायिका और कार्यपालक अंगों के बीच के संबंधों के आधार पर नगर सरकारों का वर्गीकरण निम्न तीन रूपों में किया जाता है:

1. महापौर (Mayor) परिषद योजना,

2. आयोग (Commission) योजना,

3. नगर प्रबंधक योजना ।

महापौर-परिषद योजना (Mayor Council Plan):

संयुक्त राज्य अमरीका में नगर प्रशासन का यह सबसे पुराना और सबसे प्रचलित रूप है । स्थानीय सरकार के इस रूप का उपयोग आधे से अधिक नगर करते हैं । इस योजना के अंतर्गत महापौर का निर्वाचन प्रत्यक्षत: होता है ।

यह महापौर नगर के मुख्य कार्यकारी प्रशासक के रूप में स्वाधीन रूप से काम करता है । विधायी निकाय के तौर पर काम करने के लिए नगर परिषद का चुनाव अलग से किया जाता है । नगर सरकार की प्रणाली में महापौर की स्थिति के आधार पर इस योजना को दो भिन्न-भिन्न योजनाओं अथवा व्यवस्थाओं-महापौर व्यवस्था और अशक्त महापौर व्यवस्था में उपविभाजित कर दिया जाता है ।

सशक्त महापौर व्यवस्था (Strong Mayor Arrangement):

इस व्यवस्था के अंतर्गत महापौर को संपूर्ण प्रशासनिक अधिकार होते हैं और वह नगर के पूरे प्रशासन को नियंत्रित करता है । नगर परिषद की स्वीकृति लिए बिना ही वह विभागों के प्रमुखों को नियुक्त कर सकता और उनको हटा सकता है । वह परिषद द्वारा पारित किसी भी अध्यादेश को वीटो कर सकता है । नगर बजट की तैयारी के सम्बंध में उससे व्यापक अधिकार प्राप्त होते हैं ।

अशक्त महापौर व्यवस्था (Weak Mayor Arrangement):

इस व्यवस्था के अंतर्गत महापौर के प्रशासनिक अधिकार सीमित होते हैं और नगर प्रशासन पर उसका लगभग कोई नियंत्रण नहीं होता । प्रशासन चलाने के लिए विभाग प्रमुखों का निर्वाचन सीधे-सीधे जनता द्वारा किया जाता है । नियुक्तियाँ तथा हटाने के मामले में महापौर के अधिकार सीमित होते हैं ।

विभिन्न अधिकारियों की नियुक्ति केवल नगर परिषद द्वारा की जाती है । महापौर का वीटो करने का अधिकार कमजोर होता है अर्थात इसको परिषद के बहुमत द्वारा निरस्त किया जा सकता है । बजट तैयार करने तथा प्रशासन के मामलों में परिषद सीधे-सीधे भाग लेती है । अत: नगर सरकार की इस व्यवस्था में परिषद प्रधान होती है ।

आयोग योजना (कमीशन प्लान) (Commission Plan):

इस प्रकार की नगर सरकार के अंतर्गत विधायी एवं प्रशासनिक अधिकार एक ही निकाय में केंद्रित होते हैं जिसे आयोग कहा जाता है । शासी निकाय में तीन से चार सदस्य होते हैं जिनको आयुक्त (कमिश्नर) कहा जाता है । इनका चुनाव सीधे-सीधे जनता द्वारा 2 से 6 वर्ष के लिए किया जाता है ।

आयुक्तों की दोहरी जिम्मेदारियों होती हैं- सामूहिक और व्यक्तिगत । सामूहिक रूप पर वे नगर परिषद (विधायी निकाय) के रूप पर काम करते हैं, नीतियों का निर्धारण करते है, अध्यादेश पारित करते हैं तथा खर्चों पर नियंत्रण करते हैं ।

व्यक्तिगत तौर पर वे नगर सरकार के प्रशासनिक विभागों-सार्वजनिक निर्माण, जन सुरक्षा और वित्त-के प्रमुखों के रूप में काम करते हैं । आयुक्त अपने बीच में से एक व्यक्ति को महापौर के रुप में चुनते हैं, जो मुख्य प्रशासक का काम करता है । महापौर का पद एक औपचारिक नेतृत्व बनकर रह जाता है । वह नगर सरकार का एक नामधारी प्रमुख होता है ।

नगर प्रबंधक योजना (City Manager Plan):

