Read this article in Hindi to learn about the five major rationale of project selection. The rationale are:- 1. निश्चित बचत आकार (Budget Size Fixed) 2. परिवर्तनीय बजट आकार (Budget Size Variable) 3. पिण्डित परियोजनाएं (Lumpy Projects) 4. निश्चित बजट आकार (Budget Size Fixed) 5. परिवर्तनीय बजट आकार (Budget Size Variable).

आइये हम परियोजना चयन के मूल तर्काधार का प्रकरण तैयार करें ।

Rationale # 1. निश्चित बचत आकार (Budget Size Fixed):

कल्पना करें कि बजट निर्देशक ने परामर्श देना है कि एक प्रदत्त राशि (मान ले एक बिलियन) का दो व्यय परियोजनाओं, X और Y के बीच सर्वोत्तम आबंटित कैसे किया जाये ।

समस्या को, एक उपभोक्ता घर के मुखिया की समस्या से जोड़ा जा सकता है जिसे घरेलू बजट का आबंटन करना होता है । पहले लागत C निर्धारित करते हैं जो प्रत्येक सेवा उपलब्ध करने में शामिल है और लाभ B उससे प्राप्त करना है ।

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तो X और Y व्यय का आवंटन आवश्यक है ताकि बजट से उच्चतम कुल लाभ प्राप्त किया जा सके अर्थात शुद्ध लाभों को अधिकतम बनाने के लिये (∑NB) अथवा कुल लाभों (∑B) की कुल लागतों (∑C) पर अधिकता । बजट का आकार ∑C दिये होने पर कार्य केवल ∑B को अधिकतम बनाने का है ।

रेखा चित्र 5.7 में, Mx और My शडयूल X और Y पर डालरों के क्रमिक व्यय से प्राप्त सीमान्त लाभों (कुल लाभों में योग) के मूल्य को दर्शाते हैं । X पर एक डालर व्यय करने की अवसर लागत इसे Y पर खर्च न करने के कारण लाभों की हानि है ।

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इसलिये कुल व्ययों को X और Y में इस प्रकार बांटा जाये ताकि X पर अन्तिम डालर के व्यय से प्राप्त लाभ Y पर व्यय किये गये अन्तिम डालर से प्राप्त लाभ के बराबर हो । अत: OA, X पर और OB, Y पर इस प्रकार व्यय किया जाता है कि = AC = BD और OA + OB कुल अनुज्ञेय व्ययों के बराबर होता है ।

सीमान्त डालरों के X और Y पर व्यय प्राप्त लाभों को बराबर करने से X से प्राप्त कुल लाभों का जोड़ (जैसा कि क्षेत्र OACF द्वारा और Y से (जैसा कि क्षेत्र OBDG से मापा गया है) अधिकतम होगा ।

Rationale # 2. परिवर्तनीय बजट आकार (Budget Size Variable):

बजट को अधिक व्यापक रूप में देखते हुये समस्या केवल एक प्रदत्त आकार के बजट के विभाजन की नहीं बल्कि स्वयं बजट के आकार के निर्धारण की भी है सरकार द्वारा यह निर्णय आवश्यक है कि निजी एवं सार्वजनिक प्रयोग में साधनों का विभाजन कैसे करना है ।

इस प्रकार हम एक निश्चित बजट की मान्यता का त्याग करते है और परियोजना चयनों पर बजट के कुल व्ययों के निर्धारण पर पुन: विचार करते हैं । निश्चित बजट के भीतर एक सार्वजनिक परियोजना को जारी रखने की अवसर लागत में, एक अन्य सार्वजनिक परियोजना को जारी न रखने के कारण खोया गया लाभ शामिल है ।

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परन्तु खुले बजट में सार्वजनिक परियोजनाओं की अवसर लागत को निजी परियोजनाओं से खोये गये लाभों के रूप में पुन: परिभाषित करना आवश्यक है क्योंकि साधन सार्वजनिक प्रयोग की ओर स्थानान्तरित किये जाते हैं ।

अब कार्य ∑B – ∑C को अधिकतम करने का है जिसमें सार्वजनिक और निजी परियोजनाओं दोनों के लाभ और लागतें सम्मिलित हैं, इस शर्त को अन्तिम डालर के सीमान्त लाभों को बराबर करके प्राप्त किया जा सकता है जो वैकल्पिक सार्वजनिक और निजी परियोजनाओं पर खर्च किया गया है ।

जब तक प्रत्येक क्षेत्र में खर्च किये गये अन्तिम डालर से लाभ समान नहीं होता तब तक सार्वजनिक परियोजनाओं को विस्तृत किया जाता है और निजी परियोजनाओं को प्रतिबन्धित किया जाता है । X की सार्वजनिक परियोजना और Y की निजी परियोजना के रूप में व्याख्या करते हुये रेखा चित्र 5.9 का समाधान पुन: प्रयोज्य है ।

प्रदत्त पूर्ण बाजार के कारण निजी क्षेत्र में व्यय किये गये 1 रुपये से प्राप्त लाभ अथवा BD एक रुपये के बराबर होता है, और सार्वजनिक पक्ष में भी वैसा ही होना चाहिये । इस प्रकार सार्वजनिक व्यय तब तक बढ़ाये जाते हैं जब तक खर्च किया गया अन्तिम डालर, एक डालर के मूल्य के लाभ उपलब्ध करता है ।

Rationale # 3. पिण्डित परियोजनाएं (Lumpy Projects):

यहां हम कल्पना करते हैं कि व्ययों को अन्त में X और Y परियोजनाओं में विभाजित किया जाता है ताकि प्रत्येक पर खर्च किये गये सीमान्त डालर के लाभों को बराबर किया जा सके । जहां हम कोष के उदार व्यय श्रेणियों में निर्धारण से व्यवहार करते है वहां यह सीमान्त अवधारणा लगभग प्रयोज्य होती है ।

