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ब्रिटेन की व्यवस्थापिका को ”पार्लियामेंट” कहा जाता है । 1834 में आग में जलकर राख शाही भवन, जिसका 1840-60 तक पुनरुद्धार किया गया, आज वेस्ट मिनस्टर कहलाता है । इसी भवन में ब्रिटिश संसद कार्य करती है । विश्व प्रसिद्ध घड़ी ”बिगबेन” भी इसी भवन में है ।

पार्लियामेंट के दो सदन हैं:

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1. हाउस आफ लार्डस या उच्च सदन:

यह संसद का सबसे प्राचीन सदन माना जाता है । यह कुलीनों का सदन भी कहलाता है क्योंकि इसके सदस्य कुलिन सामंत और धनाढ्य होते हैं । यह ब्रिटिश प्रजातंत्र में अभिजातवर्गीय तत्व है और इसके अधिकांश सदस्य वंशानुगत आधार पर ही आते हैं ।

अर्हता:

इसके लिये न्यूनतम आयु 21 वर्ष जरूरी है । पूर्व प्रधानमंत्री, लोक सदन के अवकाश प्राप्त अध्यक्ष, पूर्व सेनापति, धार्मिक नेता, न्यायाधिपति तथा विज्ञान साहित्य एवं कला क्षेत्र के विद्वान भी इसके सदस्य बनाए जाते हैं । परिवार के सभी राजकुमार इसके सदस्य हैं जो बैठकों में कम ही आते हैं ।

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सदस्य संख्या:

इसकी सदस्य संख्या तय नहीं है लेकिन वर्तमान में इसमें 1150 सदस्य हैं जो प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर ताज द्वारा मनोनित किये जाते है । लॉर्ड सभा में सर्वाधिक संख्या पियर्स की है जो लगभग 90 प्रतिशत है । पियर सदस्य वंशानुगत है । सन् 1962 से पूर्व कोई पियर अपना वंशानुगत पद नहीं त्याग सकता था । अब यह विवशता नहीं है । सन् 1958 के ”लाइफ पीयर्स अधिनियम” के पश्चात् महिलाएं भी लॉर्ड सभा में मनोनीत की जाने लगी हैं ।

पीयर्स भी पांच श्रेणी के हैं, क्रमशः उच्च से निम्न श्रेणी में ड्‌यूक, मारक्यूइस, अर्ल, विस्काउंट तथा बैरन कहलाते हैं । सन् 1707 में स्कॉटलैंड को मिलाते समय यूनियन एक्ट के तहत स्कॉटलैंड के सभी पियर्स में से केवल 16 पियर्स चुने जाने का प्रावधान किया गया था ।

सन् 1963 से यह व्यवस्था है कि स्कॉटलैंड के सभी पियर्स लॉर्ड सभा के सदस्य होंगे, किंतु नए पियर्स नहीं चुने जाएंगे । इस प्रकार स्कॉटलैंड का प्रतिनिधित्व शनै-शनै, घट रहा है । सन् 1958 के आजीवन पियर्स अधिनियम के अंतर्गत कुछ प्रसिद्ध एवं अनुभवी व्यक्तियों को भी लार्ड सभा का सदस्य बनाया जाता है ।

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चौथे प्रकार के सदस्य विधि लॉर्ड कहलाते हैं । सन् 1876 के अपीलीय क्षेत्राधिकार अधिनियम के अंतर्गत 9 न्यायवेत्ता सम्राट द्वारा नियुक्त कर दिये जाते है, जो लॉर्ड सभा या देश के सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय के रूप में कार्य करते हैं । अध्यात्मिक लॉर्ड की संख्या 26 है जिनमें केंटरबरी, यार्क, लदन, डरहम तथा विनचेस्टर के एक-एक आर्क बिशप या बिशप (उच्च पादरी) अवश्य चुने जाते हैं । अन्य बिशप इंग्लैंड की विभिन्न चर्चो के वरिष्ठ बिशप होते हैं ।

लार्ड चांसलर:

लार्ड सभा के अध्यक्ष को लार्ड चांसलर कहा जाता है जो प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त होता है और मंत्रिमंडल का एक सदस्य माना जाता है ।

बैठक और गणपूर्ति:

लार्ड सभा की बैठक के लिये न्यूनतम संख्या (गणपूर्ति) 3 लार्ड है । लेकिन विधेयक को पारित करने के लिये न्यूनतम 30 लार्ड्स का समर्थन जरूरी होता है । लार्ड सभा के अधिवेशन हाउस आफ कामन्स के साथ होते हैं । सोमवार से गुरुवार तक सामान्यतया इसकी बैठकें होती हैं जो 2 घण्टे चलती हैं । जरूरी होने पर शुक्रवार को भी बैठक की जा सकती है ।

