Read this article in Hindi to learn about:- 1. आसियान का स्वरूप एवं उद्देश्य (ASEAN – Form and Purpose) 2. आसियान के कार्य एवं भूमिका (ASEAN – Work and Role) 3. आसियान और भारत (ASEAN and India) 4. भूमिका का मूल्यांकन (Evaluation of Role).

आसियान का स्वरूप एवं उद्देश्य (ASEAN Form and Purpose):

24 जुलाई, 1996 को भारत ‘आसियान’ का पूर्ण संवाद सहयोगी बनाया गया है । आसियान का मुख्यालय जकार्ता में है ।

आसियान के सभी सदस्य राष्ट्रों में विभिन्न भाषा, धर्म, जाति संस्कृति, खान-पान, रहन-सहन वाले लोग निवास करते हैं, इन देशों की औपनिवेशिक विरासत, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक जीवन मूल्यों में विभिन्नता है, तथापि उनमें कतिपय चुनौतियों का सामना करने की साझी समझ भी है । इन देशों के सम्मुख जनसंख्या विस्फोट, निर्धनता, आर्थिक शोषण, असुरक्षा आदि की समान चुनौतियाँ हैं ।

आसियान के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य है दक्षिण पूर्वी एशिया में आर्थिक प्रगति को त्वरित करना और उसके आर्थिक स्थायित्व को बनाए रखना है । मोटे तौर पर इसके निर्माण का उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों से राजनीतिक, सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक, तकनीकी प्रशासनिक आदि क्षेत्रों में परस्पर सहायता करना था । सामूहिक सहयोग से विभिन्न साझी समस्याओं का हल ढूँढना है जो इसके निर्माण के समय आसियान घोषणा में स्पष्ट रूप से लिखित है ।

आसियान के कार्य एवं भूमिका (ASEAN Work and Role):

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आसियान के कार्यों का क्षेत्र काफी व्यापक है । यह आज समस्त राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, तकनीकी तथा प्रशासनिक क्षेत्रों में कार्यरत है । सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों से संबंधित स्थायी समिति है ।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों से संबंधित स्थायी समिति ने अनेक परियोजनाएँ बनाई है जिनका उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन कार्यक्रमों को, प्रोत्साहन, शैक्षणिक खेल, सामाजिक कल्याण एवं राष्ट्रीय व्यवस्था में संयुक्त कार्य प्रणाली को महत्व देना है ।

1969 में संचार व्यवस्था और सांस्कृतिक गतिविधि बढाने के लिए एक समझौता किया गया जिसके अंर्तगत आसियान के सदस्य देश रेडियो एवं दूरदर्शन के माध्यम से एक-दूसरे के कार्यक्रमों का परस्पर आदान-प्रदान करते हैं ।

पर्यटन के क्षेत्र में इन्होंने ‘ASEANTA’ बनाया है जो बिना ‘वीसा’ के सदस्य राष्ट्रों में पर्यटन की सुविधा प्रदान करता है । आसियान ने कृषि क्षेत्र की बढ़ोतरी के लिए विशेष कदम उठाए हैं । स्वतंत्र व्यापार क्षेत्र स्थापित करने के लिए भी आसियान देश प्रयत्नशील है ।

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आसियान और भारत (ASEAN and India):

भारत, कनाडा, यूरोपीय यूनियन, कोरिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका के साथ आसियान के वार्ताकारों में से एक प्रमुख सदस्य है । 24 जुलाई 1996 से भारत को ‘आसियान’ देशों ने ‘पूर्ण संवाद सहयोगी’ सदस्य बनाया है । भारत आसियान देशों ने सूजना प्रौद्योगिकी के विकास, आधारिक संरचना के विकास तथा मानव संसाधन विकास में सक्रिय सहयोग कर रहा है ।

भारत सी॰एल॰एम॰वी॰ (कम्बोडिया, लाओस, मयामांर, वियतनाम) राष्ट्रों के साथ कई द्विपक्षीय कार्यक्रमों पर कार्य कर रहा है जिन्हें आगे चलकर संयुक्त परियोजनाओं के रूप में आसियान देशों के साथ जोड़ा जाएगा । हनोई सम्मेलन में भारत ने आसियान के साथ वार्ता भागीदारी को बेहतर बनाने के लिए कई नए प्रस्ताव रखे हैं ।

भारत ने तकनीकी क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता बताते हुए ‘आसियान-भारत श्रम मंत्री सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव रखा । सी॰एल॰एम॰वी॰ देशों की परियोजनाओं को हाथ में लेते हुए भारत ने इनेशिएटिव फॉर आसियान इंटीग्रेशन’ परियोजना में भाग लेने की इच्छा जताई ।

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भारत ने 2000 में आसियाने देशों के 94 प्रतिनिधियों के लिए छ: हफ्ते का सूचना प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के तहत भारत हर वर्ष 100 छात्रवृत्ति प्रदान करता है । आसियान और भारत ने ‘आसियान-इंडिया’ डिजिटल आर्किण (AIDA) के गठन के लिए अनुबंध किया है, जिसे दो चरणों में लागू किया जाएगा ।

भारत आसियान देशों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के तहत प्रत्येक सदस्य देश के एक व्यक्ति को इंडियन रिमोट सेसिंग सैटेलाइट (IRS) द्वारा भेजे गए आकड़ों के विश्लेषण, व्याख्या और उपयोग करने के तरीके के प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है ।

भारत आसियान देशों के साथ निरंतर नजदीकियाँ बढ़ाता जा रहा है । इस दिशा में राजनीतिक और कूटनीतिक २त्तर के भी प्रयास किये जा रहे हैं । अपने चौथे शिखर सम्मेलन में आसियान ने भारत और पाकिस्तान को ‘क्षेत्रीय वार्ता भागीदार’ का दर्जा प्रदान किया लेकिन अपने पाँचवें सम्मेलन में ‘आसियान’ ने भारत को ‘नियमित और पूर्ण वार्ता भागीदार’ का दर्जा प्रदान किया ।

अपने विशाल बाजार के कारण भारत व्यापार और निवेश का एक चुबंकीय केंद्र बनता जा रहा है । अतः आसियान देश भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढाने को प्रेरित हुए है । वही कूटनीतिक स्तर पर भी आसियान विदेश मंत्रियों ने आगरा शिखर वार्ता को एक जरूरी पहल बताते हुए भारत के मत को मजबूती प्रदान की है ।

‘आसियान’ की भूमिका का मूल्यांकन (Evaluation of Role of ASEAN):

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के कतिपय विद्वानों का मत है कि मोटे तौर पर ‘आसियान’ का कार्य एवं भूमिका निराशाजनक रही है । यूरोपिय साझा बाजार से आसियान की तुलना करते हुए उनका विचार है कि यह संगठन सदस्य राष्ट्रों में वह आर्थिक एवं अन्य प्रकार का सहयोग तीव्र गति से नहीं बढा पाया है । यह भी आरोप लगाया जाता है कि आसियान देशों का झुकाव पश्चिमी देशों की तरफ अधिक रहा है ।

इन आलोचनाओं के बावजूद आसियान एक असैनिक स्वरूप का संगठन है । आसियान की सदस्यता के द्वारा दक्षिण पूर्वी एशिया के उन सभी राष्ट्रों के लिए खुले हैं जो इसके सिद्धांत, उद्देश्य तथा प्रायोजनों में विश्वास रखते हैं । आसियान के सदस्य राष्ट्रों की जनता उसको एक ऐसी मशीनरी के रूप में मानती है जो एक देश की जनता को मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के प्रयत्न क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में ‘आसियान’ की प्रमुख उपलब्धि रही है ।

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