Read this article in Hindi to learn about the parliamentary commissioner of Britain.

ऑम्बुड्‌समैन जैसे संस्था को ब्रिटेन में 1967 में प्रशासनिक संसदीय आयुक्त के रूप में अपनाया गया था । इस पद का निर्माण सर जॉन व्हाय कमेटी रिपोर्ट (1961) की सिफारिश पर किया गया था । इसका पद नियंता एवं महालेखा परीक्षक के बराबर है ।

उसकी नियुक्ति ताज द्वारा तब तक के लिए की जाती है जब तक वह 65 वर्ष की आयु पूरी नहीं कर लेता है । उसके पद से उसको अक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है । उसका कार्य सरकारी विभागों के कुप्रशासन के विरुद्ध नागरिकों की शिकायतों की जाँच-पड़ताल करना है । वह कुप्रशासन शब्द की परिभाषा करने के लिए स्वतंत्र होता है ।

ब्रिटेन में इस पद की विशेषता यह है कि कोई नागरिक उस तक सीधे नहीं, बल्कि सिर्फ किसी सांसद के माध्यम से पहुँच सकता है जो उसे आयुक्त के पास भेजता है । इस प्रक्रिया को एम पी फिल्टर (‘MP Filter’) कहते हैं । आयुक्त अपने निष्कर्षों को संसद तथा शिकायत लेने वाले सांसद के सामने पेश करता है ।

ADVERTISEMENTS:

आयुक्त के अधिकार क्षेत्र और प्राधिकार पर निम्नलिखित प्रतिबंध हैं:

1. प्रारंभ में उसे निम्न विरुद्ध कुप्रशासन के मामलों की जाँच करने का अधिकार नहीं था- स्थानीय अधिकारी, चिकित्सालय बोर्ड, राष्ट्रीयकृत उद्योग, पुलिस, लोकसेवा में कार्मिक प्रश्न एवं सशस्त्र सेना । परंतु समय के साथ प्रशासन को इन क्षेत्रों को भी उसके अधिकार क्षेत्र में शामिल कर दिया गया ।

2. जिन मामलों में शिकायत करने वाला अपील करने का अधिकारी है, उनमें यह जाँच नहीं कर सकता ।

3. यह संसदीय नियंत्रण के अधीन किसी नीति पर प्रश्न नहीं उठा सकता ।

ADVERTISEMENTS:

4. यह प्रशासन के विवेकाधीन निर्णयों की उपयुक्तता पर प्रश्न नहीं कर सकता जो वैधानिक रूप से और उपयुक्त प्रशासनिक कार्यविधि के बाद लिए जाते हैं ।

5. उसके द्वारा की गई जाँच गोपनीय और निजी होनी चाहिए ।

6. मंत्री आयुक्त द्वारा माँगी गई सूचना को जनहित में रोक सकता है । ब्रिटिश संसदीय आयुक्त के अधिकार क्षेत्र तथा प्राधिकार का विस्तार स्वीडिश ऑम्बुड्‌समैन की तुलना में बहुत ही सीमित है ।