संयुक्त राज्य अमेरिका बजटीय प्रणाली की विशेषताएं | Features of the United States Budgetary System.

संयुक्त राज्य अमरीका की केंद्रीय वित्तीय एजेंसी ‘प्रबंधन एवं बजट कार्यालय’ (OMB) है । बजट की तैयारी और उसके प्रबंधन का उत्तरदायित्व इसी पर है । इसका गठन 1970 के एक प्रशासनिक आदेश द्वारा ब्यूरो ऑफ बजट का स्थान लेने के लिए किया गया था जिसकी स्थापना 1921 के बजट एवं एकाउंटिंग एक्ट द्वारा की गई थी ।

ओएमबी राष्ट्रपति के प्रशासनिक कार्यालय (EOP) का अंग है । वित्तीय प्रबंधन में यह राष्ट्रपति के कर्मचारियों की एक प्रमुख एजेंसी है । इसका प्रमुख एक निदेशक होता है जिसकी नियुक्ति सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । संयुक्त राज्य अमरीका में कोषागार विभाग भी है । इसका सरोकार बजटीय नियंत्रण से नहीं बल्कि सार्वजनिक कोष के संरक्षण से है ।

इस तरह अमरीकी कोषागार भारतीय वित्त मंत्रालय या ब्रिटिश कोषागार से भिन्न है जिनका संबंध सार्वजनिक कोष के संरक्षण तथा बजटीय नियंत्रण, दोनों से होता है । यह 1789 में स्थापित मूल विभागों में से एक है । इसका प्रमुख मंत्रिमंडल दर्जे का सचिव होता है ।

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संयुक्त राज्य अमरीका की बजट प्रणाली और वित्तीय प्रबंधन के संबंध में निम्न बिंदुओं पर भी ध्यान दिया जा सकता है:

(i) भारत के विपरीत, संयुक्त राज्य अमरीका में एकल बजट प्रणाली है, अर्थात सारे विभागों के लिए एक ही बजट होता है ।

(ii) ब्रिटेन और भारत के विपरीत, संयुक्त राज्य अमरीका में वित्तीय वर्ष 1 जुलाई से शुरू होकर अगले वर्ष 30 जून को समाप्त होता है ।

(iii) सारे विभागों में बजट अनुमानों की तैयारी गर्मियों में शुरू हो जाती है । इन अनुमानों को ओएमबी सितंबर के मध्य में प्राप्त करता है ।

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(iv) राष्ट्रपति बजट को जनवरी के मध्य में प्रतिनिधि सभा के समक्ष प्रस्तुत करता है ।

(v) भारत और ब्रिटेन के विपरीत, संयुक्त राज्य अमरीका में कोई बजट भाषण नहीं होता । शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत के कारण कांग्रेस में अमरीकी कार्यपालिका का प्रतिनिधित्व नहीं होता है ।

(vi) विनियोजन समिति की राय लेने के लिए प्रतिनिधि सभा बजट को उसके पास भेजती है । अनुमानों की विस्तारपूर्वक छानबीन करने के लिए यह समिति अपने आपको विभागों के आधार पर उपसमितियों में विभाजित कर लेती है ।

(vii) प्रतिनिधि सभा में पारित हो जाने के पश्चात विनियोग विधेयकों को सीनेट के पास भेजा जाता है । सीनेट भी उनको विनियोग समिति के पास भेज देती है । अनुमानों को लेकर दोनों सदनों के बीच उठने वाले मतभेदों का निपटारा करने के लिए एक सम्मेलन समिति का गठन किया जाता है ।

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(viii) प्रतिनिधि सभा में ‘उपाय एवं साधन समिति’ तथा सीनेट में ‘वित्त समिति’ राजस्व उपायों पर विचार करती है । इस मामले में मतभेदों का समाधान सम्मेलन समिति द्वारा ही किया जाता है ।

(ix) स्थानीय दबावों के चलते कांग्रेस का प्रत्येक सदस्य अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए अधिकतम भाग हासिल करने की कोशिश करता है । अत: अधिक से अधिक हिस्सा लेने के अपने संघर्ष में वे एक-दूसरे से सहयोग करते है और एक-दूसरे के पक्ष का समर्थन करते हैं ।

इसे ‘Pork Barrel’ (सरकारी खजाने में कोष) और ‘Log Rolling’ (परस्पर समर्थन) कहा जाता है । इससे विभागों द्वारा तैयार और ओएमबी द्वारा समेकित बजट अनुमान गड़बड़ा सकते हैं । अमरीका की बजट संबंधी प्रक्रिया की यह विलक्षण विशिष्टता है ।

(x) भारतीय अथवा ब्रिटिश संसद के विपरीत, अमरीकी कांग्रेस अनुमानों को न केवल स्वीकार, अस्वीकार या कम कर सकती है बल्कि उनको बढ़ा भी सकती है । अत: कार्यपालिका इस बात को लेकर हमेशा सुनिश्चित नहीं रहती कि कांग्रेस द्वारा बजट को क्या स्वरूप दिया जाएगा ।

(xi) भारत और ब्रिटेन के विपरीत, वित्तीय मामलों में अमरीकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा के अधिकार बराबर के होते हैं । हालाँकि वित्तीय विधेयक केवल प्रतिनिधि सभा में उत्पन्न होते हैं किंतु सीनेट उनको स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार रखती है ।

(xii) अमरीकी कांग्रेस बहुत से विनियोग तथा वित्त विधेयकों को पारित करती है । अत: भारत और ब्रिटेन (जहाँ एक ही विनियोग विधेयक तथा एक ही वित्त विधेयक पारित किया जा सकता है) की तुलना में अमरीका में बजट अनुमानों पर मतदान की प्रक्रिया कम केंद्रीकृत है ।

(xiii) दोनों सदनों में पारित हो जाने के पश्चात विनियोग विधेयकों तथा वित्त विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, जो आमतौर पर उन पर हस्ताक्षर कर देता है ।

(xiv) 1921 के बजट और लेखाविधि अधिनियम ने एक स्वतंत्र एजेंसी, केंद्रीय लेखाविधि कार्यालय (Central Accounting Office [CAO]) का निर्माण किया है, जिसका कार्य राष्ट्रीय सरकार के खर्चों को नियंत्रित करना और उनकी लेखा परीक्षा (Audit) करना है । इसका प्रमुख महालेखा नियंत्रक होता है और उसकी नियुक्ति सीनेट की सहमति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है ।

उसका कार्यकाल 15 वर्ष या 70 वर्ष की आयु पूरी होने तक होता है । वह दूसरी बार इस पद पर नियुक्त होने का पात्र नहीं होता है । उसे केवल महाभियोग अथवा कांग्रेस के संयुक्त प्रस्ताव द्वारा ही हटाया जा सकता है । वह कांग्रेस का सहायक या अभिकर्ता होता है । वह विभागों द्वारा किए गए खर्चो को अस्वीकार करने का अधिकार रखता है । उसे कार्यपालिका के नियंत्रण से व्यापक स्वतंत्रता प्राप्त होती है ।