इसे परिषद प्रबंधक व्यवस्था भी कहते हैं । नगर सरकार के इस रूप के अधीन पाँच से सात सदस्यों वाली एक परिषद होती है जिनका चुनाव प्रत्यक्षत: 2-4 वर्षों के लिए किया जाता है । यह निर्वाचित परिषद विधायी निकाय का काम करती है । अपने सदस्यों के बीच से परिषद महापौर चुनती है जो इसके सभापति के रूप में कार्य करता है किन्तु इसके पास कोई प्रशासनिक अधिकार और कार्य नहीं होते हैं । वास्तव में यह नाममात्र का प्रमुख होता है ।

नगर परिषद व्यावसायिक प्रशासक की नियुक्ति करती है जिसे नगर प्रबंधक कहते हैं । यह नगर सरकार के मुख्य प्रशासक के रूप में काम करता है । यह परिषद के प्रति उत्तरदायी होता है और उसकी सहमति प्राप्त होने तक काम करता रह सकता है ।

परिषद् अध्यादेशों तथा नीतियों को लागू करने में यह परिषद के एजेंट के रूप में काम करता है । प्रबंधक विभाग प्रमुखों को नियुक्त कर सकता और हटा सकता है । वह नगर सरकार का बजट बनाता है और उसे परिषद के समक्ष प्रस्तुत करता है ।

इस प्रकार नगर प्रबंधक योजना नगर सरकार को एक शक्तिशाली परिषद और प्रशासनिक उत्तदायित्वों के साथ एक कमजोर महापौर प्रदान करती है क्योंकि पूरा नगर एक पेशेवर प्रशासक के हाथों में रहता है जिसको परिषद द्वारा अपनी इच्छानुसार नियुक्त किया और हटाया जा सकता है ।

कस्बा और नगर क्षेत्र (Town Area):

ये नगर क्षेत्र के उपमंडल और ग्रामीण तथा अर्ध शहरी क्षेत्रों में स्थानीय सरकार की प्रधान इकाइयाँ हैं । कस्बों के शासी निकाय को कस्बा-सभा या टाउनमीटिंग कहते हैं । कस्वे के सभी योग्य मतदाता इसके सदस्य होते हैं ।

आमतौर पर इसकी बैठक साल में एक बार होती है और स्थानीय प्रशासन चलाने के लिए एक बोर्ड तथा अन्य आधिकारिक कर्मियों का चुनाव करती है । इन कस्बों में ‘प्रत्यक्ष जनतंत्र’ को काम करते हुए देखा जा सकता है ।

नगर क्षेत्रों के शासी निकाय को बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स या बोर्ड ऑफ आडिटर्स अथवा एडवाइजरी बोर्ड कहा जाता है । इस छोटे से चुने हुए निकाय में लगभग तीन सदस्य होते हैं जो अध्यादेश और बजट पारित करते हैं तथा स्थानीय प्रशासन चलाने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं ।

विशेष जनपद (Special District):

यह स्थानीय सरकार की एक इकाई है जिसकी स्थापना किसी एक सेवा विशेष को उपलब्ध कराने के लिए की जाती है । यह इकाई किसी विशेष कार्य को करने के लिए एक विशेषीकृत तंत्र उपलब्ध कराती है और स्थानीय सरकार में उच्चस्तरीय लचीलापन लाती है ।

इस प्रकार के जनपद स्थानीय सरकार की नियत इकाइयों गाँव, नगर, कस्बा इत्यादि के अधिकार क्षेत्र के पार जाते हैं । ग्रामीण और शहरी क्षेत्र, दोनों में फैले ये विशेष जनपद पूरे देश में मौजूद हैं ।

विशेष जनपदों (अथवा एक उद्देश्य जनपद) का निर्माण शिक्षा, सफाई, अग्नि सुरक्षा, भूमि संरक्षण, जल, मनोरंजन, गृह-निर्माण, बाढ़ नियंत्रण इत्यादि के लिए किया जाता है । जनपदों में लोगों की सहमति के साथ इनका गठन राज्य के कानूनों के अंतर्गत अर्ध-नगर निकाय संगठन के तौर पर किया जाता है ।

इन विशेष जनपदों में सबसे पुराने और सबसे अधिक संख्या वाले स्कूल जनपद की हैं जिनका काम स्कूलों की देखरेख करना है । वर्तमान मैं लगभग 40,000 विशेष जनपदों में 15,000 स्कूल जनपद हैं । विशेष जनपदों का प्रबंध छोटे निकायों द्वारा किया जाता है जो अधिकांशतया निर्वाचित होते हैं परंतु इनको नियुक्त भी किया जा सकता है । इन निकायों के पास कर लगाने और बंधन पत्र जारी करने (Bonding) का अधिकार होता है ।