परन्तु जब यह विभागों के बीच विशेष आवंटन की ओर आता है, तो विशेष परियोजनाओं के बीच जो अविभाज्य हैं, जिनमें एक मुक्त राशियां सम्मिलित है तथा निर्विघ्नतापूर्वक विस्तार करने योग्य नहीं हैं चुनाव अवश्य किये जायें ।

यदि X और Y शहरों को जोड़ने वाली सड़क और एक अन्य X और Z शहरों को जोड़ने वाली सड़क के बीच चयन किया जाता है जहां X से Y तक का अन्तर X से Z के अन्तर से दुगना है कोई सीमान्त समायोजन नहीं होगा ।

Rationale # 4. निश्चित बजट आकार (Budget Size Fixed):

हम एक बार फिर निश्चित बजट प्रकरण से आरम्भ करते हैं । कल्पना करें कि हमारे पास वैकल्पिक राजयमार्ग परियोजना पर व्यय के लिये $7,00,000 डालर हैं और हम I से VII परियोजनाओं में से चयन कर सकते हैं जैसा कि तालिका 5.2 में दर्शाया गया है ।

प्रत्येक परियोजना को लागत वांछित डालर द्वारा मापी जाती है । लाभ मूल्याकरण प्रत्येक परियोजना के लिये कुल लाभ देता है । रेखा चित्र 5.7 में परियोजना के लिये कुल लाभ, लागत OA सहित क्षेत्र OACF के अनुकूल है ।

एक से सात परियोजनाओं के बीच से चयन के लिये हमें उनके सापेक्ष लाभों पर विचार करना चाहिये । चुनाव ऐसा होना चाहिये कि बजट आकार द्वारा निर्धारित प्रतिबन्ध के भीतर कुल लाभ अधिकतम बनाया जा सके ।

इन संयोगों से सर्वोत्तम समाधान इस प्रतिबन्ध के भीतर सम्भाव्य है तथा यह देखना होगा कौन सा पैकेज कुल उच्चतम शुद्ध लाभ उपलब्ध करता है । ऊपर दिये गये प्रदर्शन से यह स्पष्ट है कि सर्वोत्तम चयन में I, II, IV और V परियोजनाएं सम्मिलित हैं जिनकी कुल लागत 6,95,000 रुपये है 1,20,000 रुपयों के लाभ और 4,25,000 रुपयों के शुद्ध लाभ हैं ।

कुछ बोझिल अभिगम की आवश्यकता है, क्योंकि परियोजनाओं को केवल ऊपर से नीचे की ओर स्थान दे देने से तथा तदानुसार चयन से परिशुद्ध परिणाम प्राप्त नहीं किये जा सकते । निरपेक्ष से शुद्ध लाभों के अनुसार स्थान देना व्यर्थ होगा क्योंकि विभिन्न लागतें शामिल होती है ।

लाभ लागत (B/C) अनुपात इस कठिनाई की उपेक्षा करेंगे परन्तु गुमराह भी करेंगे । ऊपर दिये उदाहरण में ऐसा स्थान परियोजना II के स्थान पर परियोजना III का चुनाव करेगी जिसके परिणाम स्वरुप शुद्ध लाभ 19,000 रुपयों तक कम हो जायेंगे ।

इसके अतिरिक्त, परियोजनाओं का लाभ लागत अनुपातों के सन्दर्भ में मूल्यांकन की यह हानि है कि यह निर्णय लेना प्राय: कठिन होता है कि क्या एक परियोजना के अवांछित परोक्ष प्रभावों को लागतें माना जाये (और हर में सम्मिलित किया जाये) और कुछ लाभों को लाभों के रुप में शामिल किया जाये या नकारात्मक लागत के रुप में घटाया जाये ।

अथवा नकारात्मक लाभ माना जाये (और गणक से घटाया जाये) प्रश्न यह भी है कि क्या लागतों को हर (Denominator) में आरम्भिक पूंजी लागत के साथ शामिल किया अथवा लाभ गणक (Numerator) से घटाया जाये ।

लाभ लागत माप मुख्यता इस बात पर निर्भर करता है कि इन प्रश्नों का समाधान कैसे किया जाता है, जबकि शुद्ध लाभ अथवा लाभ-लागत धारणा के अन्तर्गत यह बात मायने नहीं रखती ।

Rationale # 5. परिवर्तनीय बजट आकार (Budget Size Variable):

जब बजट के आकार की कोई निश्चित सीमा नहीं होती तो पुन: साधनों के सार्वजनिक उपयोग तथा उसके विरुद्ध निजी उपयोग में भारिता जांचने की समस्या होगी क्योंकि अब हम पिण्डित परियोजनाओं से व्यवहार कर रहे हैं, यह दोनों प्रयोगों पर सीमान्त व्ययों से प्राप्त लाभों के सन्तुलन द्वारा नहीं किया जा सकता ।

अब हम इस नियम से आगे बढ़ते हैं कि सार्वजनिक परियोजना को तब तक जारी रखना ठीक होगा जब तक उनसे प्राप्त लाभ उसकी लागतों से अधिक है । इस नियम के पीछे औचित्य यह हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र में n डालर व्यय करने की लागत लाभों को n डॉलरों की हानि है; जो n डॉलरों को निजी क्षेत्र में व्यय न करने के परिणाम में होती है । नियम को यह कहकर व्यक्त किया जा सकता है कि परियोजना को तब तक कार्यान्वित करना चाहिए जब तक B – C > 0 हो ।