Read this article in Hindi to learn about:- 1. दक्षेस की स्थापना (Establishment of SAARC) 2. दक्षेस के उद्देश्य (Purpose of SAARC) 3. सार्क के सिद्धान्त (Principles of SAARC) 4. शिखर सम्मेलन (SAARC Summit Seminar) 5. दक्षेस की उपलब्धियाँ (Achievements of SAARC).

Contents:

  1. दक्षेस की स्थापना (Establishment of SAARC)
  2. दक्षेस के उद्देश्य (Purpose of SAARC)
  3. सार्क के सिद्धान्त (Principles of SAARC)
  4. शिखर सम्मेलन (SAARC Summit Seminar)
  5. दक्षेस की उपलब्धियाँ (Achievements of SAARC)


1. दक्षेस की स्थापना (Establishment of SAARC):

दक्षिण एशिया में सहयोग को बढ़ाने के लिए दक्षिण एशिया के 7 देशों ने दिसम्बर 1985 में दक्षेस अथवा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन की स्थापना की थी । अफगानिस्तान को इस संगठन में 2007 में शामिल किया गया था ।

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अतः इस संगठन में वर्तमान में ऊपर वर्णित 8 देश शामिल हैं । दक्षेस का मुख्यालय नेपाल की राजधानी काठमांडू में है । दक्षेस की स्थापना का विचार 1979 में बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान ने दिया था ।


2. दक्षेस के उद्देश्य (Purpose of SAARC):

दक्षेस का चार्टर 8 दिसम्बर 1985 को स्वीकार किया गया था, जिसमें 10 धाराएँ हैं तथा धारा 01 में उसके निम्न उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है:

1. दक्षिण एशिया क्षेत्र की जनता के कल्याण तथा उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाना ।

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2. दक्षिण एशिया में आर्थिक प्रगति, सामाजिक उन्नति तथा सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना ।

3. सदस्य देशों के मध्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी तथा वैज्ञानिक क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग तथा पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना ।

4. अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग को मजबूती प्रदान करना ।

5. सामान्य हित के मुद्दों में विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर सदस्य राष्ट्रों के मध्य सहयोग को बढ़ाना ।

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6. सामान्य उद्देश्य वाले क्षेत्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना ।


3. सार्क के सिद्धान्त (Principles of SAARC):

चार्टर के अनुच्छेद 2 में कुछ सिद्धान्तों का उल्लेख है जिनके आधार पर इस संगठन का संचालन किया जायेगा ।

1. राष्ट्रों की सम्प्रभु समानता, क्षेत्रीय अखण्डता, राजनीतिक स्वतंत्रता, आन्तरिक मामलों में अहस्तक्षेप तथा पारस्परिक लाभ के सिद्धान्तों का समर्थन ।

2. दक्षेस द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग का विकल्प न होकर उसका एक पूरक होगा । इसका तात्पर्य यह है कि सार्क द्वारा चलाई जा रही सहयोग की प्रक्रिया के साथ-साथ अन्य स्तरों पर भी सहयोग को आगे चलाया जायेगा ।

3. सदस्य देश सार्क के मंच पर द्विपक्षीय विवादों तथा राजनीतिक मुद्दों को नहीं उठायेंगे । सार्क के सभी निर्णय आम सहमति के आधार पर लिये जायेंगे ।


4. शिखर सम्मेलन (SAARC Summit Seminar):

दक्षेस की सर्वोच्च संस्था इसका शिखर सम्मेलन । इसमें दक्षेस के सदस्य देशों के शासनाध्यक्ष भाग लेते हैं । शिखर जनना का आयोजन प्रतिवर्ष किया जायेगा । दक्षेस के सभी महत्वपूर्ण निर्णय शिखर सम्मेलन में ही लिये जाते हैं ।

अब तक दक्षेस के 17 शिखर सम्मेलन सम्पन्न हो चुके हैं । 17वें शिखर सम्मेलन की मुख्य विषय वस्तु ‘बिल्डिंग ब्रिजेज’ थी । 18वाँ शिखर सम्मेलन नेपाल में आयोजित किया जायेगा ।


5. दक्षेस की उपलब्धियाँ (Achievements of SAARC):

दक्षेस की निम्नलिखित उपलब्धियाँ हैं:

1. दक्षेस ने सदस्यों के मध्य सहयोग के लिए निम्न 9 क्षेत्रों को चिह्नित किया है- कृषि, स्वास्थ्य सेवाएँ, मौसम विज्ञान, डाक-तार सेवाएँ, ग्रामीण विकास, विज्ञान और तकनीकि, दूरसंचार तथा यातायात, खेल-कूद तथा सांस्कृतिक सहयोग । इन्हीं क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है ।

2. दक्षेस ने दक्षिण एशिया में मुक्त व्यापार समझौते को 2004 में स्वीकार किया था तथा ये समझौता 1 जनवरी, 2006 से लागू हो गया है । इस समझौते के अंतर्गत 2013 तक सभी देशों ने आपसी व्यापार में आयात शुल्क को घटाकर 5 प्रतिशत कर लिया है । अल्पविकसित देशों को तीन वर्ष की आतिरिक्त छूट दी गयी है । लागू होने से क्षेत्रीय स्तर पर व्यापार को बढ़ावा मिला है ।

3. इसके साथ ही दक्षेस देशों ने आतंकवाद की समस्या के निपटने आपदा प्रबन्धन में सहयोग करने तथा सांस्कृतिक क्षेत्र व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई साझा कार्यक्रमों को लागू किया है ।

4. 2010 में दक्षिण एशिया फोरम की स्थापना की गयी है, जिसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया में सहयोग की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है । साथ ही इस क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की साझा संस्थाओं की स्थापना की गयी है ।

दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग के मार्ग में बाधाएँ:

अन्य क्षेत्रों की तुलना में दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग की प्रक्रिया अधिक सफल नहीं हो सकी है । 2006 में प्रकाशित विश्व बैंक की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया आर्थिक दृष्टि से विश्व का न्यूनतम एकीकृत क्षेत्र है । दक्षिण एशिया के देशों का आपसी व्यापार उनके कुल व्यापार का मात्र दो प्रतिशत है ।

यूरोप दक्षिण-पूर्व एशिया अथवा उत्तरी अमेरिका की तुलना में कतिपय आन्तरिक व बाह्य कारणों से दक्षिण एशिया में आर्थिक एकीकरण की प्रक्रिया बाधाओं का शिकार होती रही है । इसका प्रमुख कारण इस क्षेत्र के देशों में सुरक्षा तथा विकास के आधारभूत प्रश्नों पर आम सहमति व मतैक्य का अभाव है । इससे इस क्षेत्र में विकास शान्ति व स्थिरता पर विपरीत प्रभाव पड़ा है ।


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