लार्ड सभा की शक्तियां:

शक्तियों को लेकर लार्ड सभा की तुलना भारत की राज्यसभा से की जा सकती है ।

उसकी शक्तियां इस प्रकार हैं:

(i) सामान्य और संवैधानिक दोनों विषयों पर उसके अधिकार हाउस आफ कामन्स से कम है । वह गैर वित्त विधेयक को एक बार अस्वीकृत कर अधिकतम एक वर्ष के लिए रोक सकती है ।

(ii) लेकिन वित्त विधेयक को वह अधिकतम एक माह तक ही रोक सकती है ।

उसके सुझावों से जनप्रतिनिधि सदन का सहमत होना जरूरी नहीं है ।

(iii) लार्ड सभा के सदस्यों को लोक सदन के चुनाव लड़ने तथा मत देने का अधिकार नहीं है ।

(iv) लॉर्ड सभा के सदस्य अध्यक्ष को संबोधित न करके केवल ”माई लॉर्ड” कहते हैं ।

(v) एक सदस्य एक विषय पर एक ही बार बोल सकता है तथा विषय से हटकर नहीं बोल सकता । सामान्यतः लॉर्ड सभा सूनी-सूनी तथा बहसमुक्त रहती है । लार्ड सभा की शक्तिहीनता के कारण ऑग एवं जिंक ने इसे ”संसद का दूसरा सदन नहीं बल्कि दूसरे दर्जे का सदन माना है ।” इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री चर्चिल ने लॉर्ड सभा को अप्रतिनिधिक, अनुतरदायी तथा अनुपस्थित संस्था कहा है ।

(vi) लॉर्डसभा में प्रायः अनुदान दल का बहुमत रहता है ।

(vii) उसके अन्य विशेष अधिकार हैं लॉर्ड सभा के सदस्य सम्राट से व्यक्तिगत रूप से मिल सकते हैं जबकि लोक सदन के सदस्य (सांसद) अध्यक्ष की अनुमति से ही ऐसा कर सकते हैं ।

2. हाउस ऑफ कामन्स (जन प्रतिनिधि सदन):

पार्लियामेंट का दूसरा सदन ”जनप्रतिनिधि सदन” है जिसकी वर्तमान सदस्य संख्या 659 है । इसके सदस्यों का निर्वाचन 18 वर्ष (1970 से) पूरी कर चुके वयस्क मतदाताओं के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से पांच वर्ष के लिए होता है ।

अर्हता:

इसका सदस्य बनने के लिए प्रत्याशी में निम्नलिखित योग्यता होना जरूरी हैं:

(i) 21 वर्ष आयु पूर्ण कर चुका ब्रिटिश नागरिक

(ii) जो देश के प्रति निष्ठा की शपथ लेने को तैयार हो किन्तु उसे लॉर्ड सभा का सदस्य पियर, मेयर या शैरिफ, लोक सेवक तथा राज्य से लाभ लेने वाली स्थिति में नहीं होना चाहिए ।

स्पीकर:

जनप्रतिनिधि सदन का अध्यक्ष ”स्पीकर” कहलाता है । इसका चयन प्रायः पक्ष-विपक्ष द्वारा सदस्यों में से ही सर्वानुमति से किया जाता है । और चुनाव की नौबत सामान्यतया नहीं आती है । वह एक से अधिक बार निर्वाचित हो सकता है ।

गणपूर्ति:

इस सदन की गणपूर्ति के लिए न्यूनतम 40 सदस्यों की अपस्थिति अनिवार्य है ।

दलीय सचेतक (Party Whip):

व्हिप का अर्थ है- कोड़ा या चाबुक, जो जानवरों को नियंत्रित करने में काम आता है । अतः सदन में दलीय सचेतक होते हैं जो सदन में उपस्थिति, पक्ष में मतदान तथा व्यवस्था में सहायता करते है । भारत में भी दलीय सचेतक की प्रथा है ।

शक्तियाँ और कार्य:

जनप्रतिनिधि सदन ब्रिटिश संसदीय परंपरा में अधिक शक्तिशाली हैं । वहाँ संसद की प्रभुसत्ता से आशय इसी सदन की संप्रभुता से है । 1911 और 1949 के अधिनियमों ने इसे और अधिक शक्तिशाली बना दिया है । वित्तीय शक्तियों में तो यह लार्ड सभा की तुलना में शक्तिशाली है ही, सामान्य विधेयकों को लेकर भी अधिक प्रभावी है ।